RE: Incest Sex Stories मेरी ससुराल यानि बीवी का मायका
मैं थोड़ा घबरा कर बोला "अब मांजी को क्यों बीच में लाती हैं मीनल भाभी! सॉरी अब नहीं हाथ लगाऊंगा"
ताईजी की आवाज आयी बाजू के कमरे से "आयी बेटी. बस आ ही रही हूं"
मीनल ने फिर चिल्ला कर कहा "वो स्ट्रैप्स भी ले आइये. मैंने कहा था ना कि इनके बिना काम नहीं होगा"
दरवाजा खुला और मेरी सासूमां अंदर आयीं. लगता है अभी अभी नहा कर पूजा करके आई थीं, क्योंकि उन्होंने बदन पर बस एक साड़ी लपेट रखी थी, और कुछ नहीं पहना था. न ब्रा न पेटीकोट न ब्लाउज़. बाल गीले थे और खुले छोड दिये थे. साड़ी जगह जगह गीली हो गयी थी और उनके बदन से चिपक गयी थी. जहां जहां वो चिपकी थी, वहां उनके गोरे गोरे बदन के दर्शन हो रहे थे. छाती पर तो साड़ी इतनी गीली थी कि उनकी लटकती चूंचियां और उनपर के गहरे भूरे निपल साड़ी को एकदम चिपक गये थे.
"ये ले, ले आई वो स्ट्रैप्स. तकलीफ़ दे रहे हैं जमाईजी? मैंने पहले न कहा था मीनल बिटिया तुझसे कि पहले उनको सोते में ही बांध देना और फिर अपना काम करना. मेरे को मालूम है उनका स्वभाव, लीना सब बताती थी मेरे को फोन पर. चलो कोई बात नहीं, अब बांध देते हैं हमारे दामाद को. अनिल बेटा, हाथ ऊपर करो" ताईजी ने बड़े प्यार से मुझे आज्ञा दी. मैंने चुपचाप हाथ उठा दिये. हाई कमान के आगे और क्या कहता! ताईजी ने मेरे हाथ पलंग के सिरहाने के रॉड से उन वेल्क्रो स्ट्रैप से बांध दिये. फिर मेरे पैरों को नीचे वैसे ही पलंग के पायताने के रॉड से कस दिया. "मीनल, चल अब जल्दी निपटा. तेरी बस चली जायेगी तो फिर चिड़ चिड़ करेगी"
"चली जाये मेरी बला से, मैं तो जीजाजी से टैक्सी के पैसे वसूल कर लूंगी, वो भी कूल कैब के" मीनल अब मुझे जोर जोर से चोदने लगी. ताईजी ने बड़े लाड़ से अपनी बहू के कारनामे दो मिनिट देखे, फिर वापस जाने लगीं.
"अब आप कहां चली मांजी?" मीनल ने ऊपर नीचे होते हुए उनसे सवाल किया.
"अरे सोचा देख आऊं, लीना बेटी को कुछ चाहिये क्या. शादी के बाद पहली बार मायके आई है मेरी बेटी" ताईजी बोलीं.
"लीना ठीक है ताईजी, कुछ नहीं चाहिये उसको. वो ललित के कमरे में है. ललित को भी ग्यारा बजे ट्यूशन को जाना है. इसलिये लीना बोली कि तब तक जरा ठीक से छोटे भाई से मिल लूं, इतने दिनों बाद हाथ आया है. इसीलिये लीना ने मुझे कहा था कि मुझे ललित के साथ टाइम लगेगा, तुम तब तक अनिल का दिल बहलाओ ... और ताईजी .... जरा मेरे बेडरूम से मेरी पैंटी ले आइये ना, मैं जल्दी में वैसे ही आ गयी ... और बस अब मेरा होने ही वाला है ..."
"अभी लाई बेटी" कहकर ताईजी बाहर गयीं. मैं कमर उचकाने लगा कि मीनल की तपती गीली म्यान में अपना लंड जरा गहरा घुसेड़ सकूं तो चुदाई का और मजा आये..
"लेटे रहो जीजाजी चुपचाप ... अभी आप का वक्त नहीं आया, जरा धीरज तो रखो" मीनल ने मुझे डांट लगायी और फिर अपनी चूत ढीली छोड़कर मेरे पेट पर बैठकर सुस्ताने लगी. मैं झड़ने के करीब आ गया हूं ये उस शैतान को पता चल गया था.
"अब ठीक है? शुरू करूं फिर से?" दो मिनिट बाद मीनल भाभी बोली. "देखो कंट्रोल रखना अनिल नहीं तो ऐसे ही झड़ जाओगे, तुमको भी पूरा स्वाद नहीं आयेगा लंबी चुदाई का और मुझे भी फिर से साफ़ होना पड़ेगा. ऑफ़िस में पक्का लेट हो जाऊंगी. ठीक है? प्रॉमिस?" मैंने जब मुंडी हिला कर हां कहा तभी उसने फिर मुझे चोदना शुरू किया. जब तक ताईजी मीनल की पैंटी लेकर वापस आयीं, मीनल अपनी स्पीड अच्छी खासी बढ़ा चुकी थी. ऊपर नीचे उछलते हुए कस के मुझे चोद रही थी. उसकी मस्ती भी छलक छलक रही थी, अपने होंठ दांतों तले दबाये वो अब मुझे ऐसे चोद रही थी कि सौ मीटर की रेस दौड़ रही हो.
ताईजी ने पैंटी बिस्तर पर रखी और मीनल के चेहरे की ओर देखा. उसके तमतमाये चेहरे को देख कर उन्होंने अपनी बहूका सिर अपने हाथों में ले लिया. फिर बड़े प्यार से मीनल के होंठ चूमने लगीं. उनका एक हाथ अब मीनल की बुर पर था और उंगली से वे मीनल के क्लिट को रगड़ रही थीं. मीनल ने उनकी आंखों में देखा और उनके होंठ अपने होंठों में दबा लिये. सास बहू का ये प्यार देख कर मेरा लंड ऐसा उछलने लगा कि जैसे मीनल के पेट में घुस जाना चाहता हो. पर मैंने वायदा किया था, किसी तरह अपने लंड को झड़ने से बचाता उन दोनों का लाड़ दुलार देखता रहा.
अपने दबे मुंह से एक हल्की चीख निकालकर मीनल अचानक झड़ गयी. मेरा लंड एकदम भीग गया. मीनल लस्त होकर जोर जोर से सांस लेती मेरे पेट पर बैठी रही और ताईजी बड़े प्यार से उसके चुम्मे लेती रहीं. मीनल की पाठ थपथपा कर बोलीं "हो गया तेरा? बुझ गयी मन की प्यास? कब से कह रह थी कि अनिल और लीना जब घर आयेंगे तो ये करूंगी, वो करूंगी"
मीनल अब तक थोड़ी शांत हो गयी थी. मेरे लंड को अपनी गीली चूत से निकालकर उठते हुए बोली "हां मांजी, अगन थोड़ी शांत हुई मेरी. पर ये तो शुरुआत है, अभी इतनी आसानी से थोड़े छोड़ूंगी जीजाजी को! एकदम मतवाला लंड है, कड़क और लंबा. अंदर तक जाता है मुआ! मेरा रुमाल कहां गया? इतनी गीली हो गयी है बुर, पोछे बिना पैंटी भी नहीं पहन सकती"
"रुमाल ये रहा तेरा पर फिर दूसरा रुमाल लाना पड़ेगा. चल मैं पोछ देती हूं, बैठ इस कुरसी में जल्दी" ताईजी ने मीनल को बिस्तर से उतरने में मदद करते हुए कहा.
मीनल साड़ी ऊपर करके कुरसी में बैठ गयी "वैसे कायदे से जीजाजी ने अपनी जीभ से मेरी चूत साफ़ करना चाहिये, ये पानी सब उन्हींने निकाला है आखिर सजा उन्हीं को मिलनी चाहिये."
मैं बोला "अगर आप ऐसी सजा रोज देने की प्रॉमिस करें तो जनम भर आपका कैदी बन कर रहूंगा भाभीजी"
मीनल ने मुसकराकर बड़ी शोखी से मेरी ओर देखा और फिर बोली "सजा तो दे देंगे दामादजी को बाद में पर अब अगर मैं उनके मुंह पर बैठी तो फिर दस बीस मिनिट उठ नहीं पाऊंगी, और पानी छोड़ूंगी, फिर उनको और चाटना पड़ेगा, फिर ऑफ़िस को गोल मारना पड़ेगा"
ताईजी मीनल के सामने नीचे बैठ गयीं और बड़े लाड़ से मीनल की बुर और उसकी गीली जांघें चाटने लगीं. मीनलने अपनी टांगें और खोल कर उनके सिर को जगह दी कि ठीक से सब जगह उनकी जीभ पहुंच सके. ताईजी जब तक जीभ से उसकी टांगों पर बह आया रस पोछ रही थीं, मीनल शांत बैठी थी और मेरी तरफ़ देख रही थी. मैं बड़े इंटरेस्ट से सास बहू का ये अनोखा लाड़ प्यार देख रहा था. यह देख कर उसने मुझे मुंह चिढ़ाया जैसे कह रही हो कि लो, ये अमरित आज आपके भाग में नहीं था. फिर अपनी सास के खुले बालों में उंगलियां फिराती प्रेम से बोली "और मांजी, बाल सुखा कर ही जूड़ा बांधियेगा, गीला बांध लेंगी हमेशा जैसे और सर्दी हो जायेगी"
"हां मेरी मां, जैसा तू कह रही है वैसा ही करूंगी. अब तू जा, अब सच में देर हो गयी है" ताईजी ने उठते हुए कहा. मीनल ने पैंटी पहनी, साड़ी नीचे करके ठीक ठाक की और फिर निकलते वक्त मेरा एक लंबा गहरा चुम्मा लिया. जाते जाते बोली "आज अब आपकी खैर नहीं जीजाजी, हम तो बस आपको ऐसी ही मीठी सूली पर लटकाने वाले हैं दिन भर. वो तो मांजी अच्छे वक्त आ गयीं और मेरी मदद की नहीं तो मैं बस चढ़ी रहती आप पर और जरूर लेट हो जाती. अब शाम का देखती हूं आने पर आपकी क्या खातिर क्या जाये. ताईजी, अब आप रसोई में मत जाना, राधाबाई आने वाली है, वो सब संभाल लेगी. आप सिर्फ़ अनिल की ओर ध्यान दो, जरा देखिये उसको आप के लिये कैसा मस्त तैयार करके जा रही हूं. हां सोनू के लिये दूध की बोतल भर के रखी है, वो पिला देना उसको"
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