RE: Mastram Sex Kahani मस्ती एक्सप्रेस
सुनीता और शिशिर
उसी दिन शाम को शिशिर और कुमुद सुनीता के यहां डिनर पर आये। शिशिर का बर्ताव मेरी तरफ बड़ा नरम था जैसे कुछ हुआ ही न हो। मैंने सुनीता को उकसाया तो अकेला पाकर उसने शिशिर से बात की।
सुनीता- “तुम बाकई भाभी के हकदार हो। तुमको अपने को सौंपकर मैंने कोई भूल नहीं की। रजनी वापिस जा रही है। वह मेरी बड़ी अंतरंग है। उसकी तमन्ना पूरी कर दो। समझो मेरी तरफ से यह तोहफा है…”
शिशिर आश्चर्य से- “भाभी क्या बात करती हो? मैं तुम्हारे और कुमुद के अलावा किसी को नहीं छुऊंगा फिर तुम्ही तो उस दिन मुझ पर लांछन लगा रही थी और मेरे से अलग हो जाना चाहती थीं…”
सुनीता- “वह तो तुमको समझने के लिये कहा था। अब उसकी अच्छी तरह से मरम्मत कर दो कि शर्त लगाने की हेकड़ी भूल जाये…”
शिशिर- “भाभी मैं तो तुम्हारे बगैर किसी को नहीं करूंगा…”
सुनीता हँस के- “तो फिर कुमुद को क्यों लगाते हो?”
शिशिर- “कहो तो करना छोड़ दूं…”
सुनीता- “नहीं नहीं… तुम कहां बात ले जाते हो। मैं कह रही हूँ कि तुम रजनी को करो बस…”
शिशिर- “तो आपको भी मौजूद रहना पड़ेगा…”
सुनीता- “यह कैसे हो सकता है? रजनी मेरे सामने कैसे करायेगी?”
शिशिर- “क्यों नहीं करायेगी? जब आपकी अंतरंग है और आपसे फरमाइश कर सकती है…”
सुनीता- “अच्छा देवरजी, अब समझी तुम्हारी चालाकी दोनों को एक साथ लगाना चाहते हो…”
शिशिर- “जाओ मैं नहीं करूंगा…”
सुनीता- “अच्छा भाई, हम दोनों हाजिर हो जायेंगी…”
|