RE: Antarvasna Sex Kahani फार्म हाउस पर मस्ती
मेरी साँसें तेज हो गई थी और दिल की धड़कने बेकाबू सी होने लगी थी. मेरी आँखों में जैसे लालिमा सी उतर आई थी. मुझे तो पता ही नहीं चला कब मेरे हाथ अपनी चूत की फांकों पर दुबारा पहुँच गए थे. मैंने फिर से उसमें अंगुली करनी चालू कर दी. दूसरी तरफ तो जैसे सुनामी ही आ गई थी. गजेन्द्र जोर जोर से धक्के लगाने लगा था और मुनिया की कामुक सीत्कारें पूरे कमरे में गूँजने लगी थी। बीच बीच में वो उसके मोटे नितंबों पर थप्पड़ भी लगा रहा था. वो धीमी आवाज में गालियाँ भी निकाल रहा था और मुनिया के चूतडो पर थप्पड़ भी लगा रहा था. जैसे ही वो उन कसे हुए चूतडो पर थप्पड़ लगाता चूतड़ थोड़ा सा हिलते और मुनिया की सीत्कार फिर निकल जाती.
वो तो थकने का नाम ही नहीं ले रहे थे. जैसे ही गजेन्द्र धक्का लगता मुनिया भी अपने चूतड़ पीछे की ओर कर देती तो एक जोर की फच्च की आवाज आती. उन्हें कोई 10-12 मिनट तो हो ही गए होंगे. अब कुछ धीमा हो गया था.वो धीरे धीरे अपना लण्ड बाहर निकालता और थोड़े अंतराल के बाद फिर एक जोर का धक्का लगता तो उसके साथ ही मुनिया की चूत की गीली फांकें उसके लण्ड के साथ ही अंदर चली जाती.
मैंने कई बार ब्लू फिल्म देखी थी पर सच कहूँ तो इस चुदाई को देख कर तो मेरा दिल बाग-बाग ही हो गया था. मेरी आँखों में सतरंगी तारे जगमगाने लगे थे. मैंने अपनी चूत में तेज तेज अंगुली करनी चालू कर दी. मेरे ना चाहते हुए भी मेरी आँखें बंद होने लगी और मैं एक बार फिर झड़ गई.
अब गजेन्द्र ने मुनिया के चूतडो पर हाथ फिराया और दोनों गोलों को चौड़ा कर दिया उसके बीच काले रंग का फूल जैसे मुस्कुरा रहा था. उसने धक्के लगाने बंद नहीं किये थे. हलके धक्कों के साथ वो फूल भी कभी बंद होता कभी थोड़ा खुल जाता. अब वो अपना एक हाथ नीचे करके मुनिया की चूत की ओर ले गया. मेरा अंदाज़ा था कि वो जरुर उसकी चूत के दाने को मसल रहा होगा. अब उसने दूसरे हाथ का अंगूठा मुँह में लेकर उस पर थूक लगाया और फिर मुनिया की गांड के छेद में घुसा दिया.
इसके साथ ही मुनिया की एक किलकारी कमरे में गूँज गई.......... ईईईईईईईईईईईईइ............
शायद वो झड़ गई थी. कुछ देर वो दोनों शांत रहे फिर गजेन्द्र ने अपना लण्ड बाहर निकल लिया. चूत रस से भीगा लण्ड ट्यूब लाइट की दूधिया रोशनी में ऐसा लग रहा था जैसे कोई काला नाग फन उठाये नाच रहा हो. उसका लण्ड तो अभी भी झटके खा रहा था. मुझे तो लगा यह अपना लण्ड जरुर मुनिया की गांड में डालने के चक्कर में होगा. पर मेरा अंदाज़ा गलत निकला.
'मुनिया ,तेरी चूत तो अब भोसड़ा बन गई है.सच कहता हूँ एक बार गांड मरवा ले ! तू चूत मरवाना भूल जायेगी !'
'जाओ कोई और ढूंढ़ लो मुझे अपनी गांड नहीं फड़वानी !'
मुनिया घोड़ी बने शायद थक गई थी वो अपने चूतडो के नीचे एक तकिया लगा कर फिर चित्त लेट गई. चूत पर उगी काली काली झांटें चूत रस से भीग गई थी. अब गजेन्द्र फिर उसकी जाँघों के बीच आ गया और उसने अपना लण्ड हाथ में पकड़ कर उसकी चूत में डाल दिया. जब उसके ऊपर लेट गया तो मुनिया ने अपने दोनों पैर ऊपर उठा लिए, गजेन्द्र ने अपना एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे लगाया और एक हाथ से उसके मोटे मोटे उरोजों को मसलने लगा. साथ ही वो उसके होंठों को भी चूसे जा रहा था. मुनिया ने उसे कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया. ऐसा लग रहा था जैसे दोनों गुत्थम-गुत्था हो गए थे. गजेन्द्र के धक्कों की रफ़्तार अब तेज होने लगी थी.
मेरी चूत ने भी बेहताशा पानी छोड़ दिया था और ज्यादा मसलने के कारण उसकी फांकें सूज सी गई थी. मेरा मन कर रहा था कि मैं अभी दरवाज़ा खोल कर अंदर चली जाऊं और मुनिया को एक ओर कर गजेन्द्र का पूरा लण्ड अपनी चूत में डाल लूँ. या फिर उसको चित्त लेटा कर मैं अपनी चूत को उसके मुँह पर लगा कर जोर जोर से रगडूं ! पर ऐसा कहाँ संभव था. लेकिन अब मैंने पक्का सोच लिया था कि चाहे जो हो जाए, मुझे कुछ भी करना पड़े मैं इस मूसल लण्ड का स्वाद जरुर लेकर रहूँगी.
उधर गजेन्द्र ने धक्कों की जगह अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ना चालू कर दिया. मैंने मस्तराम की प्रेम कहानियों में पढ़ा था कि इस प्रकार लण्ड को चूत पर घिसने से औरत की चूत का दाना लण्ड के साथ बहुत रगड़ खाता है और औरत बिना कुछ किये धरे जल्दी ही झड़ जाती है. मुनिया की सीत्कारें बंद बाथरूम तक भी साफ़ सुनाई दे रही थी.
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