RE: Incest Sex Stories मेरी ससुराल यानि बीवी का मायका
ललित ने मेरी कमर पकड़ी और आगे पीछे होकर धक्के लगाने लगा. मुझे जरा सा दर्द हुआ पर उसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, आखिर ये मेरी पहली बार थी. वैसे लीना कभी कभी चुदते वक्त मेरी गांड में उंगली करने लगती है पर उसकी वो पतली पेंसिल जैसी उंगली और यहां ललित का खड़ा जवान लंड, भले वो मुझसे काफ़ी छोटा हो, कोई कंपेरिज़न नहीं है दोनों में.
मैंने आइने में देखा तो आइने में वो अनिता आंटी की गांड मारे जाने का सीन एक लाइव ब्ल्यू फ़िल्म जैसा लग रहा था. मेरी गांड मारते मारते ललित ने हाथ बढ़ाकर मेरी ब्रा के कप पकड़ लिये और दबाते दबाते मुझे चोदने लगा. अब वे नकली स्तन थे पर मजा लेने के लिये मैं कराहने लगा "हाय रानी ... कितनी जोर से दबाती है ... पिचका देगी क्या? .... कितनी बेरहमी से मसल रहा है रे ... पर ... अच्छा लग रहा है डार्लिंग ... दबा ना मेरी छतियां और जोर से ... हां ऐसे ही ... "
ललित के धक्के तेज हो गये, साला मेरे उन बोलों से और गरमा गया था शायद. अब ललित का लंड एकदम आसानी से मेरी गांड में फिसल रहा था और ’पुच’ ’पुच’ ’पुच’ आवाज भी हो रही थी जैसी उसे चाहिये थी. मस्ती में वह झुक कर मेरी पीठ चूमने लगा. "क्या चिकनी पीठ है आपकी जीजाजी ... अनिता आंटी ... और ये ब्रा की कसी हुए पट्टी ..." मेरी ब्रा के स्ट्रैप को दांत में पकड़कर वह सिसकते हुए बोला. "बहुत मजा आ रहा है जीजाजी ... एकदम टॉप ... अं ऽ अंऽ ... आह ..."
"मजा कर ले मेरी जान ... दिल खोल कर चोद ले अपनी आंटी को ... मार ले अपने जीजाजी की गांड ... तेरी दीदी की मारते हैं ना? ... तेरी भी मारी थी कल? ... बदला ले ले आज ... तेरे मन जैसा ’पुच’ ’पुच’ कर रही है ना मेरी गांड?" उसे उकसाने को मैं अनाप शनाप बोले जा रहा था, क्योंकि वह जिस तरह से तड़प तड़प कर अब मुझे चोद रहा था, वह बड़ा मतवाला एक्सपीरियेंस था.
अचानक उसका लंड उछलने लगा "संभाल साले ... झड़ जायेगा ... अरे जरा कंट्रोल कर ...’ मैं कहता रह गया और वहां मेरी गांड के अंदर गरम गरम फवारे छूटने लगे. हांफ़ता हुआ ललित मेरी पीठ पर ही लस्त हो गया. मैंने कुछ देर उसे वैसे ही रहने दिया कि झड़ते लंड का पूरा मजा ले ले, फ़िर सीधा हुआ और मेरी गांड से उसकी लुल्ली निकालकर उसे सोफ़े पर ले गया.
"बड़ी जल्दी ढेर हो गया ललित मेरी जान. और चोदना था ना" उसे बाहों में लेकर चूमते हुए मैंने कहा. उसने कोई जवाब नहीं दिया, बस मेरी ब्रा के कपों में अपनी चेहरा छुपा लिया.
मैंने पिक्चर पॉज़ कर दिया और ललित के बदन पर हाथ फ़ेरने लगा. मेरा बहुत कस के खड़ा था, यह अच्छा मौका था उसे वहीं लिटा कर उसकी गांड मार लेने का पर मैं आज जरा ज्यादा मूड में था, सोच रहा था कि भले थोड़ा और रुकना पड़े, जब मारूंगा तो ऐसी मारूंगा कि उसे याद रहे.
ललित के मुरझाये लंड को मैंने अपनी जांघों पर रगड़ना शुरू किया और लगातार उसे किस करता रहा. जब वह थोड़ा संभला तो मैंने कहा "अब जरा पूरी पिक्चर तो दिखा ललिता जान, तू तो पहले ही ढेर हो गयी"
"लगा लीजिये ना अनिता आंटी, रिमोट तो आपके ही पास है" ललित बोला.
"ऐसे नहीं रानी, तेरी गोद में बैठ कर पिक्चर देखना चाहती है तेरी आंटी"
ललित संभलकर सोफ़े पर बैठ गया और मैं उसकी गोद में. उसके हाथ उठाकर मैंने खुद के नकली स्तनों पर रखे और मूवी चालू कर दी. अब पिक्चर में एक और ट्रानी आ गयी थी. ये जरा ऊंची पूरी यूरोपियन ट्रानी थी. दोनों मिलकर उस जवान के पीछे लगी थीं. एक अपना लंड चुसवा रही थी और एक उसकी गांड मार रही थी.
पांच मिनिट में ललित का लंड फ़िर से आधा खड़ा होकर मेरे चूतड़ों के बीच की लकीर में धंस गया, ऊपर नीचे भी हो रहा था जैसे मुझे उठाने की कोशिश कर रहा हो. "तेरी क्रेन अभी जरा छोटी है ललिता रानी, और पॉवर बढ़ा ले तो शायद अपनी आंटी को उठा सकेगी" मैंने मुड़ कर ललित को किस करके उसके कान में कहा.
ललित अब कस कर मेरी फ़ाल्सी दबा रहा था और मेरी पीठ को चूम रहा था. मैंने पांच मिनिट उसे और गरम हो जाने दिया फ़िर पूछा "ऐसे ही बैठे बैठे मारेगा मेरी ललित राजा?" ललित ने सिर हिला कर हां कहा.
"तू बैठा रह, मैं करता हूं जो करना है" मैं जरा उठा और उसके लंड को पकड़कर उसका सुपाड़ा अपने छेद पर जमाया. फ़िर धीरे से उसके तन्नाये लंड को अंदर लेता हुआ उसकी गोद में बैठ गया. ललित तुरंत ऊपर नीचे होकर मुझे चोदने लगा. मैंने घड़ी देखी, वह लड़का सिर्फ़ बीस मिनिट में फ़िर से पूरी मस्ती में आ गया था, जवानी का कमाल था.
"अब बहुत देर मारूंगी आंटी आपकी, पिछली बार तो कंट्रोल नहीं किया मैंने पर अब चोद चोद कर आपकी ना ढीली कर दी तो देखिये" मेरी गर्दन को बेतहाशा चूमते हुए ललित बोला.
मैंने सोचा थोड़ी फिरकी ली जाये लौंडे की " ललित राजा, बेट लगायेगा?"
"कैसी बेट जीजाजी? अब तो बस आपकी मारनी है मेरे को, रात भर मारूंगा आज, आप मना नहीं करेंगे"
"वही तो बेट लगा रहा हूं. अभी ये मूवी पूरी नहीं हुई है, अब बैठे बैठे जैसा मन चाहे, मेरी मार, चोद डाल मेरे को. पर मूवी खतम होने तक नहीं झड़ना."
"लगी बेट अनिता आंटी" मुझे कस के पकड़कर नीचे से धक्के मारता हुआ ललित बोला "अगर मैं जीत गया, बिना झड़े मूवी देख ली तो रात भर आप मेरे, जैसा मैं करूं, करने देंगे"
"मंजूर. और अगर झड़ गया तो उलटा होगा. मैं रात भर जो चाहे तेरे साथ करूंगा. ठीक है?"
"ऒ के जीजाजी" कहकर ललित जरा संभलकर बैठ गया. उसके धक्के थोड़े धीमे हो गये पर अब भी वो मजा ले रहा था, बस धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर मेरी गांड में अपना लंड जरा सा अंदर बाहर कर रहा था. मैं भी नीचे ऊपर होकर जितना हो सके उसके लंड को अंदर लेने की कोशिश कर रहा था. मेरा खुद का लंड झंडे जैसा तन कर खड़ा था. सुपाड़ा पूरा पैंटी के इलेस्टिक से बाहर आ गया था और मेरे पेट पर दबा हुआ था बड़ा मीठा टॉर्चर सा हो रहा था. बार बार लगता कि ललित को पटककर चोद डालूं पर अब बेट लगा ली थी. वैसे मुझे पूरा भरोसा था कि मैं बेट जीतूंगा पर उतना समय काटना मुश्किल हो रहा था. मैंने सोचा कि अगर हार भी जाऊं तो ललित मेरे साथ जो करेगा, उसमें मेरे को भी भरपूर मजा आने ही वाला था. इसलिये अपने लंड को मैं हाथ भी नहीं लगा रहा था कि वह रास्कल बेकाबू ना हो जाये. एक दो बार जब ललित ने उसको हाथ में लिया तो उसका हाथ हटाकर अपनी नकली चूंची पर रख दिया.
वैसे मैं चाहता तो उसे एक मिनिट में झड़ा सकता था. एक दो बार गांड सिकोड़ कर मैंने उसके लंड को दुहने की प्रैक्टिस की थी. उस वक्त वो बेचारा पागल सा हो जाता, ’अं .. अं .. आह’ करने लगता, उसका लंड उस वक्त जैसे मेरी गांड में मुठियाने लगता, उससे मुझे अंदाजा हो गया था कि मेरा ऐसा करना उसे कितना उत्तेजित कर रहा था. पर मैंने सोचा कि फ़ेयर प्ले हो जाने दो, उस लौंडे को ऐसे फंसा कर मुझे उसपर करम नहीं करना थे.
काफ़ी देर ललित बेचारा कंट्रोल करता रहा पर आखिर उसकी सहन शक्ति जवाब दे गयी, वो मूवी भी ऐसी कुछ बीडीएसेम हो गयी कि उसका कंट्रोल जाता रहा. उस पिक्चर में अब उस छोटी वाली एशियन ट्रानी की मुश्कें बांध कर वह युवक कस कस के उसकी मार रहा था. दूसरी ट्रानी खड़े खड़े उसे अपना लंड चुसवा रही थी. वो छोटी ट्रानी ऐसे चीख रही थी (झूट मूट) कि गांड फटी जा रही हो. अब मूवी का मुझे अंदाजा तो था नहीं, इसलिये जो हुआ वो बिलकुल फ़ेयरली हुआ.
उस सीन को देखकर ललित ऐसा बेकाबू हुआ कि जोर लगाकर मुझे वह सोफ़े पर पटकने की कोशिश करने लगा. जब मैं जम के बैठा रहा तो नीचे से ही कस के उछल उछल कर धक्के मार मार कर मेरी गांड मारने लगा. इस बार मैंने उसे शांत करने की कोशिश नहीं की. आखिर में अपनी वासना में उसने मेरे कंधे पर दांत जमा दिये और एकदम स्खलित हो गया. हांफ़ते जोर से सांस लेते ललित की गोद में मैं बैठा रहा कि उसे पूरा मजा मिल जाये. मूवी भी खतम होने को आयी थी. पांच मिनिट में उस छोटी ट्रानी की गांड का भुरता बना कर वह मर्द भी झड़ गया और मूवी खतम हो गयी.
पीछे मुड़ कर ललित का चुंबन लेते हुए मैंने कहा "हो गया डार्लिंग ... मजा आया?"
"हां जीजाजी ... कैसा तो भी हो रहा है लंड में ... इतनी जोर से कभी नहीं झड़ा मैं" वह सांसें भरते हुए बोला.
"चल, अब अंदर चल बेडरूम में, वहां आगे की प्यार मुहब्बत करेंगे" मेरा लंड अब तक मेरी पैंटी को हटाकर बाहर आ गया था, सूज कर किसी बड़ी मोटी ककड़ी जैसा हो गया था. उसपर ललित की नजर लगी हुई थी. उसकी नजर में चाहत भी थी और डर भी. बेट हारने पर मेरा जवाबी हमला सहने की अब उसकी बारी थी.
"जीजाजी ... एकाध और मूवी देख लें? फ़िर चलेंगे अंदर" मेरी ओर बड़ी आशा से तकता हुआ ललित बोला. मैं उठ खड़ा हुआ. उसकी नजरों के सामने ही मैंने अपन तन्नाये हुए लंड पर थोड़ा मख्खन चुपड़ा और फ़िर हाथ पोछ कर ललित को बाहों में उठा लिया, किसी दुल्हन की तरह. "मूवी तो बाद में भी देख लेंगे मेरी जान, पर मेरा जो यह लौड़ा अब मुझे पागल कर रहा है और कह रहा है कि बेट जीतने पर अब चलो, मेरा इनाम मुझे दो, उसे कैसे समझाऊं ललिता डार्लिंग"
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