Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
02-10-2018, 12:02 PM,
#2
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
अंजू और नरेश भैया ने हम को हमारे कमरे दिखा दिए. ड्राईवर ने हम सबका सामान कमरों में रख दिया.

पापा और मम्मी नानाजी को ढूँढने चले गए. मैं अंजू भाभी के साथ मनू भैया और नीलम से मिलने के लिए साथ हो ली.

नीलम सीधी सादी मैक्सी में अत्यंत सुंदर लग रही थी. उसके बड़े बड़े स्तन ढीली ढाली मैक्सी में भी छुप नहीं पा रहे थे. अंजू ने नीलम से मज़ाक करना शुरू कर दिया, "नीलू आज मनू आपकी हालत खराब करने के लिए बेताब है."


नीलम शर्मा गयी और उसका चेहरा लाला हो गया. अंजू के मज़ाक और भी गंदे और स्त्री-पुरुष के सम्भोग के इर्दगिर्द ही स्थिर हो गए.

मैं भी अंजू के मज़ाकों से कुछ बेचैन हो गयी. मुझे स्त्री-पुरुष के सम्भोग के बारे में सिवाए किताबी बातों के कुछ और नहीं पता था. मैंने अंजू और नीलम से विदा लेकर मनु भैया को ढूँढने के लिए चल दी.


मनू भैया और छोटे मामा, विक्रम प्रताप सिंह, दोंनो एक बंगले के सामने कुर्सियों पर बैठे हुए स्कॉच के गिलास थामें हुए थे.

छोड़े मामा मनू भैया की तरह ६'४" लम्बे थे. मनू भैया काफी छरहरे बदन पर मज़बूत जिस्मानी ताक़त के मालिक थे. छोड़े मामा बड़े मामा की तरह थोड़े मोटापे की तरफ धीरे-धीरे बड़ रहे थे. दोनों ने मुझे बारी बारे से गले लगाया और प्यार से चूमा. मैंने काफी देर दोनों से बात की.

मनु भैया ने मुझे याद दिलाया की नानाजी मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे, "नेहा, दादाजी अपनी प्यारी इकलौती धेवती को देखने के लिए बेसब्र हो रहे होंगे."


मैं नानाजी को ढूँढने के लिए सब तरफ गयी. रसोई घर में छोटी मामी सुशीला [शीलू] पूरे*नियंत्रण में थीं. शीलू मामी मेरे पापा की बड़ी बहन थीं, अतः मेरी बुआ भी लगती थीं. शुरू से ही मुझे उनको बुआ कहने की आदत पड़ गयी थी. सो मैंने उनको हमेशा बुआ कह कर ही पुकारा.


आखिर में मुझे नानाजी सबसे दूर वाले दीवान खाने में मिले. वहां दादा और दादीजी भी उनके पास बैठें थें.

नाना, रूद्र प्रताप सिंह, ७० साल के होने वाले थे. वो हमारे और पुरुषों की तरह ६'२" लम्बे और बड़े भरी भरकम शरीर के मालिक थे. दादा जी, अंकित राज सिंह, नाना जी से चार साल छोटे थे, वो ६६ साल के थे. दादाजे करीब ६ फुट लम्बे थे पर उनका महाकाय दानवाकार शरीर किसी पहलवान की तरह का था. दोनों नाना और दादा जी विशाल शरीर और सारे परिवार की तरह बहुत सुंदर नाक-नुक्श के मालिक थे. दादी जी, निर्मला सिंह, ६६ साल के उम्र में भी निहायत सुंदर थीं. उनका शरीर उम्र के साथ थोडा ढीला और मांसल और गुदगुदा हो चला था. उनका सुंदर चेहरा अभी भी किसी भी मर्द की निगाह खींचने के काबिल था.तीनो ने मुझे बहुत प्यार से गले लगाया और मेरे मूंह हज़ारों चुम्बनों से गीला कर दिया.




नाना, दादा और दादी जी को सारे परिवार को एक जगह इकट्ठा देख कर बहुत सुख मिला. तीनो बहुत खुश और संतुष्ट लग रहे थे. सारी शाम बहुत हसीं-मजाक चलता रहा.


बेचारी नीलम भाभी की तो हालत खराब हो गयी. अंजू भाभी के मज़ाक से दादा, नाना और दादी जी भी हसीं रोक नहीं पाए.

अंजू भाभी, मैं और नीलम भाभी खाने के बाद नीलम भाभी के बंगले में चले गए. अंजू भाभी ने बंगला बहुत ही अच्छे से सजा रखा था. सब तरफ फूलों की मालाएं और गुलदस्ते बिखरे हुए थे. अंजू भाभी का काम में नीलम को सुहाग रात के लिए तैयार करना भी था. अंजू भाभी ने नीलम के कपड़े उतारने शुरू कर दिए. अंजू भाभी *के*अश्लील मज़ाक मुझे भी कसमसा रहे थे. नीलम भाभी का सुंदर मूंह शर्म से लाल हो गया था.

नीलम भाभी अब बिलकुल नग्न थीं. मेरे सांस मुश्किल से काबू में थी. नीलम भाभी का सुंदर गुदाज़ शरीर मुझे भी*प्रभावित कर रहा था. उनके बड़े-बड़े भारी स्तन अपने वज़न से थोड़े ढलक रहे थे. उनकी सुंदरता की एक अच्छे मूर्तिकार की किसी देवी की मूर्ती से ही तुलना की जा सकती थी. नीलम भाभी की सुडौल भरी कमर के नीचे मुलायम काले घुंघराले बालों से ढकी हुई योनी ने मुझे भी प्रभावित कर दिया. नीलम भाभी की मांसल टाँगे उनके भारी गोल नितिम्बों के उठान को और भी खूबसूरत बना रहीं थीं.


अंजू भाभी ने बिना किसी शर्म के नीलम भाभी के दोनों उरोजों को दोनों हाथों से मसल दिया, "नीलू, कल सुबह, इन दोनों सुंदर चूचियों नीले दागों से भरी होंगी. मनू भैया इन सुंदर चूचियों को खा जायेंगें."


नीलम भाभी शर्मा कर हंस दी. अंजू भाभी ने नीलू भाभी को एक झीने सिल्क का साया पहना दिया. अंजू भाभी ने नीलम भाभी को खूब सता कर बिस्तर में लिटा कर विदा ली.

वापसी में मुझसे रहा नहीं गया, "अंजू भाभी सुहागरात में मनू भैया क्या-क्या करेंगे नीलम भाभी के साथ."

अंजू भाभी पहले थोड़ा हंसी, "नेहा, मनू नीलम की आज रात पहली बार चूत मारेगा. नीलम को पता नहीं है की मनू का लंड कितना बड़ा है."

मेरी जांघों के बीच में गीलापन भर गया, "भाभी आपको कैसे पता की मनू भैया का ल ..ल ....लंड कितना बड़ा है?"


“नेहा, मैंने मनू को पेशाब करते हुए देखा है. वास्तव में मैंने मनू को बावर्ची की बेटी को चोदते हुए देखा है. मनू की चूदाई कोई लड़की नहीं भूल सकती."


"अंजू भाभी क्या नरेश भैया का लंड भी उतना बड़ा है?"


बातें करते हुए हम मेरे कमरे तक पहुँच गए थे, "नेहा, इस घर के सारे मर्दों के लंड दानवीय माप पर बने हैं. तुम्हारे नरेश भैया का लंड भी महाकाय है. जब उन्होंने पहली दफा मेरी चूत मारी तो मैं सारी चुदाई में रोती ही रही दर्द के मारे. पर अब मुझे उनके लंड से अपनी चूत मरवाए बिना चैन नहीं पड़ता. जब तुम्हारे भैया ने पहली बार मेरी गांड मारी तो मैं तीन दिन तक पाखाने नहीं जा पाई."


अंजू भाभी ने मेरे होठों पर प्यार से चुम्बन दिया फिर फुसफुसा के मेरे कानो में कहा, " नेहा, यदी रात में मेरी बातों से चूत गीली और खुजली से परेशान कर रही हो तो हमारे कमरे में आ जाना. तुम्हारे नरेश भैया को मैं तुम्हारी चूत के मालिश करने को मना लूंगी."

मैं बहुत शर्मा गयी. मेरा मूंह बिलकुल गुलाब की तरह लाल हो गया. नीलम भाभी का मेरे भाई से मेरी चूत मरवाने के ख्याल से ही मेरी हालत बुरी हो गयी.

अंजू भाभी मेरी स्तिथी को भांप गयी थी, "नेहा, अच्छे से सोना. प्यार सबसे बड़ा *आशीर्वाद होता है. समाज के प्रतिबन्ध तो कम अक्ल के लोगों के लिए होतें हैं." अंजू भाभी की गम्भीर और गहरी बात की महत्वता अगले कुछ दिनों में सत्य हो जायेगी.


मैंने अपने कपड़े बदल लिए. बाथरूम में पेशाब करते हुए मुझे अपनी चूत में से सुगन्धित पानी निकलता मिला. मैंने हमेशा की तरह ढीली-ढाली टीशर्ट पहन ली. मै रात में कोई ब्रा और जाँघिया नहीं पहनती थी. मेरे दीमाग में मनू भैया का लंड नीलम भाभी की चूत के अंदर घुसने की*छवि समा गयी थी. मैं बिलकुल सो नहीं पाई. आखिर में मैंने हार मान ली. मेरे वासना से गरम मस्तिष्क ने हर किस्म का ख़तरा उठाने का इरादा कर लिया.

मैंने गरम पश्मीना शौल ओड़ कर कमरे से निकल पड़ी. जिस बंगले में मनू भैया और नीलम भाभी की सुहागरात का इंतज़ाम किया गया था उसके बाहर एक खिड़की थी जो एक संकरे गलियारे की वजह से दूर से नहीं दिखती थी.


मैंने धीरे से गलियारे में पहुँच कर धीरे से खुली हुई खिड़की को धक्का दिया. फूलों की माला से खिड़की बंद ही नहीं हुई थी. बाहर अन्धेरा था. अंदर मंद बिजली थी.


मैंने अपनी शॉल कस कर अपने शरीर पर लपेट ली,वायू में थोड़ी सी ठण्ड का अहसास होने लगा था. यदी कोई भी मुझे भैया-भाभी के कमरे में झांगते हुए देख लेता तो मेरी सारी ज़िन्दगी शर्मिन्दिगी से भर जाती. पर मेरी कामवासना और उत्सुकता ने मेरे डर को काबू कर लिया.


कमरे में नीलम भाभी बिलकुल वस्त्रहीन थीं. उनके बड़े मुलायम उरोज़ मनू भैया के हाथों में थे. मेरा जिस्म बिलकुल गरम हो गया. मनू भैया ने अपने मूंह में नीलम भाभी का बायां निप्पल ले लिया. मनू भैया, लगता था कि वो ज़ोर से भाभी का चूचुक चूस रहे थे. नीलम भाभी के मूंह से सिसकारी निकल पडी. नीलम भाभी का चेहरा बिलकुल साफ़ साफ़ तो नहीं दिख रहा था पर फिर भी उनकी आधी बंद सुंदर आँखें और आधा खुला ख़ूबसूरत मूंह उनकी काम-वासना और आनंद को दर्शा रहे था. मैंने हिम्मत करके खिड़की थोड़ी और खोल दी.


मनू भैया ने नीलम भाभी का सारा शरीर चुम्बनों से भर दिया. दोनों ने फिर से अपने खुले मूंह ज़ोर से एक दुसरे के मूंह से चिपका दिए. भैया के दोनों हाथ भाभी के दोनों चूचियों से खेल रहे थे. भाभी का हाथ भैया के पजामे के ऊपर पहुँच गया और भैया के लंड को सहलाने लगा.

मेरी छाती हिमालय की चोटी के सामान शॉल में से उभर रही थी. मेरी सांस तेज़-तेज़ चलने लगी. मुझे अपनी जांघों के बीच में गीलापन का अहसास होने लगा. मेरा दायाँ हाथ अपने आप मेरी बाये उरोंज़ को सहलाने लगा. मेरा निप्प्ल बहुत जल्दी लंबा और सख्त हो गया. मेरा चूचुक [निप्पल] बहुत संवेदनशील था और मेरा हाथ के रगड़ से मेरे बदन में बिजली की लहर दौड़ गयी. मैंने बड़ी मुश्किल से अपने मूंह से उबलती सिसकारी को दबा पाई.


अंदर कमरे में भाभी ने भैया का पजामा खोल कर नीचे कर दिया था. भाभी अपने घुटनों पर बैठीं थी और उनका मूंह भैया की जाँघों के सामने था. भैया के शक्तिशाली मज़बूत नितम्ब आगे पीछे होने लगे. मेरा दिल अपने भैया का नंगा बदन खाली पीछे से देख कर ही धक्-धक् करने लगा. नीलम भाभी के मूंह से उबकाई जैसी आवाज़ सुन कर मुझे लगi क भाभी भैया का लंड चूस रही थी. काश मैं भाभी का मूंह भैया का लंड चूसते हुए देख पाती.


नीलम भाभी ने मनू भैया का लंड काफी देर तक चूसा. भैया कभी-कभी ज़ोर से अपने ताकतवर नितम्बों से अपना लंड भाभी के मूंह में ज़ोर से धकेल देते थे. भाभी के मूंह से ज़ोर की उबकाई जैसी आवाज़ निकल पड़ती थी पर भाभी ने एक बार भी अपना मूंह भैया के लंड से नहीं हटाया.

मेरा हाथ अब मेरे उरोज़ को ज़ोर से मसल रहा था. मैंने अपना निचला होंठ, अपनी सिस्कारियों को दबाने के लिए अपने दातों में भींच लिया.

मनू भैया ने नीलम भाभी को अपने मान्स्ली मज़बूत बाज़ूओं में उठा लिया और प्यार से उनको बिस्तर पर लिटा दिया.

नीलम भाभी ने अपने दोनों टाँगे खोल कर अपने बाहें फैला दीं, "मनू अब मेरी चूत में अपना घोड़े जैसा लंड दाल दो. मेरे पिताजी ने कितने महीनो मुझे इस दिन का इंतज़ार करवाया है. अब तुम अपने लंड से मेरी चूत को खोल दो."
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार - by sexstories - 02-10-2018, 12:02 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,460,238 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,768 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,215,622 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 919,284 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,629,532 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,061,586 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,918,106 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,948,252 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,989,840 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,972 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 11 Guest(s)