Desi Kahani Jaal -जाल
12-19-2017, 10:51 PM,
#83
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--82

गतान्क से आगे......

"क्या बात है,रंभा?",उसना दाया हाथ रंभा के दाए कंधे पे रखा,"..मेरी बात बुरी लगी तो माफी चाहता हू."

"ऐसी बातो का क्या फायडा,शाह साहब जब ये जिस नज़म तक हमे ले जाती हैं मैं वाहा जा नही सकती.",रंभा ने आधा जिस्म घुमाया & उदासी से बोली.

"मगर क्यू नही जा सकती?",शाह ने उसे अपनी ओर पूरा घुमाया & उसके दोनो कंधो पे अपने हाथ जमा दिए,"..मैं तुम्हारे लायक नही क्या इसीलिए?"

"नही-2..",रंभा ने परेशान हो उसकी तरफ देखा,"..ये बात नही पर..",उसने बात अधूरी छ्चोड़ फिर से नज़रे झुका ली.

"तो क्या बात है?!",शाह ने उसे झकझोरा.

"मुझे..मुझे डर लगता है.",रंभा ने धीमी आवाज़ मे कहा.

"किस बात से डर लगता है?"

"कही किसी को पता चल गया तो?",रंभा ने उसकी ओर परेशान निगाहो से देखा.

"तो?!..तो अच्छा होगा..फिर मैं हमेशा तुम्हारे साथ रह सकता हू.",शाह ने उसके हाथ थाम लिए.

"पागल मत बानिए.मैं शादीशुदा हू."

"जो आदमी तुम्हारी कद्र नही करता,तुम्हे छ्चोड़ किसी और की बाहो मे घुसा रहता है,उसके चलते तुम मेरी मोहब्बत ठुकरा रही हो!",रंभा ने उसे ऐसे देखा जैसे उसे हैरत हुई हो कि शाह को कैसे पता चला समीर की हर्कतो के बारे मे,"हां,मुझे पता है सब कुच्छ.अब बताओ,उस इंसान के लिए तुम ना बोल रही हो?"

"नही..",रंभा बहुत पशोपेश मे होने का नाटक कर रही थी,"..देखिए शाह साहब,आप प्रणव को जानते है ना?"

"हां."

"तो मैं और वो..",रंभा ने फिर नज़रे नीची कर ली.

"हां तो क्या हुआ?",रंभा ने जैसे सोचा था गुफ्तगू वैसे ही आगे बढ़ रही थी.

"तो अब आपके साथ ये सब..शाह साहब,कल को समीर और मैं अलग हो जाएँगे तब मेरा क्या होगा?..क्या मैं प्रणव से लेके आपके बिस्तर तक घूमती रहूंगी?..यही वजूद रह जाएगा मेरा?!",रंभा की आँखो मे गुस्से के साथ-2 पानी छल्छला आया था.

"नही,ऐसा नही होगा.",शाह बहुत गंभीर आवाज़ मे बोला,"..मुझे पता है तुम्हारे & प्रणव के बारे मे.तुम किसके साथ क्या रिश्ता रखती हो,ये तुम्हारा फ़ैसला होगा मगर अगर तुम चाहोगी तो..",शाह के दिमाग़ मे रंभा की बात से बिजली कौंधी थी-अगर रंभा मान गयी तो उसे प्रणव या किसी और की कोई ज़रूरत नही रहेगी & उसका काम भी हो जाएगा,"..महादेव शाह ये वादा करता है कि तुम्हे अपनी दुल्हन बनाएगा & अपनी आख़िरी सांस तक तुम्हारे साथ रहेगा."..हां..हां..जब करोड़ो के शेर्स लेके दहेज मे आऊँगी तो दुल्हन तो बनाओगे ही!..रंभा ने मन ही मन सोचा.

"आप..आप मुझे बहला रहे हैं.",उसने काँपती आवाज़ मे कहा.

"हां,मेरा फ़र्ज़ है कि तुम परेशान हो तो तुम्हे बहलाउ लेकिन मैने जो कहा है वो बिल्कुल सच है.चाहो तो आज़मा लेना मुझे.समीर तुम्हे छ्चोड़ेगा & तुम चाहोगी तो मैं तुमसे शादी कर लूँगा."

"महादेव..",रंभा ने काँपते होंठो से बोला & फिर सुबक्ते हुए हाथ छुड़ा के घूम के अपनी पीठ शाह की ओर कर ली..उसकी चाल काम कर गयी थी..अब उसे पता चल सकता था कि कही विजयंत मेहरा के हाल के पीछे इन दोनो का हाथ तो नही था.

शाह जानता था कि मच्चली अब जाल मे फँस चुकी है.उसने रंभा के कंधे पकड़ उसे अपनी ओर घुमाया & अपने आगोश मे भर लिया.रंभा कुच्छ देर उसके सीने पे हाथ रखे मुँह च्छुपाए सिसकने का नाटक करती रही & फिर खामोश हो गयी.शाह उसकी नंगी पीठ सहलाए जा रहा था & जब उसने देखा की उसकी सिसकिया रुक गयी है तो उसने दाए हाथ से उसकी ठुड्डी पकड़ उसका चेहरा उपर किया.

"तुम्हे पहली बार देखा था तब से तुम्हे पाने की हसरत थी.आज भी यही सोच के तुम्हे दावत दी थी कि शायद मेरी किस्मत मेहेरबान हो जाए.",वो उसकी काली आँखो मे झाँक रहा था,"..& किस्मत मेहेरबान हुई भी तो किस तरह,कहा मुझे बस तुम्हारे साथ बस 1 रात की चाह थी & तुमने अपनी तमाम राते मेरे नाम कर दी.",..कितना शातिर शख्स था?!..& बातो का जाल बुनने मे माहिर..ना जाने आज तक कितनी लड़कियो को इसने इस तरह फाँसा होगा!..2 घंटे भी नही हुए मिले हुए & मुझसे शादी के लिए हां भी करवा ली इसने..तुम इसी बदगुमानी मे रहो,मिस्टर.शाह & देखो मैं तुम्हे कैसे मज़ा चखाती हू!

शाह झुका & रंभा के होंठो से पानी की बूंदे चखने लगा.रंभा ने शर्मा के मुँह बाई तरफ फेरा मगर शाह के हाथ ने उसके गाल को थाम 1 बार फिर उसके चेहरे को अपने सामने किया & इस बार दोनो हाथो मे उसके चेहरे को थाम उसके होंठो को अपने होंठो से सटने पे मजबूर कर दिया.रंभा अपने होठ नही खोल रही थी & बस शाह को उन्हे चूमने दे रही थी मगर थोड़ी देर बाद शाह की ज़ुबान ने इसरार कर-2 के उसके होंठो को खुलवा ही लिया & फिर उसके मुँह मे घुस उसकी ज़ुबान को प्यार करने लगी.

अगर शाह शातिर था तो रंभा भी जिस्मो के खेल की माहिर थी.शुरू मे शरमाती रंभा ने अब ये जताया कि शाह के होंठो ने उसे मस्त कर दिया है & अब वो अपनी शर्मोहाया भूल रही है.उसने अपने हाथ शाह के कंधो पे जमा दिए & उसकी किस का जवाब देने लगी.शाह के हाथ पानी के नीचे उसकी नंगी पीठ को सहला रहे थे.

रंभा 1 भोली-भाली लड़की का नाटक कर रही थी मगर उसे मज़ा बहुत आ रहा था.शाह ने चूमते हुए हाथो का दबाव बढ़ाया & रंभा को खुद से सटा लिया.उसका खड़ा लंड रंभा के पेट पे दब गया तो रंभा की चूत मे भी कसक उठने लगी.ठंडे पानी मे शाह के जिस्म का गर्म एहसास उसे रोमांच से भर रहा था.काफ़ी देर बाद रंभा ने सांस लेने के लिए होंठ लगा किए तो शाह ने उसके खूबसूरत चेहरे पे किस्सस की झड़ी लगा दी.

"छ्चोड़िए ना!..कही कोई आ गया तो?",रंभा ने उसे शरमाते हुए परे धकेलने की नाकाम कोशिश की.

"यहा कौन आएगा?",शाह उसके गाल चूमते हुए उसकी गर्दन पे गया था & उसकी कमर के मांसल हिस्सो को दबा रहा था.

"कोई नौकर..& वो आपका ड्राइवर..आहह..!",शाह ने उसके क्लीवेज पे अपने तपते होंठ रख दिए थे.

"मैने सबको घर से बाहर भेज दिया है.मैं तुम्हारे साथ 1-1 पल का भरपूर लुत्फ़ उठाना चाहता हू.",शाह ने उसे खुद से बिल्कुल चिपका लिया तो रंभा भी मस्ती मे भर गयी & अपनी आँखे बंद कर ली & उसकी हर्कतो का मज़ा लेने लगी.शाह उसके पूरे जिस्म को च्छुना चाहता था,चूमना चाहता था मगर पूल मे ये मुमकिन नही था.उसने रंभा को उठाया & पूल से निकाल के फर्श पे लिटा दिया.वो बुड्ढ़ा था मगर कमज़ोर नही.रंभा उसकी इस हरकत पे खुश हुई-शाह मे दम-खाँ था & रंभा को बिस्तर मे उस से खुश होने का नाटक नही करना पड़ेगा बल्कि बहुत मुमकिन था कि शाह उसे भरपूर मज़ा दे.

अब रंभा ज़मीन पे लेटी थी & शाह पूल मे खड़े-2 ही उसके होंठ चूम रहा था & उसके स्विमस्यूट से ढँके पेट को सहला रहा था.रंभा दाए हाथ से उसके सर को थामे थी & बाए को उसके पेट पे चलते हाथ के उपर रखे थी.शाह ने उसके होंठो को छ्चोड़ा & फिर उसके बाए हाथ को थाम उसकी गुदाज़ बाँह को चूमने लगा.उसकी दोनो बाहो को चूमने के बाद उसने रंभा को पलटा & पूल से निकल घुटनो पे बैठ उसकी गीली पीठ को अपने गर्म लबो से सुखाने लगा.रंभा उसके चूमने से कांप रही थी & उसकी पीठ की थरथराहट देख शाह भी जोश मे पागल हुआ जा रहा था.उसने स्विमस्यूट के स्ट्रॅप्स उसके कंधो से सरकाए & रंभा को घुमा के सीधा किया.

रंभा अब थोड़ी घबराई निगाहो से उसे देख रही थी & उसने अपने हाथ अपने सीने पे रख लिए थे.शाह की आँखो मे वासना थी.रंभा का उभरा सीना जिस तरह से उपर-नीचे हो रहा था & घबराते हुए उसने जिस तरह उसे च्छुपाया था-ये सब उसके जोश को बढ़ा रहे थे.उसने मुस्कुराते हुए उसके हाथो को सीने से हटाया & उसके स्ट्रॅप्स को पूरा नीचे खिचते हुए उसके स्विमस्यूट को उसकी कमर तक कर दिया.सामने का नज़ारा देख शाह का हलक सुख गया.वो जानता था कि रंभा बेहद हसीन है मगर उसका जिस्म इतना नशीला,इतना दिलकश होगा,इसका अंदाज़ा उसे नही था.रंभा की गोरी,मोटी छातियाँ उसके सामने उपर-नीचे हो रही थी,उनके गुलाबी निपल्स बिल्कुल कड़े उसे अपनी ओर बुलाते दिख रहे थे.उसका सपाट पेट थरथरा रहा था & उसके बीच उसकी गोल,गहरी नाभि जैसे उसकी ज़ुबान के इंतेज़ार मे ही थी.

घुटनो पे बैठ के महादेव शाह ने रंभा की छातियो को अपने हाथो से हल्के से दबाया तो उसके मुँह से आह निकल गयी & उसने अपनी छातियो पे दबे उसके दोनो हाथो को पकड़ लिया.शाह ने उसके हाथो को उठाके चूमा & फिर उन्हे उसके सर के उपर ले जाते हुए ज़मीन से लगाया & फिर रंभा के दाई तरफ लेट गया & अपने बाए हाथो मे उसके दोनो हाथो को पकड़ के उसके सीने पे झुक गया.उसने दाए हाथ मे उसकी बाई चूची को भरा & अपने मुँह को उसकी दाई चूची से लगा दिया.

बुंगले का वो खुला हिस्सा रंभा की मस्त आहो से गुलज़ार हो गया.शाह उसकी 1 चूची को मसलते हुए दूसरी को चूस रहा था.रंभा का दिल तो कर रहा था की उसके बालो को नोचे,उसकी पीठ को खरोन्चे मगर उसके हाथ शाह की गिरफ़्त मे थे & वो बेबस थी लेकिन ये बेबसी भी उसे अलग ही मज़ा दे रही थी.शाह तो उसकी चूचियो को देख पागल हो गया था.वो उन्हे पूरा का पूरा मुँह मे भर चूस रहा था & बीच-2 मे हल्के-2 दन्तो से काट भी रहा था.उसके निपल्स को वो दन्तो मे पकड़ उपर खींचता तो रंभा को हल्का दर्द होता मगर उस से भी कही ज़्यादा मस्ती का एहसास होता.

वो च्चटपटा रही थी & अपनी कसी जंघे आपस मे रगड़ रही थी.उसकी चूत की कसमसाहट अब बहुत बढ़ गयी थी.शाह उसके निपल्स को उंगलियो मे पकड़ के मसलते हुए चूचियो के उभारो के नीचे चूम रहा था & जीभ से छेड़ रहा था.उसने दोनो चूचियो के बीच मुँह घुसा के रगड़ा & वाहा भी चूसने लगा.वो रंभा के सीने पे अपने होंठो & दन्तो के निशान छ्चोड़ते जा रहा था & रंभा अब मस्ती मे सुबक्ते हुए च्चटपटा रही थी.उसकी चूत की कसक बहुत ज़्यादा बढ़ गयी थी & उसने बेचैन हो अपनी कमर उचकानी शुरू कर दी & बहुत जोरो से सिसकने लगी.शाह समझ गया कि वो झड़ने वाली है & उसने उसकी चूचियो को चूसना & तेज़ कर दिया अगले ही पल रंभा सिसकते हुए झाड़ गयी.

शाह ने उसके हाथ छ्चोड़े तो रंभा ने उसकी गर्दन को पकड़ उसे नीचे खीचा & उसे बड़ी शिद्दत से चूमने लगी.शाह केवल बाते बनाना ही नही जानता था वो 1 लड़की के जिस्म से खेल उसे खुश करना भी जानता था.रंभा ने उसके मुँह मे ज़ुबान घुसाई & फिर उसकी ज़ुबान को जम के चूसा.

काफ़ी देर तक चूमने के बाद शाह ने उसके होंठ छ्चोड़े & दोनो चूचियो पे 1-1 किस दी.उसके बाद वो नीचे गया & उसके गोरे पेट को चूमने लगा.रंभा जैसी हसीन लड़की से वो आज तक नही मिला था & उसके नशीले जिस्म के साथ खेलना उसके लिए बिल्कुल अनोखा & रोमांचकारी एहसास था.

रंभा 1 बार फिर आहे भरती हुई कसमसाने लगी थी.शाह की ज़ुबान उसके पेट को अपनी नोक से छेड़ते हुए उसकी नाभि मे उतर गयी थी & उसे चाट रही थी.रंभा उसके सर को पकड़े बेचैनी से अपने पेट से अलग करना चाह रही थी.उसकी ज़ुबान की हरकते उसे पागल कर रही थी मगर शाह भी उसके हाथो की परवाह ना करता हुआ उसके पेट पे जुटा हुआ था.जब रंभा 1 बार फिर मस्ती मे नही डूब गयी शाह ने उसकी नाभि से जीभ नही निकाली.

रंभा अब नशीली आँखो से उसे देख रही थी.उसका दिल कर रहा था की जल्दी से वो उसकी बिकिनी को उतारे & उसकी प्यासी चूत को प्यार करे.शाह ने उसके पेट से सर उठाया & उसकी तरफ देखा & जैसे उसकी आँखो मे झलक रही उसकी हसरत को पढ़ लिया.उसने उसकी कमर पे अटकी बिकिनी को नीचे खींचा तो रंभा ने अपनी गंद उठा दी.अगले ही पल वो अपने नये प्रेमी के सामने बिल्कुल नंगी थी.

रंभा के हाथ 1 बार फिर उसके सीने पे आ गये थे & वो बस शाह की अगली हरकत का इंतेज़ार कर रही थी.शाह ने उसकी चूत को देखा-ऐसी चिकनी,गुलाबी,नाज़ुक & कसी चूत उसने अपनी ज़िंदगी मे पहले कभी नही देखी थी.आज वो इस से जी भर के खेलेगा मगर उस से पहले उसे उसकी जाँघो & टाँगो का स्वाद चखना था जिन्होने शाम से ही लुभा & ललचा के उसका बुरा हाल किया हुआ था.

उसने रंभा की जाँघो को सहलाया तो उसने अपने घुटने उपर मोड़ दिए.शाह उसके उठे डाए घुटने को चूमने लगा & उसके हाथ रंभा की टांगो से लेके जाँघो के अन्द्रुनि हिस्सो पे घूमने लगे.रंभा च्चटपतती हुई अपने बालो से खेलते हुए आहे भर रही थी & अपनी जाँघो को आपस मे रगड़ अपनी चूत को शांत करने की कोशिश कर रही थी.

शाह उसके घुटने से नीचे उसकी मोटी जाँघ पे आया & चूमने के साथ-2 उसकी गुदाज़ जाँघ को चूसने भी लगा.रंभा तो मस्ती मे पागल ही हो गयी.शाह तुरंत अपने घुटनो पे बैठ गया & उसकी दाई टांग को हवा मे उठा दिया & फिर उसकी जाँघ के निचले हिस्से को चूमने,चाटने लगा.रंभा ने बाया हाथ बढ़ा उसके बाल पकड़ लिए & नोचने लगी.

आसमान के सितारे शाह की किस्मत से रश्क कर रहे थे & चाँद रंभा के हुस्न को देख जल गया & कुच्छ बादलो के पीछे च्छूप गया.ठंडी हवा के झोंके ने रंभा के जिस्म को कंपा दिया मगर शाह की हर्कतो ने उसके बदन की गर्मी को बढ़ाए रखा था.

शाह ने उसकी जाँघ चूमते हुए उसके नीचे हाथ लगा उसे पलट दिया & फिर उसकी चौड़ी गंद पे हाथ फिराने लगा.उसने उसकी गंद पे हल्की-2 च्पते लगानी शुरू की & उन चपतो पे जिस दिलकश अंदाज़ मे वो थरथराती,उसे देख उसका लंड उसके ट्रंक्स मे & कुलबुलाने लगा.शाह झुका & उसकी कमर के मांसल हिस्सो को दबाते हुए उसकी गंद की फांको को चूमने लगा.रंभा अपनी कोहनियो पे उचक अपने सर को झटकती आहे भरने लगी.

शाह उसकी फांको को भींचते हुए चूम रहा था & उसकी छातियो की तरह यहा भी अपने दन्तो से हल्के-2 काट रहा था.रंभा की मस्ती बा बहुत बढ़ गयी थी & उसने कमर हिला पानी चूत को ठंडी ज़मीन पे दबा उसका इज़हार किया.शाह भी जाल मे ताज़ा-2 फँसी मच्चली की च्चटपटाहत देख उसकी बेचैनी का सबब समझ गया & उसने उसे पलट के सीधा किया & उसकी टाँगे खोल दी.

रंभा की चूत से बहता रस उसकी जाँघो पे टपक आया था.उसने पहले उसकी जाँघो से उसे सॉफ किया & फिर उसकी गुलाबी चूत मे अपनी ज़ुबान उतार उसे सुड़कने लगा.रंभा की टाँगे अपने-आप हवा मे उठ गयी & वो उसके सर को पकड़ अपनी चूत पे भींचती,कमर उचकती चीखने लगी.शाह उसकी गंद के नीचे हाथ लगाए उसे हवा मे उठाके उसकी चूत को ज़ोर-2 से अपनी लपलपाति जीभ से चाट रहा था.रंभा के जिस्म मे बिजली दौड़ रही थी.उसने शाह के बाल पकड़ के उसे अपनी चूत पे बहुत ज़ोर से दबाते हुए कमर उचकाई & झाड़ गयी.काफ़ी देर तक रंभा झड़ने की खुमारी मे सिसकती रही & शाह भी उसकी चूत चाटता रहा.जब उसकी सिसकिया रुकी तो शाह उपर आया & उसे चूमने लगा.रंभा ने भी उसे बाँहो मे भर लिया & चूमने मे उसका साथ देने लगी.इस वक़्त शाह शक़ के दायरे मे खड़ा शख्स नही बस 1 मर्द था जो उसे भरपूर जिस्मानी खुशी से रूबरू करवा रहा था.

शाह ने किस तोड़ी & उसे अपनी बाहो मे उठा लिया.रंभा ने अपनी बाँहे उसके गले मे डाल दी & उसे चूमने लगी.शाह उसे लेके बंगल के अंदर अपने बेडरूम मे ले आया & बिस्तर पे लिटा दिया.

रंभा उस आलीशान बेडरूम को देखने लगी.कमरे की 1 दीवार पे बड़ा सा आईना लगा था जोकि दर-असल उसके पार बाथरूम का दरवाज़ा था.जिस पलंग पे रंभा लेटी थी वो बहुत बड़ा था & उसपे मखमली चादर बिछि थी जिसका मुलायम एहसास उसके रूमानी ख़यालो को & भड़का रहा था.कमरे की सजावट देख के ही लगता था कि शाह बहुत रंगीन मिजाज़ आदमी है & इस बिस्तर पे उसने कयि लड़कियो को चोदा होगा.

रंभा ने दाई तरफ लगे बड़े शीशे मे देखा तो पाया की बिस्तर पे की जाने वाली 1-1 हरकत उसमे सॉफ दिखती थी.उसका दिल खुद को शाह की बाहो मे उस से चुद्ते देखने के ख़याल से ही मस्ती मे भर उठा.शाह उसे देखते हुए मुस्कुरा रहा था.जवाब मे रंभा भी मुस्कुराइ तो शाह उसके सर के पास आ खड़ा हुआ.

उसने रंभा की आँखो मे देखते हुए उसका दाया हाथ पकड़ के अपने स्विम्मिंग ट्रंक्स पे रखा तो रंभा ने हाथ पीछे खींचने की कोशिश करते हुए शरमाने का नाटक करते हुए आँखे बंद कर ली जबकि उसका दिल तो बड़ी देर से शाह के लंड को देखने के लिए मचल रहा था.

शाह ने उसके हाथ को पकड़ के अपनी ब्रीफ पे दबाया & वही पकड़े रखा.रंभा वैसे ही आँखे बंद किए गर्दन घुमाए पड़ी रही.शाह ने दूसरे हाथ से अपने ट्रंक्स नीचे सरकाए & अपना नंगा लंड रंभा के हाथ मे थमाया & फिर उसकी ठुड्डी पकड़ चेहरा अपनी ओर किया,"ज़रा देखो तो जान कैसे पागल हो रहा है ये तुम्हारे लिए."

"उन..हूँ..मुझे शर्म आती है.",रंभा ने मुँह फेर लिया & बया हाथ अपने चेहरे पे रख अपनी हया का इज़हार किया.शाह घुटनो के बल बिस्तर पे चढ़ा & अपना लंड उसके चेहरे के बिल्कुल करीब ले गया & उसका चेहरा फिर अपनी ओर घुमाया.

"बस 1 बार देख तो लो इसे.",थोड़ी मान-मनुहार के बाद रंभा ने अपनी आँखे खोली & शाह के लंड को देखा.शाह का लंड 9 इंच लंबा था.हाथो मे लेते ही रंभा को उसकी मोटाई का एहसास हो गया था मगर आँखे खोलने पे जब उसने उसे देखा तो उसकी आँखे हैरत से फैल गयी.इतना मोटा लंड ना तो देवेन का था ना ही विजयंत मेहरा का,"कैसा लगा?",रंभा उसके सवाल पे शरमाते हुए मुस्कुराइ & हाथ लंड से खींचने लगी मगर शाह ने उसे ऐसा नही करने दिया.

"क्या हुआ पसंद नही आया,जान?",शाह के सवाल पे रंभा ने & शरमाने का नाटक किया.शाह उसकी इन अदाओं से जोश मे पागल हो गया था,"..अब तो ये सिर्फ़ तुम्हारा है,मेरी रानी!",उसकी आवाज़ बिल्कुल जोश से भरी हुई थी,"इसे प्यार तो करो.",उसने रंभा का चेहरा थाम लंड को आगे ला उसके गाल से सताया.

"धात!",रंभा ने शरमाते हुए उसे झिड़का मगर लंड के चेहरे से सताते ही वो उसे मुँह मे भरने को पागल हो उठी थी.शाह झुका & उसे चूमा & फिर उसे लंड हिलाने को कहा.रंभा ने धीमे-2 लंड हिलाना शुरू किया तो शाह आहे भरने लगा.उसने रंभा का सर पकड़ा & फिर लंड को उसके होंठो पे रगड़ने लगा.रंभा ना-नुकर कर रही थी & उसकी शर्म,उसकी झिझक शाह की हवस की आग मे घी का काम कर रही थी.

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क्रमशः.......
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