RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--83
गतान्क से आगे......
महादेव शाह अपने दाए हाथ मे लंड को पकड़,बाए से रंभा की ठुड्डी थाम उसके गुलाबी होंठो पे अपने लंड को रगड़ रहा था.कुच्छ देर बाद रंभा ने अपने होंठ ज़रा से खोले & उसके सूपदे को चूमा.शाह खुशी से भर गया & उसने लंड को अंदर धकेला,रंभा ने सुपादे को मुँह मे भरा & & फिर चूमा.
"हां..जान..आहह..चूसो..इसे ..प्यार करो..रानी..ओह..!",शाह उसे बढ़ावा देते हुए लंड को उसके मुँह मे धकेल रहा था.थोड़ी देर मे आधा लंड रंभा के मुँह मे था & वो उसकी कमर पकड़े उसे चूस रही थी.शाह उसके सर को थामे उसकी ज़ुल्फो से खेलता खुशी से आहे भर रहा था.रंभा ने कुच्छ देर बाद उसके लंड को बाए हाथ मे थामा & हिलाते हुए उसके सूपदे को चाटने लगी.
शाह तो जैसे जन्नत मे पहुँच गया था.उसे उम्मीद नही थी कि ये लड़की इतनी मस्त होगी.वो उसके आंडो को दबाते हुए लंड को चाट रही थी,उसकी झांतो मे नाक घुसा के मुँह रगड़ रही थी.रंभा भी उस तगड़े लंड को देख जोश मे आ गयी थी.उसके नाज़ुक हाथ मे वो लंड & बड़ा लग रहा था & उसके ज़हन मे ये ख़याल आया कि उसकी कोमल चूत का वो क्या हाल करेगा & वो और मस्त हो गयी.
शाह ने दोनो के जिस्मो को इस तरह घुमाया कि वो शीशे मे रंभा को अपना लंड चूस्ता देख सके.रंभा के लिए भी इस तरह खुद को लंड चूस्ते देखना बड़ा मस्ताना तजुर्बा था.शाह तो पागल ही हो गया था.कुच्छ देर बाद रंभा ने उसका लंड छ्चोड़ दिया,"अब हो गया.",शरमाते हुए वो बिस्तर पेलेट गयी & अपना मुँह तकिये मे च्छूपा लिया.
शाह ने उसकी उभरी गंद को सहलाया तो वो चिहुनकि.शाह ने उसकी टाँगे पकड़ उसे खींचा & उसकी गंद को बिस्तर के किनारे से लगा के टाँगे हवा मे उठा दी.अब वक्त आ गया था उस नज़नीन के जिस्म के साथ मिल इस खेल के सबसे मस्त हिस्से को अंजाम दे भरपूर मज़ा पाने का.रंभा धड़कते दिल के साथ अधखुली आँखो से उसे देख रही थी.
शाह ने उसकी टाँगे उठा के उसकी जाँघो के निचले हिस्से को पकड़ उसकी चूत को बिल्कुल नुमाया किया & फिर लंड को चूत पे रख दिया.जैसे ही लंड चूत से सटा रंभा की कमर अपने आप उचकी मानो कह रही हो की लंड को फ़ौरन चूत मे घुसाओ!शाह ने उसकी जाँघो के निचले हिस्सो पे हथेलिया जमा के आगे झुकना शुरू किया & कमरे मे रंभा की आह गूँज उठी.
"आहह..!",मोटा लंड उसकी चूत को बुरी तरह फैला रहा था & वो दर्द & मज़े मे कराह रही थी.उसका जिस्म कमान की तरह मूड गया & उसने सर पीछे ले जाके आँखे बंद कर ली थी.शाह धीरे-2 लंड को जड तक उसकी चूत मे उतार रहा था & पूरा अंदर जाते ही वैसे ही उसकी जाँघो को पकड़ वो ज़ोर-2 से धक्के लगाने लगा.
रंभा मस्ती मे चीखने लगी.लंड उसकी चूत की दीवारो को बुरी तरह रगड़ रहा था & वो मस्ती मे कभी अपने बाल नोचती तो कभी शाह के सीने को कराह रही थी.शाह भी उसकी चूत की कसावट से हैरान हो गया था & उसके धक्के भी खुद बा खुद तेज़ हो गये थे.इतना मस्ताना एहसास आज तक किसी लड़की की चुदाई मे उसे नही हुआ था.
उसके दिल मे खुद को इस हुसनपरी को चोद्ते हुए देखने की ख्वाहिश जागी & उसने उसकी जंघे छ्चोड़ी & आगे झुक उसके उपर लेट गया & उसे चूमते हुए चोदने लगा 7 घुटनो के बल बिस्तर पे चढ़ गया.थोड़ी ही देर मे उसने खुद को रंभा के उपर बिस्तर पे इस तरह कर लिया था कि अगर वो बाए & रंभा दाए देखती तो शीशे मे अपनी चुदाई को सॉफ-2 देख सकती थी.
"देखो,मेरी बाहो मे तुम कितनी हसीन लग रही हो,मेरी जान!",शाह ने रंभा के होंठो को चूमा & धक्के लगाते हुए उसका सर दाई तरफ घुमा शीशे की ओर इशारा किया.रंभा ने देखा तो शीशे मे उसे शाह उसके बाए गाल पे अपना दाया गाल जमाए खुशी से भरा उसे चोद्ता दिखा.रंभा नम अपनी बाहे & टाँगे उसके जिस्म पे कस दी & उसकी पीठ नोचने लगी.उसकी मस्ती शीशे मे अपने प्रेमी & अपने अक्स को देख बहुत ज़्यादा बढ़ गयी थी.
"उउन्न्ञनह..महादेव....आननह..!",उसने उसकी गंद को नोचा & उसकी कमर पे टाँगे फँसाए कमर उचकाने लगी.वो पूरी तरह से मदहोश थी.शाह का लंड उसकी कोख पे चोट कर रहा था & वो अब बिकुल बहाल थी.अगले ही पल ज़ोर से चीख मारते वो झाड़ गयी मगर शाह का काम अभी ख़त्म नही हुआ था.
वो झुक के उसकी चूचियाँ अपने हाथो मे दबोच के पीने लगा.उसके धक्के अब धीमे मगर गहरे हो गये थे.रंभा हर धक्के पे कराह उठती.शाह चुदाई मे माहिर था & रंभा उसका भरपूर लुत्फ़ उठा रही थी.शाह उसके बदन से उपर उठ गया & अपने हाथो के सहारे टिक के धक्के लगाने लगा.
रंभा मस्ती मे बेचैन हो उसके सीने के बालो से खेलते हुए उसके निपल्स को छेड़ रही थी.उसके चेहरे पे बस मस्ती ही मस्ती दिख रही थी.उसकी चूत ने झाड़ते वक़्त जो मस्ताना हरकत की थी,शाह उस से खुशी से पागल हो गया था & उस वक़्त उसने दिल ही दिल मे 1 अहम फ़ैसला लिया था.अभी तक वो रंभा को बस 1 मोहरे की तरह इस्तेमाल करना चाह रहा था.उसके ज़रिए वो ट्रस्ट ग्रूप पे क़ब्ज़ा जमाके प्रणव & सारे मेहरा परिवार को किनारे करने की सोच रहा था.अभी भी वो रंभा के ज़रिए ही ग्रूप को हथियाने की सोच रहा था मगर अब किनारे करने वालो मे रंभा का नाम नही था.वो इस लड़की के हस,उसके जिस्म का दीवाना हो चुका था & अब वो उस से शादी कर उसके साथ अपनी बाकी की ज़िंदगी उसके पति & ट्रस्ट के मालिक के रूप मे गुज़रना चाहता था.
रंभा उसके सीने से लेके कंधो तक हाथ चलाते हुए उसके चेहरे को सहला रही थी.उसके हाथ शाह के बालो से खेलने के बाद उसके जिस्म की बगलो से नीचे सरकते & उसकी पुष्ट गंद को दबा लंड को & गहरे धक्के लगाने का इसरार करने लगते.रंभा का जिश्म कांप रहा था & उसके होंठ लरज रहे थे.वो शाह को चूमना चाहती थी & इसके लिए उसने उसकी गर्दन मे हाथ डाला & उचकने लगी.शाह उसकी हसरत समझ गया & उसके हाथ गर्दन से अलग कर घुटनो पे हो गया.
उसने रंभा की गुदाज़ बाहे पकड़ उसे उपर उठाया & अब वो घुटनो पे था & रंभा उसकी कमर पे टाँगे फँसाए उसकी गोद मे बैठ गयी.शाह उसकी मखमली पीठ सहलाते हुए धक्के लगा रहा था & वो उसके कंधो के उपर से बाहे ले जाते हुए उसकी पीठ नोचती मस्ती मे सूबक रही थी.शाह उसकी गंद की मोटी,कसी फांको को मसल रहा था.उसके अंदो मे अब हल्का-2 दर्द हो रहा था जोकि इस बात का इशारा था कि उसका लंड अब और बर्दाश्त करने की हालत मे नही था.
उसने अपने हाथ आगे लाए तो रंभा ने दाई बाँह उसकी गर्दन मे डाली & बाई पीछे ले जा हाथ बिस्तर पे टीका दिया & कमर हिलने लगी.शाह उसकी चूचियो को मसल्ते हुए चूस रहा था.रंभा 1 बार फिर मस्ती के उसी आलम मे पहुँच गयी थी जहा बस नशा ही नशा होता था.शाह ने उसकी चूचियो से खेलने के बाद 1 बार फिर अपने दोनो हाथ उसकी गंद की फांको के नीचे लगाए तो रंभा फिर से उसकी गर्दन मे बाहे डालते हुए उसकी पीठ खरोंछने लगी & कमर उचकाने लगी.
शाह उसे पागलो की तरह चूमने लगा & उसकी गंद मसलने लगा.रंभा के नाख़ून उसकी पीठ छेद रहे थे.उसकी चूत उसके लंड पे सिकुड-फैल रही थी & वो अब खुद पे और काबू नही रख सकता था.दोनो के होंठ आपस मे सिले हुए थे मगर फिर भी दोनो की आहे बाहर आ रही थी.तभी रंभा ने किस्स तोड़ी & उसकी बाहो के सहारे पीछे झुक गयी & ज़ोर से
चीखी.उसका जिस्म कांप रहा था & उसकी कमर बहुत तेज़ी से हिल रही थी.वो झाड़ रही थी & उसकी चूत ने शाह के लंड के उपऱ अपनी मस्तानी हर्कतो को और तेज़ कर दिया था.उसी वक़्त उस हरकत से बहाल शाह ने भी आह भरी & उसका जिस्म झटके खाने लगा.उसका लंड रंभा की चूत मे अपना गाढ़ा,गर्म वीर्य छ्चोड़े जा रहा था.रंभा ने वीर्य को सीधा अपनी कोख मे च्छूटता महसूस किया & सुबक्ते हुए उसके होंठो पे हल्की सी मुस्कान तेर गयी.ये देखा और शाह भी मुस्कुराया & लंबी-2 साँसे लेता हुआ उसने रंभा को बाहो मे भर लिया & दोनो सुकून से भरे जिस्म अपनी साँसे संभालने मे लग गये.
महादेव शाह रंभा के उपर से उतरते हुए दाई करवट पे हुआ तो उसका सिकुदा लंड रंभा की चूत से बाहर आ गया मगर शाह ने अपनी बाई टांग रंभा की जाँघो के बीच घुसाए रखी & उसे बाहो मे भर चूमने लगा.वो रंभा की गंद को बाए हाथ से दबाते हुए उसके दाए कंधे & गर्दन को चूमते हुए शीशे मे देख रहा था.रंभा ने उसकी ये हरकत पकड़ ली & फ़ौरन उसे धकेलते हुए उसके उपर से होती हुई बिस्तर की दूसरी तरफ अपनी दाई करवट पे आ गयी.
“अरे!क्या हुआ?”,शाह ने अपनी दाई टांग उसकी जाँघो के बीच घुसा दाए हाथ से उसकी बाई जाँघ को पकड़ अपनी कमर पे चढ़ाया & उसे सहलाने लगा.
“क्या देख रहे थे आप शीशे मे?”,रंभा ने बनावटी गुस्से से उसके सीने पे मारा.
“तुम्हारी गंद..”,शाह ने उसकी गंद की बाई फाँक को हाथ मे भर के दबाया,”..बहुत मस्त है!& क्या हुआ अगर देख रहा था तो?”
“मुझे अच्छा नही लगता.”,रंभा ने इतराते हुए कहा.
“अच्छा.क्यू?”,शाह का हाथ उसकी गंद से उसके चेहरे पे आ गया था.
“बस ऐसे ही..शर्म आती है.”,रंभा ने लजाने का नाटक करते हुए उसके कंधे मे मुँह च्छूपा लिया.शाह उसकी अदओ के जाल मे अब पूरी तरह फँस चुका था.उसे अब यकीन हो गया था कि रंभा उसपे पूरा भरोसा करने लगी है.उसका दिल खुशी से भर गया..अब ट्रस्ट ग्रूप उसके करीब आता दिख रहा था..जिस दिन ग्रूप उसके हाथ आ गया उस दिन उसका मक़सद पूरा होगा..उस दिन उसके सारे सपने हक़ीक़त मे बदल जाएँगे & फिर कोई जद्दोजहद भी नही रहेगी..फिर वो इस हसीना के साथ ज़िंदगी का भरपूर मज़ा उठाएगा!
“इस सब के बाद भी शर्म आ रही है?”,शाह ने उसके चेहरे को उपर किया & उसके सुर्ख लब चूम लिए.
“हूँ.”,रंभा के गाल मस्ती मे लाल हो रहे थे जिसे शाह उसकी हया समझ रहा था.शाह का लंड फिर से जागने लगा था.उसने रंभा की जाँघ पे हाथ चलते हुए उसके गालो को चूमना शुरू कर दिया.
“उउन्न्ञणन्..सुनिए..”,शाह ने उसकी आवाज़ नही सुनी.वो तो सर झुका के रंभा की चूचियाँ चूमने मे मशगूल था,”..महादेव..सुनिए ना..उउन्न्ञन्..”,रंभा ने उसके बाल पकड़ उसका मुँह अपने सीने से अलग किया & फिर उसे धकेल के बिस्तर पे लिटाया & उसके उपर चढ़ गयी & उसके सीने पे अपनी चूचियाँ दबाते हुए उसके गाल सहलाने लगी,”1 बात पुच्छू आपसे?”
“पुछो.”,शाह उसकी ज़ूल्फेन उसके चेहरे से हटा रहा था.
“आप अपने वादे से मुकरेंगे तो नही?”,रंभा चिंतित नज़र आ रही थी.
“तुम्हे भरोसा नही मुझपे?”,शाह उसकी गुदाज़ बाहें सहला रहा था.
“बात वो नही है पर..मैं 1 बार धोखा खा चुकी हू & अब..”,रंभा ने नज़रे नीची कर ली & शाह के सीने पे 1 उंगली चलाने लगी.
“कहो तो करारनामे पे दस्तख़त कर दू कि तुम ही मेरी दुल्हन बनोगी!”,शाह ने उसे पलटा & उसके उपर सवार हो उसकी आँखो मे झाँका.रंभा उसे खामोशी से देख रही थी..लगता तो था कि ये सच कह रहा है मगर इसका कोई भरोसा नही..पर अभी इसका यकीन करने के अलावा & कोई चारा नही था.
“आप तो बुरा मान गये..”,रंभा ने उसे दोबारा पलटा & उसके उपर आ उसे चूमने लगी,”..मेरी हालत भी तो समझिए..दूध का जला छाछ भी फूँक-2 के पीता है.”,उसके पूरे चेहरे को उसने अपनी किस्सस से ढँक दिया.
“बुरा तो लगा मुझे..”,शाह उसकी कमर सहला रहा था,”..मेरी सच्ची मोहब्बत पे शुबहा किया तुमने.”
“आइ’म सॉरी,डार्लिंग!”,रंभा उसे चूमते हुए उसके सीने पे आ गयी & उसके सीने के बालो मे उंगलिया फिराती उसके निपल्स को हौले-2 काटने लगी. शाह उसकी ज़ूलफे सहला रहा था.रंभा उसके सीने को चूमते हुए नीचे जा रही थी.शाह उसके इरादे को भाँप के खुश हो गया & उसकी उंगलिया रंभा की ज़ुल्फो से & गर्मजोशी से खेलने लगी.रंभा उसके पेट को चूमते हुए उसकी झांतो तक पहुँच चुकी थी,”आइन्दा कभी ये ग़लती नही करूँगी.आप मुझसे खफा मत होइए,प्लीज़!”,मासूमियत से कहते हुए उसने शाह के लंड को मुँह मे भर लिया.
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क्रमशः.......
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