RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
चाचा का परिवार
अब इतनी बड़ी कोठी में सिर्फ मैं, पारो और कम्मो ही रह गए थे। रोज़ रात को चुदाई का क्रम जारी रहा।
कुछ दिनों के बाद मम्मी का फ़ोन आया- कैसे हो बेटा? सब ठीक चल रहा है न? और तुम्हारी तबीयत कैसी है? और कम्मो और पारो तुम्हारा पूरा ध्यान रख रहीं हैं न?
मैं बोला- मम्मी, मैं बिलकुल ठीक हूँ और रोज़ कालेज जा रहा हूँ और दोनों औरतें मेरा बहुत अच्छा ख्याल रख रहीं हैं।
मम्मी बोली- चलो अच्छा है, अपने खाने पीने का पूरा ध्यान रखना, और देखो ज्यादा देर बाहर मत घूमना। अच्छा ऐसा है वो जो दूर के तुम्हारे चाचा जी हैं, उनका फ़ोन आया था कि वो परिवार के साथ लखनऊ जा रहे हैं और कुछ दिनों के लिए वो हमारी कोठी में रुकना चाहते हैं। मैंने कह दिया है कि वो बिना झिझक के हमारी कोठी में रुक सकते हैं।
मैं बोला- ठीक है मम्मी, उनको आने दो मैं उनका पूरा ख्याल रखूँगा। कितने लोग होंगे उनके परिवार में?
मम्मी बोली- चाचा-चाची और उनकी लड़की होगी शायद। उनका अच्छी तरह से ध्यान रखना और खातिर में किसी तरह की कमी नहीं रहने देना। वो शायद कल पहुँच रहे हैं अपनी कार से, ठीक है न?
मैं बोला- ठीक है मम्मी, आप बेफिक्र रहें, पारो काफी होशियार है, पूरा ध्यान रखेंगे हम!
मम्मी बोली- अच्छा बेटा, मैं रखती हूँ, जब वो पहुँच जाएँ तो फ़ोन कर देना, ओ के?
मैं बोला- ओके मम्मी, बाय।
मैंने पारो और कम्मो को बुलाया और चाचा के परिवार के आने की खबर उन दोनों को दी और कहा कि बैठ कर पूरी योजना बना लो कि कैसे उनकी खातिर करनी है।
कम्मो बोली- रात को सारी योजना बना लेंगे, और किसी चीज़ की कमी नहीं होने देंगे।
खाने का सारा सामान कम्मो ने लाने की ड्यूटी ले ली और पारो ने खाना बनाने का काम सम्हाल लिया। चाचा चाची को मम्मी पापा वाला कमरा और उनकी लड़की के लिए मेरे साथ वाला कमरा देने की बात तय कर ली।
दोनों उन कमरों को ठीक करने में लग गई।
अगले दिन मैं कालेज से जल्दी आ गया और चाचा चाची का इंतज़ार करने लगा।
दोपहर के 12 बजे के लगभग वो अपनी कार से पहुँचे।
मैंने उनका स्वागत किया और जल्दी ही उनको नहा धोकर फ्रेश हो जाने के लिए कहा।
सब फ्रेश होकर खाने के टेबल पर बैठ गए। अब मैंने इस परिवार को ध्यान से देखा।
चाचा थोड़ी ज्यादा उम्र के लगे लेकिन चाची काफी जवान दिख रही थी। उनकी लड़की ऊषा कोई 20 साल की होगी और चाची की उम्र की ही लग रही थी।
बाद में मुझको पता चला कि चाचा की यह दूसरी शादी थी और ऊषा उनकी पहली बीवी से हुई लड़की थी। दोनों माँ बेटी दिखने में काफी सुंदर लग रही थी।
खाने के टेबल ही पर पता चला कि चाचा जी अपने किसी काम के कारण आये हैं और बच्चे सिर्फ सैर और लखनऊ देखने आये हैं। चाचा जी रात को बनारस के लिए निकल गए और दो दिन बाद आने का कह बिस्तर पर चले गये।
रात को पारो और कम्मो अपनी कोठरियों में सोई।
आधी रात को मुझ को ऐसा लगा कि कोई मेरे बिस्तर पर मेरे साथ लेटा है। पहले सोचा शायद पारो या कम्मो आ गई है लेकिन जब आँखें खोली तो देखा कि चाची जी मेरे साथ लेटी हैं।
उन्होंने सिल्क की लाल रंग का नाइट सूट पहना हुआ था और वो मेरे खड़े लंड से खेल रही थी।
मेरा पायजामा नीचे खिसका था और मेरे लंड और अंडकोष पयज़ामे से बाहर निकले हुए थे। चाची की पोशाक भी ऊपर की तरफ खिसकी हुई थी और उसकी चूत मुझको दिख रही थी।
चाची की चूत एकदम सफाचट थी यानि एक भी बाल नहीं था उस पर।
चाची ने मुंह नीचे करके मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
लंड तो खड़ा था पूरी तरह और चाची जल्दी से उस के ऊपर बैठ और लंड एकदम चूत में घुस गया। उसकी गीली और टाइट चूत में लंड बड़े आनन्द से घुसा हुआ था और मैंने हल्के से नीचे से ऊपर एक धक्का मारा और तब चाची की कमर जल्दी जल्दी ऊपर नीचे होने लगी।
अब मेरे से नहीं रहा गया और मैंने चाची की कमर पकड़ कर नीचे से ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए और चाची भी आँखें बंद किये हुए इन धक्कों का आनन्द लेने लगी।
मुझको लगा कि चाची की चूत बंद खुलना शुरू हो गई और थोड़ी देर में चाची का झड़ गया और वो मुझसे इस ज़ोर से लिपट गई जैसे वो मुझको कभी नहीं छोड़ेगी।
अब मैं अपने को काबू नहीं कर सका और आँखें खोल कर बिस्तर में बैठ गया और चाची को देख कर हैरानी का भाव चेहरे पर ले आया और हैरान हो कर बोला- चाची आप यहाँ क्या कर रहीं हैं? आप कब आई?
चाची मुस्करा कर बोली- सोमू, तुम मुझको एक बार तो चोद चुके हो। और अभी मेरी भूख खत्म नहीं हुई चुदवाने की, तो लगे रहो।
‘अरे चाची, मैं तो छोटा हूँ आपसे। मैं क्या कर सकता हूँ, तुम्हारी भूख कैसे शांत कर सकता हूँ?’
‘बस वैसे ही करते रहो, जैसा मैं कह रही हूँ। वरना तुम जानते हो मैं शोर मचा कर सब को बुला लूंगी।’
अब मैं थोड़ा घबराया लेकिन मैं जानता था कि घर के अंदर सिर्फ चाची की बेटी ऊषा ही है और बाकी सब तो बाहर हैं।
फिर मैंने सोचा कि चलो चाची चूत दे ही रही है तो मज़ा लेते हैं।
चाची को मैंने गौर से देखा, उम्र शायद 30 के आस पास होगी लेकिन शरीर बहुत ही गठा हुआ था। मम्मे गोल और सॉलिड थे लेकिन साइज में वो पारो और कम्मो से छोटे थे, चूतड़ भी काफ़ी मोटे और गोल थे।
मैं चुपचाप लेटा रहा और चाची मेरे लंड के साथ खेलना और अपनी चूत को अपने ही हाथ से रगड़ना जारी रखे हुए थी। उसने कई इशारे फेंके कि मैं उसके ऊपर चढ़ जाऊँ लेकिन मैं लेटा रहा।
तब चाची ने मुझको होटों पर चूमना शुरू किया, आखिर न चाहते हुए भी मैं धीरे धीरे चाची का साथ देने लगा।
चाची की चूत को हाथ लगाया तो वो गर्मी के मारे उबल रही थी और उसका रस टप टप कर के बह रहा था।
अब मैं अपने को और नहीं रोक सका और खड़े लंड के साथ चाची की जाँघों के बीच बैठ कर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा।
चाची के मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी और वो नीचे से ज़ोर से चूतड़ उठा उठा कर लंड और चूत का मिलन करवा रही थी।
फिर मेरे लौड़े ने इंजिन की तरह तेज़ी से अंदर बाहर होना शुरू कर दिया। पांच मिन्ट में ही चाची झड़ गई और मैं भी ज़ोरदार पिचकारी मारते हुए झड़ गया।
मैं चाची के ऊपर निढाल पड़ा था।
इतने में किसी ने आवाज़ लगाई- मम्मी यह क्या हो रहा है सोमू के साथ?
हम दोनों ने मुड़ कर देखा तो दरवाज़े पर ऊषा खड़ी थी और फटी आँखों से अंदर का नज़ारा देख रही थी।
हम दोनों नंगे ही उठ बैठे, मेरा लौड़ा छूटने के बाद भी खड़ा था और ऊषा की नज़र खड़े लंड पर टिकी थी।
जल्दी से वो अंदर आ गई और आते ही मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया। उसने भी पिंक रेशमी चोगा पहना था जिसको उसने एक ही एक्शन में उतार के फ़ेंक दिया और कूद कर पलंग पर मेरी साइड वाली खाली जगह में आकर लेट गई।
अब मैं दोनों माँ बेटी के बीच में था, बेटी ने मेरा लंड पकड़ रखा था और माँ मेरे अंडकोष के साथ खेल रही थी।
तब चाची बोली- ऊषा, थोड़ी देर पहले मैं सर दर्द की दवाई लेने सोमू के कमरे में आई थी। देखा कि सोमू गहरी नींद में सोया है लेकिन इसका लंड एकदम खड़ा था और पायज़ामे के बाहर निकला हुआ था। बस मैंने झट से सोमू के खड़े लौड़े को अपनी चूत में डाल लिया और अब तक 3 बार छूटा चुकी हूँ मैं और अभी भी यह तेरे लिए खड़ा है साला, चढ़ जा तू भी!
!
अब मेरे से नहीं रहा गया और मैं बोला- चाची कुछ तो ख्याल करो, मैं थक गया हूँ बहुत, थोड़ी देर बाद करना जो भी करना है।
ऊषा बोली- मम्मी आप अभी सोमू को रेस्ट करने दो, तब तक हम अपना खेल करते हैं। क्यों?
चाची बोली- ठीक है। तू आ जा मेरी साइड में!
ऊषा मेरी साइड को छोड़ कर चाची के साथ लेट गई, चाची ने तब ऊषा को होटों पर चूमा और अपने एक हाथ से छोटे छोटे मम्मों के संग खेलने लगी और दूसरे हाथ से उसकी सफाचट चूत को रगड़ने लगी।
दोनों की सफाचट चूत मैंने पहली बार देखी थी। माँ बेटी की चूत पर एक भी बाल नहीं था, जबकि गाँव वाली सब औरतें काली घनी बालों की घटा अपनी चूत के ऊपर रखती थी।
चाची धीरे धीरे ऊषा के मम्मों को चूसते हुए नीचे की तरफ आ गई और उसका मुंह ऊषा की चूत पर था।
ऊषा ने अपने चूतड़ चाची के मुंह के ऊपर टिका दिए थे और चाची अपनी जीभ उसकी भगनासा को चूसती हुई उसकी चूत के अंदर गोल गोल घुमा रही थी।
ऊषा का शरीर एकदम अकड़ा और उसने चाची का मुंह अपनी जाँघों में जकड़ लिया और वो ज़ोर ज़ोर से काम्पने लगी।
तभी ऊषा ने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया।
कुछ देर आराम करने के बाद ऊषा उठी और मेरे लंड को खड़ा देख कर उसके ऊपर बैठने की कोशिश करने लगी।
मैंने भी उसको घोड़ी बनाया और अपना खड़ा लंड उसकी चूत में पीछे से डाल दिया। उसकी चूत बहुत ही टाइट लगी मुझको और लंड बड़ी मुश्किल से अंदर जा रहा था।
लंड के घुसते ही चूत में बहुत गीलापन आना शुरू हो गया और फिर मैंने कभी तेज़ और कभी आहिस्ता धक्के मार कर ऊषा का पानी जल्दी ही छूटा दिया और वो कई क्षण मुझ से लिपटी रही।
फिर हम तीनों बड़ी गहरी नींद में सो गए।
चाची, उषा की चूत गान्ड चुदाई
चाची रात में 3-4 बार चुद चुकी थी इसलिए मैंने सोचा सुबह उषा को ही चोद दूंगा लेकिन जब आँख खुली तो देखा कि चाची का हाथ मेरे लंड के साथ खेल रहा था।
लंड, जैसा कि आम बात थी, पूरा तना हुआ था और चाची का हाथ मुठ की तरह नीचे ऊपर हो रहा था।
चाची बिल्कुल नंगी लेटी थी और उसकी सफाचट चूत सुबह के हल्के प्रकाश में भी चमक रही थी।
चाची की चूत असल में मुझको बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही थी क्यूंकि बालों के बिना चूत असल में चूत नहीं लग रही थी बल्कि एक लकीर के समान लग रही थी।
चूत की शान तो उस पर छाये घने बाल ही होते हैं। बालों भरी चूत यह आभास देती है कि शायद बालों के पीछे कोई अनमोल खज़ाना है।
वैसे देखा जाए तो बालों बिना चूत की कोई शान या कोई आन नहीं होती।
चाची बार बार मेरे लंड को खींच कर इशारा दे रही थी कि मैं उस पर चढ़ जाऊँ लेकिन सुबह सुबह चाची का मुंह नहीं देखना चाहता था तो मैंने चाची को घोड़ी बनने का इशारा किया और जब वो घोड़ी बनी तो मैंने पीछे से उसकी चूत पर हमला कर दिया।
एक ही धक्के में लंड पूरा अंदर हो गया और चाची भी चूतड़ आगे पीछे करने लगी।
मैंने आँखें बंद किये ही उसको चोदना शुरू कर दिया।
थोड़े ही धक्के मारे थे कि मुझको लगा कि कोई मेरे अंडकोष के साथ खेल रहा है, आँखें खोली तो देखा कि उषा जो मेरी बायें और लेटी थी अपने हाथ से मेरे अंडकोष के साथ खेल रही थी।
मैं लगातार ज़ोर ज़ोर से चाची की चूत चोद रहा था और चाची का हाय हाय करना जारी रहा।
थोड़ी देर में देखा कि उषा भी साइड में घोड़ी बन कर बैठी है। जब चाची झड़ गई तो वो पेट के बल लेट गई और उसकी गोल गांड हवा में लहरा रही थी।
उषा की गांड सीधे मेरे लंड के सामने आ गई और मैंने चाची की चूत से निकाला लंड उसकी बेटी की चूत में डाल दिया।
मेरे लंड से टपकता रस उसकी माँ की चूत का ही था तो झट से पूरा चूत में घुस गया।
पहले धीरे धीरे उषा को चोदना शुरू किया और मेरे लंड को महसूस हुआ एक बहुत ही तंग और टाइट गली में लंड आ जा रहा है। उस की चूत की पकड़ गज़ब की थी जिससे साफ़ ज़ाहिर हो रहा था कि यह चूत ज्यादा नहीं चुदी है।
मैंने अपने हाथ उषा के बूब्स की तरफ रखने की कोशिश की लेकिन वो काफी नीचे लेटी थी और वहाँ हाथ नहीं पहुँच रहा था। फिर मैं उसके छोटे लेकिन गोल और सॉलिड चूतड़ को ही हल्के हल्के थाप देने लगा। यह शायद उषा को अच्छा लगा और वो चूतड़ों को ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करने लगी।
मैंने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और उसके चूतड़ों को उठा कर अपनी छाती से लगा तेज़ तेज़ जो धक्के मारे तो थोड़े ही समय में वो ‘ओह्ह्ह ओह्ह्ह मरी रे…’ बोलने लगी और उसकी चूत अंदर से बंद और खुल रही थी।
मैंने भी तेज़ी से चूत की गहराई तक धक्के मारे और उसकी चूत को जल्दी ही झड़ने के लिए मजबूर कर दिया।
वो भी बिस्तर पर पसर गई।
तब मैं उसके ऊपर से उठा और कपड़े पहनने लगा।
फिर मैंने चाची को उठाया- अभी दोनों नौकरानियाँ आ जाएंगी, आप लोग अपने कमरे में जाओ जल्दी से।
चाची एकदम हड़बड़ाहट में नंगी ही अपने कपड़े उठा कर अपने कमरे की तरफ भागी और उसी तरह उषा भी कपड़े उठा कर भाग गई।
उनके जाने के बाद मैंने कोठी का मुख्य द्वार खोल दिया।
मैंने सोचा कि चलो पारो और कम्मो को उठा देते हैं।
मैं पारो की कोठरी की तरफ गया तो देखा की दरवाज़ा ज़रा सा खुला है और अंदर से उफ्फ्फ उफ्फ की आवाज़ आ रही थी।
दरवाज़ा थोड़ा खोल कर देखा तो पारो और कम्मो लेस्बियन सेक्स में लगी थीं, कम्मो की गांड उठी हुई थी और वो पारो की चूत को चाट रही थी।
थोड़ी देर मैं यह नज़ारा देखता रहा और फिर अपने खड़े लंड को कम्मो की खुली चूत में पीछे से डाल दिया।
लंड के अंदर जाते ही कम्मो चौंक गई और ‘कौन है… कौन है…’ कहते हुए पीछे मुड़ने की कोशश करने लगी। लेकिन धीरे से उसके कान के पास मुंह ले जाकर मैंने कहा- मैं हूँ सोमू, चुपचाप लेटी रहो।
और उसके मोटे चूतड़ अब अपने आप हिलने लगे और उसका मुंह भी तेज़ी से पारो की चूत को चाट रहा था।
जल्दी से पारो का छूट गया और फिर मैं तेज़ी से धक्के मार कर कम्मो का भी छूटा दिया।
तीनो हम पारो की छोटी सी चारपाई पर लेटे थे।
फिर मैंने कम्मो से कहा- पारो को साथ ले जाओ और जल्दी से चाय बना कर ले आओ हम सबकी।
और कपड़े ठीक करते हुए बाहर आ गया और जल्दी से कोठी में घुस गया।
थोड़ी देर में कम्मो चाय लेकर आ गई।
चाय रखने के बाद उसने जो मुड़ कर देखा तो मुंह में ऊँगली दबा ली- यह क्या है छोटे मालिक?
उसके हाथ में चाची की अंगिया थी जो चाची यहीं भूल गई थी और वो मेरे बिस्तर पर रखी थी।
कम्मो मुस्कराई- क्यों छोटे मालिक, रात को चाची को चोद दिया क्या?
मैं भी मुस्कुरा कर बोला- हाँ री, दोनों माँ बेटी को रात को खूब चोदा, साली याद करेंगी। अच्छा चलो अब तुम उनको भी चाय दे आओ।
चाय पीकर मैं कॉलेज जाने की तयारी में जुट गया।
नाश्ते के टेबल पर दोनों माँ बेटी नहीं आई तो मैंने सोचा कि शायद सोई हैं, और मैं कालेज चला गया।
जाने से पहले पारो को बता गया कि दोपहर के खाने में क्या बनेगा।
कालेज से वापस आने पर पता चला कि दोनों लखनऊ घूमने गई हैं।
मैं खाना खाकर सो गया। जब नींद खुली तो शाम हो चुकी थी।
ड्राइंग रूम में गया तो माँ बेटी वहां बैठी थीं, वो दोनों बताने लगी कि वो कहाँ कहाँ घूम आई हैं। कुछ शॉपिंग भी की थी दोनों ने।
रात में मैंने उनके लिए मुर्गा बनवा दिया था तो वो खाकर बड़ी खुश हुई कि ऐसा मुर्गा उनके छोटे शहर में नहीं मिलता और बहुत ही स्वादिष्ट बनाया है तुम्हारी कुक ने।
खाने के बाद कुछ देर हम तीनों ने ताश के पत्ते खेले और फिर करीब दस बजे हम सोने चले गए।
मुझको उम्मीद थी कि आज वो दोनों मुझ को परेशान नहीं करेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जब दोनों नौकरानियाँ सोने के लिए अपनी कोठरी चली गई तो मैंने मुख्य द्वार बंद कर लिया और आकर अपने बिस्तर पर लेट गया।
थोड़ी देर बाद मेरे बंद कमरे का दरवाज़ा खटका और खोलने पर सामने चाची और उषा खड़ी थीं, दोनों ही अपने सोने वाली पोशाक में थी।
‘आओ चाची जी, कोई काम था क्या?’
‘नहीं वो सर दर्द हो रहा था मुझको और उषा को, सोचा कि तुमसे कोई बाम ले आती हैं।
‘हाँ हाँ, क्यों नहीं।’
मैं बाम का मतलब समझता था।
तब चाची बोली- सोमू, तुमने हमारी हर तरह से बहुत अच्छी खातिरदारी की है। हम दोनों तुम्हारी रात की खातिरदारी नहीं भुला सकती। सो आज हम दोनों तुम्हारी खातिरदारी करेंगी। बोलो मंज़ूर है?
मैं बोला- चाची, रहने दो, आपने जो भी मुझको दिया, वो बहुत दिया, मेरा आप पर कोई अहसान नहीं है, हिसाब बराबर हो गया है।
चाची बोली- नहीं सोमू, आज रात हम दोनों तुझको एक तोहफा देना चाहती हैं।
तब चाची और उषा ने मिल कर मेरे कपड़े उतार दिए और यह देख कर अचम्भे में आ गई कि मेरा लंड पूरी तरह से तना हुआ खड़ा था।
दोनों ने लंड को हाथ नहीं लगाया और अपना काम शुरू कर दिया।
ड्राइंग रूम में पड़े रेडियो को वो पहले उठा लाई थी, उसको चालू कर दिया, हल्के हल्के डांस के गाने उस पर बज रहे थे।
डांस के म्यूजिक पर दोनों अपनी कमर हिला हिला कर डांस करने लगी।
नाचते हुए पहले चाची ने उषा के कपड़े एक एक कर के उतारने शुरू कर दिए। धीरे से डांस करते हुए चाची ने पहले उषा का ब्लाउज उतार दिया और फिर उसकी अंगिया उतार दी और घुमा कर मेरे मुंह पर फ़ेंक दी।
सूंघने पर बहुत ही प्यारी खुशबू आ रही थी उषा की अंगिया से, मैंने उसको अपने गले में लपेट लिया।
यह देख कर उषा खिलखाला कर हंस दी थी।
चाची लगातार उचक उचक कर डांस कर रही थी।
फिर उसने उषा की पिंक सिल्क साड़ी उसको गोल गोल घुमा कर उतार दी। साड़ी हवा में लहराते हुए उसने मुझ पर लपेट दी।
जब तक मैं साड़ी से आज़ाद होता, तब तक उषा का पेटीकोट भी उतार दिया और ज़ोर से मेरे ऊपर फैंक दिया लेकिन इस बार मैं चौकन्ना था तो हाथ से उसको परे फैंक दिया।
यह सारा नज़ारा बहुत ही सेक्सी था और मेरा लंड बार बार हवा में लहलहा रहा था।
अब उषा आई और मेरे लंड के साथ अपनी चूत जोड़ कर गोल गोल घूमने लगी।
‘उफ्फ्फ ओह्ह्ह…’ की आवाज़ मेरे मुंह से और उषा के मुंह से इकट्ठी निकल रही थी, मेरा लंड उषा की चूत के ऊपर रगड़ा मार रहा था। कभी वो आधा इंच चूत के अंदर जाता और फिर उषा के डांस की वजह से वहां से खिसक जाता।
उधर चाची भी अपने कपड़े डांस की ताल के साथ उतारने में लगी थी। पहले उसका ब्लाउज हम दोनों पर गिरा, जिसको मैंने उषा की चूत और अपने लंड के बीच में रख दिया और फिर उसकी सिल्क ब्रा भी आकर मेरे मुंह पर गिरी।
उसमें से आ रही खुशबू मुझ को पागल बना रही थी, मैंने एकदम जोश में आकर उषा को कस कर पकड़ा और खड़े खड़े ही लंड को उषा की चूत में डाल दिया।
जब वो आधा अंदर चला गया तो मैंने उसको गोद में उठा लिया और पूरा का पूरा लंड उसकी गीली चूत में घुसेड़ दिया।
अब चाची भी पूरी नंगी हो चुकी थी तो वो भी हम दोनों के साथ चूत का रगड़ा मार रही थी।
मैंने उषा को पलंग की साइड में लिटा दिया और उसकी टांगें चौड़ी करके अपने पूरे जोबन पर आये लंड को फिर से उसकी चूत में डाल दिया और उसकी कमर के नीचे अपने हाथ रख कर उठा लिया और ज़ोर से धक्के मारने लगा।
उषा कोई 10 धक्कों में ही छूट गई और पलंग पर पसर गई।
चाची मुझको पीछे से अपनी चूत से मेरे चूतड़ रगड़ रही थी और अपने मम्मे उसने मेरी पीठ पर चिपका रखे थे और अपने दायें हाथ से मेरे अंडकोष को मसल रही थी।
जैसे ही मैं उषा से फ़ारिग़ हुआ, चाची ने एक ज़ोर के झटके से मुझको पलटा लिया और मेरे होटों पर अपने जलते हुए होंट रख कर चूसने लगी।
अब मैंने चाची को चूमने के बाद उसको मम्मों को कुछ देर चूसा, फिर उसकी गांड में ऊँगली डाल कर गोल गोल घुमाने लगा।
गांड काफी टाइट थी।
न जाने क्यों चाची बोली- सोमू, कभी गांड मारी है किसी लड़की की?
मैंने कहा- नहीं चाची, मुझको यह अच्छा नहीं लगता।
चाची बोली- अरे बड़ा मज़ा आता है! कोई क्रीम है यहाँ तेरे कमरे में?
मैंने कहा- हाँ कोल्ड क्रीम है।
‘दिखा तो सही।’
मैं अपने ड्रेसिंग टेबल से क्रीम की शीशी उठा लाया और चाची को दे दी।
चाची ने ढेर सारी क्रीम अपनी गांड में लगाई और बोली- चल सोमू, डाल लंड मेरी गांड में।
पहले तो मैं बहुत हिचकिचाया लेकिन फिर सोचा कि क्यों न आजमाया जाए यह नया तरीका।
और मैंने डरते हुए लंड को चाची की गांड में डालना शुरु कर दिया।
पहले थोड़ा सा डाला और फिर धीरे धीरे से सारा अंदर डाल दिया।
चाची ‘उई उई’ करने लगी लेकिन गांड को पीछे धकेल कर मेरा पूरा लंड अंदर तक ले जाने लगी।
मुझको ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरा लंड एक छोटी सी मोरी में आगे पीछे हो रहा है और बहुत ही अधिक टाइट पाइप में घुसा हुआ है।
अब मैंने धक्के तेज़ कर दिए और चाची भी धक्कों का बराबर जवाब दे रही थी। चाची की एक ऊँगली अपने क्लिट पर रगड़ा मार रही थी ताकि वो पूरी तरह आनन्द ले सके।
आखरी का धक्का मैंने बहुत ज़ोर से मारा और अंदर ही पिचकारी छोड़ दी और तभी चाची का भी छूट गया।
फिर हम दोनों निढाल हो कर पलंग पर लेट गए। उषा थकी हुए होने के कारण एकदम गहरी नींद में सोई हुई थी। वो पूरी तरह से नंगी थी और उसको नंगी देख कर मेरा लौड़ा फिर तन गया। लेकिन मैंने अपने को कंट्रोल किया और उषा की बगल में लेट गया और चाची मेरी बगल में लेट गई, चाची का हाथ मेरे खड़े लंड से खेल रहा था जब मुझको गहरी नींद आ गई।
सुबह उठा तो देखा कि उषा मेरे ऊपर चढ़ी हुई थी और मेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर ऊपर नीचे हो रही थी।
मैं भी आँखें बंद करके लेटा रहा।
10 मिन्ट तक उषा मेरे लंड को चूत में डाले रही और फिर वो ज़ोर से ‘उई माँ…’ कह कर मेरे ऊपर पसर गई।
मैं उठा और दोनों को जगाया कि नौकर आने वाले हैं, आप अपने कमरे में जाएँ।
दोनों अपने कपड़े समेट कर नंगी ही भाग गई अपने कमरे में।
चाय पीने के बाद ड्राइंग रूम में आया तो दोनों माँ बेटी तैयार होकर बैठी थी।
मैंने हैरान होकर पूछा- क्या बात है, आप तैयार हो कर बैठी हैं? कहीं जाना है क्या?
‘हाँ सोमू, आज हम वापिस जा रहे हैं। तुम्हारे अंकल अभी वापस आ रहे हैं और हम ब्रेकफास्ट कर के वापस चले जाएंगे।’
‘अभी कुछ दिन और ठहर जाइए न, अभी तो मज़ा आना शुरू हुआ था।’
‘नहीं सोमू, हम फिर आएंगे और हाँ तुम आओ न हमारे शहर!’
‘ज़रूर आऊंगा जब कालेज से छुट्टी होगी, तभी आ पाऊंगा।’
और नाश्ता कर के वो चले गए।
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