RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
कम्मो की कहानी
फिर मैंने उससे पूछा- गाँव की औरतें कहाँ नहाती हैं?
वह मुस्करा के बोली- क्या नंगी औरतों को देखने का दिल कर रहा है? मेरे से दिल भर गया है क्या?
मैं बोला- नहीं रे, यों ही पूछा था।
वो बोली- यहाँ से दो फर्लांग दूर एक छोटी नदी बहती है, वहीं सारी जवान औरतें और लड़कियाँ जाती हैं और बाकी की सारी तालाब में नहाती हैं।
मैं यह सुन कर चुप रहा।
कम्मो बोली- आपकी इच्छा है तो बताओ, मैं ज़रा बुरा नहीं मनाऊँगी। वैसे गाँव की औरतें 11-12 बजे दोपहर में नहाने जाती हैं लेकिन उस समय आपका तो स्कूल होगा ना?
मैंने कहा- कल छुट्टी ले लूंगा और तुम्हारे साथ नदी चलते हैं, अगर तुम राज़ी हो तो?
मैं बोला- मेरे मन में औरतों के शरीर को देखने की बहुत इच्छा है लेकिन मुझ को नदी के किनारे देख का कुछ गलत समझ लेंगी जो ठीक नहीं होगा।
कम्मो बोली कि उसको कुछ खास जगह मालूम हैं जहाँ से औरतें नहीं देख पाएँगी और मैं बड़े आराम से औरतों को नहाते हुए देख सकूंगा।
मैंने भी हामी भर दी।
उस रात मैंने कम्मो को जी भर के चोदा और कई बार तो मेरा लंड चूत के अंदर ही रहा और हम शांत हो कर लेट गए।
और फिर जब कम्मो की काम इच्छा जागती तो वह मेरे ऊपर चढ़ जाती और 10-15 मिनट में फिर छूट जाती पर मेरा लंड वैसे ही खड़ा रहता।
थोड़ी देर बाद मेरी नींद लग गई और मैं गहरी नींद सो गया और जब उठा तो सुबह के 7 बजे थे और कम्मो जा चुकी थी। बिस्तर को ध्यान से देखा तो कम्मो की चूत से निकले पानी के निशान नज़र आ रहे थे, जब कम्मो आई तो मैंने उसको निशान दिखाये तो वह शर्मा गई और झट चादर बदल दी और खुद ही धोने बैठ गई।
दोपहर को नदी किनारे जाने का वायदा कर के वह अपने कामों में लग गई।
11 बजे के करीब कम्मो आई, बोली- मैं चलती हूँ, तुम पीछे आओ।
वो अपना तौलिए और कपड़े ले कर चलने लगी और मैं थोड़ी दूरी पर पीछे चलने लगा।
जल्दी ही छोटी सी नदी के किनारे पहुँच गए, वह बहुत ही कम गहरी दिख रही थी। कम्मो मुझको एक झाड़ी के बीच ले गई और आहिस्ता से कान में बोली कि मैं वहीं इंतज़ार करूँ और जैसे ही औरतें आएँगी वह मुझ को इशारा कर देगी।
मैं अपना तौलिए पर बैठ गया और अपने छुपने वाली जगह को ध्यान से देखा।
बड़ी ही सही जगह थी पीछे से भी काफी ढकी हुई थी और आगे से भी सारा नज़ारा देख सकते थे।
5-10 मिन्ट इंतज़ार के बाद औरतें कपड़े उठाये हुए आने लगी और जहाँ मैं छुपा था वहाँ से सिर्फ 10-15 फ़ीट दूर नहाने का घाट था।
कुछ तो कपड़े धोने लगी और कुछ नहाने लगी। उनमें से एक बहुत ही सुडौल वाली नई शादीशुदा औरत भी थी, मेरी नज़र तो उस पर ही थी।
गंदमी रंग और गोल मुंह वाली बहुत सेक्सी दिख रही थी।
सबसे पहले उस ने धोती खोल दी और फिर धीरे धीरे ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी लेकिन ऐसा करते हुए वो चौकन्नी हो कर चारों तरफ देख भी लेती थी कि कोई देख तो नहीं रहा और जब उसका ब्लाउज उतरा तो उसके मोटे और शानदार स्तन उछल कर बाहर आ गए। तब वो पानी में चली गई और खूब मल मल कर नहाने लगी।
उसने पेटीकोट का नाड़ा भी ढीला कर दिया था और अंदर हाथ डाल कर चूत की भी सफाई करने लगी।
5-6 मिन्ट इस तरह नहाने के बाद वो गीले पेटीकोट के साथ नदी के बाहर निकली और सीधी मेरी वाली झाड़ी की तरफ आने लगी और यह देख कर मैं डर के मारे कांपने लगा।
मुझ को पक्का यकीन था कि मैं पकड़ा जाऊँगा लेकिन कम्मो बड़ी होशियार थी, वो झट वहाँ आ गई और दोनों बातों में लग गई।
जब उस लड़की ने जिस्म पौंछ लिया तो कम्मो बोली- मैं देख रही हूँ, तू झाड़ी की तरफ मुंह करके पेटीकोट बदल ले।
और तब उसने झट से अपने पेटीकोट उतार दिया। मैंने उसकी चूत देखी जिस पर काले घने बाल छाए हुए थे और उसकी मोटी जांघों के बीच उसकी चूत काफी सेक्सी लग रही थी।
झट से उसने धुला पेटीकोट पहन लिया और फिर ब्लाउज भी पहन कर वो फिर नदी के किनारे आ गई। तब मैंने दूसरी औरतों को देखा तो सब ही ब्लाउज उतार चुकी थी और खूब मल मल कर नहा रही थी।
यह नज़ारा देख कर मेरा लंड तो खड़ा हो गया और बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था। तब मैंने देखा कि कई औरतें अपना पेटीकोट उतार कर धो रही थी, सभी की चूत दिख रही थी सब ही बालों से भरी हुई थी।
यह नज़ारा मेरे जीवन में अद्भुत था… इतनी सारी औरतों को नंगी देखना फिर शायद सम्भव नहीं होगा, ऐसा सोच कर मैं बार बार बड़ा खुश हो रहा था।
तभी कम्मो आ गई और मुझको इशारे से बाहर बुलाया और बोली- छोटे मालिक, अब हम वापस घर चलते हैं क्यूंकि आपने सब कुछ तो देख ही लिया है और कहीं हम को कोई देख न ले जिससे बहुत बदनामी होगी।
मैं भी वापस चल पड़ा कम्मो के साथ!
रास्ते में वो बोली- कोई पसंद आई इन में से?
मैं शरमा गया और कुछ नहीं बोला।
तब कम्मो कहने लगी- छोटे मालिक, आप हुकुम करो, अगर कोई पसंद आ गई है तो उसको आपसे मिलवा दूंगी।
मैं फिर चुप रहा।
कम्मो हल्के से मुस्कराई और बोली- आप बता दो ना, क्या आपको वो मोटे चूचों वाली पसंद है क्या?
मैं अंजान बनते हुए बोला- कौन सी?
‘छोटे मालिक, मुझसे क्यों छिपा रहे हो? मैं जानती हूँ तुम को वो बहुत भा गई है!’
‘नहीं री, तुम से भला क्या छिपाऊँगा। तुम से ज्यादा सुन्दर औरत कहाँ मिलेगी। तुम तो मेरी गुरु हो और मेरी टीचर हो!’
‘तो जल्दी बताओ कौन सी बहुत पसंद आई उन में से?’
मेरा मुख शर्म से एकदम लाल हो गया और मैं झिझकते हुए बोला- वही जो मेरे सामने पेटीकोट बदल रही थी और जिसको कपड़े पहनने में तुम मदद कर रही थी और जो सब औरतों में से सुन्दर है।
‘क्या उसको पसंद कर लिया है?’
‘नहीं री, जो तुमने पूछा, वही मैंने बताया। पसंद तो मैंने सिर्फ तुमको किया है और तुम्ही हो मेरी।’
मैंने महसूस किया की कम्मो बेहद खुश हुई, यह सुन कर बोली- कभी मौका लगा तो उसको पेश कर दूंगी। उसका नाम चंपा है और वो शादीशुदा है लेकिन उसका पति विदेश गया है बेचारी लंड की बहुत भूखी है। कई लड़के उसको पाने के लिए उसके चारों तरफ घूमते हैं। ‘देखेंगे जब समय आयेगा! अब तो जल्दी चलो, घर मैंने तुम को चोदना है सारी दोपहर!’ मैं बोला।
और घर पहुँच कर मैंने उसके कपड़े उतार दिए और खुद भी पूरा नंगा हो गया और खूब मस्त चुदाई शुरू हो गई। मेरा लंड अब पहले से थोड़ा बड़ा हो गया था और मेरे ज़ोर ज़ोर के धक्कों से कम्मो 3-4 मिन्ट में झड़ गई और आज वो छूटते हुए कुछ ज्यादा ही काम्पने लगी और मुझको जो उसने कस के अपनी बाहों में जकड़ा कि मेरी हड्डियाँ ही दुखने लगी थी।
अब वह एकदम निढाल हो कर पड़ गई लेकिन मैं अभी भी हल्के धक्के मार रहा था और उसकी चूत से निकल रहे पानी में बड़ी ही सेक्सी फिच फिच की आवाज़ आ रही थी और चूत से बहे पानी का जैसे तालाब चादर पर बन गया था।
कम्मो की नज़र पड़ते ही झट उसने वो चादर बदल दी।
अगले दिन ही मम्मी पापा भी वापस आ गये और मेरा चुदाई का प्रोग्राम रात वाला बंद करना पड़ा लेकिन दोपहर का प्रोग्राम चालू रहा। अक्सर हम चुदाई खत्म करने के बाद बातें करते थे।
मैंने कम्मो से उसके पति के बारे में पूछना शुरू किया, जैसे कि उसका पति उसको कैसे चोदता था और रात में कितनी बार वह झड़ती थी।
कम्मो ने बताना शुरू किया कि उसके पति ने सुहागरात को ही उसको बता दिया था कि शादी से पहले एक स्त्री के साथ उसके सम्बन्ध थे और वो उससे उम्र में 10 साल बड़ी थी लेकिन बहुत ही कामातुर औरत थी। उसका पति खस्सी बकरा था और किसी भी औरत से वो यौन सम्बन्ध के लायक नहीं थ, उस औरत ने मेरे पति को पूरी तरह से चुदाई में माहिर कर दिया था, लेकिन उनके सम्बन्ध के कारण वो गर्भवती हो गई थी और उसने बड़ी होशियारी से इस बच्चे का पिता अपने पति को बना दिया था। उस औरत का पति बड़ा ही खुश था कि इतने सालों बाद उसके संतान हो रही थी।
इधर कम्मो का जीवन अपने पति के साथ बड़ा ही अच्छा चल रहा था, उसका पति शुरू शुरू में उसको हर रात 5-6 बार ज़रूर चोदता था। फिर शादी को कुछ समय हो जाने बाद वह हर रात 1-2 बार की चुदाई पर आ गए थे, हर बार कम्मो का ज़रूर छूटता था।
कुछ साल उसके बड़े ही अच्छे बीते लेकिन फिर एक दिन उसका खेत में गया और वापस ही नहीं आया, उसको एक सांप ने खेत में डस लिया था और जब तक अस्पताल जाते वह समाप्त हो गया था।
कम्मो का जीवन एकदम वीरान हो गया क्यूंकि उसका पति अभी बच्चे नहीं चाहता था तो उसने बच्चा भी नहीं होने दिया।
कम्मो की जीवन कहानी बड़ी ही दर्दभरी थी लेकिन वो यही कहती थी कि विधि के विधान के आगे हम सब मजबूर हैं।
उसने यह भी बताया कि उसके पति के जाने के बाद मैं ही उसका पहला मर्द था जो उसकी चूत में लंड डाल सका था।
मेरे पूछने पर कि ‘वो क्या करती थी जब उसको काम वेग सताता था?’ उसने हंस कर बात टाल दी और कहा फिर कभी बताऊँगी।
कम्मो के सबक
मेरा कम्मो से मिलना जारी रहा।
लेकिन अब मैं महसूस कर रहा था कि मेरा लंड भी अब बहुत अकड़ता रहता था, ज़रा सा भी चूत का ख्याल आते ही वह एकदम तन जाता था और तब उसका बैठना बहुत मुश्किल होता था जब तक वो चोद न ले या फिर मुठी न मार ले… कई बार तो कम्मो ने बताया था कि लंड पर ठंडा पानी डाल देने से वो बैठ जाता था।
और अब मैं रोज़ उसका नाप फीते से लेता था। अब मेरा लण्ड करीब 6 इंच का हो गया था और मोटा भी हो गया था। कम्मो अब रोज़ लंड की मालिश नहीं कर पाती थी लेकिन मैंने मालिश जारी रखी। कम्मो मेरे लंड से अब बेहद खुश थी और भरी दोपहरी में चुदवाने ज़रूर आती थी। अब उसने मुझ को तरह तरह चोदने के तरीके बता दिए थे।
उसको घोड़ी बन कर चुदवाना बहुत अच्छा लगता था और मैं भी उसके बताये हुए चुदाई के तरीकों में माहिर हो रहा था।हर बार चुदाई के दौरान वह 2-3 बार झड़ जाती थी जिसके कारण उसके चेहरे का निखार और भी बढ़ रहा था। मेरी मम्मी ने 1-2 बार उसको जताया भी कि वह अब बहुत सुन्दर लग रही है और उसको दोबारा शादी कर लेनी चाहये लेकिन कम्मो को मेरे लंड की आदत पड़ गई थी, उसने मम्मी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया।
दोपहर को जब कम्मो आई तो मैं उस पर रोज़ की तरह चढ़ गया लेकिन 10-12 धक्के के बाद ही मेरे लंड से जैसे एक बहुत ही तेज़ फव्वारा छूटा और कम्मो की चूत को एकदम पानी से भर दिया। लेकिन मेरे लंड की सख्ती में कोई कमी नहीं आई और मैं उसी जोश के साथ धक्के मारता रहा और रोज़ाना की तरह जब कम्मो 3-4 बार छूट गई तो मुझको उतरने के लिए कहने लगी और जब मैं उतरा तो चूत में ऊँगली डाल कर कुछ देखने की कोशिश करने लगी तब मैंने देखा कि उसके हाथ में कुछ सफ़ेद चिपचिपा पानी लगा हुआ है।
वह एकदम चौंक कर बोली- छोटे मालिक, आज आपके लंड से कुछ पानी छूटा था?
और मैं बोला- हाँ, मुझको ऐसा लगा कि मेरे लंड से कोई गरम लावा सा पदार्थ निकला था और मुझ को बहुत आनन्द आया था।
कम्मो बोली- बधाई हो छोटे मालिक… आप तो पूरे जवान बन गए हो।
और यह कह कर जल्दी से गुसलखाने की तरफ भागी। मैं भी उसके पीछे गया तो वह बैठ कर चूत को पानी से धो रही थी और मुझ को इशारे से बहार जाने के लिए कहने लगी।
थोड़ी देर के बाद वो निकली तो बोली- अब मैं आपसे चुदाई नहीं करवाऊँगी। अब आप पूरे मर्द हो गए हैं इसी लिए अब चोदना नहीं होगा।
मैं हैरान था कि ऐसा क्या हुआ है आज चुदाई के दौरान कि कम्मो चुदाई से भाग रही है।
तब मैंने उसको ज़ोर देकर पूछा कि चुदाई न करवाने की क्या वजह है?
पहले तो वह चुप रही और फिर बोली- छोटे मालिक, आपके अंदर से छूटने वाले पानी से मैं गर्भवती हो जाऊँगी।
मैं एकदम हैरान हो गया और बोला- क्या यह सच कह रही हो या फिर तुम्हारा मुझ से दिल भर गया है?
वो उदास हो कर बोली- नहीं छोटे मालिक, अब चुदाई रोकनी होगी, नहीं तो किसी दिन भी मैं फंस जाऊँगी।
मैंने पूछा कि कुछ उपाय तो होगा जिससे तुम ठीक रहो?
कम्मो बोली एक ही तरीका है और वो है कि तुम जब छूटने लगो तो तुम अपना लंड बाहर निकाल लिया करो और चूत के बाहर ही अपना पानी छूटा दिया करो? ऐसा कर सकोगे क्या?
मैंने कहा- कोशिश करने दो अगर अभ्यास करूंगा तो शायद यह कर सकूं।
और फिर मैंने लंड कम्मो की चूत में डाल दिया और तेज़ धक्के मारने लगा।
कम्मो ने मुझ को रोक दिया और बोली- छोटे मालिक, धक्के धीरे मारो ताकि जब तुम छूटने लगो तो तुमको पता चल जायेगा कि तुम्हारा पानी छूटने वाला है और उसके बाद तुम बाहर छूटा देना।
मैंने ऐसा ही किया लेकिन अबकी बार मैं धक्के काफी देर तक मारता रहा और मैंने महसूस किया कम्मो का पानी 3-4 बार छूट गया और वह थक कर अपनी टांगें सीधी करने लगी और बोली- छोटे मालिक, अब बस करो, मैं थक चुकी हूँ।
यह कह कर उसने मुझको अपने ऊपर से हटा दिया और जल्दी से बाथरूम में घुस गई और जब मैंने देखा तो वह चूत को पानी से धो रही थी। उस दिन के बाद वो दोपहर को आती तो थी लेकिन उसकी गरम जोशी अब कम हो रही थी, मेरे से चुदवाती तो थी लेकिन अब उसमें वो जोश नहीं था। क्यूंकि वो रात अपने घर चली जाती थी तो मैं नहीं जानता वो वहाँ क्या करती थी।
फिर एक दिन मैंने उससे पूछा कि उसके घर में कौन कौन लोग हैं?
तो बोली- बूढ़ी माँ है और छोटी बहन है।
उसने बताया कि उसकी झोंपड़ी में दो कमरे हैं, एक में उसकी माँ और बहन सोती हैं और दूसरे में वो सोती है।
मैं बोला- अगर मैं रात में तुम्हारी झोंपड़ी में आऊं तो तुमको कोई मुश्किल तो नहीं होगी?
वो एकदम चौंक कर बोली- कभी ऐसा मत करना, सारा गाँव जान जायेगा हमारी कहानी। तुम वहाँ क्यों आना चाहते हो?
मैंने कहा- तुम आजकल मुझसे पहले की तरह गर्मागर्म चुदवा नहीं रहो हो, कहीं कोई और आदमी तो नहीं आ गया तुम्हारे जीवन में?
वो हंस दी और बोली- छोटे मालिक, तुम मुझको बुरी तरह से थका देते हो और घर जाकर मैं बस सो जाती हूँ। यही कारण है कि तुम को लगता है कि मेरे जीवन में कोई और आ गया है। अच्छा तुम कहो तो मैं बड़ी मालकिन से कह कर तुम्हारी दूसरी नौकरानी रखवा देती हूँ।
मैं बोला- कभी नहीं।
वो बोली- मालकिन कह रही थी कि कोई और कामवाली लड़की चाहये उनको, और मैं सोचती हूँ कि क्यों न चम्पा को रखवा दें तुम्हारे साथ? मैं भी रहूंगी और वो भी। बोलो मंज़ूर है?
मैं बोला- कभी नहीं, जब तक तुम हो, और कोई नहीं आएगी।
कम्मो बोली- अरे चम्पा भी रहेगी और मैं भी… दोनों ही तुम्हारा काम करेंगी। मान जाओ छोटे मालिक?
मैंने कहा- ठीक है लेकिन दोपहर में सिर्फ तुम ही आया करोगी… ठीक है?
वो बोली- मंज़ूर है।
कुछ दिन वैसे ही चलता रहा जैसा पहले था, अब कम्मो की सिखाई के बाद अब मुझको चोदना काफी हद तक आ चुका था और मेरा मुझ पर कंट्रोल भी अब पूरा हो चुका था। चुदाई के समय मैं अब पूरा ध्यान रखता था कि किसी तरह भी मेरा वीर्य समय से पहले न छूटे और अगर छूटे भी तो वह चूत के बाहर छूटे।
धीरे धीरे कम्मो को मुझ पर विश्वास बढ़ता गया और हमारा चुदाई जीवन फिर पहले की तरह हो गया, दोपहर में चुदाई जारी रहने लगी। उस दिन के बाद कम्मो ने चम्पा की कोई बात की, न वो हमारी हवेली में आई। कम्मो और मेरी कहानी तकरीबन एक साल चली जिस के दौरान मैं पूरा जवान हो गया, मेरा लंड भी 6-7 इंच का हो गया था और उसकी मोटाई भी काफी बढ़ गई थी।
मैं शारीरिक तौर भी अब बहुत बड़ा बड़ा लगने लगा था और तब एक दिन मम्मी और पापा बोले कि सोमू तो जल्दी से बड़ा हो रहा है, यह बहुत ही अच्छी बात है।
लेकिन वो दोनों अपनी जमींदारी के काम में इतने उलझे और व्यस्त रहते थे कि उनके पास मेरे लिए समय निकालना मुश्किल था। एक तरह से यह मेरे लिए अच्छा था क्यूंकि मेरी कामातुर वासना को कम्मो रोज़ बढ़ा देती और फिर शांत भी कर देती थी।
उन्ही दिनों मैं रोज़ शाम को नदी किनारे भी जाता था लेकिन नहाती हुई औरतों को देखने की कोशिश नहीं करता था।
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