Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
01-23-2018, 12:50 PM,
#7
RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की
सीता --एक गाँव की लड़की--7

श्याम कुछ देर लेटे लेटे ही चूमते रहे। मैं एक नागिन की तरह मचल रही थी। अगले ही पल श्याम के हाथ मेरी साड़ी खोलने लगे और चंद घड़ी में ही साड़ी अलग पड़ी हुई थी।ब्लॉउज कब निकली ये तो मुझे भी नहीं मालूम।सिर्फ पेन्टी में पड़ी मस्ती के सागर में लगातार गोते लगा रही थी।
श्याम के होंठ मेरी नाभी को कुरेदने लगे थे।श्याम के बाल पकड़ मैं अपने सिर को बाएँ दाएँ करते हुए तड़प रही थी।कुछ देर मेरी नाभी से खेलने के पश्चात श्याम नीचे की तरफ बढ़ने लगे। उनकी गर्म साँसें अब मेरी भीँगी हुई चूत से टकरा रही थी।श्याम के मुँह से मदहोश सी आह निकल पड़ी। वे अपनी उँगली पेन्टी में फँसाते हुए नीचे करते हुए मुझे जन्मजात नंगी करने लगे। अगले ही पल श्याम अपनी दो उँगली मेरी चूत की छोटी सी फाँक पर नीचे की तरफ हौले से चलाने लगे। मैं गुदगुदी और उत्तेजना से मचल उठी। मैं सहन नहीं कर पा रही थी, तेजी से उनके हाथ पकड़ के उन्हें रोक दी।
हाथ रुकते ही वे अगले हमले करते हुए अपने होंठ मेरी चूत में चिपका दिए। मेरी चीख छूटने लगी।पर वे रुकने के मूड में नहीं थे। जीभ से मेरी चूत को कुरेदने लगे थे। मैं अब उनके हमले सहन नहीं कर पा रही थी। उनके बाल पकड़ती हुई बोली," प्लीज श्याम, अब और नहीं वर्ना मैं मर जाऊंगी।" और मैं लगभग रोने सी लगी थी।
श्याम भी मेरी हालत शायद समझ गए। उन्होंने मेरे दोनों पैर उठा बेड पर रखते हुए मेरी गर्दन पकड़ते हुए किनारे में सीधी लिटा दिए। अपना अंडरवियर अलग करते हुए मेरे पास आते हुए बोले,"जान प्लीज आज मेरा भी चुस दो ना" कहते हुए अपना लण्ड मेरे नाक के निकट ला दिए।
"नहीं,क्रीम लगा लीजिए ना प्लीज।"
"प्लीज, चुस नहीं पाएगी तो कम से कम अपने मुँह में एक बार भर लो सिर्फ। थोड़ी भी गीली हो जाए तो क्रीम लगाने की जरूरत नहीं होगी।"
मैं उनके तरफ देखी तो काफी तड़पे हुए लग रहे थे। फिर मेरी नजर उनके लण्ड पर पड़ीं जो कि प्रीकम से चमक रही थी, मैंने अगले ही पल अपने होंठ खोलते हुए लण्ड को मुँह में भर ली।उनके मुँह से एक तड़प से भरी आहहहह निकल गई। मुझे कुछ ही क्षण में उबकाई सी आने लगी पर किसी तरह उनके आधे लण्ड को मुँह में भर चूसती रही। चंद घड़ी चुसने के पश्चात लण्ड निकालते हुए बोली,"प्लीज, अब और नहीं।"
श्याम ओके कहते हुए मुझे एक बार फिर जांघो के नीचे हाथ रखते हुए पहले वाली पोजीशन में कर दिए।
फिर अपना लण्ड मेरी चूत से सटाते हुए रगड़ने लगे। मैं अब पूरी तरह से मचल गई। मैं अपने पैर उनके कमर में कसते हुए उनका लण्ड चूत के अंदर करने की कोशिश करने लगी।
मेरे इस प्रयास से उनका सुपाड़ा मेरी चूत में फँस गई। अगले ही क्षण वे मेरी दोनों चुची को अपने हाथों में भरते हुए जोरदार धक्का दे दिए। मैं आहह.ह.ह.ह.ह.ह.ह.ह करती हुई जोर से चिल्ला पड़ी। उनका पूरी लण्ड मेरी चूत में जा समाई थी। अगर वे मेरी चुची को नहीं पकड़ते तो शायद मैं पीछे दीवार से जा टकराती।
कई बार चुदी होने के बावजूद मेरी चूत में अभी भी दर्द हो रही थी। ऊपर से मेरी चुची को कस के पकड़ने से मेरी दर्द दुगुनी हो रही थी। पर आज मैं दर्द को पूरी तरह से लेना चाहती थी ताकि आगे इतनी दर्द ना हो।
तभी उन्होंने अपना लण्ड पूरी तरह से बाहर निकालते हुए पुनः धक्का दे दिए। मेरी कराह निकल पड़ी। अब वे मेरी तरफ झुकते हुए मेरी होंठों को चूमते हुए बोले,"थैंक्स सीता, इसी तरह दर्द सहना सीख लो और पूरी मजे लो"
मैं मन ही मन सोचने लगी कि आप ठीक कह रहे हैं क्योंकि मुझे तो अंकल के विशाल लण्ड से चुदना जो है।
अगले ही पल वो सीधी होते हुए अपना लण्ड धीमे से अंदर बाहर करने लगे। मेरी दर्द से आहेँ अभी भी निकल रही थी। कुछ ही देर में मेरी आहेँ सिसकारियाँ में बदल गई। इतना सुनते ही वे अब तेजी से मुझे पेलने लगे। मेरी आहेँ अब हर धक्के के साथ तेज होने लगी थी। उनके हर धक्के के साथ मेरे पाँव में पायल सुर से सुर मिला रही थी।उनका लण्ड हर बार जड़ तक मेरी चूत में अंदर होती और बाहर निकलती। अब मैं मजे के सागर में डुबकी लगा रही थी। दर्द काफी कम हो रही थी चूत में। चुची की दर्द चूत के मजे में मालूम ही नहीं पड़ रही थी। कमरे में तेजी से चल रही पंखे हम दोनों की गर्मी को नहीं हटा पा रही थी। वो तो हम दोनों की मधुर व सेक्सी आवाजें को कम करने का काम कर रही थी बस।
कोई 10 मिनट तक लगातार धक्के पे धक्के लगाते रहे और मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ाते रहे। इस दौरान मैं दो बार पानी छोड़ चुकी थी जिसका मुझे आभास तक नहीं हुआ। तभी उनके मुँह से तेज आवाज निकलने के साथ धक्के भी तेज होने लगे। शायद अब वे भी अपने मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे।उनके साथ साथ मैं भी तीसरी बार पानी छोड़ने के कगार पर थी।
तभी उनकी एक तेज चीख निकली और मेरे शरीर पर गिर पड़े।
नीचे उनका लण्ड लगातार झटके लेते हुए मेरी चूत को अपने पानी से सरोबार किए जा रहा था।मेरी चूत भी ठीक उसी पल पानी छोड़ दी। बेड पर तो बाढ़ सी आ गई थी।मैं तो कुछ होश में थी पर श्याम को तो कुछ भी होश नहीं था। मैं उनके माथे पर प्यार से किस करती हुई उनके बालों को सहलाने लगी। उनका लण्ड अभी भी मेरी चूत में ही पड़ी थी।
कुछ देर बाद जब वे होश में आए तो उठ के बाथरुम की तरफ जाने लगे। मैं भी नंगी ही उनके पीछे फ्रेश होने चल दी। अच्छी तरह फ्रेश हो के वापस रूम में आई और बचे जेवर खोलने लगी तो वो तुरंत टोकते हुए बोले,"एक मिनट जान...."
फिर वो कैमरा उठाते हुए बोले,"कुछ ऐसी फोटो भी रहनी चाहिए।"
मेरी तो हँसी निकल पड़ी, पर मना नहीं कर पाई। वे मुझे नंगी सिर्फ जेवर से लदी एक से बढ़ एक फोटो उतारने लगे। मैं अपनी हँसी रोक नहीं पा रहे थी इनकी शरारत देख। मेरी चुची,चूत,जांघोँ,चूतड़, बगलेँ आदि की अलग अलग फोटो लिए। फिर मैं गहने हटा दूसरी साड़ी पहन के उनके गले से लगती हुई चिपक के सो गई।

सुबह जब मेरी नींद खुली तो पूरा बदन टूट रहा था। बगल में श्याम भी पूरी नींद में सो रहे थे।उनका एक हाथ अभी भी मेरी चुची पर थी। धीरे से हाथ हटाते हुए मैं बेड से उतरी और फ्रेश होने बाथरुम की तरफ बढ़ गई। फ्रेश होने के बाद मैं किचन में गई। तब तक मम्मी पापा भी जग गए थे।जल्दी से चाय बनाई और मम्मी पापा को देने के बाद श्याम को देने के बढ़ गई।अभी भी वे बेसुध हो कर सो रहे थे।मैं मुस्कुराती हुई उनके होंठों पर Morning Kiss जड़ दी। वे तुरंत ही नींद से जग गए। फिर मैंने उनकी तरफ चाय बढ़ा दी।वे चाय लेते हुए बोले,"थैंक्स डॉर्लिँग, काश पहले भी इतनी अच्छी Morning Kiss देने वाली कोई होती!"
"झूठ क्यों बोलते हैं? आज कल तो अधिकांश लड़कों की प्रेमिका रहती है। आप थोड़े ही सन्यासी हैं।"मैं भी मजाक करते हुए जवाब दी।
"अगर प्रेमिका रहती तो मुझे इतना प्यार करने वाली बीबी थोड़े ही मिलती। वैसे मैं भी चाहता था कि कोई Girlfriend हो पर समय की कमी और पापा के डर की वजह से कभी हिम्मत नहीं हुई।"
मैं हँसती हुई जाने के मुड़ते हुए बोल पड़ी,"अच्छा ठीक है, आप अपनी प्रेम कहानी बाद में सुनाईएगा। जल्दी से फ्रेश हो जाइए, मैं नाश्ता बनाने जा रही हूँ।"
"जैसी आज्ञा आपकी"कहते हुए वे भी बेड से नीचे उतर गए। मैं उनकी बातें सुन हँसती हुई किचन की तरफ चल दी। तब तक पूजा भी नीचे आ गई थी और चाय पी रही थी। हम दोनों की नजर मिलते ही एक साथ हम दोनों मुस्कुरा दिए। फिर मैं किचन के काम में लग गई। पूजा और मम्मी भी हमारी सहायता करने आ गए। मम्मी के सामने पूजा से किसी तरह की बात संभव नहीं थी।
फ्रेश होने के बाद श्याम नाश्ता कर बाहर चले गए। सारे काम निपटा मैं भी नाश्ता की और आराम करने चली गई। पूजा भी नाश्ता करने के बाद अपने रूम में चली गई थी।
दिन के करीब 12 बजे श्याम आए।आते ही पूछे,"मोबाइल दो तो अपना।"
मैं फोन उनके तरफ बढ़ा दी। कुछ देर छेड़छाड़ करने के वापस देते हुए बोले," कल रात वाली सारी फोटो गजब की आई है। देख लेना फोन में डाल दिया हूँ।"
मैं हँसते हुए फोन ले ली। उन्हें खाने के लिए पूछी तो वे मना करते हुए बाहर निकल गए। शायद मुझे ये तस्वीर देने के लिए ही आए थे।
उनके जाते ही मैं तकिया के सहारे औँधे मुँह लेट गई और फोटो देखने लगी।
वाकई मेरी सभी तस्वीरें काफी सुंदर लग रही थी। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मुझ पर अंकल के गहने और कपड़े इतने अच्छे लगेंगे। मैं हर एक तस्वीर देख आराम आराम से देख रही थी।
तभी मेरी नंगी चुची की तस्वीरें आ गई।मैं देख के शर्मा गई, पर फिर गौर से देखने लगी। सच में काफी सेक्सी थी मेरी चुची। चुची के ठीक ऊपर लटकी नेकलेस और मंगलसूत्र, और भी सुंदरता में चार चाँद लगा रही थी।
अगली फोटो देखते ही मैं पानी पानी हो गई। मैं बेड पर लेटी एक हाथ से चुची दबा रही थी और दूसरी हाथ चूत पर रखी थी। फिर अगली फोटो में अपनी चुची को खुद ही चुसने की कोशिश कर रही थी।
इसी तरह ढेर सारी तस्वीरें आती गई और मैं कब अपनी पानी छोड़ती चूत सहलाने लगी,मालूम नहीं।
अब मुझे साड़ी के ऊपर से सहलाने में दिक्कत हो रही थी तो बिना किसी डर के साड़ी कमर तक कर ली और पेन्टी में हाथ डाल चूत में 2 उँगली घुसेड़ दी।
मैं तस्वीरें देखने में पूरी तरह से मग्न चूत को शांत करने की प्रयास कर रही थी।
मैं शायद पहली लड़की होऊँगी जो खुद की नंगी तस्वीरें देख अपनी चूत से पानी छोड़ दी। पर क्या करती तस्वीर थी ही इतनी गर्म।
अचानक ही मेरे हाथ पर किसी ने पकड़ लिए। मैं मोबाइल फेंकते हुए पलटी तो ये पूजा थी। मैं गेट के उल्टी तरफ सोई थी जिस वजह से पूजा को आते नहीं देख पाई।मैं जल्दी से साड़ी ठीक करने के लिए उठना चाहती थी कि पूजा दूसरे हाथ से धक्का दे कर लिटा दी और अगली वार करती हुई मेरी एक पैर को बेड से बाहर की तरफ खींच दी। फिर तेजी से मेरे दोनों पैरों के बीच आती हुई अपने होंठ मेरी गीली चूत पर भिड़ा दी। मैं पहले ही फोटो देख गर्म थी ही, अब पूजा आग में घी डालने का काम कर रही थी। मैं पूजा को हटाने का भरपूर प्यार की पर वो तो चुंबक की तरह चिपकी थी। मैं ज्यादा देर तक विरोध नहीं कर पाई और खुद को पूजा के हवाले कर दी।
दोनों भाई बहन की क्या पसंद मिलती थी, रात में श्याम इसी अवस्था में चोद रहे थे और दिन में पूजा मेरी चूत चुस रही है।
अचानक मैं चीखते-2 बची। पूजा मेरी दाने को अपने दाँतों से पकड़ खींच रही थी। मैं अपनी चीख को दबाए पूजा के बाल नोँच कर हटाने का प्रयास कर रही थी,पर मेरे हाथों में इतनी ताकत नहीं थी कि सफल हो पाती।
मैं ज्यादा देर तक पूजा के इस वार को नहीं सह पाई और एक हल्की चीख के साथ झड़ने लगी। पूजा पुच्च-2 करती हुई सारा पानी गटकने लगी। मैं उल्टे हाथों से बेडसीट पकड़े लगातार पानी बहाए जा रही थी।नीचे पूजा आनंदमय मेरी चूत सोखने में लगी हुई थी।
कुछ पल के बाद पूजा उठी और मुझे बेड पर बैठा दी। फिर मेरी आँखों में देखते हुए मुस्कुराते हुए पूछी," क्यों री कुतिया, अकेले ही चुदाई देख मजे लेती रहती है। कम से कम मुझे भी बुला तो लेती।"
पूजा द्वारा दी गई गाली सहित प्रश्न से मेरी हँसी निकल पड़ी। पूजा हमें गाली भी देती है तो पता नहीं मुझे तनिक भी बुरी नहीं लगती। मैं हँसती हुई बोली,"नहीं फिल्म नहीं थी। कुछ और थी।"
"कुछ और.....? दिखा तो फोन क्या है कुछ।"पूजा आश्चर्य से पूछते हुए बोली।
मैं मना करती हुई बोली,"नहीं तुम किसी को बता देगी।"
"पागल, इतना कुछ होने के बाद भी डरती हैं कि बता दूंगी।चल दे जल्दी फोन।"पूजा मेरी फोन की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली।

मैं भी मुस्कुरा के फोन लेने दी पूजा को। फिर हम दोनों साथ बैठ गए और पूजा तस्वीरें निकालने लगी।
मेरी नंगी तस्वीरें देखते ही पूजा तो बेहोश होते होते बची। उसकी नजरें तो हमसे पूछे जा रही थी कि भैया भी इतने हॉट हैं क्या, पर बोल कुछ नहीं रही थी।
"रात में सेक्स के बाद बोले मुझे ऐसा करने और फोटो खिँचवाने तो खिँचवाई। अब मुझे देखना बंद करो और ये बताओ कैसी लगी तस्वीरें?" पूजा को चुप देख मैं अपनी सफाई देते हुए बोली।
"Wowwww! भाभी, मैं नहीं जानती थी कि आप नंगी किसी मॉडल से कम नहीं लगोगी। ऐसी रूप में देख के तो बड़े से बड़े हिरोईन भी पानी नहीं माँगेगी।"पूजा चहकते हुए तारीफ करने लगी।
मैं उसकी बात सुन झेँप सी गई।फिर वो एक एक तस्वीरें देखने लगी। देखने के क्रम में उसके हाथ अपनी सलवार में धँस सी गई। वो भी शायद गर्म होने लगी थी। अनायास ही पूजा बोली," भाभी, एक बात बोलूँ।"
मैं "हम्म" करती हुई उसकी तरफ देखने लगी।
"मेरी प्यारी भाभी, ऐसी फोटो देख तो तुम कहीं से भी मेरी शरीफ भाभी नहीं लगती। बिल्कुल जिला टॉप रण्डी लग रही हो।"कहते हुए पूजा अपने चूत को मसलते हुए हँस दी।
मैंने पीछे से एक चपत लगाते हुए बोली,"कुतिया तेरे से कम ही रण्डी लगती हूँ।"
"पता है पर इस रेस में बहुत जल्द ही तुम हमसे भी आगे निकल जाएगी।"पूजा थोड़ी सी चिढते हुए बोली। पूजा की उँगली अब चूत से हट गई थी, पर झड़ी नहीं थी।
पूजा की बात सुन मेरी दिल के किसी कोने में ये बात समा गई।शायद कुछ हद तक सही कह रही थी क्योंकि 3 दिन की चुदाई में ही मैं Once More.... कहने लगी थी।
तब तक पूजा सारा तस्वीरें देख चुकी थी। फिर उसने सारी तस्वीरें अपने फोन में भेजने लगी। मैं कुछ कहना चाहती थी पर रुक गई क्योंकि वो बिना लिए तो मानती नहीं।
सिर्फ इतना ही कह सकी,"पूजा, किसी को वो वाली फोटो दिखाना मत प्लीज।"
पूजा हाँ में सिर हिलाती हुई फोटो भेजती रही। जैसी ही सारी फोटो सेन्ट हुई कि पूजा की फोन बज उठी।
पूजा नम्बर देखते ही मुस्कुरा दी, फिर जल्दी से इयरफोन अपने कान में लगाने लगी। अचानक ही इयरफोन की एक स्पीकर मेरे कान में लगा दी और बोली,"अंकल है, कुछ बोलना मत सिर्फ सुनना।"
मैं दबी हुई आवाज में हँसती हुई हाँ में सिर हिला दी। अंकल का नाम सुनते ही मेरी शरीर भी रोमांचित हो गई थी। तभी अंकल की आवाज आई।
"हैल्लो...."
"हाँ अंकल, कहाँ हैं आप? मैं आपको घर गई थी देखने आज सुबह।"
"अरे पूजा वो अचानक ही मुझे पटना निकलना पड़ा। चुनाव की वजह से दौड़-धूप तो लगी ही रहती है।"अंकल अपनी सफाई देते हुए बोले।
"अच्छा आना कब है?"तब पूजा एक समझदार बच्ची की तरह पूछी।
"फुर्सत मिलते ही आ जाऊँगा। अच्छा अभी तुम क्या कर रही हो।"
पूजा बुरी सी सूरत बनाते हुए बोली,"आपके बिना ज्यादा कुछ क्या करूँगी। बस अपनी चूत में उँगली कर गर्मी निकाल रही थी।"
मेरी तो हँसी निकलते-2 बची।
"हा.हा.हा.हा. रात में 2 बार तो पेला था फिर प्यास नहीं गई।"अंकल की हँसती हुई आवाज आई। मुझे तो शर्म के साथ मजे भी आ रही थी जिस वजह चुपचाप सुनी जा रही थी।
पूजा बात को बढ़ाते हुए बोली,"अंकल, रात में आप चोद तो मुझे रहे थे पर मैं दावे से कहती हूँ कि आपके मन में कोई और थी। कौन थी वो.....?"
पूजा की बात सुन तो मैं भी अचरज में पड़ गई। कितनी शातिर दिमाग रखती है।
"हा.हा.हा. अब तुमसे क्या छुपाना पूजा। कल रात मैं सीता को याद कर तुम्हें चोद रहा था।" अंकल सीधे अपने हथियार रखते हुए बोले। मैं तो एक बार अपना नाम सुन शर्मा गई, पर उससे ज्यादा हमें पूजा की तेज दिमाग देख दंग रह गई।
पूजा मुझे आँख मारते हुए बोली,"Wowww! अंकल, एक तीर दो निशाने। तभी तो मैं सोच रही थी कि इतनी धमाके से मेरी चुदाई क्यों हो रही है।
पूजा की बात सुन अंकल सिर्फ हँस दिए,साथ मैं भी मुस्कुरा दी। तभी पूजा बोली,"वैसे आपको पता है मैं अभी कहाँ से आई हूँ।"
मैं भी सोच में पड़ गई कि पूजा आखिर कहाँ गई थी।उधर अंकल भी उत्सुकता से भरी आवाज में बोले,"कहाँ गई थी?"
पूजा तभी मेरी साड़ी के ऊपर से चूत दबाते हुए बोले," आज एक मस्त चूत का रसपान करके आई हूँ।"
पूजा के इतना कहते ही मेरी तो घिघ्घी बँध गई। तुरंत ही कान पकड़ते हुए मेरा नाम नहीं बोलने के लिए पूजा से आग्रह करने लगी।
तभी अंकल की सिसकारि भरी आवाज सुनाई दी,"आहहहहह पूजा! कौन थी वो जल्दी बता ना। मेरा लण्ड तो पूरा उफान पर आ गया है।"
पर पैदाइशी हरामिन पूजा मेरी एक ना सुनी और बोली," मैं अपनी जान सीता भाभी की चूत का भोग लगा के आई हूँ। आपको यकीन नहीं होगा अंकल कि कितनी स्वादिष्ट थी चूत। आहहहहह.... मजा आ गया आज।" अपना नाम सुनते ही मैं पूजा के गले दबाने लगी। पर फुर्ति से पूजा हाथ हटा मेरे बाल पीछे से पकड़ी और सलवार के ऊपर से ही अपनी चूत की तरफ गिरा दी और केहुनी मेरी पीठ पर गड़ा दी। मैं छटपटा के उसकी चूत पर मुँह रख पड़ी रही और गीली चूत की महक लेते हुए अंकल की बातों से मजे लेने की कोशिश करने लगी।
"ओफ्फ सीता। छिनाल,कुतिया खुद मजे लेती है। हमें भी तो एक बार सीता की चूत दिला दे। आह. बर्दाश्त नहीं होती अब।"
मैं नीचे पड़ी चूत की गंध पा मदहोश होने लगी थी। अगले ही पल मैं सलवार के नाड़े खोलने की कोशिश करने लगी। पूजा मेरी स्थिति को समझते हुए तेजी से बोली," अंकल, आप के लिए ही तो जुगाड़ कर रही हूँ। अच्छा ठीक है, मैं अभी फोन रखती हूँ। बाद में बात करूँगी।" इतना कह पूजा फोन काट दी और सलवार पूरी खोल दी और चूत मेरे मुँह से चिपका दी। मैं भी उसकी चूत पर टूटते हुए जोरदार चुसाई शुरू कर दी। कुछ ही देर में पूजा एक अंगड़ाई लेती चीखते हुए झड़ गई। ढेर सारी पानी पूरे चेहरे पर आ गई थी। पूजा लगभग बेहोश हो आँखें बंद कर चुकी थी।
जिंदगी में आज पहली बार चूत चूसी थी।

इसी तरह पूजा के साथ दिन भर हँसी मजाक और फिर रात में श्याम से चुदाई चलती रही। जैसा कि गाँवों में ये एक रिवाज है कि नई दुल्हन 3 या 9 दिन के बाद वापस अपने मायके चली जाती है। मैं भी जिंदगी के हसीन पल अपनी यादों में समेट वापस अपने मायके चली आई थी। जिंदगी में इतनी हसीन यादें फिर कभी नहीं आती है, ये एक कटु सत्य है। समय मिलते ही श्याम और पूजा से अच्छी बुरी बातें फोन पर शुरू कर देती थी। अंकल तो अभी तक व्यस्त ही थे। उनसे मिले बिना ही मैं आ गई थी, इसका मुझे काफी मलाल था।
आते वक्त पूजा बोली थी कि जब तक आप अंकल को एक बार फोन नहीं करोगी, तब तक अंकल आपको फोन नहीं करेंगे। मैं अंकल से भी बात करना चाहती थी पर शर्म की वजह से हिम्मत नहीं कर पा रही थी फोन करने की।
उधर श्याम की छुट्टी भी समाप्त हो चुकी थी तो वे वापस ड्यूटी पर चले गए थे। कुछ दिन पूजा का भी रिजल्ट आ गया और वो भी अच्छे नम्बरोँ से पास हो गई थी। पूजा सबसे पहले हमें ही ये खुशखबरी सुनाई। और साथ में ये भी बताई कि भाभी,दो दिन बाद मैं भैया के जाऊंगी और वहीं रह आगे की पढ़ाई करूँगी। मैं ये सुन पूजा से कहीं ज्यादा खुश हुई। खुश क्यों नहीं होती आखिर कुछ दिन बाद तो मैं भी वहीं जाऊंगी।
दो दिन बाद पूजा श्याम के पास चली गई थी। पूजा वहाँ जाते ही फोन से ही वहाँ के बारे में बताती रही।
इधर मैं अपने मायके में जब से आई हूँ, भाभी तो रोज ही सताती रहती है।
हमेशा कहती रहती है कि जब से ससुराल से आई है, हमेशा वहीं का गुणगान करती रहती है। आखिर क्यों नहीं करती, ढेर सारी चुदाई जो मिल रही थी।
ससुराल से आने के बाद तो मेरी हवस इतनी बढ़ गई कि मैं सभी को सेक्स भरी नजरों से देखने लगी थी। यहाँ तक कि मैं खुद के सगे भैया से भी चुदने की इच्छा रखने लगी थी।
एक दिन मैं घर में बोर हो रही थी। तभी मेरी नजर भैया पर पड़ी जो कि देहाती रूप में लुँगी और गंजी पहने, हाथ में बड़ी सी खाली थैली रखे बाहर जाने वाले थे। मेरे मन में अचानक शरारत सुझी और भैया को पीछे से आवाज दी,"भैया,कहीं जा रहे हो क्या?"
भैया मेरी तरफ पलटे और बोले,"हाँ सीता, वो आम अब पकने लग गए हैं, वहीं बगीचे जा रहा हूँ। कुछ खाने लायक हुआ तो लेते आऊँगा।"
"भैया,काफी दिन से बगीचे नहीं गई हूँ।हमें भी ले चलो ना।" मैं आग्रह करती हुई बोली। तब तक भाभी भी बाहर आ गई थी। आते ही बोली,"हाँ हाँ ले जाइए ना। घर में बैठी बोर हो रही है, बाहर घूम लेगी तो मन बहल जाएगा। ससुराल जाएगी तो पता नहीं कब मौका मिलेगा।"
भाभी के कहते ही भैया हँस पड़े और जल्दी तैयार हो चलने के लिए बोल बाहर इंतजार करने लगे। मैं झटपट अंदर गई और जल्दी से नाइटी खोली। फिर सफेद रंग की चोली-घाँघरा पहनी और चुन्नी डालते हुए निकल गई। भैया की नजर मुझ पर पड़ते ही उनका मुँह खुला सा रह गया। उनकी नजर मेरी चोली में कसी हुई चुची पर अटक सी गई। अगले ही पल जब उनकी नजर ऊपर उठी तो वे शर्म से झेँप से गए। मेरी शैतान नजर उनकी चोरी जो पकड़ ली थी। मैं हल्की ही मुस्कान देते हुए उनके पास जाते हुए बोली,"अब चलो भैया।"
भैया बिना कुछ कहे बाईक स्टॉर्ट किए और मेरे बैठने का इंतजार करने लगे। मैं भी बैठी और चलने के हाँ कह दी।
बगीचा घर से करीब 3 किमी दूर थी। इनमें 1 किमी तो गाँव थी और बाकी के सुनसान सड़क,जिसके दोनों तरफ बड़ी बड़ी वृक्ष थी। सड़क उतनी अच्छी नहीं थी पर वृक्षों के रहने से कम से कम धूप से राहत तो मिलती है। गाँव भर तो मैं ठीक से बैठी रही पर जैसे ही गाँव खत्म हुई, मैं भैया की तरफ सरक गई।
अचानक ही बाईक गड्ढे में पड़ी और पूरी तरह से भैया के शरीर पर लद गई। मैं संभलती हुई सीधी हुई तो भैया बोले,"सीता,अब सड़क अच्छी नहीं है सो तुम मुझे पकड़ के बैठो वर्ना अगर गिर गई तो तुम्हें चोट तो लगेगी ही, साथ में हमें भी खाना नहीं मिलेगा।"
भैया के बोलते ही मैं जोर से हँस पड़ी और ओके कहते हुए उनके कमर पकड़ती हुई चिपक के बैठ गई। मेरी एक चुची अब भैया के पीठ में धँस रही थी। जैसे ही बाईक किसी गड्ढे में पड़ती तो मेरी चुची पूरी तरह रगड़ जाती। भैया को भी अब मेरी इस शैतानी खेल में मजा आने लगा था। वो तो अब जान बूझकर गड्ढे होकर चल रहे थे। मैं ये देख हल्के से मुस्कुराते हुए और कस कर अपनी चुची रगड़वाने लगी।
तभी सामने से एक लड़का साइकिल से आता हुआ दिखाई दिया। मुझे तो पहले थोड़ी शर्म हुई पर अगले ही क्षण बेशर्म बनते हुए ऐसे ही चिपके रही। पास आते ही वो लड़का लगभग चिल्लाते हुए बोला,"ओढनी गाड़ी में फँसेगा!"
भैया तेजी से ब्रेक लगाते हुए रुके। बाईक से मैं भी उतरी तो सच में मेरी चुन्नी बिल्कुल चक्के के पास लहरा रही थी। अगर कुछ और देर हो जाती तो पता नहीं क्या होता। तब तक वो लड़का भी जा चुका था। मेरी नजर भैया पर पड़ी तो देखी वो मुस्कुरा रहे थे। मैं भी हल्की ही हँसी हँस दी। अगले ही पल वे मेरी चुन्नी एक झटके से सीने से हटाते हुए बोले,"जान बचे तो लाख उपाय। अब देखने वाला कौन है जो तुम्हें शर्म आएगी। चलो ऐसे ही चलते हैं। वापस गाँव आने से पहले फिर ओढ लेना।"
फिर भैया चुन्नी को डिक्की में बंद कर दिए। मैं भैया की मस्ती वाली सलाह सुन शर्माती हुई मुस्कुरा दी। अगले ही क्षण बाईक स्टॉर्ट हो चुकी थी। मैं भी बेहया बनते हुए भैया के शरीर पर लगभग चढती हुई चिपक के बैठ गई।
और अब मैं अपने दोनों हाथ से भैया की कमर कसते हुए जकड़ ली। अब तो मेरी दोनों चुची उनकी पीठ में धँस गई थी और मैं अपना चेहरा उनके कंधे पर टिका दी थी।
अचानक बाईक एक गहरी गड्ढे में गई और मेरी चीख निकल गई। चीख चुची के दर्द की वजह से आई थी क्योंकि मेरी चुची काफी जोर से रगड़ा गई थी। साथ में भैया के मुँह से भी आह निकल गई। ये आह मेरे हाथ उनके लण्ड पर घिसने की वजह से आई थी। हम दोनों हल्की हँसी हँसते हुए बिना कुछ बोले बगीचे की तरफ बढ़ने लगे।
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