RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
फुलवा और बिंदू
जैसे की मुझ को उम्मीद थी कि चम्पा जल्दी ही गर्भवती हो जायेगी और वैसा ही हुआ। वो शायद उस दिन की चुदाई के बाद से ही गर्भवती हो गई थी क्यूंकि उसको चुदाई में अब बिल्कुल ही आनन्द नहीं आ रहा था।
और फिर सबने देखा कि उसके चेहरे पर एक चमक आ गई है जिसको देख गाँव की औरतों ने कहना शुरू कर दिया था कि चम्पा को लड़का ही होगा।
फुलवा बता रही थी कि चम्पा का पति भी काफ़ी सुधर गया था, उसकी इज़्ज़त करने लगा था और उसकी अच्छी देखभाल कर रहा था।
चम्पा की इच्छा की पूर्ति देख कर मैं भी बहुत खुश था।
फुलवा के साथ चुदाई अभी भी जारी थी और क्यूंकि फुलवा अब अकेली मेरी देखभाल कर रही थी तो हम दोनों पति पत्नी की तरह रहने लगे थे।
पर मेरे मन में शायद यह डर था कि कहीं फुलवा का पति न वापस आ जाए और मुझको फुलवा से भी हाथ धोना पड़े।
मैं अब बड़ी कक्षा में हो गया था और मुझको काफी पढ़ना पड़ता था। इसी कारण मेरा और फुलवा का हर रोज़ का यौन कार्यक्रम नहीं हो पाता था, अब रोज़ की बजाये उसको हफ्ते में 3-4 दिन बार ही चोद पाता था और अक्सर मैं अपना नहीं छूटने देता था, मुझे उसके गर्भवती होने का भय भी लगा रहता था।
एक दिन फुलवा कमरे में आने के बाद अपने बिस्तर को बिछा लेने के बाद मेरे पलंग पर आकर बैठ गई। मुझको ऐसा लगा वो कुछ कहने की कोशिश कर रही है लेकिन किसी जिझक के कारण कह नहीं पा रही।
मैंने उसके ब्लाउज बटन खोलते हुए उससे पूछा- फुलवा, कुछ कहना है क्या?
वो बोली- आप बुरा तो नहीं मान जाओगे?
‘ऐसी क्या बात है कि मैं बुरा मान जाऊँगा?’
‘है ऎसी ही बात।’
‘तो बोलो क्या बात है?’
‘आप वायदा करो कि बुरा नहीं मानोगे?’
‘अरे बाबा नहीं बुरा मानूंगा। बोलो क्या बात है?’
‘मेरी एक सहेली है बिंदू, 5 साल हो गए शादी को लेकिन उसको अभी तक बच्चा नहीं हुआ।’
‘तो मैं क्या कर सकता हूँ?’
‘नहीं नहीं, मैं आपको कुछ करने के लिए नहीं कह रही!’
‘तो फिर?’
‘मैं सोच रही थी मैं अकेली आपको पूरी तरह चुदाई में तसल्ली नहीं दे पाती शायद?’
‘नहीं नहीं, ऐसा मत सोचना कभी, तुम मेरे लिए काफी हो।’
‘वही तो…’ लेकिन मालकिन कह रही थी कि छोटे मालिक के लिए एक और कामवाली ढूंढनी चाहिए। इसीलिए मैं सोच रही थी कि मेरी सहेली बिंदू को यहाँ आप के काम के लिए रखवा दूँ क्यूंकि पता नहीं कब मेरा पति भी वापस आ जाए? तब आपके पास कोई कामवाली नहीं रहेगी ना!’
‘हाँ कह तो ठीक रही हो, कौन है यह बिंदू?’
‘अरे छोटे मालिक देखोगे तो देखते रह जाओगे, बिल्कुल चम्पा की तरह है उसकी बनावट, और उसका पति भी मुम्बई गया है और लौट के नहीं आ रहा।’
‘अच्छा तो कल लाना उसको, मैं देख लेता हूँ उसको?’
और फिर मैंने फुलवा को नंगी करके चोदना शुरू कर दिया, पहले धीरे और फिर बाद में तेज़ी से।
वो आम दिनों की तरह 3-4 बार छूट गई और हम नंगे ही एक दूसरे की बाहों में सो गए।
अगले दिन दोपहर को वो एक काफी अच्छी दिखने वाली लड़की को लेकर आई और बोली- यह बिंदू है मेरी सेहली।
मैंने कहा- इसको काम बता दो, अगर इसको वो सब मंज़ूर हो तो मम्मी से बात कर लो।
फुलवा बोली- इसको सब समझा दिया है और जैसा हम करती हैं, वैसे ही यह भी करेगी।
‘ठीक है, कितनी उम्र इसकी?’
‘यह 21-22 की है और 4 साल शादी के बाद भी इसके बच्चा नहीं हुआ अब तक… तो बेचारी बहुत परेशान है।’
‘आखरी बार इसका पति कब आया था?’
‘2 साल हो गए छोटे मालिक!’
‘अच्छा, चलो मम्मी से पूछ लेना और मुझ को बता देना, ठीक है?’
मुझको बिंदू ठीक ही लगी और थोड़ी देर बाद मम्मी फुलवा और नई लड़की बिंदू के साथ मेरे कमरे में आई और बोली- सोमू, यह नई लड़की तुम्हारे काम के लिए रखी है तुम और फुलवा इसको सारा काम समझा देना। ठीक है न?
मैंने कहा- ठीक है मम्मी, लेकिन अब मैं बड़ा हो गया हूँ मुझको कामवाली लड़कियों की कोई ज़रुरत नहीं है।
‘अरे नहीं सोमू, फुलवा बता रही थी कि तुम रात को बहुत डर जाते हो कभी कभी। इसका मतलब है कि तुमको अभी भी बुरे सपने बहुत आते हैं। ये दो लड़कियाँ रहेंगी तुम्हारे पास तो पूरा ख्याल करेंगी तुम्हारा। क्यों लड़कियो? रखोगी न पूरा ध्यान?’
‘जी मालकिन!’ दोनों एक साथ बोल पड़ी।
‘अच्छा ठीक है फुलवा, तुम सोमू की पूरी देखभाल करोगी और बिंदू तुम्हारी इस काम में मदद करेगी, दोनों रात इसी कमरे में ही सोना। ठीक है?’
दोनों ने सर हिला दिया और फिर मम्मी चली गई।
तब फुलवा बिंदू को काम समझाने लगी। अभी वो बातें कर ही रही थीं, मैं सो गया। शाम को उठा तो फुलवा को आवाज़ लगाई।
जब वो आई तो मैं उससे चम्पा का हाल पूछा।
वो कहने लगी- चम्पा को बहुत उल्टियाँ आ रही हैं और बेचारी कुछ खा पी नहीं रही है। कह रही थी कि जब तबियत थोड़ी ठीक होगी तो वो आपसे मिलेगी।
मैंने कुछ सोचते हुए फुलवा से कहा- देखो मुझको इस नई कड़की के बारे में चिंता हो रही है। क्या तूने चुदाई का कार्यक्रम भी उसको बता दिया था?
फुलवा बोली- बताया तो था छोटे मालिक, लेकिन पूरी तरह खोल कर नहीं बताया था।
‘क्या तुमने उसको चुदाई के खेल के बारे में बताया था?’
वो सर नीचे करके बोली- नहीं मालिक, पूरी तरह से शायद उसको अभी समझ नहीं आया होगा। मैंने तो सिर्फ यह कहा था कि हम दोनों वहाँ मौज करेंगी।
‘अरे वाह! उसको समझा देना अभी से… वरना वो हमारे लिए मुसीबत बन सकती है फुलवा!’
मैं परेशान हो गया यह जान कर कि बिंदू की सहमति नहीं हमारे चुदाई कार्यकर्म के बारे में। यानि उसको पूरी बात की जानकारी नहीं है अभी तक।
मैं फुलवा को डाँट कर बोला- क्या फुलवा, तुमको यहाँ लाने से पहले उसकी रज़ामंदी ले लेनी थी। खैर तुम अब जाकर उसको समझा देना, अगर कुछ न नुकर करे तो वापस भेज देना या दूसरे काम पर लगा देना। समझ गई न?
फुलवा रुआंसी हो रही थी और जल्दी से बाहर चली गई। रात हुई तो खाने के बाद मैं अपने कमरे में आकर लेटा ही था कि फुलवा आ गई, साथ में बिंदू भी थी।
फुलवा मेरे दूध का गिलास लेकर आई थी और बिंदू पूरा पल्लू सर पर ढक कर खड़ी थी।
फुलवा बोली- छोटे मालिक, आज हम दोनों आप शरीर को दबाएँगी क्यूंकि बड़ी मालकिन कह रहीं थी कि आज आप बहुत थक गए होंगे स्कूल में खेल कर… हम दबाएँ आपको?
यह कहते हुए फुलवा ने मेरे को आँख का इशारा किया।
मैंने कहा- ठीक है मैं आज बहुत थक गया हूँ।
मैं बीच मैं लेट गया और वो दोनों मेरी बगल में आकर बैठ गई। पहले फुलवा ने शुरू किया और मेरे टांगों को हल्के हल्के दबाना शुरु कर दिया।
एक टांग फुलवा दबा रही थी और दूसरी बिंदू दबा रही थी। बिंदू का हाथ बहुत हल्का था जबकि फुलवा काफी ज़ोर से दबा रही थी।
मैंने आँखें बंद कर ली।
तभी महसूस किया कि फुलवा का हाथ मेरी जांघों को दबा रहा था और बिंदू अभी भी हल्के हाथ से टांग को ही दबा रही थी।
मैंने अधमुंदी आँख से देखा कि फुलवा ने बिंदू को इशारे से ऊपर को दबाने के लिए कहा।
बिंदू झिझकते हुए अपना हाथ मेरी जांघों तक ले आई, 5-7 मिन्ट ऐसे ही दबाती रहीं दोनों।
तभी फुलवा ने शरारत करते हुए अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और फिर जल्दी से हटा भी लिया।
इस हरकत से मेरा लंड अपने आप खड़ा होने लगा और मेरा पायजामा एक तम्बू बनता गया।
मैं आँखें बंद किये पड़ा रहा और तब दबी मुस्कान से फुलवा ने बिंदू का हाथ भी मेरे लौड़े पर रख दिया और बिंदू ने झट से हाथ हटा लिया और जांघों पर दबाती रही।
फुलवा अब दबाते हुए मेरे लंड से भी खेलने लगी।
फुलवा और बिंदू की चूत चुदाई
यह प्रसंग कोई 10 मिन्ट तक चला और तब तक बिंदू की झिझक काफ़ी दूर हो गई थी। अब वो बेझिझक मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी और मेरा लंड और अकड़ गया।
फुलवा ने जानबूझ कर मेरा पयजामा लंड के ऊपर से खिसका दिया और लंड एकदम आज़ाद होकर लहलहाने लगा।
दबी आँख से मैंने देखा कि लंड को बिंदू बड़े अचरज से देख रही है और तब फुलवा के इशारे पर उसने लंड को हाथ में ले लिया और उसको अच्छी तरह देखने लगी और अपने हाथ को ऊपर नीचे करने लगी।
फुलवा एक हाथ से मेरे अंडकोष से खेल रही थी और दूसरा उसने अपनी धोती में डाल दिया और अपनी चूत को रगड़ने लगी।
उसने इशारे से बिंदू को भी ऐसा ही करने को कहा, तब बिंदू ने भी एक हाथ अपनी धोती के अंदर डाल दिया।
फुलवा ने मौका देख कर मुझ को इशारा किया और मैंने भी एक हाथ बिंदू की धोती में डाल दिया और सीधा उसकी चूत को छूने लगा।
उसकी चूत एकदम गीली हो चुकी थी।
मेरे हाथ को बिंदू ने रोकने की कोई कोशिश नहीं की और मैं उसके भगनासा को हल्के हल्के रगड़ने लगा।
बिंदू अपनी जांघों को बंद और खोल रही थी और काफी गरम हो चुकी थी।
तब फुलवा ने बिंदू को पलंग से नीचे उतारा और उसके कपड़े उतारने लगी, पहले ब्लाउज उतार दिया और फिर धोती खींच दी और फिर पेटीकोट भी उतार दिया।
बिंदू ने अपना एक हाथ स्तनों पर रखा और दूसरे से चूत को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
अब तक फुलवा भी पूरी नंगी हो चुकी थी और मैं भी एकदम नंगा हो चुका था और मेरा लौड़ा पोरे जोबन में अकड़ा था।
मैंने देखा कि बिंदू की नज़र मेरे खड़े लौड़े पर टिकी थी।
तब फुलवा ने बिंदू का हाथ मेरे लौड़े पर रख दिया और मेरा हाथ उसको मोटे और गोल स्तनों पर। तब मैंने बिंदू को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसको होटों को बार-बार चूमना शुरू कर दिया।
मैंने अपनी जीभ उसके मुख में डाल दी और उसकी मुंह में गोल गोल घुमाने लगा। एक हाथ मैं उसको मोटे और गोल नितम्बों पर रख कर उनको दबाने लगा।
तब फुलवा हम दोनों को धीरे धीरे पलंग की और ले आई और जैसे ही बिंदू लेट गई मैंने उसकी जांघों को चौड़ा किया और अपने खड़े लंड को उसकी चूत के मुंह पर टिका दिया और धीरे से एक हल्का धक्का मारा और लंड एक बेहद टाइट चूत में पूरा चला गया, उसकी चूत की पकड़ गज़ब की थी।
फुलवा भी अपने मुंह से बिंदू के मम्मे चूस रही थी। तभी बिंदू के मुंह से आहा ऊह्ह्ह के आवाज़ें आने लगी और फुलवा ने झट मेरा रुमाल उसके मुंह पर रख दिया ताकि कोई आवाज़ न निकल सके।
बिंदू की चूत इतनी प्यासी हो रही थी कि अब तक वो 3-4 बार छूट चुकी थी लेकिन अभी भी वो नीचे से चूतड़ ज़ोर ज़ोर से ऊपर उठा उठा कर लंड को अंदर लेती थी। उसकी आँखें पूरी तरह से बंद थीं और शायद उसको याद भी नहीं था उसको कौन चोद रहा है।
उसका केंद्र बिंदू उस वक्त सिर्फ उसकी चूत थी जिसकी 2 साल की प्यास वो बुझा रही थी.
फुलवा भी उसको उकसा रही थी, कभी उसकी गांड में उंगली डाल कर कभी उसके होटों को चूस कर।
तभी बिंदू एक आखिरी झटके से ऐसी छूटी कि ढेर सारा पानी उसकी चूत से निकला और सारे बिस्तर की चादर पर फैल गया।
बिंदू अब एकदम ढीली पड़ गई और बिस्तर में आँखें बंद करके पसर गई।
मेरा लंड तो अभी भी खड़ा था, तो मैंने लण्ड मेरे साथ लेटी हुई फुलवा की एकदम गीली चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा क्यूंकि फुलवा बिंदू की चुदाई देख कर बहुत गरम हो चुकी थी और जल्दी ही झड़ गई, तब मैंने अपना भी छूटा दिया।
बिंदू अभी भी आँखें बंद किये लेटे हुए थी और उसके होटों पर पूरी तरह से यौन सुख की मुस्कान थी।
मैं दोनों के बीच लेट गया और बिंदू के एक सख्त स्तनों को दबाने लगा और धीरे धीरे उसके निप्पल खड़े होने शुरु हो, उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो फिर गीली होनी शुरू हो गई थी।
तब मैंने उसका हाथ अपने खड़े लंड पर रख दिया और वो उसको सहलाने लगी। उसने आँख खोल कर मुझ को देखा और मुस्करा कर मेरा शुक्रिया अदा किया।
मेरे लंड को खींच कर बताया- आ जाओ, फिर चढ़ जाओ।
मैं भी झट उसकी टांगों के बीच आ गया और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। फिर 10 मिन्ट की चुदाई के बाद वो 2 बार झड़ गई।
फुलवा ने उससे पूछा- कैसे लगी छोटे मालिक की चुदाई?
उसने शर्म के मारे मुंह पर हाथ रख लिया।
मेरा लंड अभी भी खड़ा था सो मैंने फुलवा को सीधा किया और उसके ऊपर चढ़ गया।
फुलवा ने बिंदू का हाथ अपनी चूत के पास रख दिया और लंड के अंदर बाहर जाते हुए उसको महसूस करवाया।
फुलवा की चुदाई खत्म करने के बाद मैंने उससे पूछा- आखरी बार तेरे पति ने कब तुझको चोदा था?
वो बोली- 2 साल से ऊपर हो गए हैं, इस बीच मैंने किसी की ओर आँख उठा कर भी नहीं देखा लेकिन छोटे मालिक आपको देख कर पता नहीं क्यों मेरा मन किया कि आप मुझ को चोदें। और आप ने शरीर दबवाने का बहाना बना कर मेरी दिल की मुराद पूरी कर दी।
फुलवा बोली- अगर तू हमारे साथ रहेगी तो रोज़ रात को 3-4 बार चुदेगी छोटे मालिक से। लेकिन याद रख, किसी से कुछ भी नहीं कहना और मन लगा कर छोटे मालिक और मालकिन का काम करती जा… तो बहुत सुखी रहेगी। धन कपड़ा लत्ता और अच्छा खाना मिलता रहेगा। मालकिन खुश होकर इनाम में बड़ी अच्छी साड़ी भी देती हैं और छोटे मालिक भी इनाम देते हैं हम सबको।
थोड़ी देर बाद हम तीनों सो गए और फिर कोई आधी रात को मुझको लगा कि कोई मेरे लंड को छेड़ रहा है।
आँख खोलकर देखा तो बिंदू थी जो मेरे लंड के साथ खेल रही थी।
मैंने भी उसकी चूत को हाथ लगा कर देखा तो एकदम गीली थी, मैं समझ गया कि इसकी अभी तृप्ति नहीं हुई है और फिर मैंने उसको पहले धीरे और फिर तेज़ी से चोदा, और तब तक नहीं उतरा जब तक उसने तौबा नहीं की।
इस सारी हलचल में फुलवा भी जाग गई और अपनी चूत को रगड़ने लगी। उसकी गर्मी को देखकर मैंने उसको भी चोदा। तब फुलवा ने बिंदू का हाथ मेरे अंडकोष पर रख दिया और उनको दबाने का इशारा करने लगी।
मैं चोद रहा था फुलवा को लेकिन मेरा मुंह तो बिंदू के मम्मों पर था और उसके मोटे निप्पल मेरे मुंह में गोल गोल घूम रहे थे।
इस सेक्सी नज़ारे पर मेरा लंड और भी सख्त हो गया था और तब मैंने महसूस किया कि फुलवा भी छूट गई है।
मैं उतर कर बिस्तर पर लेट गया लेकिन मेरे लौड़ा सीधा तना खड़ा था। यह देख कर शायद बिंदू से रहा नहीं गया और वो मेरे लौड़े पर चढ़ बैठी, ऊपर से धक्के मारते हुए उसको कुछ मिन्ट ही हुए होंगे कि वो भी झड़ कर मेरे ऊपर पसर गई।
जल्दी ही सुबह हो गई और वो दोनों मेरे कमरे से निकल कर अपने दैनिक कार्यकर्म में लग गई और मैं बड़ी गहरी नींद में सो गया।
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