RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
अक्कू ने मम्मी के लटकते गदराये उरोज़ों का मर्दन एक क्षण के लिए भी मन्दिम नहीं किया। मम्मी ने अपने नैसर्गिक भारी कोमल चूतड़ों को ऊपर नीचे पटक कर अक्कू के लंड से अपनी चूत के चुदाई निरंतर तीव्र करने लगीं।
मेरी चूत के भीतर एक नन्हा मीठा सा दर्द और जलन भर चली थी। मैंने पापा के हाथों को अपने अविकसित कमसिन चूचियों के ऊपर और भी कस कर दबा दिया। पापा समझ गए और उन्होंने जिस बेदर्दी से मेरी दोनों नाज़ुक चूचियों को मसला और मड़ोड़ा उस से मेरी चीखें उबाल गयी। मेरे चूतड़ अविरत मेरी सूजी चूत को पापा के लंड के तनतनाते तने के ऊपर रगड़ रहे थे।
मैं कुछ हे देर में चीख मर कर फिर से झड़ गयी। इस बार पापा ने मुझे रुकने नहीं दिया और मेरे चूचियों को जकड़ कर मुझे ऊपर नीचे कर कर मेरी चूत को अपने लंड पर रगड़ते रहे।
मम्मी अब सिस्कारियां मार रहीं थीं ," उउन्न्न्न अक्कू बेटा और ज़ोर से मेरी चूत मारो।"
अक्कू ने अब इस नयी चुदाई की मुद्रा को समझ लिया था और उसने नीचे से अपने कूल्हों को उठा कर मम्मी की चूत अपने लंड मारने लगा। मम्मी और अक्कू ने अब एक अत्यंत सुंदर और प्रभावशाली ले बना ली थी।
जब मम्मी नीचे की ओर झटका मारती थी तब अक्कू अपने कूल्हों को पूरे ताकत से ऊपर की और धकेल देता था। अब मम्मी की यौनी से 'चपक-चपक' की मधुर अवाज़ें निकल रहीं थीं।
मम्मी की सुबकाई अब और तेज़ हो गयीं, 'अक्कू, मैं अब आने वाली हूँ। उउन्न्नह अक्कू ऊ….. ऊ ……. ऊ ……ऊ ………। आन्न्न्न्न्ह्ह्ह अक्क ……. उउउउ …….. उउन्न्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह। "
मम्मी एक लम्बी चीख मर कर अक्कू के सीने के ऊपर ढलक गयीं। उनकी साँसे भारी और गहरी हो गयी थीं। अक्कू ने लपक कर मम्मी को अपने बाँहों में भर लिया और प्यार से उनके माथे पर से पसीने की बूंदों को चुम कर चाट लिया।
मम्मी ने कुछ क्षणों बाद अक्कू को प्यार से चूमा, "मेरा बेटा कितनी काम उम्र में कैसा मर्द जैसा बन गया है?"
मम्मी की इस अलंकारिक विवेचना में गर्व, स्नेह और वात्सल्य कूट-कूट कर भरा हुआ था।
"मम्मी प्लीज़ अभी और चोदिये प्लीज़ ," अक्कू ने बच्चों की तरह मम्मी से उलाहना किया।
मम्मी ने भी माँ की तरह अपने आनंद को पूर्ण रूप से अंगीकार किये बिना फिर से अक्कू की इच्छानुसार उसके के लंड के ऊपर अपनी मोहक नैसर्गिक रेशम सी मुलायम चूत को फिर से कूटने लगीं।
इस बार दोनों ने नादिदेपन तेज़ और भीषण चुदाई की।
मैं अब फिर से झड़ रही थी। मैं निढाल हो कर पापा के सीने के ऊपर ढलक गयी।
मम्मी और अक्कू ने हचक हचक कर उन्मत्त चुदाई करनी शुरू कर दी।
मम्मे के चूतड़ बिजली के तेज़ी से अक्कू क लंड के ऊपर नीचे हो रहे थे। अक्कू भी लय में ताल मिला कर अपने चूतड़ों को सही समय पे ऊपर पटक कर मम्मी के चूत में अपना लंड जड़ तक धूंस देता था। मम्मी की सिस्कारियों में हल्की सी आनंदमयी पीड़ा की चीत्कार भी शामिल हो गयी।
मम्मी कुछ मिनटों में ही फिर से चीख कर झड़ने लगीं ,"अक्कूऊऊऊ हाय मैं मर जाऊंगीं ऊऊह्ह्ह्ह अक्कूऊऊऊ उउउन्न्न्न्न आन्न्न्न्नग्ग्घ्ह्ह्ह्ह। "
मम्मी का सुहाना लाल चेहरा अब पसीने से नहा उठा था।
मम्मी सुबकती हुई अक्कू के सीने के ऊपर ढुलक गयीं अकक्कु ने उन्हें बाँहों में जकड कर नीचे अपने लंड को मम्मी की चूत में पटकने लगा।
"मम्मी मैं भी आने वाला हूँ आपकी चूत में। मम्मीईईईए मैं झड़ने ………," अक्कू ने ज़ोर की सिसकारी मार कर अपना लंड मम्मी की चूत में खोल दिया।
मम्मी ने अपनी उर्वर कोख के ऊपर जैसे ही अपने बेटे की गरम जननक्षम वीर्य की फ़ुहार को महसूस किया वो फिर से झड़ गयीं। अक्कू , मुझे पता था, जब झड़ता है तो रुकने का नाम ही नहीं लेता।
मम्मी और अक्कू एक दुसरे से लिपटे गहरी साँसों से भरे चुम्बनों की एक दुसरे के ऊपर बौछार कर रहे थे।
"पापा आप भी मुझे चोदेंगे न ?" मैंने सुबक कर पापा से पूछा।
"बिलकुल सुशी बेटा यदि तुमने अपना मन नहीं बदल दिया तो ," पापा ने मुझे चिढ़ाया।
मैं मुड़ कर पापा से लिपट गयी। मैंने पापा के सुंदर चेहरे को अपने चुंबनों से गीला कर दिया।
जब हमारा ध्यान मम्मी और अक्कू की तरफ गया तब तक अक्कू ने मम्मी को पलट कर बिस्तर पर लिटा दिया थे और उसका अतृप्य लंड पूर्ण तनतना कर मम्मी की चूत में धंसा हुआ था।
"मेरे बेटे का अपनी माँ की चूत से अभी मन नहीं भरा ?" मम्मी की प्यार भरी गुहार में आकाश से भी विस्तृत वात्सल्य भरा हुआ था।
"मम्मी पूरी ज़िंदगी में भी मन नहीं भरेगा," अक्कू ने मम्मी की सुंदर नासिका की नोक को काट कर कहा।
अक्कू के वचन बिलकुल सत्य थे। आज तक मम्मी और अक्कू को कुछ हफ़्तों तक भी अलग रहना पड़े तो दोनों विचलित हो जातें हैं।
"तो फिर अपनी माँ को भोगो न अक्कू। तेरी मम्मी अब सारी ज़िंदगी तू जब चाहे तेरे लिए समर्पित है ," मम्मी ने अपनी गुदाज़ भरी भरी बाँहों को अक्कू के गले का हार बना कर उसे अपने उरोज़ों के ऊपर जकड़ लिया।
अक्कू ने मम्मी के मुंह के ऊपर अपना खुला मुंह दबा कर अपने लंड को सुपाड़े तक निकाल कर एक भीषण धक्के से जड़ तक मम्मी की चूत में ठूंस दिया।
न चाहते हुए भी मम्मी की सुबकाई निकल गयी ," आह अक्कू कितनी बेदर्दी से अपनी माँ की चूत मरता है रे तू। "
मम्मी के शब्द उनके शरीर की प्रतिकिर्या को झुठला रहे थे। उन्होंने अपने चूतड़ों को बिस्तर से ऊपर उठा कर अपने बेटे के प्रचंड लंड का स्वागत सा किया।
अक्कू ने जैसे वो बवंडर तूफ़ान की तरह मुझे गांड में चोदता था उसने उसी प्रकार की जानलेवा चुदाई प्रारम्भ कर दी।
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