RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--79
गतान्क से आगे......
"बपत साहब,लगता है आपको अपनी इज़्ज़त प्यारी नही!"
"अरे ये क्या बदतमीज़ी है!",अमोल बपत गुस्से और हैरानी से देवेन को देख रहा था जो धड़ाधड़ाता उसके घर मे घुस आया था.
"और जो आपने मेरे साथ किया वो क्या था?",देवेन गुस्से मे था.बपत की बीवी & 12 बरस का बेटा वाहा आ गये थे और उसे सवालिया निगाहो से देख रहे थे.
"अरे,मेरे जान-पहचान के हैं,कुच्छ परेशान हैं..",उसने देवेन की बाँह पकड़ बाहर का रुख़ किया,"..मैं अभी आता हू.दरवाज़ा लगा लो.",वो उसे ले बाहर निकल गया,"..ये क्या बदतमीज़ी है भाई?मैं तुम्हारा काम कर रहा हू & तुम मेरी बीवी के सामने ये सब बकवास कर रहे थे."
"बपत साहब,प्लीज़ ज़्यादा बाते मत बनाइए.ये बताइए कि मुझे मारने की सुपारी क्यू दी आपने?आपको भरोसा नही मुझपे?..अरे मेरा काम कर दीजिए और अपनी और उस फिरंगिन की तस्वीरे ले लीजिए.उपर से आपका फ़ायदा हो रहा है & आप मेरी ही जान लेना चाहते हैं!"
"क्या बक रहे हो!..मैं तुम्हे मरवाना क्यू चाहूँगा?..अरे अगर मुझे तुम्हारे साथ ऐसी-वैसी हरकत करनी होती तो पोलीस का इस्तेमाल करता ये सुपारी-उपारी का ख़तरा क्यू मोल लेता?!",उसकी बातो मे सच्चाई थी..तो फिर घर पे बँधा वो शख्स किसके कहने पे वाहा आया था & यानी कि उसका निशाना रंभा ही थी!..हे भगवान!..उसे फ़ौरन घर जाना होगा.
"आइ'म सॉरी,बपत साहब पर कुच्छ ऐसी बात हुई कि मैं बौखला गया था."
"अरे भाई,कोई ख़तरे वाली बात है तो अभी बता दो.बपत को पैसे,ऐशोअराम सब चाहिए मगर जान से ज़्यादा ये सब प्यारे नही मुझे!"
"अरे नही..",देवेन हंसा,"..आप बेफ़िक्र रहिए.कुच्छ पता चला बीसेसर गोबिंद के बारे मे?"
"हां.तुम्हारी बात मुझे सही लगती है.ये बहुत शातिर शख्स है मगर इस से 1 ग़लती हो गयी."
"कैसी ग़लती?"
"देखो,वो 1 बूढ़ा इंसान है.मारिटियस के पासपोर्ट से सेशेल्स से यहा आने का मक़सद घूमना-फिरना बताया है.हमारे मुल्क के बारे मे जानना चाहता है वग़ैरह-2 मगर्स आठ ही लिखता है की उसे अड्वेंचर स्पोर्ट्स का भी शौक है."
"हूँ..फिर?"
"तो ये आदमी कोई 6 महीने पहले मुल्क मे आता है & फिर किसी आम सैलानी की तरह 2 महीनो तक पूरे मुल्क मे घूमता रहता है.जब ज़रूरत पड़ती है तो फ्ररो मे बिल्कुल वक़्त से पहुँच जाता लेकिन यही शख्स उसके बाद गंगोत्री जाता है रिवर रफ्टिंग के लिए & फिर गायब हो जाता है."
"क्या?!"
"हां.वो लापता है.सबका मानना है कि वो पानी मे गिर गया और बह गया."
"पर ऐसा हुआ नही है."
"बिल्कुल.ये शख्स अब पक्का हमारे मुल्क का नागरिक बनके रह रहा है."
"कोई सबूत है इसका आपके पास?"
"नही पर मेरा तजुर्बा यही कह रहा है कि उसके साथ कोई हादसा नही हुआ,वो सही सलामत नाम बदल के यहा रह रहा है & पोलीस और बाकी महकमे ये सोच के निश्चिंत बैठे हैं कि 1 बुड्ढ़ा मर गया है & जब कभी उसकी लाश मिली तो केस बंद कर देंगे."
"तो अब कैसे मिलेगा वो?"
"1 मिनिट रूको,मैं पहले तुम्हे उसकी तस्वीर तो दिखाऊँ जो मैने निकाली थी.",दोनो देवेन की कार मे बैठे बाते कर रहे थे.बपत कार से उतरा & 5 मिनिट बाद तस्वीर लेके वापस आ गया जिसे देखते ही देवेन खुशी से भर उठा.ये दयाल ही था!हुलिया बहुत बदला था उसने मगर वो शातिर आँखे वैसी की वैसी थी.
"ये वही है.",देवन ने बस इतना कहा & अपनी जेब से मोबाइल निकाल के बपत को दे दिया,"..ये लीजिए आपकी अमानत.अब आप भी इसे ढूंढीए & मैं भी & जिस दिन मुझे ये मिल गया मैं आपको खबर करूँगा."
"ठीक है.",बपत ने उतर के कार का दरवाज़ा बंद किया तो देवेन ने तेज़ी से कार वापस घर की ओर मोड़ दी.ड्राइव करते हुए वो रंभा को फोन लगा रहा था मगर वो फोन नही उठा रही थी.देवेन का दिल अनहोनी की आशंका से धड़कने लगा था.उसने कार की रफ़्तार बढ़ा दी & साथ ही फोन ट्राइ करता रहा मगर फोन नही मिला.
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रॉकी जितना ही तगड़ा था उतना ही फुर्तीला भी.अपने जिस्म को उसने बहुत लचीला बना रखा था & अभी इसी बात का वो फायडा उठा रहा था.देवेन ने उसके दोनो हाथ उसके बदन के पीछे 1 साथ बाँध दिए थे.रॉकी फर्श पे बाई करवट लेट गया & अपने घुटने मोड़ अपने सीने से सटा लिए & हाथो को अपनी गंद से नीचे अपने पैरो की तरफ ले जाने लगा.घुटने उसने और उपर मोदे,उसे बहुत तकलीफ़ हो रही थी मगर यही अकेला रास्ता था जिसके ज़रिए वो इस क़ैद से छूट सकता था.बँधे हाथो को नीचे ले जा उसने पैरो के नीचे से आगे किया & फिर उठ बैठा.अब उसके बँधे हाथ सामने की तरफ आ गये थे.
बँधे हाथो से उसने मुँह का टेप हटाया & फिर पैरो के बंधन खोले.दन्तो से को हाथो की रस्सियाँ नोचने लगा.रस्सिया बहुत मज़बूत थी & उसके होंठ & मसूड़े छिल गये.उनसे खून आने लगा मगर रॉकी रुका नही.40 मिनिट की मशक्कत के बाद गाँठ खुली & कुच्छ ही देर मे वो आज़ाद था.उसके कपड़े उस कमरे मे नही थे & दरवाज़ा भी बंद था.अब उसे दरवाज़ा खुलवाने की जुगत भिड़ानी थी.
रंभा फोन उठा ही नही रही थी & देवेन अब पूरी तरह से घबरा चुका था.उसने कार की रफ़्तार बहुत बढ़ा दी थी मगर रास्ता था की ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा था.
"य्ाआहह..!",रॉकी बहुत ज़ोर से चिल्लाया.विजयंत मेहरा चौंक गया & दरवाज़े के पास आया,"..साँप..साँप..बचाओ..बचाओ..!!!!!",रॉकी पागलो की तरह चीख रहा था.
विजयंत 1 पल को सोचता रहा & फिर उसने दरवाज़ा खोल दिया..अंदर साँप घुस आया था & उस शख्स की जान ख़तरे मे थी.,.अभी तो देवेन को उस से बाते उगलवानी थी!..धड़क..!!!!..दरवाज़ा खोलते ही 1 ज़ोरदार मुक्का विजयंत के जबड़े पे पड़ा & वो फर्श पे चित हो गया.बिल्कुल नंगा रॉकी कमरे से बाहर आया & विजयंत के जबड़े पे 1 लात मारी & फिर चौंक गया.
विजयंत मेहरा!..उसकी हैरानी का ठिकाना ही नही रहा..वो पलके झपका भूल 1 टाल उस शख्स को देख रहा था जो फर्श पे पड़ा दर्द से अपने जबड़े को सहला रहा था..ये ज़िंदा है..!
"आए..!",रॉकी चौंका & गर्दन घुमाई.टवल मे लिपटी रंभा उसे देख के चिल्ला पड़ी थी.रॉकी ने उसकी ओर कदम बढ़ाए..इसका काम तो अब तमाम हो के ही रहेगा.रंभा घबरा गयी और पीछे हुई & कमरे के बाहर रखे शेल्फ से टकराई.उसने उधर देखा & वाहा पड़ा भारी गुल्दान उठाके रॉकी की ओर फेंका.रॉकी जब तक झुकता तब तक गुल्दान उसके सर से आ लगा.
दर्द की लहर उसके सर मे दौड़ गयी.वो गुस्से से आगे बढ़ा मगर तभी बाहर के गेट पे किसी कार के ब्रेक्स की आवाज़ आई & फिर उसके दरवाज़े के खुलने & बंद होने के.रॉकी ने 1 पल रंभा को देखा & सोचा..अगर इसे मारने रुकता है तो वो निशान वाला शख्स यहा आ सकता है & फिर वो दोबारा फँस सकता है..नही,अभी भागना ही ठीक होगा..फिर आके वो इन सबसे निबतेगा.रॉकी तेज़ी से बाहर भागा.सामने से देवेन दौड़ता आ रहा था.रॉकी बाई तरफ भागा & लॉन पार कर तेज़ी से बंगल की दीवार पे चढ़ने लगा.उसका नंगा जिस्म दीवार से रगड़ के छिल रहा था मगर उसे उसकी कोई परवाह नही थी.अपने लंबे कद की वजह से वो जल्दी से दीवार के उपर चढ़ा
& बाहर सड़क पे कूद गया.उसकी कार उसे अभी भी दूसरे मकान के सामने खड़ी दिख रही थी.वो उसी की ओर भागा.उसी वक़्त देवेन बंगल के मेन गेट से बाहर आया & उसकी तरफ दौड़ा.
रॉकी तेज़ी से आगे भागा & अपनी कार मे बैठ गया मगर उसमे चाभी तो थी ही नही.उसने गुस्से से स्टियरिंग पे हाथ मारा & कार से उतर के पीछे देखा,देवेन भागता आ रहा था.वो कार से उतरा & तेज़ी से भागा.सामने रास्ता मूड रहा था & रॉकी पीछे देखते हुए भाग रहा था.
देवेन को सामने से आती वॅन दिखी मगर रॉकी उसे देख रहा था & जब तक उसने सामने देखा मोड़ की वजह से उसे देर से देख पाने वाले वॅन के ड्राइवर ने उसे पूरी रफ़्तार के साथ टक्कर मार दी थी.देवेन फ़ौरन सड़क के किनारे के 1 नारियल के पेड़ के ओट मे हो गया.वॅन मे कयि फिरंगी भरे थे और शायद किसी पार्टी मे जा रहे थे.वो उतरे और रॉकी के जिस्म को घेर लिया.थोड़ी देर बाद देवेन वाहा पहुँचा और उनकी भीड़ मे से रॉकी तक गया-सामने रॉकी की लाश पड़ी थी.
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क्रमशः.......
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