RE: Chudai Sex कलियुग की सीता—एक छिनार
.नवाब जीअब मेरी सीट पे ही थे और उनका लंड अभी भी मेरे हाथ मे था,ऐसा मूसल लंड मैने कभी सोचा भी नही था,
उनका लंड 9″ का था और बहूत मोटा भी था. तभी नवाब जी मुझे अपने से अलग
किया और मेरे एक एक कपड़े निकले. अगले ही मिनिट मे मैं पूरी नंगी हो
गयी. अब वो भी अपने पाजामे को नीचे सरका के अंडरवेर निकाल दिए.
फिर सामने खिड़की को अच्छे से मिला दिया और अब बाहर से अंदर नही
दिख रहा था……फिर ख़ान साहेब मेरे ऊपर चढ़ गये …. मेरी दोनो चूचियाँ नवाब जी की छाती से चिपकी हुई थी, नवाब जी ने अपने होंठ मेरे होंठो पे रख
दिए और चूसने लगे…..मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था मैं
ख़ान साहेब के लंड को उपर और नीचे कर रही थी…..फिर नवाब जी ने अपना एक हाथ
मेरी नंगी चूत पे रखा ,मैं तो मचलने लगी.अभी परसो ही तो पति परमेश्वर ने हेर रिमूवर से मेरी चूत साफ की थी. अब्दुल ख़ान ने अपनी एक उंगली मेरी सफाचट चूत के अंदर डाल दी ….. मेरी चपरगददे की तरह फूली हुई मक्खन जैसी चिकनी चूत गीली हो चुकी थी…
.तभी नवाब जी ने अपना लंड मेरी चूत पे रगड़ना सुरू कर किया……मैं तो ऊह और आह
ही कर रही थी,पहली बार किसी शेख का लंड अपनी चूत पर रखवाई थी….अचानक शेख जी ने अपने लंड को मेरी चूत के उपर रखा और उसको भीतर पुश करने लगे… शादी के बाद भी मैं चुदि नही थी सो मेरी चूत बहुत
टाइट तो थी ही ,उस पर से पहला ही लंड ऐसा फौलादी मिला कि जाने पे मुझे बहुत दर्द हुआ.आपकी इस सील बंद सीता की चूत से जैसे खून की नदी बह निकली. नवाब जी ने जो अपनी लूँगी नीचे बिछाई थी,वो आपकी सीता की चूत से लाल-लाल हो गयी थी.और नवाब जी का बंपिलाट लंड आपकी इस सीता की चूत के अंदर मुस्तैदी से झंडा फहरा रहा था. अभी तो नवाब जी का सिर्फ़ 3 इंच लंड ही अंदर गया था आपकी सीता देवी की चूत के अंदर.सच कहती हू मेरे चुड़क्कड पाठको, मुझे तो समझ नही आ रहा था कि अगर पूरा 9इंच अंदर गया तो मेरी चूत का
क्या हाल होगा….फिर नवाब जी ने एक कस के धक्का मारा और मेरी आँखो मे
आँसू आ गये बहुत ही दर्द हुआ मुझे……उनको ये बात समझ मे आई
सो वो लंड घुसाने के बाद मुझ से ऐसे ही चिपके रहे और मेरे रसदार होठों
को चूस्ते रहे….जब 3-4 मिनिट के बाद मैं थोड़ी सी नॉर्मल हुई तो
अब्दुल ख़ान साहेब ने अपने लंड को अंदर और बाहर करना सुरू किया…..ऐसे कर के
वो मुझे धीरे धीरे चोदने लगे……फिर नवाब जी ने मेरी निपल्स को
चूसना सुरू किया मुझे बहुत ही मज़ा आरहा था …….. ऐसे ही
लगभग 8-10 मिनिट चुदाई के बाद मैं झाड़ गयी. 2-3 मिनिट के
बाद वो भी झाड़ गये और अपने लंड का सारा पानी मेरे अंदर डाल
दिया….वो फिर भी मुझ से चिपके रहे….कुछ देर के बाद हम दोनो
अलग हुए तो मैने किसी तरह से ही अपने कपड़े पहने….पैंटी और ब्रा
तो नही पहन पाई लेकिन बाकी कपड़े मैने पहन लिए…
.अभी रात के 11 बज रहे था मैं नवाब जी के सीने पे अपना सिर रख के सोई थी
और उनका एक हाथ मेरी चूचियों का भूगोल नाप रहा था.तभी ट्रेन स्टेशन पर रुक गयी.
….अब्दुल ख़ान नीचे जाने लगे और मुझे भी
बोले कि तुम भी चलो और कुछ खा लो मैने कहा कि मैं ऑलरेडी खा
चुकी हूँ…..फिर वो ज़िद करने लगे तो मैने भी सोचा कि अब इस.से
क्या ख़तरा ऑलरेडी ये मुझे चोद तो चुका ही है सो अब क्यों नखरे
करना और मैं नीचे उतर गयी. वहाँ सामने एक रेस्टोरेंट था. उधर ही एक
साइड के टेबल पे हम दोनो बैठ गये और खाना खाए.खाना खा के वो बुकस्टॉल पर चले गये.
मैं ट्रेन मे आकर अपने सीट पे चादर ओढ़
के सो गयी. तभी कुछ देर मे नवाब जी पीछे से आए और मेरी दोनो मदमस्त चूचियों को ब्लाउस के उपर से ही पकड़ कर मसल दिए.मेरी ओवरसाइज़ चूचियाँ अब्दुल ख़ान की हथेली मे दबकर सीत्कार उठी.मैं पाजामे के ऊपर से सेख जी के बंपिलाट लंड को सहलाते हुए सीसीयाई,’उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़,मेरी चूचियों को आटे की तरह गुंथने का इरादा है क्या ख़ान साहेब??’
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