RE: Mastram Sex Kahani मस्ती एक्सप्रेस
बाकई मेरे पास बहुत ही सस्ती ब्रेजियर थीं। इसका मतलब है उसने सूखने डाले अंदर के कपड़े अच्छी तरह देख लिये थे। तब तो उसने यह भी देख लिया होगा कि मेरी पैंटियों का चूत के सामने वाला भाग कैसा काला हो गया है। सोचकर बड़ी शरम सी आई।
उसने पूछा- “आपको अच्छा नहीं लगा?”
मेरे मुँह से निकल गया- “बहुत अच्छी गिफ्ट है…”
वह शरारत से बोला- “क्या पता? अगर पहन कर दिखाओ तब पता लगे…”
मैंने आँखें ततेर कर कहा- “क्या?”
वह पीछे हट गया- “सारी भाभी…”
लेकिन मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई चूत में फुरफुरी हो आई फिर भी बोल गई- “वो मैं अग्रवाल साहब के अलावा किसी को नहीं दिखाने वाली…”
एक दिन सोचा कि उसके गद्दे को झाड़ दूं। गद्दे को उठाया तो कई मैगजीन रखी थीं। कवर पर ही औरत की नंगी फोटो। एक को उठा के देखा तो आँखें खुली की खुली रह गईं। दूसरे पेज पर ही एक पूरी नंगी औरत दोनों ऊँगालियों से चूत खोले हुये लेटी थी और सामने एक नंगा आदमी खड़ा था जिसका बड़ा सा लण्ड तनकर खड़ा था। आगे वाले पेज में तो इससे भी बढ़कर था। औरत आदमी का आधा लण्ड लील चुकी थी। पूरी मैगजीन में एक से बढ़ कर एक दृश्य थे। ओ मां साथ में जो कहानियां थीं चुदाई का पूरा सचित्र वर्णन। सोचा मैगजीन को वहीं रख दूं। लेकिन छोड़ी ही नहीं गई। मैं वहीं शेखर के बेड पर लेट गई। पढ़ते-पढ़ते न जाने कब अपनी चूत सहलाने लगी। मैगजीन पूरी भी न कर पाई। जब एक कहानी का नायक बुरी तरह से नायिका को पेल रहा था और वह चिल्ला रही थी।
तो मैं अपनी चूत को बुरी तरह से रगड़ रही थी। शरीर ऐंठ गया था। चूचियां तन गई थीं। मैं अपनी बुर में लण्ड चाहती थी। उसी वक्त लण्ड लेने को छटपटा रही थी। उस रात मेरी चुदाई न होती तो मैं शायद अपने को न रोक पाती और रात मैं ही शेखर के पास आ जाती।
जब अग्रवाल साहब ने अपना लण्ड घुसेड़ा तो मैंने उन्हें कस के भींच लिया और खलास हो गई। ऐसा बहुत कम होता था। मुझे झड़ने में बड़ा समय लगता था। कई बार तो बगैर झड़े रह जाती थी। उनको भी बड़ा ताज्जुब हुआ।
यह शेखर के बारे में नई बात जानी थी। मुझे भी उन नंगी फोटो और चुदाई की कहानियां पढ़ने की लत लग गई। बहुत सोचती नहीं पढ़ूँगी लेकिन जब भी बेड ठीक करने जाती तो उसी के बिस्तर पर लेकर बैठ जाती। उसके बाद चूत में जो आग लगती उसे बुझाने के लिये अग्रवाल साहब का लौड़ा लेने के लिये जतन करने पड़ते। तबीयत होती शेखर के पास जाकर प्यास बुझा आऊँ।
जब कभी नई मैगजीन न पा पाती तो बड़ी बेचैन रहती। सेाचा शेखर के अंडरवेर बनियान भी क्यों न धोकर डाल दूं पूरे हफ्ते के जमा हो जाते हैं। जब अंडरवेर साफ कर रही की तो देखा कइयों पर झड़ा हुआ वीर्य सूख गया है। उस पर साबुन लगाते समय कंपकंपी आ गई।
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***** To be contd... ...
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