RE: Mastram Sex Kahani मस्ती एक्सप्रेस
मिसेज़ अग्रवाल भी जोक में कहां पीछे रहने वालीं थीं, कहने लगीं- “बात उस समय की है जब मिसेज़ मलहोत्रा जनरल स्टोर्स को संभालती थीं। ग्राहक को खुश रखने का उन्हें काफी जोश था। एक बार एक ग्राहक आया। उसे निजी चीजें खरीदनी थीं। सबसे पहले उसने अच्छी ब्रेजियर मांगी…”
मिसेज़ मलहोत्रा ने पूछा- “क्या साइज़ है?”
ग्राहक ने कुछ देर सोचा फिर चटखारे लेकर हाथ की एक-एक उंगली चूसने लगा फिर अंगूठे को दिखा के बोला इस साइज़ की।
मिसेज़ मलहोत्रा- “नहीं भाई, कप साइज़ क्या है?”
ग्राहक की समझ में नहीं आया।
मिसेज़ मलहोत्रा ने कहा- “देखो इधर…” फिर अपना आंचल गिरा के अपने उभार सामने करती हुई बोलीं- “इतने बड़े हैं या इनसे छोटे?”
ग्राहक- “इस तरह खड़े नहीं होते…”
मिसेज़ अग्रवाल आगे कुछ कहतीं उसके पहले ही मिसेज़ मलहोत्रा बोल पड़ीं- “हाँ याद पड़ता है मिस्टर अग्रवाल आये थे। उन्होंने सबसे बड़ी साइज़ की ब्रेजियर ली थी। लेकिन दूसरे दिन वापिस ले आये थे कि यह तो बहुत छोटी है…”
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