Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
02-10-2018, 12:09 PM,
#31
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
आखिरकार बड़े मामा ने अपना मुश्किल से थोड़ा नरम हुए लंड को मेरी अत्यंत चौड़ी हुई गांड में से निकाल कर मेरी गांड चाटने लगे. मेरे नथुने मेरी गांड की खुशबू से भर गए. बड़े मामा ने प्यार मेरी सूजी गांड को चाट कर साफ़ किया. मामाजी की जीभ मेरी बेदर्दी से चुदी थोड़ी ढीली खुली गांड में आसानी से अंदर चली गयी. मेरी गांड साफ़ कर बड़े मामा बोले, "नेहा बेटा, अब हम आपकी गांड पीछे से मारेंगें." मैं अब गांड मारने के आनंद की कामुकता से प्रभावित हो गयी थी. मैं पलट कर घोड़ी की तरह अपने हाथों और घुटनों पर हो गयी. बड़े मामा का तना हुआ लंड मेरी गांड के मल के लेप से भूरे रंग का हो गया था. मैंने जल्दी से बड़े मामा के लंड तो अपने मूंह और जीभ से चाट कर साफ़ किया. मुझे अपनी गांड और बड़े मामा के वीर्य का मिला-जुला का स्वाद अत्यंत अच्छा लगा. बड़े मामा ने अपना लंड मेरी गांड में पीछे से हौले-हौले अंदर डाल दिया. मेरी गांड इतनी देर में फिर से तंग हो गयी थी. पर मुझे इस बार बहुत थोड़ा दर्द हुआ. बड़े मामा ने मेरी गांड शीघ्र तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया. हमारा कमरा मामा और भांजी के बीच अवैध अगम्यागमन गांड-चुदाई से उपजी मेरी सिस्कारियों से भर गया. बड़े मामा के हर भीषण धक्के से मेरा शरीर फिर से कांप उठा। उनकी बलवान मांसल झांगें हर धक्के के अंत में मेरे कोमल मुलायम भरे भरे चूतड़ों से टकरा रहीं थीं। हमारे शरीर के टकराने की आवाज़ कमरे में ' थप्पड़ ' की तरह गूँज रही थी। बड़े मामा ने मेरी गांड की चुदाई पहली बार की तरह बेदर्दी से की. मुझे पांच बार झाड़ कर बड़े मामा दूसरी बार मेरी गांड में स्खलित हो गए. मामाजी का गरम गाड़ा वीर्य मेरी गांड की नाज़ुक दीवारों से टकरा कर मेरी गांड में मथे हुए मल के साथ मिल गया. बड़े मामा मेरी गांड से अभी भी संतुष्ट नहीं हुए थे. उन्होंने अपना मेरे मल से रंगा हुआ गन्दा लंड मेरे मूंह से साफ़ कराया और एक बार फिर मेरी गांड के मंथन के लिए तैयार हो गए. उस रात बड़े मामा के स्थूल विशाल लंड ने मेरी गांड तीन बार और मारी. मैं बड़े मामा के साथ लम्बी रतिक्रिया में बार बार झड़ने की मदहोशी से बेहोशी की अवस्था में पहुँच गयी. मैं अपने निरंतर रति-निष्पत्ति की गिनती भी नहीं रख पाई. बड़े मामा ने मेरी गांड पांचवी बार अपने जनन-क्षम वीर्य से भर दी. मैं बिकुल थक कर चूर हो गयी थी. बड़े मामा मेरी गांड चार घंटों से मथ रहे थे. मैंने बड़े मामा के मुंह और गालों को प्यार से चूम चूम कर गीला कर दिया. बड़े मामा ने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाल लिया. मुझे लगा जैसे मेरा पखाना निकलने वाला था, "बड़े मामा मुझे शौचालय जाना है. आपके लंड ने मेरी टट्टी मथ दी. मैं उसे अब रोक नहीं पा रही." "नेहा बेटा, गांड मरवाने के बाद ऐसा लगता है पर फ़िक्र नहीं करो कुछ बाहर नहीं निकलेगा," बड़े मामा ने अपने अनुभव से मुझे आश्वासन दिया, पर मेरी गुदा में बड़ते दबाव ने मेरे संयम को हरा दिया. बड़े मामा ने हँसते हुए मुझे बाँहों में भर कर शौचालय में ले गए. बड़े मामा ने मुझे कमोड [शौचासन] के ऊपर बैठाने के बजाय मुझे नहाने के टब में ले गए. बड़े मामा ने मुझे आगे झुका कर मेरी गुदाज़ चूतड़ों को चौड़ा कर अपना मुंह मेरी गांड से लगा दिया. "मामाजी मेरी गांड खुलने वाली है, प्लीज़ मुझे शौचासन पर जाने दीजिये," मैंने बड़े मामा से अनुरोध किया. "नेहा बेटा, अपनी बेटी की पहली बार गांड मारने के प्रसाद को हम हाथ से नहीं निकलने देंगें." "बड़े मामा पता नहीं मेरी गांड से क्या निकल जाये?" बड़े मामा की मेरी गांड के मंथन के फल को चखने की कामुक इच्छा ने मुझे भी मदहोश कर दिया. मैंने अपनी गांड को ढीला कर दिया. मेरी गुदा से मामाजी का गाड़ा जनन-क्षम वीर्य और मेरे मथे मल का मिश्रण फिसल कर कर मामाजी के मुंह में टपकने लगा. मेरी मलाशय की सुगंध सारे स्नानगृह में समा गयी. मैंने ज़ोर लगा कर अपने मलाशय के भीतर जमे मिश्रण को मामाजी के आनंद के लिए निकालने का प्रयास करने लगी. मेरे ज़ोर लगाने से मेरा पाद निकल गया. मैं शर्मा कर दबी हंसी से बोली, "सॉरी मामाजी." बड़े मामा ने मेरी गांड को चूम कर मुझे आश्वासित किया. मेरी गांड से अचानक गीले मल और वीर्य मिश्रण के अलावा कुछ ठोस पदार्थ भी फिसल कर बड़े मामा के मुंह में टपक गया. बड़े मामा ने उसे भी बेसब्री और क्षुधातुर प्रकार से स्वीकार किया. बड़े मामा ने अपना मुंह मुझे सीधा करके मेरी चूत पर लगा कर मेरे मूत्र की मांग की. मैंने अपना पेशाब धीरे-धीरे बड़े मामा के मुंह में बहने दिया. बड़े मामा ने मेरा मूत्र प्यार से पी लिया. मैं उसके बाद शौचासन पर बैठ कर ठीक से अपना मलाशय खोल दिया. बड़े मामा का मेरे मल से सना लंड मेरे मूंह के सामने था. मैंने मामाजी का लंड चूस, चाट कर साफ़ कर दिया. मुझे अपने मल का स्वाद बड़े मामा के वीर्य से मिश्रित और भी स्वादिष्ट लगा. मैंने बड़े मामा की ओर प्रत्याशा से देखा, बड़े मामा ने मेरा आश्रय समझ गए. बड़े मामा ने अपने शिथिल पर भारी लंड के सुपाड़े को मेरे खुले मुंह में डाल कर अपना मूत्र हौले-हौले खोलने लगे. मामाजी का मूत्र तीखा पर बहुत स्वादिष्ट था. बड़े मामा ने अपने पेशाब की धारा को नियंत्रित प्रकार से मेरे मुंह में प्रवाहित किया. मामाजी मुझे अपने मुंह में भरे पेशाब को पीने का समय देकर फिर से मेरा मुंह अपने मूत्र से भर देते थे. बड़े मामा का लंड जब तक मैंने उनका पूरा मूत पिया
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