Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex
05-17-2018, 01:08 PM,
#31
RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
लखनऊ जाने की तैयारी
मैं बोला- चम्पा, आज हम तीनों चुदाई करते हैं, पहले गंगा को चोदते हैं हम दोनों फिर तुझको चोदते हैं हम दोनों।
क्यों कैसी रही यह?
‘मैं कैसे कर सकती हूँ छोटे मालिक? मेरा 5वाँ महीना चल रहा है। मुझको खतरा है, आप गंगा के साथ करो न, बेचारी दो साल से नहीं 
चुदी है इस की चूत।’
गंगा बोली- खतरा तो है, अगर छोटे मालिक तुम को पूरे जोश से चोदेंगे तो! वो तुझको बहुत धीरे और प्यार से चोदेंगे। क्यों छोटे 
मालिक?
‘हाँ बिल्कुल!’ मैं बोला।
चम्पा ने भी अपनी धोती और ब्लाउज उतार दिया और वो मेरी एक तरफ लेट गई। दूसरी तरफ गंगा लेटी थी। चम्पा मेरी पुरानी चुदाई 
सहेली थी सो उसको अच्छी तरह देखने की बहुत इच्छा थी।
गर्भवती होने के बाद उसमें क्या बदलाव आया है, यह देखना चाहता था मैं! उसके मम्मों को ध्यान से देखा तो वो पहले से काफी मोटे 
लगे, निप्पल भी बड़े हो गए थे, हाथ लगाने से ही पता चल रहा था कि वो काफी भारी हो गए हैं और उनका आकार भी पहले से काफी 
बड़ा हो गया था।
मैंने कहा- चम्पा, तुम्हारे मम्मे तो बहुत बड़े हो गए हैं, और थोड़े भारी भी हो गए हैं ये दोनों।
चम्पा हँसती हुई बोली- हाँ छोटे मालिक, नए मेहमान के स्वागत में ये दूध से भर रहे हैं धीरे धीरे। नया मेहमान तो आते ही दूध मांगेगा 
न।
‘अच्छा ऐसा होता है क्या? तो वह दूध कैसे पियेगा?’
चम्पा और गंगा दोनों हंस पड़ी।
चम्पा बोली- छोटे मालिक, यह चूची वो मुंह में डाल लेगा और इससे उसको दूध मिलेगा।
‘लेकिन मैंने तो इनको बहुत चूसा है तब तो दूध नहीं निकला?’
‘तब मैं गर्भवती नहीं थी न इस लिए कुछ नहीं निकला ना!’
गंगा मेरे खड़े लंड के साथ अभी भी खेल रही थी। मैंने एक हाथ उस की चूत में डाला तो देखा कि वो पानी से भरी हुई थी और कुछ 
कतरे पानी के उसकी चूत से निकला कर बिस्तर की चादर पर गिर रहे थे, उसकी भगनासा को हाथ लगाया तो वो भी एकदम सख्त हो 
रही थी।
एक गहरा चुम्बन उसके होटों पर करने के बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी पतली टांगों को फैला कर उनके बीच लंड का निशाना 
ठीक लाल दिख रही चूत का बनाया और सिर्फ लंड का सर अंदर डाला।
चूत एकदम टाइट लगी मुझे, मैं लंड के सर को धीरे धीरे आगे करने लगा। गंगा की आँखें बंद थी और उसके होंट फड़फड़ा रहे थे जैसे 
कि बहुत प्यासे को पानी मिला हो!
आधा लण्ड जब अंदर चला गया तब लंड को ज़ोर का धक्का मारा तो वह पूरा जड़ समेत अंदर समा गया।
‘उफ़्फ़’ इतनी टाइट चूत मेरे लंड ने पहले कभी नहीं देखी थी। सो वो अंदर जाकर आराम करने लगा। फिर मैंने धीरे धीरे लंड के धक्के 
मारने शुरू कर दिए।
उधर चम्पा भी गंगा की चूत में ऊँगली से उस की भगनासा को रगड़ रही थी। 
गंगा के मुंह से अचानक ही ज़ोर से ‘आआअहा… ओह्ह्ह्ह…’ की आवाज़ निकली और वो पूरी तरह से झड़ गई और उसने पूरे ज़ोर से मुझ 
को अपनी बाँहों और जांघों में जकड़ लिया।
उसका शरीर रुक रुक कर कम्पकंपा रहा था।
जब उसने आँखें खोली तो मेरा सर नीचे करके मेरे होटों पर एक जलता हुआ चुम्बन दे दिया और उसने अपनी टांगों को फिर चौड़ा कर 
दिया और अब चूतड़ उठा कर मेरे लंड को अपने अंदर आने का निमंत्रण देने लगी।
अब मैंने अपनी आदत के अनुसार उसकी पहले धीरे और बाद में स्पीड से चुदाई शुरू कर दी। कुछ धक्के धीरे और फिर फुल स्पीड के 
धक्के जैसा कि मुझको कम्मो ने सिखाया था।
जब वो फिर ‘आहा ओह्ह्ह’ करने लगी तो मैंने फुल स्पीड धक्के मार कर उसे छूटा दिया और मैं गंगा से हट कर अब चम्पा की तरफ 
आ गया।
चम्पा हमारी चुदाई से काफी गर्म हो चुकी थी, मैंने उसके उन्नत मम्मो को एक बाद एक चूसना शुरू कर दिया, एक उंगली उसकी चूत 
में उसकी भगनासा को रगड़ रही और दूसरी मैंने उसकी गांड में डाल दी।
जब मैं उसके ऊपर आने लगा तो उसने मुझको रोक दिया और कहा- बगल से कर लो, ऊपर से ठीक नहीं बच्चे के लिए।
मैंने पीछे से उसकी चूत में ज्यादा नहीं, 2-3 इंच तक लंड डाल दिया और बहुत ही धीरे से धक्के मारने लगा।
मेरी उंगली जो उसकी भगनासा पर थी, उसको चम्पा अपने जांघों में दबाने लगी और कोई 5 मिनट की चुदाई के बाद उसका हल्का सा 
झड़ गया।
मैंने उससे पूछा- क्या तेरा पति भी ऐसे ही तुझको चोदता है?
‘बिल्कुल नहीं! उसको तो मैं अपने पास भी नहीं आने देती छोटे मालिक! अक्सर वो शराब पिए होता है, कहीं गलती से ज़ोर का धक्का 
लग गया तो नुकसान हो जाएगा बच्चे को।’
‘अच्छा करती हो!’
‘और तुम कहो गंगा, मेरे साथ चलोगी लखनऊ?’
‘ज़रूर चलूंगी छोटे मालिक!’
मैंने चम्पा से कहा- कल ले आना गंगा को और मम्मी से मिलवा देना। और अगर उन्होंने हाँ कर दी तो कल से काम शुरू कर देना 
गंगा तुम… ठीक है?
‘ठंडा पीना है क्या?’
दोनों बोलीं- नहीं छोटे मालिक, हम चलती हैं।
मैंने उठ कर पहले चम्पा को एक ज़ोरदार प्यार की जफ़्फ़ी डाली और उसके होटों को भी चूमा और फिर गंगा को भी ऐसा ही किया।दोनों 
ख़ुशी ख़ुशी चली गई।
थोड़ी देर बाद मैं भी वहाँ से घर आ गया, वहाँ मम्मी मेरा इंतज़ार कर रही थी और हम दोनों ने मिल कर मेरा सूटकेस तैयार कर दिया।
यह फैसला हुआ था कि मैं अपनी लखनऊ वाली कोठी, जो कभी कभी इस्तेमाल होती थी, में जाकर रहूँगा। वहाँ एक चौकीदार अपने 
परिवार के साथ नौकरों की कोठरी में रहता था, उसको फ़ोन पर सब बता दिया था और उसने सारी कोठी की सफाई वगैरा करवा दी थी।
मम्मी पापा दोनों मुझको छोड़ने के लिए जाने वाले थे।
और फिर अच्छे मुहूर्त में हम सब लखनऊ के लिए रवाना हो गए। मम्मी पापा के अलावा गंगा भी साथ ही चल रही थी।
वहाँ पहुंचे तो ड्राइवर हमारी नई कार को सीधे कोठी के मुख्या द्वार की तरफ ले गया। हमारा चौकीदार अपने परिवार के साथ हमारा स्वागत करने के लिए खड़ा था।
वहाँ चौकीदार राम लाल ने हमारा स्वागत किया और फिर हम अंदर आ गए। कोठी का हाल कमरा काफी बड़ा था जिस पर नए फैशन का सोफासेट पड़ा था और सजावट भी काफी अच्छी थी।
और फिर हमने अपना कमरा देखा जो बहुत आरामदेह लग रहा था।
तभी मम्मी गंगा को समझाने लगी- सोमू का सारा सामान सूटकेस से निकाल कर इन दो अलमारियों में सजा दे।
फिर सबको समझा कर शाम के समय मम्मी पापा घर वापस चले गए।
हमारे गाँव से लखनऊ केवल चार घंटे का सफर था।
मैं गंगा की कोठरी देखने गया जो कोठी के एकदम पीछे थी।
मैंने गंगा से कहा- कल सारी जगह देखने के बाद फैसला करेंगे। आज की रात तू मेरे कमरे में ही सोयेगी।
रसोई में खाना बनाने वाली एक अधेड़ उम्र की औरत थी जो विधवा थी, देखने में काफी सेक्सी लगती थी।
गंगा और मेरी यह पहली रात थी एक कमरे में, मैंने खाना अपने कमरे में मंगवा लिया और खाना खत्म करने के बाद जब गंगा आई। तो मैंने उसको कहा- गंगा, उस दिन मैं तुझ को अच्छी तरह देख नहीं पाया, आज तू अपना जलवा दिखा।

वो बोली- अच्छा छोटे मालिक।
और गंगा ने धीरे धीरे कपड़े उतारने शुरू कर दिये, पहले गुलाबी रंग की धोती उतारी, फिर ब्लाउज उतार दिया और आखिर में उसने पेटीकोट भी उतार दिया।
जैसा कि पहले लिख चुका हूँ, गंगा एक छरहरी और कुंवारी दिखने वाली लड़की लग रही थी, उसके मम्मे भी छोटे लेकिन सॉलिड लग रहे थे, उसका पेट भी अन्दर को था लेकिन चूतड़ छोटे लेकिन गोल लग रहे थे। 
वो नग्न होकर मेरे पास धीरे धीरे आ गई और मैं भी पूरा नग्न होकर उसके सामने खड़ा हो गया। मेरा लंड अकड़ा हुआ खड़ा था और उसकी बालों से भरी चूत को सलामी दे रहा था।
मैंने आगे बढ़ कर उस को अपनी बाहों में भर लिया और फिर उसको उठा कर सारा कमरा घूम लिया।
उसको लिटा दिया और उसकी टांगों में बैठ कर धीरे से लंड उसकी टाइट चूत में डाल दिया। उसकी चूत एकदम गीली और पूरी तरह से तप रही थी।
मैं उसके मम्मों को चूसने लगा और हल्के हल्के धक्के भी मारता रहा, वो भी नीचे से धक्के मार रही थी।
थोड़ी देर बाद ऐसा लगा कि गंगा की चूत से बहुत पानी बह रहा है। चुदाई रोक कर देखा तो हैरान हो गया कि उसकी चूत में से पानी का छोटा सा फव्वारा निकल रहा है, उसको सूंघ कर देखा तो वो पेशाब नहीं था लेकिन चूत का रस था।
यह देख कर मैं फिर पूरे जोश के साथ उसको चोदने लगा और थोड़ी देर में गंगा फिर झड़ गई, बुरी तरह कांपती हुई वो मेरे से सांप के तरह लिपट गई।
गंगा का शरीर दुबला था लेकिन यौन आकर्षण भी बहुत था उसमें!
उस रात हम दोनों ने कई बार चुदाई की और गंगा ने जब तौबा की तभी उसको छोड़ा। फिर हम एक दूसरे के आलिंगन में ही सो गये।
सुबह जब आँख खुली तो गंगा जा चुकी थी और थोड़ी देर बाद वो मेरी चाय ले कर आ गई।
चाय देने के बाद वो खड़ी रही।
मैंने पूछा- कुछ कहना है गंगा?
वो हिचकते हुए बोली- छोटी मालिक, वो जो रसोईदारिन है, पूछ रही थी कि मैं आपके कमरे में क्यों सोई थी कल रात?
‘अच्छा… वो क्यों पूछ रही थी?’
‘मुझ को ऐसा लगता है कि उसको हम दोनों पर शक हो गया है!’
‘अच्छा, अभी तो मैं कॉलेज जा रहा हूँ लेकिन वहाँ से वापस आकर उससे बात करूंगा!’
शाम को जब मैं कॉलेज से लौटा तो गंगा मेरे लिए चाय और कुछ नमकीन ले आई। चाय पीने के बाद मैंने रसोइयिन को बुलाया।
जब वो आई तो मैंने उसको अच्छी तरह से देखा, 30-35 की उम्र और भरे जिस्म वाली औरत थी, देखने में कॅाफ़ी आकर्षक थी, उसके स्तन और नितम्ब दोनों ही काफी बड़े थे, चेहरा भी आकर्षक था और काफी सेक्सी लग रही थी।
मैंने पूछा- आंटी जी, आपका नाम क्या है?
वो बोली- छोटे मालिक, मेरा नाम परबतिया है लेकिन सब मुझको पारो के नाम से बुलाते हैं।
‘आप कब से यहाँ काम कर रही हो?’
वो बोली- कल ही चौकीदार राम लाल बुला कर ले आया था और कहा था कि छोटे मालिक का खाना वगैरह बनाना है और कोठी की साफ़ सफाई करनी है और दिन रात का काम है।
‘ठीक है, कितनी तनख्वाह का बोला था उसने?’
‘उसने कहा था कि शुरू में 50 रुपए महीना देंगे और फिर बढ़ा देंगे।’
‘अच्छा, आप इसी शहर की हो या फिर किसी गाँव की हो?’
‘छोटे मालिक, मैं आपके गाँव के पास ही एक गाँव की हूँ। रामलाल के भाई ने मुझको बताया था तो मैं यहाँ आ गई।’
मैंने राम लाल को कहा कि इन दोनों को जो कोठरी पसंद हो दे देना और चारपाई इत्यादि का भी इंतज़ाम कर देना।
रामलाल को गेट पर भेज कर मैं अंदर आ गया और पारो को भी कहा कि साथ आये।
फिर मैंने पारो को कहा- ऐसा है आंटी, मैं रात को बहुत डर जाता हूँ तो मेरे साथ मेरे कमरे में कोई न कोई ज़रूर सोता है। इसीलिए गंगा मेरे साथ सोती है और वहाँ गाँव में भी मेरे काम वाली नौकरानी मेरे ही कमरे में सोती थी। अगर आप सोना चाहो तो आप भी सो सकती हो! क्यों?
पहले वो हिचकिचाई फिर कहने लगी- ठीक है छोटे मालिक, मैं भी अकेले में घबराऊँगी सो आप दोनों के साथ सो जाय करूँगी।
‘चलो तय हो गया कि तुम दोनों रात को इसी कमरे में सोया करोगी। आज रात खाने में क्या बना रही हो?’
‘जो आप बोलो?’
‘अच्छा तो मटन ले आना आधा सेर, वही बना लेना। देखते हैं कैसा बनाती हो?’
दोनों चली गई तो मैं लेट गया और फिर मुझको झपकी लग गई, उठा तो शाम के 7 बज चुके थे।
मैंने डाइनिंग टेबल पर खाना खाया, मैं अकेला ही था।
फिर मैं बाहर निकल गया और कोठी के आस पास चक्कर लगाने लगा।
थोड़ा समय ही घूमा हूँगा कि एक आदमी मेरे से बोला- साहिब, माल चाहिए क्या?
‘कैसा माल?’
‘कोई लड़की या औरत?’
मुझको समझने में थोड़ी देर लगी, मैंने कहा- कहाँ है लड़की?
‘साहिब हाँ बोलो तो ले जायेंगे आपको वहाँ!’
‘कितने पैसे लगेंगे?’
‘यही कोई 50 रुपए!’
‘नहीं भैया, मुझको कुछ नहीं चाहिये।’
यह कह कर मैं वापस कोठी के अंदर आ गया और जाकर अपने बैडरूम में पायजामा कुरता पहन लिया और बिस्तर पर लेट गया।
थोड़ी देर बाद पहले गंगा आई और फिर बाद में पारो भी आ गई, दोनों ने अपने बिस्तर बिछा लिए और दोनों लेट गई।
अब मैं सोच में पड़ गया कि गंगा को कैसे चोदूँ? यह सब मेरी गलती है। पारो को न बुलाता तो अच्छा प्रोग्राम चल रहा था मेरा और गंगा का।
यह सब सोचते हुए में जाने कब सो गया।
रात को अचानक मेरी नींद खुली तो देखा कि पारो गंगा के बिस्तर में उसके साथ लेटी हुई थी और उसकी धोती को ऊपर करके उसकी चूत में उँगली से मसल रही थी।
पारो की अपनी धोती भी जांघों के ऊपर पहुँच गई थी और गंगा का हाथ भी पारो की चूत से खेल रहा था।
पारो की चूत एकदम काले मोटे बालों से ढकी थी। 
यह नज़ारा देख कर मैं भी पारो की साइड पर बिस्तर में लेट गया और अपना हाथ उसकी चूत के ऊपर फेरने लगा, कभी उसकी चूत के मुंह को हाथ से मसल रहा था और कभी उसके मोटे मम्मों को दबाने में लगा था।
पारो की चूत एकदम गीली हो चुकी थी, उसकी आँखें अभी भी बंद थी।
मैंने चुपके से उसकी धोती को और ऊपर उठाया और पारो की टांगों को चौड़ा कर के अपना खड़ा लंड उस की चूत के ऊपर रख दिया।
पहले थोड़ा डाला और फिर उसको धीरे से पूरा डाल दिया।
मैंने पारो की आँखों की तरफ देखा जो पूरी तरह से बंद थीं। मुझको लगा कि वो गहरी नींद में सोई थी।
गंगा की धोती भी ऊपर उठी हुई थी और उसका हाथ भी पारो की चूत पर था और वो भी पारो की चूत से खेल रहा था।
उसका हाथ मेरे लंड से रगड़ रहा था।
पारो की कमर नीचे से ऊपर उठ कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी, उसकी पनिया रही चूत से लप लप की आवाज़ निकल रही थी। थोड़े से धक्के और मारे तो पारो की चूत झड़ गई, उसने कस कर मुझ को चिपटा लिया और कस के बांधे रखा जब तक वो पूरी झड़ नहीं गई।
अब मैंने गंगा को देखा, वो भी चूत में ऊँगली कर रही थी।
मेरा खड़ा लंड अब गंगा की चूत में जाने को उतावला हो रहा था।
पारो अब करवट बदल कर गहरी नींद में सो गई थी।
मैं अब उठ कर गंगा वाली साइड में चला गया और उसकी धोती ऊपर उठा कर लंड का एक ज़ोर का धक्का दिया और वो पूरा उसकी चूत में समां गया।
वो तब भी आँखें बंद कर के सोई हुई लगी। उसको मैंने धीरे धीरे चोदा और उसकी गीली चूत से फव्वारा छूटा दिया।
फिर मैंने दोनों की धोती ठीक कर दी और आकर अपने पलंग पर लेट गया।
मेरा लंड अभी भी खड़ा था लेकिन मन में ख़ुशी थी कि दो औरतों को चोद कर पट्ठा अभी रात भर सलामी देने को तैयार है।
थोड़ी देर में मुझको नींद आ गई और सुबह जब नींद खुली तो दोनों औरतें जा चुकी थी।
थोड़ी देर बाद गंगा मेरी चाय लेकर आई, मैंने उससे पूछा- रात कैसे कटी?
वो बोली- छोटे मालिक, ऐसी गहरी नींद थी कि कुछ भी पता नहीं चला।
मैं बोला- मुझको भी बड़ी गहरी नींद आई थी।
नाश्ता करके मैं कॉलेज चला गया और दोपहर 2 बजे वापस आ गया।
पारो मुझ को ठंडा पानी देने आई, उसके चेहरे को गौर से देखा लेकिन रात की चुदाई का कोई निशाँ नहीं था।
कुछ अजीब सा लगा कि इन दोनों की नींद इतनी पक्की है कि इनको पता ही नहीं चला कि वो दोनों रात को चुद गई हैं।
थोड़ी देर बाद गंगा भी आई और बोली- पारो पूछ रही है की रात को क्या बनाएँ?
मैंने कहा- कुछ भी बना लो और तुम ना… पारो को पटाओ ताकि हमारा चूत लंड का खेल जारी रहे। उससे पूछो कि वो अपनी चूत की भूख कैसे शांत करती है।
गंगा ने हाँ में सर हिला दिया और चली गई।
रात को खाना खाने के बाद मैं बिस्तर में लेटा ही थी कि गंगा आ गई और वो बोलना शुरू हो गई- छोटे मालिक, पारो एक विधवा है जो 3 साल पहले अपने पति को खो चुकी है। तब से वो किसी गैर मर्द के साथ नहीं गई और अपनी काम की भूख सिर्फ उंगली से शांत करती है। वो कह रही थी कि कोई अच्छा आदमी मिल जाएगा तो वो दोबारा शादी कर लेगी। जब मैंने उससे पूछा कि अगर तुमको कोई आदमी केवल कामक्रीड़ा के लिए मिल जाए तो तुम क्या उससे काम क्रीड़ा के लिए राज़ी हो जाओगी? वो कुछ बोली नहीं सिर्फ इतना कहा कि ऐसा समय आने पर मैं देखूंगी।
मैं बोला- अच्छा देखेंगे। मैं सोच रहा हूँ कल वही तरकीब इस्तेमाल करूँगा जो मैंने पहले भी आज़माई थी।
थोड़ी देर में पारो भी आ गई, उसने आज काफी रंगीन साड़ी पहनी हुई थी। हम तीनों थोड़ी देर बातें करने के बाद हम सो गए।
सुबह जल्दी ही आँख खुल गई और देखा आज भी पारो की साड़ी और पेटीकोट उसकी जांघों के ऊपर था और उसकी चूत के काले बाल साफ़ दिख रहे थे, उसकी जांघें काफी मोटी और गोल थी।
दिल तो हुआ कि जाकर उसकी गोल जांघों को चूम लूँ और फिर अपना लौड़ा भी उन पर फेरते हुए उसकी चूत में डाल दूँ।
यह सोचते ही मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने उसको पयज़ामे के बाहर कर लिया और हल्के हल्के उस पर हाथ फेरने लगा।
मेरी आँखें बंद थी और थोड़ी देर में मुझको महसूस हुआ कि कोई अपना हाथ मेरे लंड पर फेर रहा है।
आँखें खोली तो देखा वो हाथ पारो का था और वो फटी आँखों से मेरे लंड को देख रही है।
मैंने बिना कुछ सोचे ही खींच कर पारो को अपने बाहों में भर लिया और उसको बार बार चूमने लगा, खासतौर उसके होटों को और उस के गोल गालों को!
फिर जाने कैसे हिम्मत आ गई और मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी साड़ी उतार दी और पेटीकोट ऊंचा कर दिया और उस की चौड़ी टांगों में बैठ अपना लंड पूरा उस की प्यासी चूत में डाल दिया।
उसकी तपती चूत भट्टी बनी हुई थी और मुश्किल से 10 धक्के ही मारे थे कि वो ज़ोर से झड़ गई।
वो इतनी ज़ोर से कांपने लगी जैसे हवा में एक पत्ता कांपता है।
मैं अभी भी पारो के ऊपर लेटा था और मेरे खड़ा लंड अभी भी उस की गीली चूत में ही था। मैंने ध्यान से पारो को देखा उसकी आँखें बंद थीं और होटों पर एक मीठी मुस्कान थी।
उसने जब आँखें खोली और मुझको देखा तो उसके गोल बाजू एकदम मेरे गले में लिपट गए।
मैंने अब धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए, पारो ने भी अपने चूतड़ उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देना शुरू कर दिया।
तभी गंगा उठ कर पलंग के पास आ गई और जल्दी से पारो के ब्लाउज को खोलने लगी और फिर अपने भी सारे कपड़े उतार कर वो हमारे साथ पलंग पर लेट गई।
गंगा ने ऊँगली डाल कर पारो की चूत के दाने को रगड़ना शुरू कर दिया। मैंने भी अपना मुंह पारो के मुंह पर पर रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा।
मेरा लौड़ा अभी भी हल्के धक्के मार रहा था। फिर मैंने पूरी ताकत से लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और पारो की एकदम गीली चूत से फिच फिच की आवाज़ें आ रही थी जो मुझको और ज़ोर के धक्के मारने के लिए उकसा रही थीं।
गंगा पारो के मम्मों के साथ खेल रही थी और मैं उसकी चूत में लंड पेल रहा था। पारो अब फिर नीचे से चूतड़ मेरे लंड को आधे रास्ते में आने पर उठा रही थी।
तभी मैंने महसूस किया कि पारो की चूत का मुंह अंदर से बंद और खुलना शुरू हो गया है तो मैंने धक्कों की स्पीड अपनी चरम सीमा पर कर दी।
जब मैंने एक बहुत गहरा धक्का मारा तो पारो ‘हाय हाय…’ करके मुझसे चिपक गई और उसका एक बहुत ही तीव्र स्खलन हुआ। 
जब वह ढीली और निढाल होकर पड़ गई तो मैंने लंड उसकी चूत से निकाल कर गंगा की चूत में धकेल दिया।
उसकी चूत भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और शायद इस कारण वश वो भी जल्दी ही झड़ गई। अब मैं दो औरतों के बीच खड़े लंड को लेकर लेटा था और हैरान हो रहा था कि पारो कैसे मेरे मन मर्ज़िया हो गई।
एक हाथ पारो के मोटे मम्मों के साथ खिलवाड़ कर रहा था और दूसरे से मैं गंगा की चूत को सहला रहा था।
Reply


Messages In This Thread
RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र - by sexstories - 05-17-2018, 01:08 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,518,881 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 546,306 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,239,497 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 937,124 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,663,878 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,089,871 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,965,844 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,103,680 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,051,018 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 286,568 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)