RE: Mastram Sex Kahani मस्ती एक्सप्रेस
सुनीता एकदम कांप गई- “ओओ माँ अंअंअं अंआंआं आआआ आआआ मैं तो गईईईई… … …” उसने कसके चूत शिशिर के मुँह से चिपका दी और जोरों से दोनों हाथों से उसका सिर टांगों में दबा लिया।
शिशिर बड़ा उत्तेजित हो उठा। उसने लण्ड पेलने की गति बढ़ाई और उसके लण्ड ने वीर्य उगलना चालू कर दिया। रजनी ने मुँह से लण्ड निकाल लिया। लण्ड से गाढ़ा रस निकलता ही जा रहा था। रजनी ने सुनीता की पैंटी उठा ली और ढेर सारा वीर्य उस पर ले लिया।
रजनी उठी और खड़े होकर शिशिर से चिपक गई। शिशिर के वीर्य से भरे अपने होंठ, सुनीता के रस से गीले शिशिर के होठों से सटा दिये। रजनी ने उठकर सुनीता की ओर देखा तो वह निढाल पड़ी हुई थी। साड़ी उलटी हुई थी। बड़ी ही चिकनी और सुडौल टांगों के बीच चूत की फांकें तराशी हुई डबलरोटी की तरह फूली हुईं थी। उनके ऊपर बड़े सलीके से कतरे हुये सुनहरे बालों का तिकोन सा बना था। दोनों फांकें फैल गईं थीं। अंदर का गुलाबीपन दिखाई दे रहा था जिसके अंदर से नमी झांक रही थी। बुरी तरह चूसने से चूत लाल हो गई थी। पेट और टांगों पर जरा सा भी ज्यादा मांस नहीं था। सब कुछ एकदम अनुपात में। ब्लाउज़ बुरी तरह से मसला हुआ था जिसमें से सुडौल गोलाइयां उभरी हुई थीं। सफेद साड़ी में चूत खोले कोई अप्सरा पड़ी थी। रजनी पहली बार अपनी अंतरंग सहेली के अंदर के भागों को देख रही थी।
इस बीच शिशिर बाथरूम चला गया था। रजनी की चूत में आग लगी हुई थी। रजनी ने एक झटके से अपनी सलवार का नाड़ा खोल लिया और चूत के रस से गीली हो गई पैंटी को खींचकर निकाल फेंका। अपना कुर्ता भी निकाल फेंका और बिल्ली की तरह चलती हुई सुनीता के ऊपर आ गई। वह सुनीता के ब्लाउज़ के बटन खोलने लगी। रजनी पहली बार ऐसा कर रही थी।
सुनीता भौचक्की रह गई, बोली “रजनी… ये क्या करती हो?”
रजनी तब तक उसका ब्लाउज़ और ब्रेजियर अलग कर चुकी थी। बड़े-बड़े गोले स्प्रिंग से उछलकर बाहर आ गये थे। रजनी ने देखा तो बोल पड़ी- “सुनीता, तू बाकई बहुत खूबसूरत है…”
रजनी ने सुनीता का बायां उभार चूचुक सहित मुँह में भर लिया और अपनी चूत सुनीता की चूत के ऊपर बैठा दी। जब रजनी की चूत की पंखुड़ियों ने सुनीता की चूत के अंदर रगड़ा तो सुनीता को बहुत अच्छा लगा। उसने रजनी की पतली कमर अपनी दोंनों टांगों के बीच भर ली और अपनी टांगें उसकी कमर पर कसकर उसकी चूत को और कसकर अपनी चूत में घुसा लिया।
रजनी ने अपनी दाईं चूची उसके मुँह में दे दी।
शिशिर जब बाथरूम से आया तो उसने देखा कि सुनीता चित्त लेटी है, रजनी उसके ऊपर लेटी है। रजनी सुनीता की एक चूची चूस रही है और सुनीता रजनी की चूची पर पिली पड़ी है। सुनीता की नारंगी की तरह रस से भरी हुई सुनहरे तराशे बालों वाली चूत रजनी की लंबी फांक वाली रसीली सफाचट चूत में लाक है। सुनीता की चूत का एक होंठ रजनी की चूत में घुसा है और रजनी की चूत का एक होंठ सुनीता की चूत के भीतर। दोनों एक दूसरे की चूत के अंदर के दाने को रगड़ रही हैं। चूत को ज्यादा से ज्यादा खुला रखने के लिये सुनीता ने अपनी टांगें रजनी की कमर पर कस रखी हैं और रजनी ने टांगें फैला रखी हैं। दोनों कस-कस के आवाजें निकाल रही हैं।
यह देखकर शिशिर का लण्ड तनकर उत्तेजना से हिलने लगा। वह आगे बढ़ा और पलंग के पैताने जाकर उसने उन दोनों को वैसे ही गुथी हालत में पलंग के किनारे तक खींच लिया। पैताने खड़े-खड़े ही उसने अपना लण्ड हाथ से पकड़ा, सुनीता की चूत के मुंह पर रखा और एक झटके में ही पूरा अंदर कर दिया।
सुनीता के मुँह से निकला- “उईई माँ…”
उसने दो तीन बार उसको अंदर बाहर पेला। फिर अपना लण्ड बाहर खींच लिया। फिर से मुट्ठी में पकड़ा और अबकी बार रजनी के सुराख से मिलाया और जोर लगा के घुसाता ही गया।
रजनी कराह उठी- “ओ माई गोड…”
दो तीन बार उसने उसकी चूत में ही अंदर बाहर किया फिर खींच लिया। फिर उसने सुनीता की बुर पर लगाया और बोला- “लो भाभी अब तुम लो…” और सारा का सारा अंदर कर दिया।
सुनीता बनावटी शिकायत से- “देवरजी, तुम तो अंदर तक हिला देते हो…”
बाहर खींचकर शिशिर ने रजनी की बुर में एक झटके में पूरा भीतर ओर कहा- “लो रजनी भाभी तुम लो…”
रजनी- “हाँ… लगाओ तुम्हारे लण्ड में जोर है तो मेरी चूत भी कम नहीं…”
शिशिर एक बार सुनीता को चोदता था और एक बार रजनी को। दोनों के अंदर उसका लण्ड एक की चूत से निकलता तो दूसरी की चूत में घुस जाता।
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