RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--73
गतान्क से आगे......
रंभा ने विजयंत को धकेल 1 बार स्टूल पे बिठा दिया & फिर झुक के उसके लंड को मुँह मे भर चूसने लगी.अपने नखुनो से वो उसके आंडो को खरोंच उसके मज़े को और बढ़ा रही थी.विजयंत आँखे बंद किए उसके बालो को पकड़ मस्ती मे आहे भर रहा था मगर उसके ज़हन मे वो सवाल की रंभा के अलावा और कौन-2 सी औरतें उसकी ज़िंदगी मे आई थी,अभी भी घूमड़ रहा था..वो सोनिया कौन थी जिसका नाम ले वो दोपहर को बेहोश हो गया था?..कौन थी वो?..उसने सवालो को थोड़ी देर शांत रहने को कहा & अपना ध्यान रंभा पे लगाया.वो दीवानो की तरह उसके लंड के सूपदे को चूस्ते हुए उसे हिला रही थी.
“उउम्म्म्मम..!”,लंड मुँह मे भरे हुए वो मस्ती मे करा ही.पीछे से देवेन झुक के उसकी चूत चाटने मे जुट गया था.रंभा अब कमर हिलाती,च्चटपटती हुई अपने ससुर का लंड चूस रही थी.देवेन 1 उंगली को उसकी गंद मे घुसा के अंदर-बाहर करते हुए उसकी चूत चाट रहा था.रंभा के जिस्म मे फिर वोही बेचैनी भर गयी & उसे शांत करने की गरज से वो अपने ससुर के लंड & आंडो को बुरी तरह दबाते हुए चूसने लगी.विजयंत के लिए अब खुद पे काबू रखना मुश्किल था & उसने बहू के बाल पकड़ उसके मुँह को लंड से अलग किया.रंभा के चेहरे पे अपने मनपसंद खिलोने के छिनने से नाखुशी के भाव थे.विजयंत ने उसकी बाई जाँघ पकड़ उसे अपनी गोद मे बीताया तो रंभा खुद ही उसके लंड को थाम चूत पे रखा & फिर उसके कंधे थाम बैठने लगी.
“आहह..!”,रंभा चीखी.वो लंड को चूत मे ले विजयंत की गोद मे बैठी ही थी कि पीछे से उसके प्रेमी ने उसकी गंद की फांको को फैलाते हुए उसके छेद मे अपना लंड उतार दिया था.विजयंत उसकी चूचियो को दबाते हुए चूस रहा था & देवेन उसकी गंद मार रहा था.रंभा मस्ती मे विजयंत के लंड पे उच्छलते हुए सर पीछे झुका बालो को झटकती मस्ती मे चीखे जा रही थी.देवेन आज लंड को आधी लंबाई से आगे घुसा रहा था.रंभा को प्यार से चूमते ,उसके कानो मे प्यार भरे बोल बोलते हुए,वो अपने लंड को उसकी गंद की अनच्छुई गहराइयो मे उतार रहा था.गंद मे होती हुलचूल की वजह से रंभा का पूरा जिस्म सिहर उठा था & उसकी चूत बुरी तरह कसमसा रही थी.विजयंत का लंड उसकी कसमसाहट से पागल हो गया था & अब विजयंत भी नीचे से कमर उचका के उसे तेज़ी से चोद रहा था.
देवेन उसकी गंद की कसावट से पागल हो गया था.बड़ी मुश्किल से वो खुद को तेज़ धक्के लगाने से रोक रहा था.वो अपने हाथो से कभी उसकी मांसल कमर तो कभी उसकी मोटी चूचियाँ दबा रहा था.उसका दिल किया कि वो अकेला ही रंभा की जवानी का लुत्फ़ उठाए & उसने आगे झुकते हुए उसकी मूडी टाँगो को दोनो हाथो मे थामा & उसे विजयंत के लंड से उठा हॉल मे रखे बड़े सोफे पे ले गया.विजयंत इस तरह से चुदाई मे खलल पड़ने से झल्ला गया था लेकिन देवेन रंभा का प्रेमी था & वो उसे चाह के भी मना नही कर सकता था.
रंभा सोफे पे घुटनो & हाथो पे थी & देवेन बाए हाथ को उसकी कमर की बगल से ले जाते हुए उसके दाने को रगड़ते हुए उसकी गंद मार रहा था.कुच्छ ही पॅलो मे रंभा झाड़ गयी & सोफे पे निढाल हो गयी.देवेन ने लंड उसकी गंद से बाहर खींचा & उसके चेहरे के पास बैठ के उसपे किस्सस की झड़ी लगा दी.अब विजयंत भी सोफे पे आ गया था & रंभा की गंद सहला रहा था.
वो झुका & उसकी गंद की फांको को चूमने लगा.रंभा ने देवेन को चूमा & उसे खड़े होने का इशारा किया & फिर उठते हुए उसके पेट मे अपना मुँह घुसा चूमने लगी.देवेन उसके बालो मे प्यार से हाथ फिराने लगा & उसने उसके लंड को मुँह मे भर लिया.
"उउन्नग्घह..!",वो घुटनो & हाथो पे हो देवेन के लंड को पकड़ के हिलाते हुए चूस ही रही थी कि पीछे से अपने घुटनो पे बैठ विअजय्न्त ने उसकी चूत मे लंड उतार दिया था.रंभा अब पूरी तरह से मदहोश थी.दोनो मर्द उसके जिस्म से पूरे जोश के साथ खेल रहे थे & वो भी उनकी हर्कतो से जोश मे पागल हो रही थी.विजयंत का तगड़ा लंड उसकी चूत को बुरी तरह फैलाता हुआ रगड़ रहा था & हर धक्के पे जब विजयंत का जिस्म उसकी गंद से टकराता तो वो सिहर उठती & देवेन के लंड को मुँह मे भरे हुए आह भरती.विजयंत उसकी गंद की फांको पे चपत मारता उसकी चूत चोद रहा था & देवेन उसके सर को थामे,बीच-2 मे उसकी छातिया दबाता उसका मुँह.कुच्छ देर बाद रंभा 1 बार फिर झाड़ गयी & देवेन के लंड को छ्चोड़ सोफे पे गिर गयी.
विजयंत ने उसकी कमर थाम उसे उठाया & उसे पकड़ते हुए सोफे से नीचे पैर लटका के बैठ गया.अब रंभा उसके सीने से पेट लगाए ,उसके लंड को चूत मे लिए बैठी थी.विजयंत ने उसकी कमर पकड़ उसे उपर उठाया & लंड को चूत से निकाला & फिर गोद मे बिठा के आगे झुकाया.रंभा समझ नही पा रही थी कि वो कर क्या रहा है मगर देवेन समझ गया था.वो सामने आया & रंभा के सामने बैठ के उसके होंठ चूमने लगा.
"ऊन्न्न्णनह..!",रंभा ने दर्द & मस्ती मे बहाल हो देवेन के कानो को पकड़ते हुए उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा दी थी.विजयंत ने उसकी कमर थाम उसकी गंद मे अपना लंड डाल दिया था.देवेन चूमते हुए उठा & उसे विजयंत के सीने पे गिरा दिया & उसकी टाँगे फैला दी & घुटने मोड़ दिए.रंभा ने अपने घुटने अपने हाथो मे पकड़ अपनी चूत अपने महबूब के लिए खोलो दी.देवेन आगे झुका & लंड को उसकी चूत मे घसा दिया.रंभा अभी भी उसके मोटे लंड के घुसने पे थोड़ा दर्द महसूस करती थी,उसका लंड था ही इतना मोटा!
देवेन आगे झुका & उसे चूमते हुए उसकी चूचियाँ मसल्ते हुए धक्के लगाने लगा.विजयंत उसकी कमर को जकड़े उसके कंधो & गर्दन को चूमता हुआ उसकी गंद मार रहा था.रंभा अब बिल्कुल बहाल हो गयी.2 ताक़तवर मर्दो से इस तरह अपने जिस्म को ऐसे भोगा जाना उसे मदहोशी के उस आलम मे ले गया था,जिसके बारे मे उसने कभी सपने मे भी नही सोचा था.दोनो उसके जिस्म को अपने हाथो मे भरते हुए,उसके चेहरे & बाकी जिस्म पे चूमते हुए उसके दोनो सुराखो मे अपने क़ातिल अंगो को इस गर्मजोशी से अंदर-बाहर कर रहे थे की वो बस झड़ती चली जा रही थी.उसका अपने जिस्म पे कोई इकतियार नही रह गया था.उसे होश भी नही था कि वो चीख रही थी & उसका जिस्म कांप रहा था.वो तो बस मज़े मे डूबी हुई थी.तीनो ने 1 साथ ज़ोर से आह भरी & रंभा ने 1 साथ अपनी चूत & गंद मे गर्म,गाढ़े वीर्य की बौच्चरें महसूस की & उसकी चूत भी उनके जवाब मे पानी बहाने लगी.खेल अपने अंजाम तक पहुँच गया था & तीनो अब सुकून ओर खुशी से भरे हुए थे.
हॉलिडे इन्न गोआ मे रॉकी को वो मिल गया जिसकी उसे तलाश थी-रंभा मेहरा का नाम.कितनी मुश्किल हुई थी उसे ये काम करने मे ये वोही जानता था.उसके क्लाइंट ने उसे रंभा के डेवाले से गोआ आने की तारीख & फ्लाइट के बारे मे बताया था & केवल उसी के सहारे वो इस होटेल तक पहुँच गया था.इसके पहले उसने 10 5 स्तर होटेल्स मे छन्बिन की थी मगर हर जगह से उसे खाली हाथ लौटना पड़ा था.उसे लगने लगा था कि रंभा ज़रूर किसी छ्होटे-मोटे होटेल या फिर किसी जान-पहचान वाले के घर चली गयी होगी मगर हॉलिडे इन्न के फ्लोर मॅनेजर से मिलने के बाद उसकी तलाश ख़त्म हो गयी थी या कहिए की शुरू हो गयी थी.
"पूरा कमरा तहस-नहस था मानो अंदर कोई तूफान आया हो."
"अंदर हाथापाई हुई थी क्या?",रॉकी ने 1 मोटा पॅकेट मॅनेजर को थमाया.
"हां..",वो हंसा,"..मगर वो हाथापाई जो मर्द & औरत करते हैं.",उसने पॅकेट को खोल अंदर देखा & फिर उसे अपने कोट की अंदर की जेब मे रख लिया.रॉकी उसकी बात समझ मुस्कुराने लगा.
"कैसा दिखता था वो मर्द?"
"बुड्ढ़ा था 50 बरस से उपर का,खिचड़ी मगर करीने से बने बाल & हां..",उसने अपने बाए गाल पे अपना हाथ रखा,"..यहा 1 निशान था."
"हूँ..",रॉकी कुच्छ सोच रहा था,"..1 काम & कर सकते हो?"
"क्या?"
"तुम्हारे होटेल के सेक्यूरिटी कॅमरास के फुटेज से मुझे उसकी तस्वीर दे सकते हो?"
"ये तो बहुत ख़तरे का काम है.पता चल गया तो मेरी नौकरी तो जाएगी ही आगे नौकरी मिलना भी नामुमकिन हो जाएगा."
"अच्छा,1 काम करो.तुम उस फुटेज तक पहुँच बस उस आदमी की शक्ल मुझे 1 बार दिखा दो."
"मगर कैसे?..मैं फुटेज आक्सेस नही कर सकता क्यूकी वो मेरा डिपार्टमेंट नही है."
"हां..मगर तुम फ्लोर मॅनेजर हो,वो शख्स तुम्हारे फ्लोर के 1 कमरे मे 1 पूरी रात रहा.तुम किसी भी बहाने से उस वीडियो को देख सकते हो & मुझे बस उसकी 1 फाइल किसी तरह दे दो."
"हूँ..मैं पक्का नही कह सकता पर कोशिश कर सकता हू."
"ओके.कल मिलूँगा,यही इसी वक़्त."
"ओके और पैसे?"
"उसकी फ़िक्र मत करो.",रॉकी ने उसकी तरफ का कार का दरवाज़ा खोला जिसमे वो बैठे थे.वो मॅनेजर उतर गया & दरवाज़ा बंद कर दिया तो रॉकी ने कार स्टार्ट की & होटेल की बेसमेंट पार्किंग से निकल गया.पार्किंग से निकलते हुए उसने आँखो पे काला चश्मा & सर पे बेसबॉल कॅप लगा ली ताकि पार्किंग के एंट्रेन्स,एग्ज़िट & अंदर लगे कॅमरास मे उसकी शक्ल सॉफ ना आए.उसे जिस काम को अंजाम देना था,उसके कामयाब होने पे बहुत मुमकिन था कि पोलीस सिरो को जोड़ने के इरादे से इस होटेल तक आ पहुँचे & वो किसी भी कीमत पे पोलीस की नज़र मे नही आना चाहता था.
रॉकी 6'4" का लंबा-चौड़ा,ताक़तवर जवान था.उसके गर्दन तक लंबे बाल & चेहरे की घनी दाढ़ी & उसका गथिला जिस्म लड़कियो को उसकी ओर खिचने मे हमेशा कामयाब होते थे.वो भी इसका खूब फयडा उठता था मगर अपने काम के आगे वो अपने इस शौक को कभी तवज्जो नही देता था.उसने अपनी कार 1 पब्लिक पार्किंग मे लगाई & 1 बीच शॅक मे बने बार मे गया जो इस वक़्त शाम को खचाखच भरा था.
वो बार तक गया & 1 बियर ऑर्डर की.पास बैठी 1 लड़की उस से फ्लर्ट करने की कोशिश कर रही थी & वो भी मुस्कुराते हुए उसका साथ दे रहा था.लड़की के बिकिनी के टॉप & सरॉंग मे कसा अधनंगा जिस्म काफ़ी दिलकश था लेकिन इस वक़्त रॉकी अपने काम के सिलसिले मे इस बार मे आया था & अभी उस लड़की का हुस्न उसके लिए कोई मायने नही रखता था.रॉकी उस लड़की से बाते करते हुए किसी को ढूंड रहा था.लड़की उसके दाए तरफ बैठी थी & बाते करते हुए बार-2 उसकी जाँघो पे हाथ रख रही थी.रॉकी जानता था कि बस उसे अपनी बातो से उसके बातो मे च्छूपे बुलावे को कबूल करना था & उसकी आज की रात को वो नशीली बनाने मे कोई कसर नही छ्चोड़ती मगर आज उसे उस लड़की की जवानी से महरूम रहना होगा क्यूकी वो जिसे ढूंड रहा था,उसे वो शख्स दिख गया था,"एक्सक्यूस मी पर मैं यहा अपनी ग्रिल्फ्रेंड का इंतेज़ार कर रहा हू.",लड़की बुरा सा मुँह बनाती चली गयी.
"शालोम,यहेल.",तगड़े फिरंगी बारटेंडर के पीछे आए 1 5'9' कद का चुस्त जवान उसकी आवाज़ सुन ठिठक गया.
"शालोम.",वो नज़रो से रॉकी को तोल रहा था.रॉकी ने देखा की बारटेंडर का दाया हाथ उसके एप्रन के पीछे चला गया था.रॉकी जानता था कि उसने ज़रा भी गॅडबॅड की & बारटेंडर का छिपा हत्यार उसकी ओर आग उगलने लगेगा.
"वॉट ईज़ दा मीनिंग ऑफ शालोम,यहेल?..शालोम का मतलब क्या होता है?",उसने अपनी आँखे यहेल की आँखो से मिला दी.
"पीस..अमन.",यहेल का बाया हाथ बार काउंटर के नीचे था & दाया काउंटर के उपर.अपने जवाब से उसने ये भी जता दिया था कि उसे भी यहा की ज़ुबान आती थी.
"तो मैं शांति से यहा बिज़्नेस की बात करने आया हू कोई गड़बड़ करने नही..",रॉकी ने दोनो हाथ काउंटर पे रख दिए थे,"..मेरे पास कोई हत्यार नही है.चाहो तो मेरी तलाशी ले लेना."
"वॉट सॉर्ट ऑफ बिज़्नेस?"
"मुझे फ़ारूख़ ने तुम्हारा पता दिया था.",उस नाम को सुनते ही यहेल के चेहरा थोड़ा नर्म पड़ा मगर वो & उसका बारटेंडर साथी अभी भी चौक्काने थे,"..मुझे 1 शख्स को ढूँढना है & फिर..",उसने बात अधूरी छ्चोड़ दी लेकिन यहेल समझ गया.
"हूँ..कम.",रॉकी जिस बार मे आया था ये इज़्रेली माफिया के गुर्गो का था.इसका पता उसे डेवाले के अंडरवर्ल्ड के अपने 1 कॉंटॅक्ट से मिला था.यहेल उसे शॅक के पीछे ले गया.यहेल आगे चल रहा था,उसके पीछे रॉकी & सबसे पीछे वो बारटेंडर.1 कमरे मे जा यहेल 1 कुर्सी पे बैठा & अपनी शर्ट के नीच्चे से पॅंट मे अटकी ऑटोमॅटिक पिस्टल निकाल के अपने हाथ मे ले ली & रॉकी को बैठने का इशारा किया.रॉकी के बैठते ही बारटेंडर ने दरवाज़ा बंद किया & उसपे खड़ा हो अपने पेरो के पीछे च्छूपी पिस्टल निकाल के हाथ मे ले ली.यहेल ने अपना मोबाइल निकाला & नंबर मिलाया.
"हूँ..ओके..राइट..बाइ..!",उसने फोन काटा & मोबाइल अपनी जेब मे डाला,"..तुम्हारा नाम क्या है?"
"रॉकी."
"कहा से आया हो?",हिन्दुस्तानी ज़ुबान पे उसकी पकड़ अभी उतनी मज़बूत नही हुई थी.
"डेवाले."
"हूँ..क्या चाहिए..ऑटोमॅटिक..सेमी-ऑटोमॅटिक..उस से हेवी वेपन..प्लीज़ नो बारगिनिंग..प्राइस पे..",वो अच्छे हिन्दुस्तानी लफ्ज़ सोचने की कोशिस कर रहा था.
"हुज्जत करना तुम्हे पसंद नही.",रॉकी ने मुस्कुराते हुए उसकी मदद की.
"यस."
"पर मुझे हत्यार से ज़्यादा कुच्छ और मदद चाहिए."
"ओके..वॉट?"
"मुझे 1 शख्स की तलाश है..आइ मीन 2 लोगो की तलाश है..",उसने जेब से रंभा की तस्वीर निकाली,"..1 तो ये लड़की ."
"ओके..",यहेल ने तस्वीर को देखा & फिर रॉकी को वापस किया,"..& दूसरा?"
"उसकी तस्वीर मेरे पास नही है अभी..",उसने वही हुलिया बताया जो हॉलिडे इन्न के फ्लोर मॅनेजर ने उसे बताया था,"..& अगर लक अच्छा रहा तो कल शायद तस्वीर भी मिल जाए."
"आफ्टर फाइंडिंग देम..क्या?"
"वो मुझे करना है.मेरे क्लाइंट की सख़्त ताकीद है कि उसके बाद का काम मैं अकेले ही करू."
"& युवर क्लाइंट इस वेरी राइट क्यूकी उसके बाद का काम..आइ नो वॉट तट'स गोन्न बी& उसमे हम इन्वॉल्व नही होंगे.",रॉकी जानता था.उसकी तरह ये लोग पोलीस से डरते नही मगर उसी की तरह ये लोग उनकी नज़रो मे आना या अपने रास्ते मे उन्हे आने देना नही चाहते थे.
"ओके."
"नाउ दा फीस."
बोलो क्या चाहिए.",यहेल के कहने के बावजूद रॉकी ने दाम पे हुज्जत की & थोड़ी देर बाद सब तय हो गया था.यहेल आज से ही उसके बताए हुलिए वाले शख्स & रंभा की खोज मे अपने आदमियो को लगाने वाला था.
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः.......
|