RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--75
गतान्क से आगे......
उसने बार काउंटर पे पैसे रखे & वाहा से जाने लगा की अपने बाई तरफ आँखो के कोने से कुच्छ दिखा जोकि उस शॅक की गहमागहमी से बिल्कुल अलग था.देवेन ने फ़ौरन अपनी पीठ उस तरफ की और सामने खड़ी चिलम से गांजे के कश लगाती 1 फिरंगी लड़की के गले मे लटके बड़े से लॉकेट को उठाके देखने लगा,”नाइस लॉकेट.”,लॉकेट कोई 2इन्चX2इंच का था & देखने मे छ्होटा सा फोटो फ्रेम लगता था.देवेन उसके शीशे को घुमा के 1 आईने की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा था.
“यू ट्राइयिन टू पिक मी अप?”,लड़की गांजे के नशे मे चूर थी.
“वॉट डू यू थिंक?”,उसका आइडिया काम नही कर रहा था.उसने लड़की के हाथ से चिलम ली & उसके बाई तरफ दीवार से टिक के उसके साथ खड़ा हो गया & चिलम का 1 कश लिया & लेते हुए सामने 2-3 इसरएलियो को खुद की ओर देखते पाया.
“आइ थिंक यू आर नोट यूज़्ड टू दिस स्टफ.”,देवेन की आँखो से पानी आ गया था.लड़की ने उस से चिल्लूम ली & फिर 1 लंबा कश लिया.
“सो वाइ डॉन’ट यू हेल्प मी इन गेटिंग यूज़्ड टू इट.”,देवेन का दिमाग़ तेज़ी से काम कर रहा था.
“ओके.”,लड़की ने उसका हाथ थाम लिया तो देवेन ने दाया हाथ उसके गले मे डाला & बाए हाथ मे उसका बाया हाथ ले चूमते हुए बाहर निकल गया.उसे ये देखना था कि वो लोग आगे क्या करते हैं.वो लड़की को लेके बीच के 1 खाली पड़े हिस्से की तरफ बैठ गया & रेत पे बैठ गया.
देवेन चिल्लूम से बहुत हल्के काश खीच रहा था मगर जता ऐसे रहा था जैसे बहुत लंबे कश लगा रहा हो.वो & लड़की बारी-2 से गांजा पी रहे थे.देवेन का सारा ध्यान उन तीनो इसरएलियो पे ही था.उसकी समझ नही आ रहा था कि आख़िर वो बस उसपे नज़र क्यू रख रहे हैं,कोई कदम क्यू नही उठाते?..ज़रूर वो अपने बॉस का इंतेज़ार कर रहे हैं..मगर कौन है इनका बॉस?..फ़ौरन ही देवेन को अपने सवाल का जवाब मिल गया..यहेल!..तो वो इसके आदमी हैं..मगर इसका तो पहाड़ो के ड्रग सिंडिकेट से कोई लेना-देना नही है..तो क्या इसे समीर ने रंभा की तलाश मे लगाया है..मगर समीर इस तक कैसे पहुँचा?..देवेन का गोआ की जुर्म की दुनिया के ज़्यादातर पहलुओ से वाकिफ़ होना आज काम आ रहा था.
"हेलो,तुम्हारा आदमी मिल गया है,कोकाउंट ग्रोव शॅक.",यहेल ने रॉकी से बस इतना कह के फोन काट दिया & फिर शॅक के अंदर चला गया.1 बार फिर उसके तीनो आदमी चोरी से देवेन पे नज़र रखने लगे.देवेन अब & सोच मे पड़ गया था..आख़िर यहेल ने फोन किसे किया था?..कोई 20 मिनिट बाद इस सवाल का जवाब भी उसे मिल गया.1 लंबा-चौड़ा दाढ़ी वाला नौजवान वाहा आया & उसे देखा & फिर शॅक की ओर बढ़ गया.रॉकी को ज़रा भी शक़ नही था कि ये वही सीडी वाला बुड्ढ़ा था.अब बस यहेल को उसकी फीस देके वो इस से निबट लेगा.
देवेन ने भी रॉकी को देख के उसकी तस्वीर अपने दिमाग़ मे उतार ली थी.उसका काम हो गया था & अब जाने का वक़्त हो गया था.कुच्छ गड़बड़ होने पे वो इन इसरएलियो से यहा उनके इलाक़े मे नही भिड़ना चाहता था.इसराइल दुनिया के उन मुल्को मे से है जहा की बालिग होने पे फौज मे कुच्छ दिन काम करना & ट्रैनिंग लेना ज़रूरी है.देवेन मे अभी भी दम-खाँ था लेकिन 1 साथ बहुत उम्दा फ़ौजी ट्रैनिंग वाले इज़्रेली नौजवानो से भिड़ना तो अपनी मौत को आप बुलावा देने जैसा था.वो तेज़ी से कार की ओर बढ़ा तो 1 इज़्रेली तेज़ी से शॅक के अंदर गया.
"ये तुम्हारी फीस,यहेल.",रॉकी ने 1 पॅकेट मेज़ पे रखा जिसे यहेल के साथी बारटेंडर ने उठा के चेक किया & फिर अपने साथी की ओर देख के सर हिलाया,"..थॅंक्स फॉर एवेरितिंग."
"ओके,जाओ.",यहेल के चेहरे पे इतने आसान काम के इतने पैसे मिलने की खुशी की झलक भी नही थी.तभी 1 इज़्रेली भागता हुआ अंदर आया & हिब्र्यू मे कुच्छ कहा,"..तुम्हारा आदमी जा रहा है.",रॉकी सुनते ही खड़ा हो गया & बाहर भागा.
देवेन कार सड़क पे उतार रहा था जब उसने उस दाढ़ी वाले शख्स को दौड़ते हुए बाहर आते देखा.देवेन ने गियर बदले & तेज़ी से कार को सड़क पे दौड़ाने लगा.ठीक 2 मिनिट बाद रॉकी अपनी कार मे उसके पीछे था.
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"बाहर तो सब शांत है.",रंभा कंप्यूटर के सामने से उठ गयी.देवेन को गये हुए 1 घंटे से उपर हो गया था & अब वो बहुत उब चुकी थी.वो विजयंत मेहरा के पीछे आ खड़ी हुई & उसके कंधे दबाने लगी.अपनी तरफ आती रंभा के लाल & काले रंग के चौखानो वाले मिनी स्कर्ट से बाहर निकलती दूधिया जंघे & सुडोल टाँगे उसे ललचा रही थी.उपर से उसके नाज़ुक हाथो के दबाव ने उसकी हसरत को जगा दिया था मगर अभी वो लाचार था.
"हां,पर नज़र तो रखनी ही है.देवेन ने कहा है तो बात ज़रूर संगीन होगी.",रंभा की नज़दीकी अब उसे मदहोश कर रही थी.उसने बात बदलने की गरज से उस से सवाल किया,"रंभा,1 बात बताओ,क्या समीर ऐसा शख्स है?"
"कैसा?",रंभा जानती थी कि उसके ससुर का इशारा किस तरफ था मगर फिर भी उसने पुचछा.
"यही जो मेरे इस हाल का ज़िम्मेदार है.",विजयंत जब भी बाहर कोई हुलचूल देखता तो दूरबीन से उसे ध्यान से देखने लगता.
"जिस समीर से मैने शादी की थी & जो समीर गायब होने के बाद वापस लौटा था-उन दोनो मे इतना फ़र्क था कि लगता था कि दोनो 2 बिल्कुल अलहदा इंसान हैं.",रंभा के कोमल हाथ अब आगे विजयंत के सीने पे चले आए थे & वो अपनी ठुड्डी उसके दाए कंधे पे टीका चुकी थी.रंभा की नज़र गयी & उसे ससुर की कार्गो पॅंट मे तंबू बना दिखा.वो मन ही मन मुस्कुराइ & उसके दाए गाल को चूम लिया.
"अभी नही.",उसने ना चाहते हुए भी उसके सर को अपने चेहरे से दूर किया.रंभा को उसकी ये बात पसंद तो नही आई मगर वो किनारे हो गयी,"..क्या वजह हो सकती है उसके बदले रवैयययए की?",उसने समीर के बारे मे बात जारी रखी.
"ये तो मुझे भी समझ नही आता.अगर उसे कामया पसंद थी तो आपको & बाकी घरवालो को नाराज़ कर मुझसे शादी क्यू की उसने?",रंभा ने 1 काली वेस्ट पहनी थी.अपनी गोरी,गुदाज़ बाहे उपर ले जा उसने उस वेस्ट को निकाल दिया & अपनी मोटी जंघे विजयंत के चेहरे के सामने से ले जाते हुए उसकी दोनो टाँगो के बीच खड़ी हो गयी.विजयंत के सामने उसका गोल पेट & लाल ब्रा मे क़ैद बाहर निकलने को बेताब चूचियाँ छल्छला रही थी,"खैर छ्चोड़िए.देखते हैं आगे क्या होता है.",रंभा झुक के उसकी टांगो के बीच बैठ गयी.विजयंत भी झुक के उसे देखने लगा.
"अब बाहर क्यू नही देखते?",रंभा ने शोखी से मुस्कुराते हुए ससुर को प्यार से झिड़का & उसकी पॅंट की ज़िप खोल उसके लंड को बाहर निकाल लिया,फिर अपने ब्रा कप्स के बीच लगे बटन को खोल अपनी चूचियाँ आज़ाद कर दी & उन्हे अपने हाथो मे भर लंड को उनके बीच दबा लिया.विजयंत ने बड़ी मुश्किल से अपनी आह रोकी & खिड़की के बाहर देखा,1 बाइक सवार रास्ते पे आगे चला गया.रंभा उसके लंड को चूचियो के बीच दबा के हिला रही थी & वो जोश से भर रहा था.
वो चाह के भी रंभा के जिस्म को नही च्छू रहा था क्यूकी उसे पता था कि 1 बार उसने उसके रेशमी बालो या नर्म चूचियो को च्छुआ तो उसके सब्र का बाँध टूट जाएगा & फिर दोनो को 1 दूसरे के जिस्मो मे खोते देर नही लगेगी.उसे देवेन पे पूरा भरोसा था & इतने दिनो मे वो समझ गया था कि वो बिना बात के नही घबराता था.अगर उसने कहा था तो उसे बाहर दूसरे घर पे नज़र रखनी ही थी.उसने सर नीचे झुकाया.रंभा चूचियो के बीच लंड को हिलाते हुए उसके सूपदे को अपने गुलाबी होंठो से बार-2 चूम रही थी.विजयंत के आंडो मे 1 अजीब सा मीठा दर्द शुरू ही गया था.
रंभा ने कुच्छ देर बाद अपनी चूचियो मे से लंड को निकाल के दाए हाथ मे जकड़ा & हिलाते हुए उसके सूपदे को अपने मुँह मे भर चूसने लगी.विजयंत की हालत अब और खराब हो गयी.रंभा लंड चूस्ते हुए उसे देख रही थी.उसकी आँखो मे ससुर के लिए बुलावा सॉफ दिख रहा था मगर वो भी जानती थी कि विजयंत अभी उसकी हसरत पूरी करने वाला नही.उसने बाए हाथ को नीचे अपनी पॅंटी के किनारे से अपनी चूत पे लगाया,इस वक़्त तो उसे खुद ही दोनो की प्यास बुझानी पड़ेगी.
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देवेन गोआ के चप्पे-2 से वाकिफ़ था & वो रॉकी को बुरी तरह से उलझा रहा था.कभी कार बिल्कुल भीड़ भरे इलाक़े मे घुस जाती तो कभी बिल्कुल सुनसान.देवेन उसे अपने पीछे से हटाना नही चाहता था.वो तो चाहता था कि वो उसके पीछे आए मगर उस से पहले वो उस अंजान शख्स को पूरी तरह से भटका देना चाहता था की ताकि उसे पता ही ना चले कि वो गोआ के किस हिस्से मे है.कुच्छ देर के बाद उसने कार को अपने घर की तरफ मोड़ा.रॉकी भी उसके पीछे हो लिया.देवेन ने शीशे मे देखा & मुस्कुराया,बस ये पंछी उसके जाल मे फँसने को पूरी तरह से तैय्यार था.
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"डॅड,आपको याद है कि मैं आपके साथ इसी तरह खेलती थी?",रंभा लंड पे पूरे जोशोखरोश के साथ जुटी थी.उसने उसे उठा के अपनी जीभ की नोक उसकी लंबाई पे चलाई & फिर उसके नीचे लटके आंडो को जीभ से छेड़ने लगी.
"कुच्छ-2..ओह्ह..!",विजयंत ने आह भरी.उसके ज़हन मे तस्वीर घूमने लगी थी.रंभा & उसके हुमबईस्तर होने की मगर वो कभी भी उस जगह को ठीक से नही देख पाता था जहा वो चुदाई कर रहे होते थे.
"आपको ये भी याद नही कि मेरे अलावा & किस-2 लड़की ने आपके लंड से ऐसे खेला है?",रंभा ने अपनी चूत कुरेदते हुए उसके आंडो को दबाया & फिर लंड को दाए हाथ मे पकड़ बहुत ज़ोर से हिलाने लगी.
"नही.",उसने आँखे बंद कर ली.1 धुंधली सी शक्ल आ रही थी उसके ज़हन मे और वो रंभा नही थी.....कौन थी वो?..वो उसकी छातियों पी रहा था & वो उसके बालो से खेल रही थी..वो खुश नही थी मगर..कौन थी वो?
"आँखे खोलिए & बाहर देखिए,डॅड.",रंभा उसका चेहरा देखते समझ गयी थी कि वो दिमाग़ पे ज़ोर डाल रहा था.वो अपनी मंज़िल के बहुत करीब थी & जानती थी कि विजयंत का भी कुच्छ ऐसा ही हाल था.
"रंभा..",विजयंत उसे देख रहा था,"..वो सोनिया कौन थी तुम्हे पता है?"
"बताया तो था आपको की आपके दुश्मन ब्रिज कोठारी की बीवी थी वो."
"और किसी तरह नही जानते थे क्या हम उन दोनो को?",उसके अंडे अब बिल्कुल कस चुके थे & वो मीठा दर्द अब अपने चरम पे पहुँच रहा था.रंभा की चूत की कसक भी अब बिल्कुल उपर पहुँच चुकी थी.
"नही,डॅड.",& उसी वक़्त रंभा ने मुँह मे लंड को भर विजयंत के ज़हन से उसके जिस्मानी जोश के अलावा & सारे ख़यालो को बाहर निकाल दिया.वो अपनी चूत तेज़ी से कुरेदते हुए उसके लंड को चूसने लगी.अगले ही पल उसके मुँह मे 1 गर्म फव्वारा च्छुटा & उसी वक़्त उसकी उंगली के कमाल से उसकी चूत मे भी हुलचूईल मच गयी.ससुर के उसके मुँह को अपने वीर्य से भरते ही वो भी जहड़ गयी थी & तभी रंभा के दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा..कही सोनिया से भी इनके ताल्लुक़ात तो नही थे?..वो अपने ख़याल से खुद हैरत मे भर गयी & लंड से वीर्य की सारी बूँदो को चाट कर पीने लगी.
विजयंत ने उसके सर को पकड़ उपर उठाया & उसके होंठो को बड़ी शिद्दत से चूमने लगा.रंभा भी घुटनो पे खड़ी हो उसे बाहो मे भर उसकी किस का जवाब देने लगी की विजयंत को सामने कोई रोशनी सी दिखी.उसने फ़ौरन रंभा के होंठो को छ्चोड़ा & दूरबीन से अपनी आँख चिपका दी,"..ये तो देवेन की कार है मगर वो पुराने घर मे क्यू जा रहा है?"
"क्या?!",रंभा भी हैरत से घूमी & पर्दे को ज़रा सा हटा बाहर देखने लगी की उसका मोबाइल बजा.वो फ़ौरन विजयंत की टाँगो के बीच से निकली & फोन उठाया,"देवेन.क्या बात है?..क्या हुआ?"
"फोन विजयंत को दो,रंभा.जल्दी!",रंभा ने वैसा ही किया.
"बोलो देवेन क्या बात है?..हूँ..अच्छा!..",वो दूरबीन से देखते बात कर रहा था,"ओके.",उसने फोन बंद कर रंभा को दिया & दूरबीन से बाहर देखने लगा.
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क्रमशः.......
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