RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--81
गतान्क से आगे......
"मुझे मेरी गैरमौजूदगी मे हुई सभी मीटिंग्स,शूटिंग्स और बाकी सभी बातो की डीटेल्स चाहिए.",रंभा अपने दफ़्तर मे बैठी थी.उसे पूरा यकीन था कि उसकी जान लेने के लिए गोआ मे उस शख्स को कामया ने ही भेजा था & अब वो उसे इस बात की सज़ा ज़रूर देगी.1 घंटे तक वो उसके पीछे मे हुई सभी बातो की जानकारी लेती रही.उसके बाद उसने मानेजमेंट की मीटिंग बुलाई.
"जो प्रॉजेक्ट्स चल रहे हैं,उनमे से 1 बिहाइंड शेड्यूल है..प्रॉजेक्ट 32..क्यू?",उसने उस फिल्म के एग्ज़िक्युटिव प्रोड्यूसर की ओर देखा.कंपनी का सीईओ रंभा के इस बदले रुख़ से हैरान था & बस चुपचाप सारी करवाई देख रहा था.अब अपने बॉस की बीवी की बात काट वो अपनी नौकरी तो ख़तरे मे नही डाल सकता था ना.
"मॅ'म,उस फिल्म की हेरोयिन कामया जी हैं & उन्होने अचानक 3 दिन की शूटिंग कॅन्सल कर दी थी.उनकी तबीयत खराब थी.",रंभा जानती थी कि कामया अपनी 'खराब तबीयत' का कैसा 'इलाज' किस 'डॉक्टर' से करवा रही थी.
"हूँ..& इन नये प्रपोज़ल्स मे ये 3 आपने चुने हैं?",उसने Cएओ से सवाल किया.
"जी,मॅ'म.सभी मुझे फ़ायदे के प्रपोज़ल्स लगे."
"वेरी गुड.मैने देखा कि सभी प्रपोज़ल्स के साथ आपने 1 टेंटेटिव टीम भी सोची है."
"येस,मॅ'म."
"बहुत अच्छा काम कर रहे हैं आप.मैने बस इन प्रपोज़ल्स मे छ्होटे-मोटे चेंजस किए हैं अगर आपको ठीक लगे तो इन प्रॉजेक्ट्स को शुरू करवा दीजिए & नही तो मैं अभी ही आपके काम मे दखल देने की माफी मांगती हू.",रंभा की जगह कोई और होता तो कामया का नाम नये प्रपोज़ल्स से काटने के बाद Cएओ को सख़्त ताकीद करता कि जो वो कहे वही हो मगर रंभा बहुत चालाक थी.उसने जानबूझ के इस तरह से बात की थी ताकि उसकी इतनी विनम्रता से कही बात को टालने का Cएओ के पास कोई बहाना ही ना रहे & फिर वो अभी भी मालिक की बीवी तो थी ही.शाम तक रंभा ने कामया के करियर के अंत की शुरुआत मे काफ़ी कदम उठा लिए थे & अब उसे थोड़ा सुकून था.
वो काफ़ी थकान महसूस कर रही थी & उसका दिल घर जाने को भी नही कर रहा था.देवेन ने उसे सख़्त हिदायत दी थी कि जब तक वो अपने घर के आस-पास के सारे इलाक़े को ठीक से चेक ना कर ले तब तक वो उस से मिलने ना आए.उसने उसे फोन किया & उसकी & विजयंत मेहरा की ख़ैरियत पुछि & फिर अपने ससुर से भी बात की.फोन रखने के बाद उसके दिल मे तैरने का ख़याल आया & उसने क्लब जाने की सोची & फिर दफ़्तर से निकालने की तैय्यारि करने लगी.
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देवेन ने घर पहुँचने के बाद फ्रेश होके सारे इलाक़ा का 1 चक्कर लगाया था & खाने-पीने & बाकी ज़रूरी समान लेके घर आ गया था.उसने देखा था कि डेवाले आने के बाद विजयंत थोड़ा चुप-2 रह रहा था.पहले उसने सोचा कि उस से इस बारे मे बात करे मगर फिर उसने इस ख़याल को छ्चोड़ दिया.उसने सोचा की ये काम रंभा ही करे तो ठीक था.
वो यहा अभी मेहरा परिवार के मुखिया के इस हाल का राज़ पता लगाने आया था मगर अभी भी वो दयाल से इन्टेक़ाम लेने की बात भुला नही था.उसका दिमाग़ हर पल दयाल को उसके बिल से बाहर निकालने की तरकीबे सोच रहा था मगर कोई ठोस आइडिया आ नही रहा था.
शाम को वो 1 यूज़्ड कार शोरुम मे गया & 1 फ़र्ज़ी आइडी से 1 कार खरीद के ले आया.उस कार से उसने आस-पास के इलाक़े का जायज़ा लिया.उसका घर मेहरा परिवार के बुंगलो से बस 10 मिनिट की दूरी पे था.उसने सोचा कि रंभा से सलाह कर वो 1 बार विजयंत को उसका घर ज़रूर दिखाएगा-शायद उसे कुच्छ याद आ जाए.रंभा से बात करने के बाद रात के खाने का इंतेज़ाम कर वो विजयंत को ले फिर से आस-पास के इलाक़े का चक्कर लगाने लगा.उसने कार के काले शीशे चढ़ाए रखे & उन रस्तो से बचता रहा जहा पोलीस की चेकिंग होती थी.उसका इरादा बस विजयंत को आस-पास के रस्तो से वाकिफ़ कराना था,ताकि अगर ज़रूरत पड़े तो उसे ख़ास मुश्किल ना हो & ये देखने का भी था कि कही कोई उनके पीछे तो नही लगा था या उनपे नज़र नही तो रख रहा था.1 1/2 घंटे बाद वो घर वापस आ गया & विजयंत के साथ खाना खाने के बाद कंप्यूटर ऑन कर सरफिंग करने लगा.
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रंभा दफ़्तर से निकली & सीधा क्लब गयी मगर उसकी जैसी सोच वाले वाहा कयि लोग थे & क्लब का पूल भरा हुआ था.रंभा का उस भीड़-भाड़ मे तैरने का दिल नही किया & उसने बस कुछ वक़्त वाहा बैठ के गुज़ारने की सोची.वो पूल साइड के किनारे रखी 1 कुर्सी पे बैठ गयी & 1 जूस का ऑर्डर दे दिया.
"गुड ईव्निंग,रंभा!कैसी हैं आप?",रंभा ने घूम के देखा,सामने महादेव शाह खड़ा था.
"गुड ईव्निंग,मिस्टर.शाह.मैं ठीक हू,आप कैसे हैं?"
"मैं भी ठीक हू.",रंभा का दिमाग़ उसे देखते ही तेज़ी से काम करने लगा था.प्रणव & ये बुड्ढ़ा शायद मिले हुए थे & उस बुड्ढे को परखने का ये बढ़िया मौका था.
"प्लीज़ बैठिए.",शाह को तो जैसे इसी का इंतेज़ार था.वो सामने की कुर्सी पे बैठ गया तो रंभा ने वेटर को बुलाके उसकी पसंद का ड्रिंक ऑर्डर किया.दोनो इधर-उधर की बाते करने लगे.आज सवेरे प्रणव ने मौका देख के उस से अपने मंसूबे ज़ाहिर किए थे.अब रंभा देख रही थी कि शाह क्या करता है.शाह को भी प्रणव & रंभा की सवेर की मुलाकात का पता प्रणव से चल चुका था & अभी इत्तेफ़ाक़ से हुई मुलाकात का फायडा उठाने के बारे मे वो सोच रहा था.
"आप इधर शहर से बाहर गयी थी?'
"हूँ.",रंभा ने जान बुझ के खुद को संजीदा कर लिया.
"बुरा ना माने तो मैं पुछ सकता हू कि कहा?"
"गोआ."
"सुना है बड़ी खूबसूरत जगह है.मेरा भी बहुत मन है वाहा जाने का मगर ना कभी मौका लगा &.."
"& क्या?"
"& ऐसी जगह बिना किसी खूबसूरत साथी जाने का क्या फायडा!आप खुशनसीब हैं,समीर साहब के साथ गयी होंगी आप तो..बल्कि मुझे तो ये कहना चाहिए कि समीर साहब खुशनसीब हैं जो आपके साथ उस खूबसूरत जगह की सैर का मौका उन्हे मिला."
"पता नही कौन खुशनसीब है!",रंभा फीकी हँसी हँसी.
"आपकी बातो से उदासी झलक रही है,मोहतार्मा.बुरा ना माने तो उसका सबब पुच्छ सकता हू.आपके जैसी खुशशक्ल ख़ातून के चेहरे पे ये परच्छाइयाँ अच्छी नही लगती.",रंभा को शाह की लच्छेदार बात सुन बड़ा मज़ा आया.इस खेल का वो भी माहिर खिलाड़ी लगता था & उसे भी मज़ा आ रहा था.
"पुछ्ने का शुक्रिया शाह साहब मगर क्यू मेरी परेशानी सुन आप अपनी शाम खराब करना चाहते हैं?"
"आपके साथ से ये शाम निखर आई है & अगर आपके गम को दूर कर सका तो इस से ज़्यादा खुशी की बात मेरे लिए & क्या हो सकती है."
"आप बहुत भले इंसान हैं,शाह साहब.मैं बस इतना कहूँगी की जिस ख़ुशनसीबी की बात आप कर रहे हैं,वो मुझे भी नसीब नही हुई.मैने भी गोआ अकेले ही घुमा.",शाह को पता तो था कि रंभा & समीर के बीच क्या हुआ है.उसने बात आगे बढ़ाई.
"आपको आपके गम की याद दिलाने की माफी चाहता हू.",मेज़ पे रखे रंभा के हाथ पे उसने अपना हाथ रख दिया,"..पता होता की आपका हसीन चेहरा मेरी बातो से यू मुरझा जाएगा तो मैं ऐसा हरगिज़ ना करता."
"प्लीज़,शाह साहब.मुझे शर्मिंदा ना करें बल्कि आज कयि दिनो बाद आपके साथ बात कर मैं खुद को हल्का महसूस कर रही हू.
"नही,मैने ग़लती तो की है & अब मैं इसकी भरपाई भी करूँगा.आप यहा सुकून पाने आई थी ना?"
"जी,सोचा था थोड़ा तैरुन्गि मगर यहा की भीड़ देख इरादा बदल दिया."
"आपको इरादा बदलने की कोई ज़रूरत नही.अब आपकी ख्वाहिश खाकसार पूरी करेगा.",शाह खड़ा हो गया & झुक के इस अंदाज़ मे बोला की रंभा को हँसी आ गयी,"आप बुरा ना माने तो मेरे ग़रीबखाने पे चलिए & वाहा के स्विम्मिंग पूल का इस्तेमाल कीजिए & फिर रात का खाना मेरे साथ खाइए."
"प्लीज़ शाह साहब,तकल्लूफ ना करें."
"तकल्लूफ कैसा!..ये तो मेरी ख़ुशनसीबी होगी..प्लीज़,मुझे 1 मौका दीजिए अपनी खातिर करने का."
"ओके,चलिए.",रंभा कुच्छ देर सोचती रही & फिर उठ खड़ी रही.शाह उसे अपनी कार मे ले गया.दोनो पिच्छली सीट पे बैठ गये तो ड्राइवर कार चलाने लगा.रंभा ने देखा की शाह की निगाहें उसकी स्कर्ट से निकलती गोरी टाँगो & कोट मे कसे सीने पे बार-2 जा रही थी.उसका दिल उसकी इस हर्कतो से धड़क उठा.उसने तय कर लिया कि आज की रात वो शाह को शीशे मे ज़रूर उतारेगी.
महादेव शाह ने रास्ते मे 1 जगह कार रुकवाई & उतर गया.वो 10-15 मिनिट बाद वापस आया.इस बीच रंभा ने देवेन को फोन कर बता दिया कि को वो कहा & किसके साथ जा रही है.देवेन ने भी उसे होशियार रहने की हिदायत दी & वाहा से निकलने के बाद सारी बात बताने को कहा.
शाह वापस आया & 20 मिनिट बाद दोनो उसके बुंगले पे थे.बुंगला आलीशान था मगर बिल्कुल वीरान.रंभा को थोडा डर लगने लगा था.उसे लग रहा था कि यहा के आके उसने कोई ग़लती तो नही की,"आपके घर-परिवार मे कौन-2 है,शाह साहब?"
"कोई नही,रंभा जी.मैं बिल्कुल तन्हा हू.मा-बाप तो बहुत पहले गुज़र गये & कोई है नही."
"आपने शादी नही की क्या?"
"जी नही.आज तक कोई मिली नही.",शाह ने 'आज तक' पे थोड़ा ज़्यादा ज़ोर दिया था.
"ये कैसी बात कर रहे हैं आप?आप जैसे कामयाब शख्स को कोई लड़की नही मिली."
"कामयाब होने का मतलब ये तो नही की जिसको चाहो वो आपको मिल ही जाए.",शाहा मुस्कुराया,"..खैर छ्चोड़िए,ये लीजिए..",शाह ने 1 पॅकेट उसे थमाया,"..माफी चाहूँगा पर मुझे रास्ते मे ख़याल आया कि पता नही आपके पास स्विम्मिंग कॉस्ट्यूम है कि नही & मैने ये खरीद लिया.",रंभा ने पॅकेट ले नज़रे नीची कर ली मानो उसे शर्म आ गयी हो,"..आप चेंज कर उधर पूल पे जाके जी भर के तैरिये.",शाह उसे 1 कमरे मे ले गया & फिर वाहा से चला गया.
रंभा ने पॅकेट खोला तो अंदर से 1 सिंगल पीस,काले रंग की बिकिनी निकली.रंभा ने कपड़े उतारे & बिकिनी पहन ली & कमरे मे लगे ड्रेसिंग टेबल के शीशे के सामने खड़ी हो गयी.बिकिनी का बॅक बहुत गहरा था & केवल उसकी गंद को ढके हुए था.उसकी पीठ पूरी नंगी थी.रंभा मुस्कुराने लगी..शाह बहुत शातिर खिलाड़ी था..उसे ये तो पता था नही कि रंभा के दिल मे क्या है,अगर 2 पीस बिकिनी लेता तो हो सकता था वो बुरा मान जाती.पर ये सिंगल पीस बिकिनी ले वो केवल उसके लिए अपनी फ़िक्र जता रहा था & साथ ही बड़ी चालाकी से इतने गहरे बॅक वाली बिकिनी चुनी उसने उसे अपना जिस्म दिखाने पे भी मजबूर कर दिया था.
रंभा मुस्कुराती हुई कमरे से बाहर शाह के बताए बंगल के पिच्छले हिस्से मे गयी.सामने बिलजुल सॉफ पानी से भरा पूल उसे बुलाता दिख रहा था.रंभा फ़ौरन पानी मे उतर गयी & तैरने लगी.पूल के 2-3 चक्कर लगाने के बाद उसने देखा की 1 घुटनो तक का बाथिंग गाउन पहने शाह हाथो मे 2 ग्लास लिए वाहा आ रहा है.रंभा ने उसे देख हाथ हिलाया तो शाह ने उसे किनारे आने का इशारा किया.
रंभा तैरती हुई पूल के किनारे आ गयी,"मिस्टर.शाह,आपके कैसे शुक्रिया अदा करू,मेरी समझ मे नही आ रहा.कितना शानदार पूल है आपका!",उसने उसके हाथ से जूस का 1 ग्लास ले 1 घूँट भरा & उसी तरह पानी मे खड़े हुए ग्लास को किनारे पे रखा.शाह की निगाहें उसके गीले जिस्म को घूर रही थी.
"आप कुच्छ ज़्यादा शर्मिंदा कर रही हैं,रंभा जी.अब ये मत कहिएगा की मेहरा खानदान के बुंगलो का पूल ऐसा नही."
"हां,कहूँगी.नही है ऐसा पूल क्यूकी आपको हैरत होगी पर हमारे बुंगलो मे से किसी मे भी स्विम्मिंग पूल नही है!",दोनो इस बात पे हंस पड़े,"..आप वाहा क्यू बैठे हैं?आइए ना,तैरिये.ऐसा पूल हो तो इंसान बाहर कैसे बैठ सकता है?"
"आपकी बात टालने की जुर्रत तो मैं कर नही सकता.",शाह ने अपना गाउन उतारा.अब वो सिर्फ़ 1 काले रंग के ट्रंक मे था.रंभा ने देखा की शाह का सीना सफेद बालो से भरा हुआ था.वो बुड्ढ़ा था & उसका जिस्म बहुत गथिला भी नही था मगर चुस्त था.रंभा की निगाहें उसके सीने से नीचे उसकी ब्रीफ्स पे आई & उसे फूला देखा वो मन ही मन मुस्कुराइ,"..पर केवल पूल का होना काफ़ी नही,आप जैसा साथी भी होना चाहिए जिसके साथ तैरने का पूरा लुत्फ़ उठाया जा सके.",शाह पानी मे उतर गया & तैरने लगा.
"चलिए,मेरे साथ मुक़ाबला कीजिए.देखे कौन इस पूल के 2 चक्कर पहले पूरे करता है.",रंभा ने हँसते हुए गोता लगाया & तैरने लगी.शाह भी हंसते हुए उसके साथ तैरने लगा.रंभा आगे थी & वो पीछे.शाह पानी मे अठखेलिया करती रंभा की गोरी टाँगो & नंगी पीठ को ललचाई निगाहो से देखता उसके पीछे आ रहा था.
"मैं जीत गयी!",रंभा पूल के सिरे पे पहुँच उसके किनारे पे कम पानी मे खड़े हो खुशी से चिल्लाई.शाह मुस्कुराता हुआ उसके पास आ गया & उसके सामने खड़ा हो उसके चेहरे को गौर से देखने लगा,"क्या देख रहे हैं?",उसकी निगाहो से रंभा के चेहरे का रंग भी बदल गया था.
"देख रहा हू कि ये पानी की बूंदे कितनी खुशकिस्मत हैं जो आपके होंठो को चूम रही हैं.",शाह उसके करीब आ गया था & रंभा को उसके सांसो की गर्मी अपने चेहरे पे महसूस हो रही थी.रंभा ने नज़रे झुका ली & घूम के अपनी पीठ शाह की ओर कर खड़ी हो गयी.उसने जान बुझ के अपनी नंगी पीठ शाह की ओर की थी.शाह ने पानी के नीचे उसकी झिलमिलाती गंद को देखा & फिर उसकी गीली पीठ को.उसका दिल किया की उसे बाँहो मे भर उसकी मखमली त्वचा को अपने होंठो से चूम ले मगर उसने खुद पे काबू रखा.
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क्रमशः.......
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