RE: Mastram Sex Kahani मस्ती एक्सप्रेस
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अबकी बार सामने और बेतकल्लुफी से बैठीं। टांगें चौड़ाये दोनों पैर सोफे पर रख लिये। टांगों के ऊपर की साड़ी ऊपर हो गई की नीचे की नीचे गिर गई थी। सामने चूत को केवल सिलिकन अंडरवेर ढके हुये थी जिसके ऊपर एक धब्बा उभर आया था। दो एकदम फक्क गोरी सुडौल रानें उनके बीच फँसी हुई पतली खाली पट्टी… वह दोनों उत्तेजित होने लगे थे। लण्ड उठने लगे थे जिनको वह बड़े ध्यान से देख रही थीं।
राकेश कहने लगा- “भाभी, तुम गजब हो, ऐसी चीज़ को अग्रवाल कैसे छोड़कर चले जाते हैं?”
मिसेज़ अग्रवाल- “जाने के पहले अपनी पूरी कसर निकाल लेते हैं, बाकी आने पर पूरी कर लेते हैं। हाथ लगाने से दुख रही है। पहले से तुम लोगों से वायदा न किया होता तो आज मैं आराम कर रही होती…”
रूपेश ने कहा- “भाभी ऐसा भी क्या तड़पाना? ना ही छुपाते हो ना ही मुँह दिखाते हो…” [/b]
मिसेज़ अग्रवाल ने आँख नचाई- “मुँह दिखाई की रश्म होती है…”
राकेश उठते हुये- “लो मैं रश्म पूरी किये देता हूँ…”
मिसेज़ अग्रवाल जल्दी से उठते हुये- “ना ना पहले दूल्हे मियां को तो देखने दो…” वह रूपेश और राकेश के बीच मैं सटकर बैठ जातीं है। दोनों तरफ हथेलियों से दोनों लण्ड थाम लेती हैं।
राकेश कमर में हाथ डालकर अपनी तरफ खींच लेता है।
वो सामने से छातियां पूरी गड़ा के कस के चिपक जाती हैं, उसके होंठों को अपने होठों से दबा लेती हैं और नीचे हाथ डालकर उसका लण्ड बाहर निकाल के फुसफुसाती हैं- “ये तो बहुत ज्यादा दबंग है…”
राकेश पीठ पर ब्लाउज़ के बटन और ब्रेजियर के हुक खोल देता है। रूपेश उठकर के उनकी साड़ी खींच लेता है और आगे हाथ डालकर नाड़ा खोल के पेटीकोट खींच लेता है। वह उतारने के लिये पैंटी पकड़ता है कि मिसेज़ अग्रवाल उठकर के खड़ी हो जाती हैं- “इसको अभी रहने दो…”
उनका पूरा बदन दमकता है। उम्र के बावजूद उनकी भरी-भरी छातियां गोल-गोल और सख्ती से खड़ी हुई हैं। खाली घुंडियां तन करके आधा इंचा ऊँची हो गईं। बदन पर कोई थुलथुल मांस नहीं। वो बोलीं- “पहले आप लोगों की बारी है…”
इसके साथ ही वह राकेश का पैंट उतारने को बढ़ती हैं लेकिन इसकी जरूरत नहीं पड़ती। वह दोनों अपने-अपने कपड़े उतार फेंकते हैं। दोनों का तन्नाया लण्ड खड़ा होता है।
मिसेज़ अग्रवाल के मुँह से निकल जाता है- “हे मां, आप दोनों तो एक दूसरे से होड़ ले रहे हैं मैं कैसे लूगी ये?”
उत्तेजना में राकेश उनको बांहों में बाँध लेता है। वह राकेश को लिये हुये सोफे पर गिर जाती हैं फिर फिसला कर नीचे कालीन पर घुटने के बल बैठ जाती हैं। राकेश के लण्ड की सुपाड़ी खोलकर अपने होठों मैं दबाकर उसको चूसने लगती हैं। राकेश का शरीर एकदम तन जाता है।
रूपेश पीछे से उनकी चूचियां जकड़ लेता है तो दूसरा हाथ बढ़ाकर वह उसका लण्ड पकड़ लेती हैं और लण्ड पकड़े हुये राकेश के बगल में बैठा लेती हैं। राकेश को अब पूरा का पूरा निगलती जाती हैं और रूपेश के लण्ड की मुट्ठी मारती जाती हैं। मिसेज़ अग्रवाल ने दोनों गोलाइयां राकेश के पैरों पर दबा ली हैं। राकेश हाथ डालकर उनकी चूचियों को मुँह और हथेलियों में ले लेता है और अपने होंठ उनकी चिकनी सुडौल पीठ पर चिपका देता है।
मिसेज़ अग्रवाल की घुटी-घुटी चीख निकल जाती है। वह बुदबुदाती जाती है जिसमें आनंद मिला हुआ है। वो पीछे से पैंटी के अंदर हाथ ले जाके बीच की उंगली उनकी चूत के अंदर कर देता है जो तर हो रही है। मिसेज़ अग्रवाल एकदम उछल जाती हैं, राकेश के लण्ड पर दांत गड़ा देती हैं, रूपेश का लण्ड बहुत कस के मुट्ठी में जकड़ लेती हैं। वह दोनों चीख उठते हैं। मिसेज़ अग्रवाल की रफ्तार बहुत तेज हो जाती है साथ ही वह अपनी चूत भी रूपेश की उगली पर ऊपर नीचे करती जाती हैं, क्योंकी रूपेश उंगली ज्यादा अंदर नहीं कर सकता है। तीनों लोग जोर-जोर से आवाजें निकाल रहे हैं।
सबसे पहले मिसेज़ अग्रवाल चिल्लाती हैं- “ओ मांँ… मैं तो गइई…” वह बड़ी जोर से राकेश के लण्ड को चूसती हैं। रूपेश के लण्ड पर कस के मुट्ठी मारती है। वह बड़ी देर तक झड़ती रहती हैं साथ ही जोरों से सीईई… की आवाज करती रहती हैं।
राकेश अपना गाढ़ा रस उनके मुँह में उगल देता है।
रूपेश की धार हवा में फौवारे की तरह छूट जाती है।
मिसेज़ अग्रवाल अपना मुँह हटा लेती हैं। रिस-रिस करके सफेदी नीचे गिरती जाती है। मिसेज़ अग्रवाल ने सोफे पर दोनों के बीच बैठकर उनके सिर को अपनी छातियों से चिपका लिया। तीनों देर तक निढाल से पड़े रहे। फिर दोनों को चूमकर उन्होंने बेडरूम में चलने को कहा।
बेडरूम में शानदार किंग साइज़ का बेड पड़ा था और एक दीवाल पर सोफे लगे हुये थे। मिसेज़ अग्रवाल बाथरूम से आकर बोलीं- “अब मैं अपनी दिखाने को तैयार हूँ… लेकिन दूंगी तब जब आप अपनी मस्त चुदाई की कहानी सुनायेंगे…”
राकेश और रूपेश वैसे ही नंग-धड़ंग सोफे पर बैठ गये थे। उनके सामने पलंग पर बैठकर मिसेज़ अग्रवाल ने एक झटके से अपनी कच्छी खींचकर उतार दी। वह उनके जूस से तर हो रही थी। फिर उन्होंने उंगली में घुमाकर उन लोगों की ओर फेंका।
वह रूपेश के मुँह पर पड़ी। उसने बड़े प्यार से मस्ती से उसे चूमा और लंबी सांसों से सूँघा।
मिसेज़ अग्रवाल ने टांगें चौड़ी कर दीं। माई गोड… डबलरोटी की तरह फूली उनकी फुद्दी थी एकदम सफाचट… पैर फैलाने से संतरे की फांक से होंठ खुल गये थे, बीच में तितली सी क्लिटोरिस उठी हुई थी और उसके नीचे चूत का छेद खुला हुआ था, एकदम गुलाबी, गहराई तक गीला और चमकता हुआ। एकदम पकी हुई प्रौढ़।
रूपेश के मुँह से निकल गया- “ओ माई गोड ऐसी चूत तो मैंने आज तक नहीं देखी…”
दोनों के लण्ड जो उठे हुये थे तन्नाकर सीधे ऊपर हो गये। उठकर वे पलंग की तरफ बढ़े।
मिसेज़ अग्रवाल ने टोका- “पहले सुनीता और रजनी की चुदाई की बातें…”
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