RE: Chudai Sex कलियुग की सीता—एक छिनार
नवाब जी का लंड फूफ्कार मारने लगा.दोनो हाथो को ब्लाउस के अंदर घुसा कर नवाब जी ने फिर से मेरी नंगी चूचियों को मसल दिया और मेरे मक्खन दार गालो पर एक ज़ोर की पप्पी लेते हुए कहा,’सीता डार्लिंग,मुझे तुम्हारी चूचियों का दूध पीना था,क्यो,बहुत दर्द हुआ क्या?’.ख़ान साहेब के खुर्दरे हाथो से अपनी मस्तानी चूचियों को मसलवा के मैं फिर चुदाई के लिए तड़पने लगी थी उपर से ऐसी बाते सुनकर मेरी चूत फिर फुदकने लगी.नवाब साहेब के लंड को और झटके देने के लिए मैने उनकी ओर देखकर आँख मारी और नवाब जी के मूसल लंड पर एक प्यार भरी चपत लगाते हुए कहा,सेख जी,लेकिन दूध निकलेगा कैसे मेरी चूचियों से,अभी तक तो मैं कुँवारी शादी शुदा थी.नवाब जी ने दोनो चूचियों की घुंडी को चुटकी मे दबा के मसल दिया और मेरे फूले हुई गालो पे चुम्मि लेते हुए कहा,’घबराओ मत सीता डार्लिन्,अब्दुल ख़ान तुम्हे बच्चा भी देगा और चूचियों मे दूध भी,नवाब का ये वादा है सीता कि तुम्हारी चूत से एक दर्ज़न बच्चे निकालूँगा.’नवाब जी की बात सुनकर मैं शर्मा गयी
अब्दुल ख़ान ने मुझे सीधा किया और मुझे फिर से
नंगी कर दिया तब तक ट्रेन खुल चुकी थी….मैं चादर के अंदर पूरी
नंगी थी और वो भी मेरे चादर मे आगये और अपना लंड मेरी चूत मे
डाल कर मुझे चोदने लगे………मुझे तो
बहुत ही मज़ा आ रहा था….फिर मेरी चूत ने पानी छोड़ा और वो भी
झाड़ गये. उसी चादर मे हम दोनों सो गये….थोड़ा अच्छा नही लग रहा था लेकिन अब क्या
फ़ायदा मैं तो चुड चुकी थी ………. मैने यही सोचा कि एक रात मे
मैं लड़की से औरत बनी थी और आज एक ही रात मे मैं औरत से रंडी
बन गयी …..सुबह स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो हम दोनो नीचे उतरने के लिए बढ़ गये.नवाब जी ट्रेन से उतर गये लेकिन मैं साड़ी पहने थी ,सो दिक्कत हो रही थी.नवाब जी देख कर मुस्कुराए और आगे बढ़ कर मेरी कमर पर अपने हाथ रख दिए,फिर फिसला कर दोनो हाथ साड़ी के उपर ही मेरी मदमस्त चूतडो पर जमा दिए.मैं नवाब जी की छाती से चिपकी नीचे पहुँच गयी.लोगो को हमारी तरफ ही देखते देख कर मैने शर्म से नज़रे झुका ली.अचानक नवाब जी ने मेरे चूतडो पर चुटकी काटी तो मैं चिहुनक कर उनकी तरफ देखने लगी.वो मुझसे अड्रेस माँग रहे थे.अड्रेस दे कर मैं अपने मायके घर आ गयी.1 हफ्ते बाद वापस पातिदेव के पास भी चली गयी लेकिन इस बार किसी अब्दुल ख़ान से मुलाकात नही हुई,मन मसोस कर रह गयी………………….
मायके से मैं घर लौटी तो पतिपर्मेश्वर स्टेशन पर फूलों का गुलदस्ता लिए खड़े थे…आज करवा चौथ थी,इस लिए मैं जल्दी से घर पहुच कर पूजा करना चाहती थी….मैने येल्लो कलर की साड़ी पहन रखी थी,गले मे मंगल सुत्र और माथे मे सिंदूर…बाहर निकले तो पतिपर्मेश्वर ने कार का गेट खोला और मैं पीछे बैठ गयी…..पतिदेव ड्राइवर की सीट पर जा बैठे…रास्ते मे एक दुकान पर अब्दुल ख़ान को देखकर मैं चौंक पड़ी….मेरी चूत मे चुनचुनी हो गयी…ट्रेन के सारे नज़ारे आँखो के सामने घूमते चले गये….मैं वो हादसा याद करके सिहर गयी जिस वक़्त मेरी चूत से खून की नदियाँ बह निकली थी….मुझे लगा अब्दुल ख़ान तो मेरी सील तोड़ चुके हैं लेकिन निशानी के तौर पर वो मेरी चूत के खून से भींगी लूँगी साथ लेते चले गये…मुझे वो माँग लेनी चाहिए…
मैने पतिदेव को गाड़ी रोकने को कहा और दुकान की ओर चल पड़ी…और अब्दुल के पास जा के कहा ‘हाई’.अब्दुल ख़ान मुझे देखकर उछल पड़े खुशी से… हम दुकान से बाहर आए तो देखा पतिपर्मेश्वर एक निहायत ही खूबसूरत बुर्क़ापोश लड़की को सीटी बजा कर छेड़ रहे हैं….लड़की की आँखो से ही बयान हो रहा था कि वो कितनी खूबसूरत होगी…शायद पतिपर्मेश्वर उसका हुस्न देखकर अपने होश मे नही रह गये थे…वो लड़की जिसका नाम शायद तबस्सुम था,ने पतिपर्मेश्वर के पास आते ही उनके गालो पे थप्पड़ लगा दिया..तुमने हिमाकत कैसी की तबस्सुम को छेड़ने की…पतिदेव हैरान थे कि जिसे वो अभी तक नाज़नीन समझ रहे थे,अचानक डाइनमाइट कैसे बन गयी थी…भीड़ जमा हो गयी थी वहाँ ,पातिदेव अपने गाल सहला रहे थे और तबस्सुम अपनी आँखो से शोले बरसाते हुए चीख रही थी:हम सब जानते हैं तुम जैसे लोगो को,घर मे तो बीवी को चोद नही पाते हो और बाहर जैसे ही किसी परदानशीन देखते हो कि फिसल जाते हो…
पतिदेव तबस्सुम के पैरो पर गिर पड़े:मुझे माफ़ कर दीजिए मोहतार्मा,आज से वादा करता हूँ कि किसी भी मुस्लीम लड़की की तरफ ग़लत नज़र से नही देखूँगा,देखूँगा तो इज़्ज़त की नज़र से.
तबस्सुम:हरामज़ादे,तूने मेरा पैर क्यो छुआ.तुम सारे लोग लातों के भूत हो ऐसे नही मनोगे,आज तो मैं तुझे ऐसा सबक सिखाउन्गि कि ज़िंदगी भर मुस्लिम लड़कियो से दूर भागोगे
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