Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
01-23-2018, 01:04 PM,
#26
RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--26

फ्रेश होने के बाद पूजा के रूम में कपड़े पहनने आई...साड़ी उठाई कि मेरी नजर पूजा की एक समीज सलवार पर गई जो क्रीम कलर थी और झीनी सी थी...पूजा ये सूट अब केवल घर पर ही पहनती थी...कॉलेज या कहीं जाती तो चुस्त कपड़े पहनती थी...

मैंने साड़ी वहीं रख सूट-सलवार निकाली..फिर पेन्टी पहनते हुए सलवार डाल के नाड़ा कसने लगी..काफी ज्यादा दिक्कत नहीं हुई पहनने में क्योंकि सलवार अक्सर बड़ी ही रहती है जिसे नाड़े से सही जगह एडजस्ट कर बाँधनी होती है...

दिक्कत थी तो समीज में...दिखने से ही काफी तंग लग रही थी...2 साल पुरानी थी,,,गांव में थी तभी अंकल ही दिए थे पर वहाँ भी ज्यादा नहीं पहन पाई थी...एक या दो बार ही पहनी थी, वो भी शादी में ही...

खैर मैं कुछ सोची फिर सर के ऊपर से डालने लगी...उफ्फ..सच में कितनी कसी थी....मुश्किल से पर आराम-2 पहन ही ली...ओफ्फो, मेरी तो पूरी बॉडी ही बँध गई थी...इतनी चुस्त थी कि अगर थोड़ी अंगराई भी लेती तो फट जाती...

खैर, पहनने के बाद शीशे के पास खड़ी हुई तो ओह गॉड...मेरी चुची इतनी भयंकर लग रही थी कि मैं खुद शॉक रह गई...एकदम बड़ी नींबू की तरह गोल शेप में आ गई थी..और मेरी भूरे रंग की निप्पल साफ झलक रही थी...

मेरे हाथ अनायास ही चुची पर चली गई...और फिर हाथों को ऊपर से हल्की दबाती हुई फिसलाने लगी...कुछ ही पलों में दोनों निप्पल कड़क हो गई और समीज को फाड़ने आतुर होने लगी...मैं मुस्कुराती हुई दोनों को चुटकी से मसल दी जिससे मैं तड़प कर सिसक दी...

मन ही मन सोच ली कि अब दोनों लंड वालों के सामने ऐसे ही जाऊंगी...फिर उनका हरकत देखूंगी...खासकर अंकल का कि उनमें कितनी हिम्मत है...फिर मैंने घड़ी पर नजर डाली तो अभी 5 बजे थे...अचानक कुछ याद पड़ते हीमेरे चेहरे की लाली बढ़ गई...

और फिर गेट के पास टंगी चाभी ली और बाहर ऐसे ही निकल गई...कैम्पस के मेन गेट खोली और दो कदम बाहर निकल सड़क पर नजरें दौड़ाने लगी..कहीं किसी का अता पता नहीं था...मैं वापस अंदर आई और मेन गेट को दो इंच के करीब खुली छोड़ फ्लैट की तरफ बढ़ गई...

अंदर आते ही पहले तो श्याम को देखने गई, जहाँ दोनों गहरी नीं में पड़े हुए थे...फिर दूसरे रूम में पूजा पर बाहर से ही परदा हटा झाँकी तो पूजा नंगी एक पतली जादर ओढ़े लुढ़की पड़ी थी...मैं वापस मुड़ पास रखी कुर्सी पर बैठ गई और रात की बातें याद कर सोच में डूब गई...

अचानक बजी बेल से मैं चौंकती हुई उठ खड़ी हुई...फिर गलियारे की तरफ मुड़नी चाही जहाँ से बेल बजने पर पहले मेन गेट पर देखती थी..पर रूक गई और फिर फ्लैट के गेट की तरफ कदम बढ़ा गेट खोली...सामने दूधवाला खड़ा था...

मैं गेट खुली छोड़ किचन में वापस आई और बर्तन ले दूधवाले के पास जाकर खड़ी हो गई..वो तो मुझे छोड़, मेरी चुची को मुंह फाड़े घूरे जा रहा था...मैं भी अंदर से मुस्काती हुई खड़ी हो उसके तरफ देखने लगी...कुछ पलों के बाद जब उसकी नजर मेरी नजर से टकराई तो वो सकपका सा गया...

पर मुझे मुस्कुराते देख वो भी हंस पड़ा...फिर बिना कुछ कहे नीचे दूध के केन में अपनी लीटर वाला बर्तन डाल दिया...फिर थोड़ा ऊपर होते हुए बोला,"नीचे झुक के लो मैडम वरना जमीन पर गिर जाएगा..." मैं उसकी तरफ देख हल्की मुस्कान लाती हुई अंदर से होंठों पर हल्की जीभ चलाती हुई झुक गई...

और बर्तन उसके केन के पास कर दी...झुकने से चुची दिखने वाली ढ़ीली समीज तो पहनी नहीं थी जो ये झुकने बोला...पर झुकने पर जो चुची जमीन पर गिरती प्रतीत होती है, वो मर्दों को ज्यादा लुभाते हैं...शायद इसी वजह से कहा होगा...

मैं और अपनी चुची को नीचे करने के ख्याल से कुछ ज्यादा नीचे हो गई, जिससे मेरा चेहरा ठीक उसके लंड के सामने पहुंच गया..मैं एक नजर डाली तो लंड धोती में ही ठुमके लगा रहा था..मैं मंद मंद हंस पड़ी....

तभी वो मेरी बर्तन में दूध उड़ेलने लगा...जैसे ही दूध पूरा डाला उसने अपना दूसरा हाथ मेरे सर पर रख हल्का दवाब देने लगा..मैं आश्चर्यचकित रह गई, फिर सोची थोड़ी देर और देखना चाहता है शायद...मैं बिना जोर किए हाथ में दूध लिए झुकी रही...

तभी उसने दूध मापने वाला हाथ मेरे सर पर रख दिया और वो हाथ हटा लिया...उस मापक से दूध की बूँदे मेरे बाल और पीठ पर पड़ने लगी...अचानक से अपना धोती में हाथ डाला और अगले ही पल उसका काला लौड़ा मेरे होंठो से टकराने लगा....

"चूससससऽ लो मैडम...आज के लिए एकदम ताजा है...."दूधवाले सित्कारते हुए अपना लंड धकेलते हुए बोला...और अब उसने एक हाथ नीचे से गर्दन पर रख दिया और दूसरा हाथ तो ऊपर से जकड़े हुए था ही...मेरे हाथों में दूध से भरी बर्तन थी जिससे मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी...

अगर दूध छोड़ती तो दोहरी नुकसान झेलनी पड़ती...क्योंकि लंड तो अब जाता ही मुंह में...मैं दूध के बर्तन पर पकड़ अच्छी से बनाई और साँस रोकती हुई लंड के लिए हल्की जगह दे दी...

पर इस हल्की जगह अगले ही पल बड़ी जगह में बदल गई और पूरा का पूरा लंड मेरे गले में उतर गया...मैं तड़पती हुई पीछे होनी चाही पर हो ना सकी..हाँ वो जरूर समझ गया जिससे अपना लंड हल्का पीछे खींच लिया...

मैं थोड़ी राहत की साँस ली..पर ज्यादा नहीं ले पाई..अगले ही पल दुबारा पेल दिया था..नैं हिचक पड़ी...पर मानने वाले था नहीं...छेद मिलते ही लंड पत्थर समान पत्थरदिल जो हो जाता है...वो इसी तरह हल्के-2 मगर तगड़ा शॉट लगाए जा रहा था...

कुछ ही देर में मेरी लार में सनी उसके लंड के प्रीकम बाहर टपकने लगी जो सीधी नीचे दूध में गिर रही थी...पर अब इस बात की खबर ना हमें थी और ना उसे...मेरी चूत भी गरम हो कर पिघलने लगी थी...

तभी उसने दोनों हाथ हटा लिए और मेरी बड़ी सी शेप लिए चुची को पकड़ लिया...अब चाहती तो पीछे हट सकती थी पर हट ना सकी...ऐसे पोजीशन में चुची पर पकड़ भी ढ़ंग से नहीं बन पाती है...

शांत मुद्रा में अपना मुंह खोली झुकी चुची रगड़वाते लंड खा रही थी वो भी दूधवाले का....वो अब दनादन मेरे मुखद्वार में अपना खूँटा गाड़े जा रहा था...दूध में गिर रही रस की मात्रा भी बढ़ रही थी...

करीब दस मिनट तक यूँ ही झुकी रही और वो पेलता रहा...अगर वो चाहता तो इतनी देर में चूत भी बजा सकता था पर नहीं...शायद धीरे धीरे बढ़ना चाहता हो...तभी एक करारा शॉट लगा और वो दांत भींचते हुए कांपने लगा...

उसके लंड ने फव्वारे छोड़ने शुरू कर दिए थे...इधर मेरी चूत भी नदी बहा दी....उसका लंडरस सीधा मेरे पेट में गिर रहा था...कुछ देर तक यूँ ही रूका रहा...फिर शांत हुआ तो वो अपना लंड बाहर खींचने लगा...

बाहर निकलने के क्रम में सॉलिड वीर्य की कुछ मात्रा नीचे टप्प की आवाज से दूध में गिरी...जिसे हम दोनों की हल्की हंसी निकल पड़ी..फिर मैं सीधी हुई...

वो भी अपना लंड धोती से ही पोंछा और अंदर छुपाते हुए बोला,"आज का दूध में ज्यादा विटामिन है मैडम...ऐसा दूध एक महीने तक लेगी तो पूरी फैमिली तंदुरूस्त हो जाओगी..." और फिर वो हंसने लगा...

मैं भी मुस्कुराती हुई बोली,"सांड़ कहीं का., ऐसे कोई करता है क्या? कोई देख लेता तो..." पर वो मेरी बात का जवाब दिए बिना ही हंसता हुआ दूध का के उठाया और नीचे चल पड़ा...मैं भी वापस किचन की तरफ चल दी...

किचन में दूध रखते ही गेट पर नॉक हुई...गेट बंद भी नहीं की थी...अब क्या लेने आया है? मैं ऐसे ही बड़बड़ाती गेट की तरफ चल दी...जैसे ही गेट पर खड़े व्यक्ति पर नजर गई कि मैं हड़बड़ाती हुई रूम में भागी दुपट्टा लेने...

मकान मालिक खड़े थे बाहर...उनका नाम तो नहीं जानती थी पर पहचानती थी..दुपट्टे को सीने पर रखी और चेहरे को साफ करती हुई वापस गेट पर आई और बोली,"नमस्ते जी.."

उनकी उम्र कोई 35 के आसपास थी...ज्यादा मोटे नहीं थे पर भरा हुआ शरीर था...बाल गोल्डेन कलर की थी और मूंछें तो सफाचट ही थी...निकर और टीशर्ट पहने हुए थे...शायद मॉर्निंग वॉक गए थे...और वो कुछ ही दूर आगे वाले घर में रहते थे...

मकान मालिक: "नमस्ते, वो मेन गेट रात में खुला छोड़ दिए थे क्या?" मैं उनकी बात सुनते ही ना में सिर हिला दी..जिससे उनके चेहरे पर आश्चर्य की लकीरें साफ उभर आई...फिर बोले,"दूधवाला को अभी यहाँ से ही निकलते देखा तो उससे पूछा..तो वो आपका ही नाम बताया कि यहां सिर्फ आप ही दूध लेते हैं तो...."

आगे उनको बीच में ही रोकती हुई बोली,"हाँ...दरअसल आज कुछ जल्दी नींद खुल गई तो नीचे टहलने गई थी और वापस आते वक्त गेट खोल दी थी..."

मकान मालिक: "ओह..फिर ठीक है पर एक बात का ख्याल रखिएगा..अंदर ऐसे लोगों को मत आने दीजिएगा..यही सब घर में गैरमौजूदगी का फायदा उठा लेते हैं...सब कुछ तो अंदर आ मुआयना कर ही लेते हैं, फिर बस मौके की तलाश में रहते हैं...बात को समझ रहे हैं ना.."

मैं उनकी बात समझ हाँ में सिर हिला दी...तभी वो मेरे चेहरे की तरफ आगे बढ़ काफी निकट आ खड़े हो गए, फिर मेरे एक तरफ झुक अंदर देखने लगे...मैं कुछ नहीं समझ पा रही थी कि अब क्या देख रहे हैं...

अंदर देखने के बाद वो फिर सीधे हुए और अगले ही क्षण अपनी एक अंगुली मेरी होंठ पर घिसते हुए हटा लिए...मैं हैरानी से पीछे हटती उन्हें देखने लगी...और फिर वो उसी अंगुली को अपनी नाक से सूंघे, ओह कहते हुए अपनी अंगुली तुरंत ही हटा लिए...

अब मैं सोच में पड़ गई कि क्या कर रहे हैं? यही सोच अपनी अंगुली जब होंठ पर लाई तो कुछ चिपचिपा महसूस हुआ...ओह गॉड...मर गई...मैं वापस मुड़ी ही थी कि उसने मेरी बाँह पकड़ हमें रोक दिए...

और फिर अपनी वही अंगुली एक ही झटके में मेरे मुँह में डालते हुए नजदीक सटते हुए बोले,"आज पहली बार है इसलिए वार्निंग दे रहा हूँ बस...अगर आगे से ऐसी घिनौनी हरकत की तो सीधा घर से बाहर...ये कोई रंडीखाना नहीं, मेरा घर है...और बाहर करने से पहले तेरा वो हश्र करूंगा कि जिंदगी भर हमें याद रखोगी...समझी..."

और फिर अंगुली मेरे मुँह से निकाल मेरी दोनों चुची के बीच की दरार में घुसा पोंछने लगे समीज में...मैं चौंक कर रह गई.. और फिर बाहर की तरफ खींच अंगुली नीचे एक चुची पर होते हुए सरका दिए... जिससे मेरी चुची पूरी तरह दब गई...मेरे मुंह से हल्की आह निकल गई....फिर वो मुझे ऊपर से नीचे एक बार घूरे और वापस निकल गए...

उफ्फ...ये क्या मुसीबत आ गई...अगर श्याम से शिकायत कर दिए तो वो गुस्से से बौखला जाएंगे...उन्होंने मस्ती की प्रमीशन दिए थे, ना कि इज्जत कबाड़ा करने की...मन ही मन सोच भी ली थी कि आज से ऐरे-गैरे से तौबा...

मैं गेट बंद कर वापस गलियारे की तरफ बढ़ गई जहाँ से सड़क साफ दिखती है...

सड़क पर नजर दौड़ाई तो वे जा रहे थे...कुछ देर तक रूकी रही...तभी वे अचानक मेरे फ्लैट की तरफ पलटे..मेरी नजर मिलते ही मैंने झट से अपने दोनों हाथों से कान पकड़ माफी मांगने लगी...पर वो बिना कोई जवाब दिए वापस मुड़ चलते रहे...

आँखों से ओझल होने के बाद मैं भी वापस आ गई....चाय बना कर सभी को जगाती हुई दी..फिर मैं किचन में घुस गई...श्याम मुझे देखे तो उनका मुंह खुला का खुला रह गया...अंकल भी काफी मेहनत से खुद पर कंट्रोल कर रहे थे...

श्याम नाश्ता करने के बाद रूम में जाते ही मुझे आवाज दिए...मैं अंदर ही अंदर समझ गई थी क्यों बुला रहे हैं..बाहर निकली तो देखी अंकल नहीं है और बाथरूम से पानी की आवाजें आ रही है...मैं मुस्काती हुई अंदर गई...

"आउच्च्च्च्च....छोड़ो ना..क्या कर रहे हैं..."अंदर घुसते ही श्याम मुझे कस के दबोच लिए जिससे मैं उछल पड़ी...पर वो हंसते हुए मेरे गाल काटे जा रहे थे...कितनी भी कोशिश कर ली पर श्याम रूके तो अपनी मर्जी से ही...

श्याम: "गजब की माल लग रही हो डॉर्लिंग...जब से देखा हूँ तब से पप्पू खड़ा ही है...पता नहीं आज दिन भर कैसे रोकूंगा...वैसे मेरे जाने के बाद अंकल तुझे नहीं छोड़ने वाले.."

मैं भला क्या बोलती...बस हंस दी..फिर बोली,"वैसे आप अपने पप्पू का क्या करेंगे आज दिन भर...कहो तो जब तक अंकल अंदर हैं तो शांत कर दूँ.." और अपनी जीभ अपने होंठो पर फेर कर इशारा कर दी कि कैसे शांत करूंगी....

श्याम: "थैंक्स जान, पर लेट हो रहा हूँ वर्ना...वैसे जुगाड़ कर लूंगा मैं...अब चलता हूँ..." कहते हुए गुडबाय किस करते हुए मेरे होंठ से चिपक गए...कुछ देर बाद किस टूटी तो वे अलग होते हुए अपना बैग उठाते हुए बोले,"जान, आज नाइट शो चलेंगे मूवी देखने...तुम दोनों तैयार हो के रहना..."

मैं उनकी बात सुनते ही खुश होते हुए बोली,"थैंक्यू जान, जरूर रहूंगी..पर हाँ बाहर अपने पप्पू की सेवा ज्यादा मत करवाना, मेरे लिए भी बचा के रखना..."

श्याम: "ओके पर आज के लिए सॉरी...कोई ना कोई रंडी जरूर चोदूंगा...तुम हाल ही ऐसी कर दी...पर तुम टेंशन मत लेना,,तुम्हारे लिए तो ये हर वक्त तैयार रहता है..."कहते हुए श्याम बाहर की तरफ निकल गए...पीछे से मुस्कुराती हुई बॉय बोल जल्दी आने कही...

कुछ ही देर में किचन का काम तमाम कर मैं अपने बेडरूम में आ गई..तभी बाथरूम से अंकल तौलिया में निकले और सीधे मेरे पास आ गए...आते ही तौलिया दूसरी तरफ फेंके और अपना लंड मेरे होंठ के पास रख दिए...

मैं हंसती हुई अंकल की आँखों में देखती चूसने लगी..अंकल की आहह निकल पड़ी...आखिर काफी देर से इंतजार में जो थे...तभी अंकल मेरे बालों पर हाथ फेरते हुए बोले,"सीता,आज शाम को फ्री हो क्या?"

"मैं तो फ्री ही रहती हूँ अंकल..." मैं लंड को हाथ से पकड़ बाहर निकालते हुए जवाब दी और वापस मुंह में डाल चूसने लगे...फिर अंकल बेड पर बैठ गए और मुझे जमीन पर बैठा सर पर हाथ फेरते हुए लंड चुसवाने लगे...

अंकल: "दरअसल आज एक नई गाड़ी लेने जा रहा हूँ...वो अब पुरानी हो गई है तो उसे गांव में दे दूँगा किसी को चलाने...तो आज शाम हम दोनों अकेले घूमने कहीं जाएंगे,थोड़ी पार्टी करेंगे और फिर रात साथ गुजारेंगे हम और सुबह तुम्हें छोड़ देंगे...श्याम को कह देंगे कि एक पार्टी में गए थे,,लेट होने की वजह से रूक गए थे...चलोगी..."

वॉव, मैं तो अंदर ही अंदर काफी खुश हो गई थी...वैसे श्याम मना तो नहीं करते पर इनसे पहले वो ऑफर कर चुके थे मूवी चलने की...सो उन्हें मना नहीं नहीं कर सकती थी...मैं पुनः लंड को हाथ से हिलाती हुई बोली,"थैंक्स अंकल, पर वो क्या है ना..अभी श्याम बोल के गए हैं कि शाम में मूवी चलेंगे सो प्लीज फिर कभी...उन्हें ना नहीं कर सकती..."

अपनी बात कहने के बाद मैं अंकल की ओर देखने लगी...फिर अंकल मेरे सर को पीछे से पकड़ लंड की ओर धकेल दिए, जिससे मेरे मुंह में पुनः लंड समा गई...

अंकल: "ओके जानू, कोई बात नहीं...हम अगले दिन चले जाएंगे..ओके..." अंकल की बात का जवाब मैं तेजी से लंड को चूस कर दे दी..जिससे अंकल की साँसे अब तेज होने लग गई..

फिर कोई बात नहीं हुई...कोई 5 मिनट बाद अंकल तेज आवाज किए और पूरा पानी मुझे पिला दिए..मैं चटकारे लेती लंड के अंदर बाहर सारा पानी चट कर गई...फिर अंकल मेरी चुची पर किस किए और चलने की बात कह कपड़े पहनने लगे...

मैं उनके लिए खाना लगा दी...अंकल तैयार हो कर नाश्ता किए और बॉय बोल निकल गए..फिर मैं भी खाना खाई और पूजा के रूम की तरफ चल दी..पूजा की नींद मेरी आवाज से जैसे ही खुली वो मुझ पर टूट गई...

काफी देर तक किस के बाद मैंने शाम में मूवी चलने की बात बताई, जिसे सुन वो भी काफी खुश हुई..फिर फ्रेश हो खाना खाई और हम दोनों साथ आराम करने एक-दूसरे को बांहों में समेट सो गई...
_______[......क्रमशः]_______ 
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RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की - by sexstories - 01-23-2018, 01:04 PM

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