RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--25
श्याम के जाते ही मैं पूजा पर चढ़ गई और उसके गाल काटती हुई बोली,"हाय मेरी बहना, ये क्या हो गया....हम लोग एक निवाला को तरस रहे थे, वहीं अब पूरी थाली मिल गई.."
पूजा चीखती हुई हंसी और बोली,"यस दीदी जी, अब तो बाहर भी मस्ती और अंदर भी..." फिर हम दोनों एक जोरदार किस किए...काफी देर बाद किस रूकी तो मैं उठी और बोली,"अब अपनी बूर की जुगाड़ कर के आती हूँ...तब तक तुम नंगी हो जा मेरी बुल्लो..."
पूजा ओके कहती हुई कपड़े खोलने लग गई और मैं बाहर दूसरे रूम की तरफ चल दी जहां मेरे पति के साथ अंकल सो रहे थे, उन्हें जगाने...
अंकल बेसुध हो पड़े लम्बी लम्बी खर्राटे भर रहे थे जबकि श्याम दूसरी तरफ मुँह किए सोने का नाटक कर रहे थे..मैंने धीमे से अंकल के पास बैठते हुए झुकी और अपने दांत अंकल के गालों पर भिड़ा दी...
श्याम अगर नहीं जानते तो मैं कभी हिम्मत नहीं करती ऐसा करने की, पर अब तो डर नाम की कोई चीज तो बची ही नहीं थी..मेरे दांत गड़ते ही अंकल हड़बड़ कर "कौन है" कहते हुए उठ बैठे...जिसे देख मैंने फौरन अपने हाथ अंकल के मुँह पर रख दी और बोली,"अंकल...मैं सीता. चलो उस रूम में.. "
अंकल मुझे देख हैरानी से उनकी आँखें फट गई..वे कभी सोए श्याम को देखते तो कभी मेरी तरफ...उन्हें ऐसा देख मैंने उनकी बाँह कस के पकड़ी और खींचते हुए इस रूम में ले आई...
रूम में आते ही मैं उनसे कस के लिपट गई और अपने होंठ उनके होंठ पर रखती बेतहाशा चूमने लगी...अंकल को कुछ समझ नहीं आ रही थी कि आखिर ये हो क्या रहा है..पर कब तक समझने की कोशिश करते...आखिर वे दिमाग चलाना छोड़ अपने जीभ मेरे मुँह के अंदर चलाने लगे...
तभी एक और जीभ मेरे गालों से सटती हम दोनों के होंठों के बीच आ गई..ये पूजा थी..अंकल ने पूजा को अपनी ओर भींच जगह दे दिए और अब हम तीनों अपनी - 2 जीभ टकरा के खेल रहे थे...
और अंकल के दोनों हाथ बारी-2 से हम दोनों की चुचिया मसल रहे थे...चुसाई के बीच चुची में हो रही दर्द से हम दोनों आनंदमयी मस्ती की गली में घूम रही थी...अचानक अंकल हम दोनों को अलग किये और अपने तन पर की एक-दो कपड़े खोल दिए...
बस फिर क्या था..अंकल के आदेश का इंतजार किए बिना ही मैं और पूजा एक-साथ नीचे उनके विशाल लंड की तरफ लपकी...सच काबिल-ए-तारीफ था अंकल का लंड..एकदम लोहे की तरह कड़क...ऊपर टमाटर इतनी बड़ी लाल सुपाड़ा...साइज करीब 9 इंच...
मैं हाथ में जैसी ही ली कि मेरी बुर से कामरस टपकने लगी..और मेरी जीभ से लार टपकने लगी...अनायासतः अंकल के हाथ मेरे सर को हल्के दबाव देने लगे...
बदले में मैं किसी चुम्बक की तरह लोहे की तरफ खिंचती चली गई और अब मेरे मुँह के अंदर गरम गरम रॉड समाई हुई थी...काफी उत्तेडक दृश्य थी...पूजा नीचे से आधे लंड को जीभ से सेवा दे रही थी और मैं जितनी तक हो सकी अंदर की हुई सेवा कर रही थी...
ऊपर अंकल आकाश की तरफ मुँह किए आहें भर रहे थे...काफी देर तक अंकल को हम दोनों एक पर एक तरीके से मुँह से सुख दे रहे थे...अब शायद अंकल की सहन शक्ति जवाब देने वाली थी...अचानक वे पूजा को एक तरफ कर दिए और मेरे बाल पकड़ कर तेज तेज शॉट मारने लगे...हचाक...हचाक की तेज आवाजों के साथ मेरी आँखें निकलने लगी और मेरी गले की नस नस खींचने लगी थी...
आँखों से आँसू की धार फूट कर बाहर निकलने लगी थी...पर अंकल इन सब चीजों को अनदेखा कर धमाधम मेरी होंठो को चीरते धमाका किए जा रहे थे...मेरे मुँह से ढ़ेर सारी लार बह कर नीचे मेरी पर्वतनुमा चुची से टपकती जमीन पर गिर रही थी और पसीने से नहा गई थी....
तभी अचानक से अंकल अपना लंड बाहर कर लिए और तेज साँसें लेने लगे और मेरी तो जान में जान आ गई...मैं सर नीचे कर हाँफ रही थी...कुछ देर बाद जब थोड़ी शांत हुई तो नजर ऊपर की तो उफ्फ्फ...अंकल का लंड को अब और विकराल लग रहा था...
अंकल अभी झड़े नहीं थे...शायद वो झड़ना नहीं चाहते थे तभी लंड बाहर कर लिए...वर्ना अगर दो धक्के भी और लगते तो वे झड़ जाते...बगल में पूजा अंकल से पूरी तरह वाकिफ अपनी टांगें चौड़ी किए बुर में अंगुली घुसा कर अंदर बाहर कर रही थी और चुची मसल रही थी...
फिर अंकल मुझे उठाए और बेड पर धक्का दे दिए..मैं गिर पड़ी पीछे की तरफ जिससे मेरी टांगे जमीन पर थी और मेरी भींगी हुई चूत बेड के किनारे पर ऊपर की तरफ थी...अंकल मेरे गिरने के साथ ही मुझ पर झुकने लगे और अगले ही पल उनका 9 इंची लंड सटाक से मेरी बुर में समा गया....
मैं "आहहहह श्याम..." करती चिल्ला पड़ी...जिससे डर के मारे अंकल मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिए...सच में इतनी देर से पानी में फूल रही लंड काफी मोटा हो गया था और एक ही बार में पूरा जाने से मेरी बुर तो फट ही गयी थी...मुझे तो अजीब लग रही थी कि लगातार लंड की साईज बढ़ती ही जा रही थी और पहली बार सबके साथ लगती आज ही मेरी सील टूटी है...
कुछ देर तक मेरी निप्पल को दांतों से कुरेद कर मेरी दर्द को कम करते रहे...जब कुछ दर्द कम हुई तो मैं नीचे अपनी बुर को ऊपर कर लंड की रगड़ पाने की कोशिश करने लगी..जिसे अंकल तुरंत समझ गए कि अब सब ठीक है, अब गाड़ी को बढ़ाना चाहिए...
फिर अंकल मेरी चुची पर एक लम्बे चुप्पे मारे और सीधे हो गए...वे इतनी सरलता से सीधे हुए कि उनका लंड आधी इंच भी बाहर नहीं निकली..पर पूरे खड़े नहीं हो पाए थे....
उन्होंने तकिया बगल से खींचा और पूजा की तरफ उछाल दिए...पूजा समझदारी दिखाई और तकिया लेती हुई मेरे निकट आई...तभी अंकल ने मेरी कमर को थोड़ा ऊपर किए..उसी समय पूजा तकिया मेरी गांडं के नीचे घुसा दी...
वॉव...अब अंकल बिल्कुल ही सीधे हो पा रहे थे. .और साथ ही मैं अपनी बुर में घुसे लंड को साफ देख रही थी...तभी अंकल मेरी कमर दोनों हाथों से जकड़ लिए जिससे उनके दोनों अँगूठे मेरी नाभी के पास मिल रही थी...
और फिर अपना लंड बाहर खींचना शुरू किए, जब सिर्फ सुपाड़ा निकलनी बची थी कि तभी रॉकेट की गति से वापस अंदर कर दिए...आउच्च्च...कितनी भयंकर थी ये प्रयोग...मैं कसमसा कर रह गई...
फिर ठीक उसी तरह हौले-2 बाहर निकालना और फिर तड़ाक से अंदर घुसेड़ देना...काफी असहनीय, पर लाजवाब थी मेरे लिए...मेरी बुर की नस नस बिखर जाती थी...ऐसी लग रही थी कि मेरी बुर कतरी जा रही है...
उनके तेज धक्के से मैं बार -2 पीछे की तरफ खिसक जाती थी...मेरी बुर से पानी की पतली धारें निकलनी शुरू हो चुकी थी..मैं आतुर हो गई थी अब लगातार ऐसी ही अपनी बुर को कतरवाऊं...
अंततः मैंने अपने पांवों को मोड़कर अंकल के चूतड़ को जकड़ ली ताकि ना फिसलूं अब...और साथ ही लंड को ज्यादा से ज्यादा अपनी चूत में कर सकूँ...मुझे ऐसा करते देख अंकल मुस्कुराते हुए पूजा की तरफ देखे और...
तभी पूजा झुकती हुई मेरी बुर के पास आई और अपनी जीभ लपलपाती हुई मेरी बुर पर रख दी..जिससे वो मेरी बुर के साथ-2 लंड का भी स्वाद चख रही थी...ऊपर पूजा के हाथ बढ़कर मेरी चुची को मसलने लगी...
और अंकल अपने काम में लग गए...वे धीरे-2 पर लगातार लंड मेरी बुर में चलाने लगे...जिसे पूजा बड़ी सफाई से अंकल के लंड का स्वाद चख रही थी...मैं इस दोहरी मार को नहीं झेल पा रही थी और सिसकी लेती हुई अपने सर बाएँ-दाएँ करने लगी...
कुछ ही पलों में अंकल की स्पीड काफी तेज हो गई....उनका लंड सटासट मेरी बुर को छलनी किए जा रहा था...बीच-2 में उनका लंड पूरा बाहर आ जाता तो अगला शॉट सीधा पूजा के गले में उतर जाती....
ओफ्फ...काफी उत्तेजक थी ये पोजीशन...मैं इस तरह की खेल में नई थी तो झेल नहीं पाई और नदी की बाँध टूट गई...जिसे पूजा कुतिया की तरह चट कर गई...पर अंकल की स्टेमिना लाजवाब थी..वो अब दुनिया से बेखबर लगातार मेरी धज्जियाँ उड़ा रहे थे...
अब तो वे जान बूझकर भी अपना लंड बाहर खींचकर पूजा के मुँह को बूर बना कर पेल देते...5 शॉट पूजा के मुख में तो 10 शॉट मेरी चूत पर लगती...तभी अंकल और जोर से शॉट लगाने लगे, शायद चरम सीमा की तरफ बढ़ रहे थे...
अंकल : "आहहहह...शाबासऽ मेरी पूजाऽ राण्डडडडडऽऽ...ऐसे ही अपने मुँह खोल के रखा कर कुतिया....ओहहहहह...याहहह..याह...याहहह....यस मेरी सीता रानीईईईऽ आज से तू भी मेरी रखैलऽलऽलऽलऽ... है शाली...."
मैं भी अब अपना नियंत्रण खो चुकी थी..अंकल के साथ मैं भी बड़बड़ाने लगी,"हाँ अंकअअलऽऽ मुझे अपनी रखैल बना लोओओओ....रण्डी हूँ आपकी.ई.ई.ई..आहहह याईईई...हाँ अंकललल...ऐसे ही...और जोर से चोदो अपनी कुतिया कोओओ...आहहह.."
इधर पूजा अपने भींगे चेहरे से लगातार मेरी चूत से निकल रही पानी को सोख रही थी...मेरे हाथ अब बढ़ के पूजा के बाल पकड़ कर अंदर बूर की तरफ धकेल रही थी और पूरे कमरे में मेरी और अंकल की चीखें गूँज रही थी...
एक बारगी मेरे मन में इच्छा हुई कि श्याम को देखूं...जरूर गेट पर छुप के देख रहे होंगे...पर आँखें खोली तो सामने अंकल का विशाल मांसल पेट नजर आया...फिर अपनी आँखें बंद कर मस्ती में श्याम को भुला खो गई...
तभी अंकल एक हुंकार से लबालब चीख मारी और बड़बड़ाते हुए मेरी बुर में अपना पानी डालने लगे...
अंकल: "ले रंडी, मेरे लंड का पानी अपनी बुर में लेएएएऽ..आहहहह..पहले तेरी सास की बुर में डालाआआआऽ...फिर तेरी ननद पूजा के बूर मेंऐऐएऽ...और अब तेरी बूर को भर रहा हूँ...आहहहह...आहहहह..."
मैं अंकल के साथ ही झड़ रही थी पर झड़ने से ज्यादा विचलित अपनी सास के बारे में सुन के हो गई थी...क्या अंकल सबको चोदते हैं....झड़ने के साथ ही अंकल मेरे शरीर पर औंधे मुँह लेट कर हाँफने लगे...मैं भी हांफती हुई अंकल को बांहों में भर ली...
कुछ देर बाद जब आँख खुली तो मेरी नजर सीधी गेट की तरफ गई जहाँ श्याम बिना हिचक के अंदर आ अपने लंड को मसलते बीवी को चुदते देख रहे थे...मेरी नजर मिलते ही वो मुस्कुराते हुए अपना अंगूठा ऊपर की तरफ करते हुए वापस सोने चले गए...ये देख मैं भी हौले से हँस पड़ी...
वापस पूजा की तरफ देखी तो वो लाल आँखें किए अंकल को घूरे जा रही थी...शायद मम्मी के बारे में सुन उसे भी शॉक लगी थी...
कुछ देर बाद जब अंकल साइड हुए तो पूजा को अपनी तरफ यूँ देख सकपका गए, पर जल्द ही माजरा समझ गए...फिर भी अंकल अनजान बन मुस्कुराते हुए पूछे,"क्या हुआ डियर?"
पर पूजा तो बस यूँ ही घूरे ही जा रही थी...मैं पूजा को ऐसे देख उठी और उसके बालों को सहलाती हुई बोली,"सॉरी पूजा, पर इसमें तुम्हारी गलती नहीं है..जैसे हम दोनों चाहते थे, शायद वैसे भी मम्मी जी भी चाहती हों...हाँ अंकल आपको ऐसे नहीं बोलना चाहिए था..."
अंकल: "क्यों? पूजा नहीं जानती है थोड़े ही...नाटक करती है तुम्हारे सामने...पता है दोनों माँ-बेटी को कई बार एक साथ चोद चुका हूँ पूछ इससे...अब अगर तुम भी जान गई तो इसमें प्रॉब्लम क्या है...वैसे इस घर की बात इसी घर में रहती हो, ये पूजा अच्छी तरह जानती है..और हाँ.. पूजा की बूर पेलते वक्त इसकी माँ बड़े ही मजे से मेरा लंड चूसती है, जैसे आज ये चूस रही थी..." और फिर अंकल पूजा की नंगी बूर पर अंगूली फेरने लगे...
मैं अंकल की बात सुनते ही शॉक हो गई कि ये क्या माजरा है...मेरे जेहन में एक डर समा गई कि कहीं मम्मी जी मेरे बारे में सुन....वो करते हैं वो अलग बात है पर मैं.....वो भी ससुर के साथ...मैं पूजा की तरफ देखती सोच में पड़ गई...
तभी अंकल बोले," तुम क्या सोच रही हो सीता....डरो मत वो ऐसा वैसा कुछ नहीं करेगी अगर जान गई तो...और हाँ तुम अब गाँव आएगी तो तेरी देखना तेरी सासू माता ही तुम्हारी बूर में लंड डालेगी...."
मैं ये सुनते ही शर्म से नीचे कर ली...उसी पल पूजा अंकल के सीने पर एक चपत लगाते हुए हँस पड़ी...जिससे अंकल भी हँस पड़े...मैं उन दोनों को हंसते देख नजरे ऊपर की तो मेरी नजर सीधा अंकल के लंड पर पड़ी जो हॉट बातें सुन अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी...
खड़े लंड को देखते ही मेरी बुर में हरकत होनी लगी और ललचाई नजरों से अपनी जीभ फेरने लगी होंठो पर...अंकल की नजर मुझ पर पड़ते ही उन्होंने अपना पंजा मेरे गालों पर रख अंगूठा मेरे होंठ पर रख दिए...मैं तुरंत ही आँखें बंद करती अँगूठे को लंड समझ अंदर की और चुसने लगी...
अंकल: "एक बात तो है पूजा,आज तक मैंने ना जाने कितनी रण्डियाँ चोदी है, पर इसके जैसी गरम रण्डी आज तक नहीं मिली..." और तभी अंकल एक झटके से अपना अंगूठा खींच लिए जिससे मैं नशीली और प्यासी नजरों से अंकल की तरफ देखने लगी...
अंकल तभी घुटनों के बल खड़े होते हुए बोले,"चल, कुतिया बन जा मादरचोद..." और मैं सुनते ही किसी दासी की तरह फौरन कुतिया बन गई और अपनी गाँड़ अंकल के लंड की तरफ कर दी...
अगले ही पल अंकल का लंड मेरे गांड़ों के छेद पर महसूस हुई...मैं सिहरती हुईअपनी आँखें भींचती हुई दांत पीस ली अगली वार को सोच कर...
और पूजा आगे बढ़ झुकी और मेरी मुंह में अंगुली डाल निप्पल को अपने मुंह से चूसने लगी...कि तभी एक जोरदार धक्के लगे...मेरी चीख गूँजने से पहले ही पूजा के हाथ मेरे मुंह सील दिए...अंकल जड़ तक लंड पेले मेरी चूतड़ को थपथपा रहे थे...मेरे आँसूं बेड पर बह रही थी...
कुछ पल तक अंकल स्थिर रहे, फिर लगे पेलने...और मेरी बुर से भी बदतर हाल 5 मिनट में ही कर दिए...और फिर कुछ देर बाद तेज धक्के लगाते हुए अपना लंड की टोटी खोल मेरी गांड़ को भरने लगे....
फिर अंकल जैसे ही लंड बाहर खींचे, मैं धम्म सी बेड पर बेहोश गिर पड़ी...अंकल कुछ देर बाद आराम किए फिर पूजा की भी मस्ती में दमदार चुदाई किए...मैं कुछ देर बाद उठी और उन दोनों की हेल्प की, जैसे पूजा कर रही थी...पूजा की भी बूर-गांड़ की अच्छी धुलाई किए अंकल ने....सुबह 4 बज गए गए थे चुदाई करते-करते...
फिर अंकल वापस अपने कपड़े ले श्याम के पास सोने चले गए...जबकि कुछ ही पल में पूजा नंगी ही नींद की आगोश में समा गई...कुछ ही देर में सुबह होने वाली थी या यूँ कहिए सुबह हो गई थी...
मैंने दिन में ही सोने की सोच बाथरूम की तरफ नंगी ही चल दी...
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