RE: Mastram Sex Kahani मस्ती एक्सप्रेस
मिसेज़ वर्मा घिघिया उठीं- “इसे मत करो मैं नहीं ले पाऊँगी सही में मैं नहीं ले सकती इसे प्लीज़्ज़…”
भौजी बोली- “लेगी कैसे नई? इतना डलवाने के लिये शोर जो मचाबे है…” उन्होंने डिल्डो को चूत के छेद में घुसेड़ा तो बड़ी मुश्किल से अंदर गया। उन्होंने घुमा करके और भीतर करना चाहा।
तो मिसेज़ वर्मा तड़पने लगीं। वह सिर यहां वहां पटक रही थीं और बोले जा रही थीं- “मत करो प्लीज़्ज़…”
भौजी ने जोर लगाके डिल्डो को आधा अंदर कर ही दिया।
मिसेज़ वर्मा के मुँह से एक चीख निकली। अब भौजी डिल्डो को आगे पीछे कर रही थीं साथ ही चूत की घुंडी पर अंगूठा फेरती जा रही थीं। धीरे-धीरे मिसेज़ वर्मा को मजा आने लगा। वह आनंद में भर कर ‘सी सी’ करने लगीं थीं। बोले जा रही थीं “घुसेड़ दो उसको और अंदर लगाओ जोर कस के…” लेकिन डिल्डो उनके अंदर उससे ज्यादा और नहीं घुस सकता था।
वह भौजी को अपने ऊपर खींचना चाहती थीं आदमी जैसा कस के प्यार पाने के लिये।
भौजी ने कहा- “लो अब कौन इनको संभालेगा?”
और मिसेज़ वर्मा की एक सहेली चूत खोल के उनके ऊपर लेट गई। सेर को सवा सेर मिल गया था।
होली की महफिल
होली की शाम को सब लोग नहा-धोकर शिशिर के यहां इकट्ठे हुये। मलहोत्रा परिवार न आ सका, उनके यहां मेहमान आ गये थे। कुमुद ने सेब, पापड़ी, गुझिया, भांग की बरफी और भांग मिली ठंडाई का इंतेजाम कर रखा था। होली के माहौल का असर था ऊपर से भांग का शुरूर, सब बहक रहे थे। राकेश ने सुझाया कि सब लोग अपने-अपने पहले सेक्स का अनुभव सुनायें।
सब एक साथ बोले- हाँ सब लोग अपनी अपनी बीती बतायें। सबसे पहले मेजबान शिशिर से कहा गया कि वह अपना अनुभव बाताये।
.
Next update "होली की महफिल"
|