RE: Incest Sex Stories मेरी ससुराल यानि बीवी का मायका
अब मुझे समझ में आया कि उस दिन मेरे ताईजी को चोदते वक्त क्यों ललित की आंखें मुझपर जमी थीं. मुझे लगा था कि मेरे लंड को घूर रहा है, और वैसे वो सच भी था पर साथ साथ उसे मेरे नंगे बॉटम का भी व्यू मिल रहा था.
"ठीक है मेरे राजा ... मेरी रानी ... पर एक शर्त है. अबसे दो घंटे तेरे ... जो चाहे कर ले मेरे साथ. उसके बाद सारी रात मेरी ... मैं कुछ भी करूं तेरे साथ, तू चुपचाप करवा लेगा"
"मंजूर है जीजाजी"
मेरे सारे कपड़े निकाल कर उसने पहले मुझे विग पहनाया. शोल्डर लेन्ग्थ काले बालों का विग था. मैं आइने में देखना चाहता था पर उसने मना कर दिया, बोला पूरा तैयार होने पर ही देखने दूंगा. उसके बाद उसने मेरे लंड को पकड़कर कहा "इसको जरा छिपाना पड़ेगा जीजाजी, इसलिये जरा टाइट इलेस्टिक वाली पैंटी ढूंढी है मैंने लीना दीदी की."
पैंटी टाइट थी, मेरे लिये छोटी थी, इसलिये और कसी हुई लग रही थी. मेरे लंड को पेट से सटा कर ऊपर से पैंटी का इलेस्टिक फ़िट कर दिया कि वह काबू में रहे, ज्यादा बड़ा तंबू ना बनाये.
उसके बाद ललित ने मुझे हाइ हील सैंडल पहनाये. क्या पता कहां से लाया था, सिल्वर कलर के, जरा जरा से नाजुक पट्टों वाले और चार इंच हील के. उनको पहनकर मुझे बड़ा अजीब लगने लगा, ऐसा लगा जैसे पंजों पर खड़ा हूं. चलकर देखा तो ऐसा लगा कि गिर पड़ूंगा.
"ललित डार्लिंग, ये मैं नहीं पहन सकता, वहां बाहर ड्राइंग रूम तक जाना भी मुश्किल लग रहा है, गिर पड़ूंगा जरूर"
"जीजाजी, मैं तो आपके साथ पूरी बंबई घूमी ऐसे सैंडल पहनकर, और आप बस घर के अंदर भी नहीं पहन सकते?" कहकर ललित मुझसे चिपक गया "जीजाजी, आप चलते हैं तो क्या लचकती है कमर आपकी"
मैंने कहा "चलो मेरी जान, तुम्हारी खातिर यह भी सही."
फ़िर उसने मुझे ब्रा पहनाने की तैयारी की. सफ़ेद ब्रा थी पर एकदम महंगी. लेस लगी हुई. स्ट्रैप्स भी एकदम अच्छे क्वालिटी के इलेस्टिक के थे. ब्रा के कपों में उसने स्पंज की दो कोनिकल शेप के स्पंज के गोले लगाये.
"यह कहां से लाया? यह भी खरीदे क्या?"
"ये आसानी से नहीं मिलते जीजाजी, और सेल्स गर्ल्स से मैं मिनिमम बोलना चाहता था कि आवाज पर से न पकड़ा जाऊं. वैसे मैंने आवाज लड़की जैसी बारीक कर ली थी. ये स्पंज के गोले तो मैंने आज दोपहर बनाये, वहां स्टोर रूम में पुराना पैकिंग बॉक्स था, उसमें स्पंज था. वो ले लिया"
उसने मुझे ब्रा पहनाई और स्ट्रैप तान कर पीछे से बकल लगा दिया.
"बहुत टाइट है डार्लिंग" मैंने कहा.
"साइज़ ३८ नहीं मिली मेरे मन की जीजाजी. इसलिये ३६ ले आया. और टाइट ब्रा मस्त दिखती है आपको. देखिये स्ट्रैप्स कैसे गड़ रहे हैं आपकी पीठ में. सेक्सी!" उसने मेरी पीठ का चुंबन लेते हुए कहा.
"हो गया?" मैंने पूछा.
"अभी नहीं जीजाजी, लिपस्टिक बाकी है"
"अब मैं लिपस्टिक विपस्टिक नहीं लगाऊंगा यार" मैं थोड़ा नाराज हुआ तो ललित मेरे पास आकर मुझसे लिपट गया और पंजों के बल खड़े होकर मुझे किस किया जैसे लड़कियां करती हैं, उसका एक हाथ मेरी पैंटी में छुपे लंड को सहला रहा था. मेरा रहा सहा गुस्सा ठंडा हो गया. फ़िर चुपचाप जाकर वह गहरे लाल रंग की लिपस्टिक ले आया. बड़े जतन से धीरे धीरे उसने मुझे लिपस्टिक लगायी. "अब देखिये आइने में"
मैंने देखा तो बहुत अजीब लगा. याने मैं बड़ा विद्रूप दिख रहा था ऐसा नहीं था. भले ललित की टक्कर की ना हो, पर ठीक ठाक ऊंचे पूरी भरे बदन की अधनंगी सेक्सी औरत जैसा जरूर दिख रहा था. पर किसी सुंदर खानदानी औरत जैसा नहीं, एक नंबर की चुदैल औरत जैसा. मेरा वह रूप देखकर अजीब लगते हुए भी मेरा कस के खड़ा हो गया.
ललित मेरे लंड पर पैंटी के ऊपर से हाथ फेरते हुए बोला "देखा जीजाजी! आप को भी मजा आ गया. मैं कहता था ना कि आप मस्त सेक्सी दिखेंगे"
"यार, खड़ा मेरे खुद को देख कर नहीं हुआ है, यह सोच कर हुआ है कि अब तू मेरे साथ क्या करने वाला है और मैं तेरे साथ क्या करने वाला हूं" मैंने अपने लंड को दबाने की कोशिश करते हुए कहा.
"पर जीजाजी ..." ललित बोला "मैं जो करूंगा वो आज यहां ..." मेरे नितंब पकड़कर वह बोला "फ़िर यह ..." मेरे लंड को पकड़कर उसने कहा "कैसे मस्त हो गया?"
"अब मैं क्या जानूं रानी, वैसे दोनों का रिश्ता तो है, एक खुश तो दूसरा भी खुश"
"और अब आज आपको अनिता आंटी कहूंगा जीजाई. चलिये अब बाहर चलिये, सोफ़े पर." मुझे लिपट कर उसने कस के मेरा चुंबन लिया और खींच कर बाहर ले गया, मैं हाइ हीलों पर बैलेंस करता हुआ किसी तरह उसके पीछे हो लिया, मन में सोचा कि ’ललित राजा, अब बहुत गर्मी चढ़ रही है तेरे को, उतारना पड़ेगी.’ पर उसके पहले उसको मैं अपने मन की करने देना चाहता था.
मुझे सोफ़े पर बिठाकर ललित अंदर जाकर फ़्रिज से वही मख्खन का डिब्बा ले आया. "बड़ी जोर शोर से तैयारी चल रही है ललिता डार्लिंग, आज लगता है मेरी खैर नहीं"
"और क्या अनिता आंटी! आज आप कस के चुदने वाली हैं" ललित बोला. उसने जाकर मूवी शुरू की और हम दोनों सोफ़े पर बैठकर लिपटकर आपस में मस्ती के करम करते हुए मूवी देखने लगे. ट्रानी मूई थी. याने एक ट्रानी और एक जवान मर्द. स्टोरी वोरी कुछ नहीं थी, बस सीधे गांड मारना, लंड चूसना वगैरह शुरू हो गया. वह ट्रानी भी एकदम क्यूट और सेक्सी थी, एशियन लेडीबॉय कहते हैं वह वाली. पर उसका लंड अच्छा खासा था. चूमा चाटी करते करते, एक दूसरे की ब्रा के कप मसलते हुए हम देखते रहे. जब वह ट्रानी उस मर्द पर चढ़कर उसकी गांड मारने लगी, तो ललित मानों पागल सा हो गया. मुझे नीचे सोफ़े पर गिराकर मुझपर चढ़ कर मुझे बेतहाशा चूमने लगा.
एक मिनिट में उठ कर बोला "ऐसे ही पड़े रहिये जीजाजी - सॉरी अनिता आंटी" उसने कहा और फ़िर मेरी पैंटी नीचे कर दी. मेरे पीछे बैठकर वह अब मेरे चूतड़ों को दबाने लगा. "एकदम मस्त गोरे गोरे मसल वाले कसे चूतड़ हैं आंटी" वह बोला और फ़िर झुक कर उनको चूमने लगा. अब लीना भी कभी कभी प्यार में जब मेरे बदन को किस करती है तो कई बार नितंबों पर भी करती है. पर ललित के चुंबनों में खास धार थी. चूमते चूमते उसने अपने होंठ मेरे गुदा पर लगाये और किस कर लिया. फ़िर जीभ से गुदगुदाने लगा. मुझे गुदगुदी हुई और मैंने उसका सिर हटा दिया. वह कुछ नहीं बोला पर उसकी आंखों में अब तेज कामना चमक रही थी. उसने डिब्बा खोला और मेरे गुदा में मख्खन चुपड़ने लगा. फ़िर उंगली अंदर डाल डाल कर मख्खन अंदर तक लगाने लगा.
"अरे बस रानी ... कितनी उंगली करेगी? और इस पैंटी में छेद नहीं किया जैसा कल मौसी ने तेरी पैंटी में किया था" मैं बोला. उसकी उंगली जब जब मेरी गांड में गहरी जाती थी, बड़ी अजीब सी गुदगुदी होती थी.
"अभी तो मख्खन और भरूंगी जीजाजी, वो मौसी ने कितना सारा मख्खन डाला था अंदर. आप चोद रहे थे तो कैसी ’पुच’ ’पुच’ आवाज हो रही थी. आज वैसी ही आवाज आपको चोदते वक्त ना निकाली तो मेरा नाम ललिता नहीं. अब जरा झुक कर सोफ़े को पकड़कर खड़ी हो जाइये अनिता आंटी"
मैंने फ़िर कहा "वो छेद क्यों नहीं किया ये तो बता"
"मुझे आप के गोरे गोरे चूतड़ अच्छे लगते हैं, इसलिये चोदते वक्त उनको देखना चाहता हूं, अब चलिये और खड़े हो जाइये"
"मेरी रानी, तू तो फ़ुल साड़ी में है अब तक. कपड़े तो निकाल" मैंने पोज़िशन लेते हुए कहा. एक बार और मख्खन उंगली पर लेकर मेरी गांड में उंगली डालता हुआ ललित बोला "साड़ी नहीं निकालूंगा जीजाजी, साड़ी ऊपर कर के ऐसे ही आप को चोद लूंगा. एकदम सेक्सी लगेगा. जरा आइने में तो देखिये"
मैंने बाजू के शेल्फ़ में लगे आइने में देखा. उसमें हम दोनों दिख रहे थे. साड़ी पहनी हुई एक युवती एक अधनंगी हट्टी कट्टी औरत की गांड में उंगली कर रही थी यह सीन था. अजीब टाबू करम कर रहा हूं यह जानकर मेरा और जम के खड़ा हो गया.
मैं झुक कर सोफ़े की पीठ पकड़कर खड़ा हो गया. ललित मेरे पीछे खड़ा हुआ और अपनी साड़ी ऊपर कर ली. फ़िर अपनी पैंटी थोड़ी बाजू में करके उसने अपना लंड बाहर निकाला. उसका वह पांच इंच का गोरा लंड काफ़ी सूज गया था और उछल रहा था.
मैंने कहा "अपने शिश्न पर मख्खन नहीं लगायेंगे प्राणनाथ? आपकी दासी को थोड़ी आसानी होगी"
ललित हंसने लगा "आप भी जीजाजी ... " पर उसने थोड़ा मख्खन अपने सुपाड़े पर चुपड़ लिया. फ़िर सुपाड़ा मेरे छेद पर रखकर दबाने लगा. मैंने भी सोचा कि उसे जरा हेल्प कर दूं इसलिये अपनी गांड जरा ढीली की. ललित का लंड पक्क से आधा अंदर घुस गया. मुझे भी एकदम टाइट फ़ीलिंग हुई.
’अं .. आह ... जीजाजी ... अनिता आंटी ... क्या टाइट गांड है आपकी" ललित मस्ती में चहक कर बोला.
"होगी ही ललिता रानी, आखिर तेरी ये अनिता आंटी भी कुवारी है इस मामले में" मैंने कहा और फ़िर थोड़ा धक्का दिया पीछे की तरह जैसे मेरे को मजा आ रहा हो. उधर अब वह ट्रानी उस जवान की गांड मार रही थी और वह युवक ’बगर मी डार्लिंग ... फ़क माइ आर्स’ बड़बड़ा रहा था. ललित की अब वासना से जोर जोर से सांस चल रही थी. उसने फ़िर जोर लगाया और अगले ही पल मुझे महसूस हुआ कि उसका पूरा लंड मेरी गांड में समा गया. ऐसा लगा जैसे गांड पूरी भर गयी हो.
"जीजाजी ... प्लीज़ ... अब रहा नहीं जाता ... आपको चोद ... आपकी गांड मार लूं अब?" ललित ने पूछा. बेचारा अब भी मुझसे पूछ पूछ कर रहा था, मुझे किसी भी तरह से नाराज नहीं करना चाहता था.
"मार ना डार्लिंग ... मैंने तुझे कल पूछा था तेरी मारते वक्त? वैसे पूछता तो भी तू बोल नहीं पाता ... तेरा मुंह तो मौसी के मम्मे से भरा था"
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