RE: Mastram Sex Kahani मस्ती एक्सप्रेस
शेखर आनंद ले रहा था। उसने दोनों हथेलियां बाँध के सिर के नीचे रखकर सिर ऊपर कर लिया था और पैर सीधे तान लिये थे, जिससे लण्ड और उठ गया था।
संगीता शेखर की जांघें पर बैठी थी। दायें हाथ का कप जैसा बनाकर उसने बेड का सहारा लिया था और बायें हाथ से चूत के ऊपर का हिस्सा दबा रखा था। वह कमान जैसी तन गई थी और ऊपर नीचे हो रही थी। छातियां ऊपर नीचे हो रही थीं। चूत लण्ड के बाहर कर लेती थी फिर एक झटके में पूरा अंदर कर लेती थी। अब उसकी गति काफी बढ़ गई थी। वह चूत पर लण्ड से चोटें लेने लगी थी। साथ ही तेज आवाजें निकालने लगी थी- “हिंहिमांहिं आंहिं आंहूँ आांहु हूँ आंहूँआंहूँहूँ…”
चूत लण्ड के बहुत ऊपर तक उठा लेती और सीधी लण्ड के ऊपर गिरती। लण्ड चूत में धक्क से चोट करता। बड़ी तेजी से सांस होठों से- “हुहुहु ऊऊहुहुहुऊऊऊहु रोरोऐै…” फिर एक बार जो चूत धप्प से गिरी तो कस के चिपक गई। उसने अपना सिर शेखर के सीने में गड़ा लिया। बांहों से उसे जकड़ लिया- “उईईई माँ मरीईईईई… मैं क्याआ करूंरू मैं मैं मैं…” वह बड़ी देर तक झड़ती रही।
उसने अपना सिर शेखर के सीने में गड़ाया तो फिर उठाया ही नहीं। शेखर उसको चूमना चाहता था।
लेकिन नहीं में सिर हिलाते हुये संगीता बोली- “पता नहीं आप मेरे बारे में क्या सोचते होंगे?”
शेखर बड़े प्यार से उसके बालों में उंगलियां फेरता हुआ बोला- “ऐसा कुछ नहीं। सोचता हूँ बहुत भूखी थी…” फिर उसने दोनों हथेलियों में सिर उठाते हुये पूछा- “है न?”
संगीता ने हाँमी में सिर हिला दिया।
शेखर ने शरारत से कहा- “लेकिन तुम्हारी एपेटाइत बहुत अच्छी है…”
संगीता का चेहरा लाल हो गया।
शेखर फिर बोला- “लेकिन यह तो अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है…”
वह फिर से शेखर से चिपक गई। शेखर ने उसे बांहों में बाँध लिया। उसके होंठ संगीता के होंठों पर चिपक गये। शेखर का लण्ड उसकी चूत में ही था। वह उसे बहुत धीरे-धीरे अंदर बाहर कर रहा था। वह वैसे ही पड़ी रही। थोड़ी देर में उसकी गाण्ड हिलने लगौ। शेखर थोड़ी जल्दी-जल्दी लण्ड आगे पीछे करने लगा, साथ ही उसके होंठों को जोर से चूसने लगा।
संगीता को मजा आने लगा था और उसकी चूत ने भी साथ देना चालू कर दिया। जब शेखर अंदर करता तो वह अपनी चूत लण्ड पर दबा देती और जब बाहर करता तो उसको आगे बढ़ा देती। शेखर बाकायदा लय से चोदने लगा। संगीता भी अब गर्मा चुकी थी। वह उसी लय से जवाब दे रही थी।
अब शेखर ने संगीता को बांहों में लिये हुये ही पलटा खाया। संगीता चित्त नीचे आ गई और वह उसके ऊपर था। लण्ड अभी भी अंदर था। शेखर खिसक कर उकड़ू बैठ गया। हथेलियों में उफनते हुये जोबनों को भर कर दबाते हुये लण्ड को गहराइयों तक पेलने लगा।
संगीता सी सी कर उठी। उसने दोनों हाथों से शेखर की कमर को जकड़ लिया। वह बेकाबू थी। चूत पानी-पानी हो रही थी। जब लण्ड चूत की दीवारों को चीरता गहराई में घुसता तो वह भी चूत को अपनी तरफ से धकेलती। संगीता जोरों से सांसें निकाले जा रही थी- “ऊ हुहुहु… हुहुहु… ओह्ह ऊऊऊऊ… हुह… हुऊ… ऊऊऊ… रिरिरीईई…” साथ ही बुदबुदा रही थी- “लगा तो पूरे जोर से… कचूमर निकाल दो इसका… शेखर देखें तुम्हारा जोर… आज छोड़ना नहीं इसे…”
शेखर और जोर से शंटिंग करता था- “लो भाभी, ये लो तुम भी क्या याद रखोगी… लो भाभी ये लो पूरा अंदर तक…” और एक कस के धक्का और लण्ड की मुठ चूत पर बैठ गई।
संगीता बोल उठी- “भाभी नहीं, तुम्हारी संगीता उसी दिन जैसी…”
शेखर- “भाई साहब का वह हक मैं नहीं लूंगा। तुम तो मेरी प्यारी सी भाभी डार्लिंग हो, इतनी खूबसूरत। लेकिन भाभी तुमने चूत के दर्शन का तो मौका ही नहीं दिया…”
उसने लण्ड बाहर खींच लिया। संगीता ने टांगें जितनी खोल सकती थी खोल दी थीं। लण्ड ने चूत का छेद फैला दिया था। चूत का भाग फूला हुआ बड़ा मस्त लग रहा था। चूत के होंठ रसीली फांकों से मुँह फैलाये थे। चूत की तितली ने उत्तेजना में पंख फैला दिये थे। गहराई तक छेद खुला हुआ था, एकदम गुलाबी पर्त-दर-पर्त भरपूर स्पंज की तरह नरम, भरा हुआ। छेद से रस टपक रहा था, गहराई तक पानी चमक रहा था। शेखर तो पागल हो गया- “हुऊऊ माई गोड… भाभीई मैंने तो ऐसी चूत नहीं देखी… इसको तो चूसूंगा। देखें तुम्हारी झड़ी हुई चूत का क्या स्वाद है?”
संगीता जल्दी से बोल पड़ी- “शेखर, नहीं चूसना नहीं…” और उसने चूत पर अपना हाथ रख लिया।
शेखर ने जोर लगाकर उसका हाथ एक तरफ कर दिया और अपना मुँह खुली चूत पर रख दिया। संगीता हाथ पैर झटक कर अलग होने की कोशिश करने लगी। लेकिन शेखर ने उसकी जांघें को कस के जकड़ रखा था और मुँह चूत पर कसके जमा रखा था। उसके दोनों पैर अपने कंधों पर ले रखे थे। संगीता अपनी दोनों टांगें पटक-पटक कर उसकी पीठ पर मारने लगी- “नई नई चूसो मत न… हटो मुँह हटाओ…”
लेकिन शेखर ने उसकी क्लिटोरिस को होठों में दबाकर चूसना शुरू कर दिया।
संगीता के ऊपर एकाएक असर पड़ा। वह एकदम आनंद में भर गई। उसने टांगें पटकना बंद कर दीं। चिल्ला उठी- “ओ माई ईईई ऊऊऊ हुहुहु ये क्या करते हो ओओओह्ह…”
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