RE: Mastram Sex Kahani मस्ती एक्सप्रेस
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मिसेज़ अग्रवाल के चेहरे पर झेंप फैल गई- “जाओ भी तुम बहुत तेज हो। चख लेतीं हूँ दूसरा स्वाद कभी-कभी। लेकिन दो स्वाद एक साथ कभी नहीं चखे। पर खाती मज़े से हूँ और खूब खाती हूँ…”
रूपेश- “हाँ… मैं तो चीज़ देख के ही जान गया हूँ बेमिशाल। मैंने तो ऐसी कभी नहीं चखी…”
मिसेज़ अग्रवाल- “ऐसे कितनी चखी हैं?”
रूपेश “चख लेता हूँ कभी-कभी…”
मिसेज़ अग्रवाल- “बहुत शातिर हो…” और उसको कस के चूम लेती हैं फिर कहतीं हैं- “लेकिन ये चाकलेट क्यों पिघल रही है?”
रूपेश- “ना भौजी, इसमें बड़ा दमखम है…” उसने उकड़ू बैठ के दूर तक लण्ड बाहर करके गप्प से घुसेड़ दिया। हर वार पर उसका पेड़ू धप्प से खुली चूत पर पड़ने लगा। उसने दोनों हथेलियों में दोनों उभारों को भर लिया और बुरी तरह गूंधने लगा।
मिसेज़ अग्रवाल की उत्तेजना आने में देर नहीं लगी। उन्होंने सिसकना शुरू कर दिया।
रूपेश का लण्ड और तेजी से चूत में होने लगा।
मिसेज़ अग्रवाल हिस्टिरिक हो चुकी थीं। उन्होंने जोरों से रूपेश के सीने में सिर छुपा लिया। अपने दांत रूपेश के उभरे चूचुक पर गड़ा दिये। वह जोर-जोर से आवाज निकाल रही थीं- “हाँ हाँ लगाओ… और मारो… फाड़ डालो मेरी बुर को… देखें कितना जोर है लौड़े में…”
रूपेश भी जावाब दे रहा था- “ले और ले आज तक तुमने इटालियान बरफ ही खाई है आज जंबो चाकलेट का मजा चख…”
दोनों का बहसीपन बढ़ता ही गया। रूपेश लगाता गया मिसेज़ अग्रवाल लेती गई। रूपेश ने अंगूठा ले जाके जैसे ही क्लिटोरिस पर रखा, मिसेज़ अग्रवाल झड़ गईं। वो चिल्लाईं- “ये लाला, ये क्या किया? ऊऊऊऊ… मैं तो… हे राम मैं क्या करूं?” और उनकी चूत हवा में उठ गई।
रूपेश ने उनकी कमर पकड़ के बड़ी तेजी से लण्ड चूत में आगे पीछे किया। फिर वह भी चिल्लाया- “लो भौजी, मैं भी ख़लास्स हुआ…”
मिसेज़ अग्रवाल ने हाथ से पकड़ के उसका लण्ड बाहर खींच दिया। वह उनकी चूत के ऊपर बड़ी देर तक रस उगलता रहा।
राकेश बाथरूम के दरवाजे से यह नजारा देख रहा था उत्तेजित भी थोड़ा हो रहा था।
मिसेज़ अग्रवाल निढाल पड़ी थीं। बोली- “तुम लोग तो गजब के चोदू हो। लगता है सुनीता और रजनी भी बड़ी चुदैल हैं…” फिर अपनी चूत पर हाथ रखते हुये वह बोलीं- “ओ माँ ये तो भुस बन गई है हाथ लगाने से दुखती है। मैं तो अब पूरी तरह संतुष्ट हो गई हूँ। कुछ दिन इसको छेड़ूंगी भी नहीं। तुम लोग फ्रेस हो लो। चलो मैं तुम लोगों के लिये गरमा-गरम काफी बनाती हूँ। फिर तुम्हारी कहानी सुनेंगे…”
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***** to be Contd... ....
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