RE: Chudai Sex कलियुग की सीता—एक छिनार
मैने अपने मक्खन दार चूतड़ ,जो कीम की वजह से शाइन कर रहे थे;पतिदेव की लप्लपाति जीभ के सामने कर दिए,पतिदेव ने दोनो हाथों से मेरे चूतड़ पकड़ के जैसे ही जीभ आगे बधाई,मेरे चूतड़ गुस्से से पागल हो गये.मैने पतिदेव के गालो पर ज़ोर का तमाचा लगाया तो उनकी आँखो मे आँसू आ गये,शायद वो सोच रहे थे कि क्या ग़लती की है?मैने उनके बाल पकड़ के कहा
मैं(सीता)-नही पतिदेव जी,छूना नही है ,सिर्फ़ चाटना है
अब्दुल ख़ान शायद मेरे पतिदेव की परेशानी समझ गये…पास आकर अब्दुल ख़ान मेरे चूतडो को थाम लिए तो मैने मुस्कुरा के उनको आँख मार दी.अब्दुल ख़ान मेरे चूतडो को फैला के खड़े थे और पतिदेव अपनी जीभ मेरी गान्ड के सामने कुत्ते की तरह फैला के खड़े थे…पतिदेव मेरे अशोल पे जीव रख कर चाटने लगे लेकिन होल इतनी टाइट थी कि जीभ अंदर घुस नही रही थी….अब्दुल ख़ान ने मेरे पतिदेव के सर को मेरे चूतड़ से दूर करते हुए मुझे झुका दिया….फिर नीचे बैठ कर मेरे चूतड़ के दोनो पाट पर जोरदार तमाचे लगाते चले गये,कभी इस हाथ से तो कभी उस हाथ से…मेरे चूतड़ कराह रहे थे लेकिन खुश हुई कि मेरा आस होल अब थोड़ा ढीला हो गया,अब मैं आराम से पतिदेव से अपनी गान्ड चटवा सकती थी…..और सच मे,उसके बाद पतिदेव ने मेरे अशोल मे अंदर तक जीभ घुसा के सफाई की,तब तक सामने से अब्दुल ख़ान मेरी चूचियों की मिसाई करते रहे…..अशोल चटवा के मैं मस्त हो गयी थी लेकिन पेशाब लग गयी थी….मैने सोचा टाइम वेस्ट हो जाएगा सो पतिदेव को मूह खोलने के लिए कहा…और अपनी चूत सामने करते हुए उनके सर को पकड़ लिया…….मेरी चूत से पेशाब की एक मोटी धार निकली और पतिदेव उसे अमृत की तरह पीते चले गये….मेरा पिशाब पी लेने के बाद पतिदेव ने अपने होठों को ऐसे पोन्छा जैसे लस्सी पी हो.
इस वाकये मे मैं बहुत थक चुकी थी ,सो पति देव को अपने पैर दबाने के लिए कहा कि घुटने से उपर नही बढ़ना है…पतिदेव बहुत देर तक मेरे पैरो की मालिश करते रहे….तब तक अब्दुल ख़ान कमरे से निकल कर पता नही,कहाँ चले गये थे…..
पता नही, अब्दुल ख़ान कहाँ गये थे लेकिन जब आए तो शैतानी से बाज़ नही आए और आते ही मेरे चूतडो पर थप्पड़ लगा दिए…..फिर मुट्ठी खोल के दिखाए तो उसमे एक सोने की रिंग थी जिसके बीच मे जाड़ा हुआ डाइमंड दूर से ही चमक रहा था,उसमे एक छोटा सा घुँगरू भी था..मैने पूछ ही लिया;
मैं(सीता)-ये क्या है नवाब जी?
अब्दुल(मेरी नथुनि पर हाथ फेरते हुए)-सीता डार्लिंग,हम नवाब हैं,जब भी किसी की सील तोड़ते हैं तो कुछ तोहफा ज़रूर देते हैं…उस दिन मैने ट्रेन मे तुम्हारी नथ तो उतार दी थी लेकिन उस वक़्त मेरे पास कुछ तोहफा नही था,इसे तो अब मैं अपने हाथों से तुम्हारी चूत मे पहनाउन्गा
मैं चिहुनक उठी;
मैं(सीता)-उउईईईईई दैयाआअ ,चूत मे?????????
अब्दुल-हां सीता डार्लिंग,जब तक तुम्हारी चूत मे ये घूँघरू बजता रहेगा,तब तक तुम्हे याद रहेगा कि तुम्हारी चूत की सील अब्दुल ख़ान ने तोड़ी है.
फिर अब्दुल ख़ान ने चुटकी से मेरी चूत को फैलाते हुए चूत मे रिंग गाँठ दिया…कलाकार ऐसे की चूत मे रिंग पहनते हुए मुझे सिर्फ़ हल्का सा दर्द हुआ….मेरी चूत पर सोने की रिंग ऐसी फॅब रही थी जैसे माथे पे बिंदिया.
देखकर नवाब जी का लंड हाथी की तरह चिंघाड़ने लगा…अब्दुल ख़ान ने मेरे दोनो पैर कंधे पर रखते हुए चूत के मुहाने पर अपना मूसल रगड़ दिया……मेरी चूत हाई हाई करने लगी थी…अब्दुल ख़ान ने मेरी चूत मे धीरे से लंड घुसाया तो फिर से बहुत दर्द हुआ .हाला कि अब्दुल ख़ान मेरी चूत की झिल्ली ट्रेन मे ही फाड़ चुके थे,फिर भी मेरी चूत इतनी टाइट थी कि उंगली भी मुस्किल से घुसती,नवाब जी का लंड तो फिर भी बंपिलाट था,9इंच लंबा और बेलन जितना मोटा…..मुझे लगा आज मेरी उस खूबसूरत चूत की धज्जियाँ उड़ जाएगी,जिस पर मुझे बड़ा नाज़ था…..लेकिन नवाब जी तो दूसरे ही मूड मे थे…ऐसा धक्का मारा मेरी चूत मे कि मेरी चूत ककड़ी की तरह फट ती चली गयी और अब्दुल ख़ान तो ऐसे गुस्से मे थे
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