Desi Kahani Jaal -जाल
12-19-2017, 10:54 PM,
#94
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--93

गतान्क से आगे...... 

"नही,वकील साहब हमे कोई ऐतराज़ नही.",वकील की बात पे प्रणव,रीता & शिप्रा ने 1 दूसरे को देखा & फिर रीता ने जवाब दिया. "अच्छी बात है.तो मेरा काम ख़त्म होता है.मिस्टर.प्रणव,समीर के बाद दे फॅक्टो Cएओ तो आप ही हैं.अब आप ही कि ये ज़िम्मेदारी बनती है कि जल्द से जल्द शेर्होल्डर्स की मीटिंग बुलाएँ & फिर ग्रूप के मालिकाना हक़ की बाते सॉफ करे." "जी,वकील साहब.",वकील ने सब से विदा ली तो प्रणव उसे बाहर तक छ्चोड़ने आया.उसे यकीन नही हो रहा था कि उसका सपना सच होने वाला था.उसके ज़हन मे पिच्छले 10 दिनो की बाते घूम रही थी.वो यक़ीनन समीर की ही लाश थी.उसने भी पहचाना था & रंभा ने भी.उसे महादेव शाह पे बहुत गुस्सा आया था कि उसने उसे बिना बताए ये काम कर दिया.वो शाह को चाह कर भी फोन नही कर सकता था क्यूकी मामला अभी पोलीस के हाथ से निकला नही था. समीर की लाश 1 ताबूत मे बंद कर मेहरा परिवार के बंगल के 1 हाल मे रखी गयी थी जहा सभी उसे श्रद्धांजलि देने आ रहे थे.शाह भी आया & वही सबकी नज़र बचा समीर ने उस से ये सवाल किया. "पर प्रणव,मैने कुच्छ नही किया.मैं तो बस सोच ही रहा था इस बारे मे & ये हादसा हो गया." "मतलब आपने नही कराया ये सब?",प्रणव की आँखे हैरत से फॅट गयी थी..तो क्या तक़दीर उसपे मेहेरबान थी?..अब उसे सारी ज़िंदगी इस राज़ को सीने मे दबाए रखने की भी ज़रूरत नही थी. समीर की मौत की खबर सुनते ही रीता ने उसका गिरेबान पकड़ लिया था & उसपे इल्ज़ाम लगाया था कि समीर का आक्सिडेंट करवा उसे लाचार बनाने के चक्कर मे प्रणव ने ही ये सब कराया था.बड़ी मुश्किल से प्रणव अपनी सास को समझा पाया था.वो सच बोल रहा था & रीता को उसपे यकीन करना ही पड़ा था..बस अब 15 दिन बाद सब कुच्छ उसका होगा..रंभा तो बस नाम की मालकिन होगी. "प्रणव..",वो अपना नाम सुन ख़यालो से बाहर आया. "ह-हां..अरे रंभा.बोलो?" "मैं कुच्छ दिन के लिए यहा से बाहर जाना चाहती हू." "बाहर?कहा?.. क्यू?" "बस प्रणव यहा रहने मे अब मेरा जी घबराता है." "मैं तुम्हारी हालत समझता हू,रंभा पर बस मीटिंग हो जाने दो फिर चली जाना." "मीटिंग कब तक होगी?" "देखो,जल्द से जल्द भी कर्वाऊं तो भी 15-20 दिन तो लग ही जाएँगे." "तो प्लीज़ प्रणव मुझे जाने दो,मैं मीटिंग के लिए आ जाऊंगी." "पर जाओगी कहा?" "क्लेवर्त." "क्लेवर्त?" "हां,प्रणव.मैं यहा से दूर जाना चाहती हू & वो जगह मुझे पसंद है." "ओक,मैं वाहा होटेल वाय्लेट मे इत्तिला कर देता हू." "थॅंक्स,प्रणव.",रंभा बड़ी शालीनता से उसके गले लगी,"..तुम मेरा कितना बड़ा सहारा हो ये तुम्हे पता नही." "प्लीज़,रंभा.ऐसी बाते कर मुझे शर्मिंदा ना करो.",दोनो पूरी तरह से नाटक कर रहे थे पर जहा रंभा प्रणव की हक़ीक़त से वाकिफ़ थी वही प्रणव अभी भी अंधेरे मे था. रंभा & शाह की देवेन & विजयंत मेहरा के हराड जाने के बाद 1 मुलाकात हुई थी जिसमे उन्होने समीर की मौत की सारी प्लॅनिंग की थी.शाह ने पर्दे के पीछे रह के 1 ट्रक ड्राइवर को ये काम सौंपा था.रंभा उसके साथ हर वक़्त मौजूद रही थी.दोनो ने उसी दिन तय कर लिया था की किस दिन रंभा क्लेवर्त जाएगी & उसके बाद किस दिन दोनो शादी करेंगे. रंभा अगले दिन क्लेवर्त के होटेल वाय्लेट पहुँची.अगले 3 दिनो तक वो 1 दुखी विधवा का नाटक करती रही & चौथे दिन उसने उसी बुंगले मे जाने की बात कही जहा वो & विजयंत ठहरे थे & देवेन चोरी से घुसा था.अब होटेल वालो को क्या करना था इस से.वो मालकिन थी जहा मर्ज़ी जाए,जो मर्ज़ी करे! रंभा ने विजयंत के उस दोस्त से पहले ही बात कर ली थी & उसने खुशी-2 उसे वाहा की चाभी दी थी.रंभा 1 रात वाहा रही & अगली सुबह 1 बॅग लेके 1 कार खुद चलके उस मंदिर पे पहुँची जहा उसे महादेव शाह से शादी करनी थी. उस मंदिर के 1 कमरे मे उसने कपड़े बदले.शाह अपनी होने वाली दुल्हन के लिए गहने लाया था जिन्हे रंभा ने अपने बदन पे सजाया.इस मौके के लिए उसने खुद ही 1 सारी चुनी थी.उसी सारी मे 2 घंटे बाद वो शाह की बीवी बन चुकी थी.पति की मौत के 15 दिनो बाद ही रंभा ने दूसरी शादी कर ली थी. मंदिर से निकलते-2 शाम ढल चुकी थी.रंभा ने अपनी कार महादेव शाह के ड्राइवर के सुपुर्द की & खुद उसकी कार मे बैठ उसके साथ उसके बंगल को चल दी.शाह ने उसे इस बारे मे भी पहले ही बता दिया था.शाह बहुत खुश था.उसे तो लग रहा था की वो दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान है.वो कार चलते हुए बार-2 अपनी नयी-नवेली दुल्हन को देखे जा रहा था.अपनी खुशी मे उसका ध्यान उस कार पे नही गया जो मंदिर से ही उसके पीछे लगी थी. मंदिर क्लेवर्त के बाहर था & शाह का घर भी वाहा से दूर था.घर जाने से पहले रास्ते मे शाह ने खाना पॅक करवाया जिसे घर पहुँचते ही दोनो ने खाया.ये सब निबटते रात के 10 बज गये. "ओह!रुकिये ना!",शाह ने खाना ख़त्म होते ही अपनी दुल्हन को बाहो मे भर लिया था,"ऐसे नही.",रंभा उसे खुद से दूर करती शोखी से मुस्कुराइ,"..आज हमारी सुहागरात है & वो ऐसे नही मानूँगी मैं.मेरा कमरा सज़ा है या नही?",कमर पे हाथ रख उसने अपने शौहर से सवाल किया. "उपर जाके देख लो.",शाह की आँखो मे उसकी बात से वासना के लाल डोरे तैरने लगे थे. "ठीक है.आपको जब बुलाऊं तब आईएगा.",रंभा साथ लाया बाग उठा मुस्कुराती सीढ़िया चढ़ने लगी.शाह वही हॉल मे बैठ गया & टीवी देख वक़्त काटने लगा.45 मिनिट बाद उसके कानो मे रंभा के बुलाने की आवाज़ आई तो वो किसी जवान लड़के की तरह सीढ़िया फलंगता उपर कमरे तक पहुँचा. महादेव शाह कमरे मे दाखिल हुआ तो सामने का नज़ारा देख उसका दिल खुशी & रोमांच से भर गया.फूलो से भारी सेज के बीचोबीच गहरे लाल रंग के लहँगे मे लाल ओढनी मे चेहरा छिपाए रंभा बैठी थी.मद्धम रोशनी माहौल को & रोमानी बना रही थी.शाह मुस्कुराता बिस्तर की ओर बढ़ा & अपनी दुल्हन के पास बैठ उसका घूँघट उठाया.रंभा की माँग मे टीका चमक रहा था & नाक मे नाथ.उसकी आँखे हया के मारे बंद थी.रंभा ने ये सारा नाटक शाह को अपने जाल मे फँसाए रखने के लिए किया था पर सच्चाई ये थी की माहौल ने उसपे भी असर किया था & उसकी शर्म पूरी तरह से नाटक नही थी. शाह ने रंभा की ठुड्डी पकड़ उसका चेहरा उपर किया.उसे यकीन नही हो रहा था की उसने शादी कर ली थी.जिस चीज़ को वो सारी उम्र फ़िज़ूल समझता रहा,आज इस लड़की की वजह से वो उसकी ज़िंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन गयी थी.रंभा की धड़कने तेज़ हो गयी थी..ऐसा तो उसे समीर के साथ अपनी पहली सुहागरात के वक़्त भी महसूस नही हुआ था..शाह उसके रूप को निहारे जा रहा था..वो इस चेहरे को चूम चुका था,इस नशीले जिस्म के रोम-2 से अच्छी तरह वाकिफ़ था..उसे बाहो मे भर जी भर के प्यार किया था उसने..मगर फिर भी आज वो उसे नयी लग रही थी,आनच्छुई लग रही थी. शाह आगे झुका & रंभा के सुर्ख लाबो को हल्के से चूम लिया.रंभा ने शर्मा के मुँह फेर लिया.शाह मुस्कुराया & उसके सर से ओढनी को नीचे सरका दिया.ऐसा करते ही उसकी सांस तेज़ हो गयी & उसका हलक सूख गया.रंभा ने चोली ही ऐसी पहनी थी.स्ट्रिंग बिकिनी के टॉप की तरह गले मे माला की तरह 1 डोरी & पीठ पे2 पतली बँधी डोरियो के सहारे उसके सीने को ढँकी चोली के गले से उसका क्लीवेज नज़र आ रहा था.शाह ने पीछे देखा & रंभा की नंगी पीठ देख उसका लंड खड़ा हो गया.रंभा ने बहुत ढूँदने के बाद ये चोली पसंद की थी क्यूकी उसे पता था कि उसे इसमे देख उसका दूसरा शौहर जोश मे पागल हो जाएगा. रंभा के मेहंदी लगे हाथ उसके घुटनो पे थे.शाह झुका & उसके हाथो को चूम लिया.रंभा ने शर्मा के हाथ पीछे खिचने चाहे तो शाह ने उसका बाया हाथ पकड़ लिया & उसकी हथेली चूम ली.रंभा उसके होंठो की च्छुअन से सिहर उठी.शाह उसकी कलाई से कंगन & चूड़िया उतारते हुए चूमने लगा.कुच्छ ही पॅलो मे बिस्तर के 1 कोने मे उसकी दोनो कलाईयो से उतरे कंगन & चूड़िया पड़ी थी & शाह उसके दोनो हाथो को बेतहाशा चूमे जा रहा था.रंभा शर्म से मुस्कुराते हुए हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी पर शाह की पकड़ मज़बूत थी. उसके हाथो को पकड़े हुए शाह उसके चेहरे पे झुका & उसके बाए गाल को चूमने लगा.रंभा अब मस्त हो रही थी.शाह उसके दाए गाल को चूमने लगा पर उसकी नाथ आड़े आने लगी.शाह ने उसकी नाथ उतारी & उसे बाहो मे भर लिया.नंगी पीठ पे उसके आतूरता से फिरते हाथो ने रंभा को मस्ती मे सिहरा दिया & वो उसकी बाहो मे पिघलने लगी.शाह उसके चेहरे को अपने होंठो की गर्माहट से लाल किए जा रहा था.शाह उसके बाए गाल को चूमते हुए उसके बाए कान तक पहुँचा जहा लटका झुमका उसे चुभ गया.झुमका बस कान के छेद मे लटका हुआ था.शाह ने उसे दन्तो से पकड़ा & उतार दिया & फिर उसकी कान की लौ को जीभ से हल्के से चटा & फिर काट लिया.रंभा मस्ती मे करही & जब उसके शौहर ने यही हरकत दाए कान के साथ दोहराई तो उसने भी उसे बाहो मे कस लिया. शाह उसके माथे को चूम रहा था.उसने उसकी माँग से टीका हटाया & अपने नाम का सिंदूर देख उसका दिल रंभा के लिए मोहब्बत & जोश से भर गया.उसने उसकी माँग चूमि & दाया हाथ पीछे ले जा उसके जुड़े को खोल दिया.रंभा की गोरी पीठ पे काली ज़ूलफे बिखर गयी.शाह उसकी रेशमी ज़ुल्फो को उसकी पीठ पे सहलाने लगा तो रंभा के जिस्म मे झुरजुरी दौड़ गयी.शाह उसे बाहो मे भर चूमते हुए लिटा रहा था.फूलो से भरे बिस्तर पे दोनो लेट गये & 1 दूसरे को चूमने लगे.दोनो के हाथ 1 दूसरे के जिस्म पे फिसल रहे थे & होठ सिले हुए थे.ज़ुबाने आपस मे गुत्थमगुत्था थी & जिस्म 1 दूसरे से मिलने को बेताब थे. रंभा इस वक़्त सब भूल चुकी थी.उसे उस कमरे के रोमानी माहौल के सिवा & किसी बात का होश नही था.पाजामे मे क़ैद शाह का लंड उसकी चूत पे दबा था,उसकी चूचियाँ वो अपने सीने से पीस रहा था & उसकी मज़बूत बाहे उसकी कमर को जकड़े हुई थी.शाह के मर्दाना जिस्म की नज़दीकी से रंभा की चूत अब बहुत मस्त हो गयी थी.शाह उसके होंठो को छ्चोड़ चूमता हुआ उसकी गर्देन पे आ गया.रंभा उसके बालो को सहला रही थी.शाह उसके क्लीवेज को चूम रहा था & उसका दाया हाथ उसके पेट पे घूम रहा था.वो उसकी नाभि को कुरेदता & फिर उसके चिकने पेट को सहलाने लगता.रंभा की चूत की कसक अब बहुत बढ़ गयी थी & वो अपनी जंघे आपस मे रगड़ने लगी थी.शाह को अब उसके जिस्म का तजुर्बा हो चुका था & वो अपनी दुल्हन की हालत बखूबी समझ रहा था. वो उसके सीने को चूमते हुए नीचे उतरा & उसके पेट को चूमने लगा.रंभा आहे भरने लगी.शाह अपनी ज़ुबान उसके पेट पे घुमाता & फिर पेट के हिस्से को मुँह मे भर चूस लेता.रंभा बिस्तर पे कसमसा रही थी & उसके बालो को नोच रही थी.शाह ने ज़ुबान उसकी नाभि मे उतार दी & घुमाने लगा.अब बात रंभा की बर्दाश्त के बाहर हो गयी.वो शाह के सर पकड़ उसकी ज़ुबान को अपनी नाभि से अलग करने की कोशिश करने लगी,उस से ये एहसास सहा नही जा रहा था.पर शाह ने उसकी कोशिश नाकाम कर दी & उसकी नाभि को & शिद्दत से चाटने लगा & तब तक चाटता रहा जब तक रंभा झाड़ नही गयी & सुबकने लगी. शाह उसके पैरो के पास चला गया & उन्हे चूमने लगा.ऐसा करने से उसके पैरो की पायल बजने लगी & उसकी रुनझुन ने माहौल को & रोमानी बना दिया.शाह उसके पैरो की उंगलियो को चूमने के बाद उपर बढ़ने लगा.जैसे-2 वो उपर बढ़ रहा था,वैसे-2 उसका लहंगा भी उपर सरकने लगा.ज्यो-2 उसकी गोरी टाँगे नुमाया हो रही थी,शाह का जोश भी बढ़ रहा था.रंभा अभी भी अपनी भारी-भरकम जंघे मस्ती मे आहत हो रगड़ रही थी.शाह उसकी टाँगो को चूमते हुए उसके घुटनो तक आ गया था & उन्हे चूम रहा था.उसके हाथ लहँगे को रंभा की कमर तक उठा चुके थे & उसकी मखमली जाँघो पे बेसब्री से घूम रहे थे.रंभा की आहें अब & तेज़ी से कमरे मे गूँज रही थी. शाह उसके घुटनो के बाद उसकी जाँघो पे आया & उन्हे ना केवल चूमने लगा बल्कि चूसने भी लगा.रंभा मस्ती मे बिस्तर की चादर & सर के नीचे के तकिये को भींच रही थी & ऐसा करने मे उसके हाथो तले बिस्तर पे बिछि फूलो की पंखुड़िया पिस रही थी.शाह उसकी चूत तक पहुँच गया था.लाल रंग की छ्होटी सी सॅटिन पॅंटी मे ढँकी चूत की नशीली खुश्बू नाक से टकराते ही शाह उसे चोदने को आतुर हो उठा पर वो जानता था की थोड़ा सब्र रखने से मज़ा भी दोगुना हो जाएगा. ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ क्रमशः.
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