RE: Chudai Sex कलियुग की सीता—एक छिनार
सुबह मैं उठी पति परमेश्वर की आवाज़ से .वो हाथ मे चाइ की ट्रे लेकर खड़े थे.मैं बेड से उठी और तकिये के सहारे लेटकर नाइट गाउन के बटन बंद करते हुए बोली,’क्या आज ,इतनी सुबह सुबह क्यों उठा दिए?’मेरे पति की रोज की दिन चर्या थी वो बेड टी ले कर मुझे जगाने आते थे..पतिदेव बेड के एक कोने मे बैठकर मेरे पैरों को सहलाते हुए बोले;”भूल गयी मेडम जी,आज आपको मायके जाना है,10 बजे ही ट्रेन है आपकी..”
मैने टाइम देखा तो हड़बड़ा गयी,8 बज चुके थे.मैं जल्दी से बेड से उठी और गुसलखाने मे घुस गयी.तैयार होकर स्टेशन पहुचि और दौड़ते दौड़ते एसी 2न्ड टियर मे घुसी.अपने बर्थ पर जाके मैने सुकून की साँस ली.मेरे बगल वाली सीट पे एक 45साल का 6 फिट लंबा अधेड़ आदमी था, कसरती बदन और सावला था देखने मे,शायद मुस्लिम था,उसने पठानी सूट पहन रखा था….उसकी नज़रे मेरे गदराए बदन का ऐसे एक्स-रे कर रही थी जैसे आँखों ही आँखों से मुझे चोद डालेगा..
मेरी जाँघो के बीच की राजकुमारी मे चुनचुनी हो गयी.मैने कमर पर से साड़ी पकड़ के हल्का सा उठाई और अपनी
सीट पे गयी .उसने पूछा,’चलो मैं तो अकेला बोर हो गया था,आप आई तो अब सफ़र भी आराम से कट जाएगा,आपका नाम क्या है?’..
’मेरा नाम सीता है’ मैने अपनी आँखों को बंद करते हुए कहा.मुझे लग रहा था ये सख्स जबरन मेरे पीछे पड़ जाएगा,फिर भी तकल्लूफ के लिए पूछ दिया,’और आपका नाम?
उसने ज़रा सा मेरी ओर खिसकते हुए कहा,’वैसे तो हमारा पूरा नाम मुहम्मद.अब्दुल ख़ान है,शेखों से ताल्लुक रखते हैं.लेकिन आप मुझे शॉर्ट मे नवाब कह सकती हैं’.नवाब जी के हट्टे कट्टे बदन से मुसलमानी इत्र की खुसबू मेरे नथुनो मे चली गयी. मेरी रसीली चूत मे कीड़े रेंगने लगे थे,ध्यान बाँटने के लिए मैं मेगजीन निकाल के पढ़ने लगी….मैं बहुत ही गरम
हो रही थी क्यों कि शादी के बाद भी बिना चुदाई के रही थी अपने पातिदेव के लंड के बारे मे सोचते ही मैं ठंढी हो जाती थी….मेगजीन पढ़तेपढ़ते मैं सो गयी तभी रात के 9 बजे होंगे………..
मुझे नींद मे सपना आ रहा था कि मैं बशीर ख़ान चाचा से चुद रही हूँ. पता नही कब
नींद मे ही मेरा हाथ मेरी चूत पे चला गया और मैं अपनी कमसिन चूत को
सहलाने लगी, मैने पिंक कलर की बनारसी साड़ी पहनी थी,शादी के वक़्त तोहफे मे मिले सुहाग जोड़े को पहनने का मौका इस से पहले नही मिला था.. मैं अपने दोनो पैर फैलाके अपनी चूत को मसल रही थी,
कॉमपार्टमेंट मे अंधेरा था. तभी अब्दुल ख़ान जो सो रहे थेउनकी भी नींद खुल गयी और वो बैठ के मुझे देखने लगे, कुछ देर
देखने के बाद वो भी अपना हाथ मेरी चूत पे रख दिए और इस
तरह से सहलाने लगे कि उनका हाथ मेरे हाथो से टच ना हो, सो
काफ़ी देर तक नवाब जी ने मेरी चूत को सहलाया और उसमें उंगली भी करने का
ट्राइ किया साड़ी के ऊपर से ही. फिर अब्दुल ख़ान ने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे नाज़ुक
हाथो मे दे दिया.
मुझे हाथ मे गर्मी का एहसास हुआ तो मेरी आँख खुल गयी
मैने देखा कि नवाब जी मेरी चूत को सहला रहे है और मेरे हाथ मे उनका
लंड है. मैं जल्दबाज़ी मे कुछ समझ नही पाई तब तक वो मेरी चादर
मे घुस गये और मुझे अपनी बाँहो मे कस के पकड़ लिया. मैं जो कि
पहले से ही गर्म थी इस हरकत के बाद मैं और भी गरम हो गयी और
मेरे ऊपर सेक्स इस तरह से हावी हो गया था कि मैं उनको अपने से दूर
करने के बदले उन्हें और भी अपने पास खीच लिया…पता नही कैसे लेकिन
मेरा दिमाग़ का काम करना एक पल के लिए बंद हो गया था…
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