RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--69
गतान्क से आगे......
प्रणव की समझ मे नही आ रहा था कि रंभा आख़िर अचानक इस तरह कहा चली गयी थी.रीता ने भी सवेरे नाश्ते के दौरान उसकी & शिप्रा की मौजूदगी मे समीर से जानने की कोशिश की थी मगर उसने टाल दिया था.1 बात और उसे परेशान कर रही थी.उसकी सास ने उस से अपने बेटे की शिकायत की थी कि आजकल वो उसपे भी ध्यान नही देता मगर नाश्ते की मेज़ पे तो समीर का रवैयय्या ऐसा बिल्कुल भी नही था.....तो क्या रीता ने झूठ बोला था मगर उसे झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी?
अब उसे जल्द से जल्द समीर को रास्ते से हटाना था & रंभा को मोहरा बना ट्रस्ट ग्रूप को अपने शिकंजे मे जकड़ना था.शाह के साथ मिलके उसने तय कर लिया था कि समीर को मारना ही होगा पर अब ये सोचना था कि वो उसे कैसे मारे कि समीर की मा & बेहन को ज़रा भी शक़ ना हो & वो वैसे ही उसपे भरोसा करती रहें & सबसे ज़रूरी बात कि समीर की मौत ऐसी हो की क़ानून को उसकी साज़िशो की भनक भी ना लगे.
इधर अपने कॅबिन मे बैठा प्रणव अपने ख़तरनाक मंसूबो के बारे मे सोच रहा था उधर सोनम अपनी सहेली से फोन पे बात कर रही थी,"तेरे मना करने के बावजूद समीर तुझे ढूंड रहा है.कल शाम अपने ऑफीस के फोन से उसने किसी मोहन को फोन किया था.."
"बलबीर मोहन.जानती हू उस आदमी को.उसने क्या बोला?"
"उसने समीर को अपने दफ़्तर या यहा हमारे दफ़्तर मिलने को कहा.वो फोन पे इस बारे मे ज़्यादा बात करना नही चाहता था."
"हूँ.फिर कहा मिल रहे हैं दोनो?"
"अभी वो मोहन हमारे दफ़्तर पहुचा है & समीर ने उसे सीधा अपने कॅबिन मे बुलाया है."
"अच्छा.सुन,तू ज़्यादा ख़तरा मत मोल लेना.उनकी बाते सुनने की भी ज़रूरत नही.ठीक है?"
"अच्छा."
"& सोनम,अगर ज़्यादा परेशानी महसूस हो तो इस नौकरी को लात मारने मे हिचकना नही.मैं हू ना!तुझे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगी."
"तू भी ना यार.दोस्ती मे तकलीफ़ कैसी!",दोनो सहेलियो ने कुच्छ और बाते की & फिर फोन काट दिया.
"क्या हुआ?..किस सोच मे डूबी हो?",रंभा ने अभी-2 दोनो मर्दो के साथ नाश्ता ख़त्म किया था & रसोई मे ही खड़ी हो सोनम से फोन पे बाते कर रही थी.देवेन ने उसे पीछे से बाहो मे भर लिया था & उसके बॉल चूम रहा था.रंभा ने उसे सोनम से हुई बात के बारे मे बताया,"..अच्छा,बलबीर मोहन के गोआ पहुँचते ही मैं उस से मुलाकात करता हू."
"नही.उसकी नौबत ही नही आएगी.",रंभा घूमी & देवेन को बाहो मे भर उसके सीने पे सर रख दिया.
"अच्छा.क्या करोगी?",देवेन उसके बालो मे उंगलिया फिरा रहा था.
"जब कर लूँगी तो बता दूँगी..ये क्या?",उसने उसके कपड़ो पे नज़र डाली,"..कहा की तय्यारि है?..& मुझे साथ नही ले जा रहे?"
"नही.मैं बीसेसर गोबिंद नाम की मच्चली को जाल मे फँसाने के लिए चारा डालने जा रहा हू."
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दोपहर 2 बजे देवेन पॅनजिम मे गोआ के फॉरिनर्स रेजिस्ट्रेशन ऑफीस के बाहर अपनी कार लगा रहा था.इमारत के बाहर केयी विदेशी घूम रहे थे & उनका काम करने का भरोसा दिलाते कुच्छ सच्चे,कुच्छ झूठे दलाल भी.देवेन इमारत के बाहर खड़ा उसके मेन गेट को देख रहा था.वक़्त हो गया था.उसे जिस से मिलना था वो बस अंदर से निकलने ही वाला था,या यू कहा जाए की उसकी कार अंदर से निकलने ही वाली थी.कोई 5 मिनिट बाद 1 सफेद मारुति आल्टो अंदर से निकली & देवेन ने अपनी कार उसके पीछे लगा दी.वो आल्टो पॅनजिम की सड़को पे भागी जा रही थी.देवेन समझ गया था कि वो डोना पॉला की ओर जा रहा था.
कुच्छ देर बाद देवेन डोना पॉला के 1 बीच शॅक के बाहर अपनी कार मे बैठा अपनी दूसरी सिगरेट ख़त्म कर रहा था.सिगरेट ख़त्म होते ही वो कार से उतरा & शॅक के दरवाज़े को खटखटाने लगा.2-3 मिनिट बाद 1 गोरी विदेशी लड़की ने दरवाज़ा तोड़ा सा खोला,"यस?..वॉट डू यू वॉंट?",देवेन ने देखा कि लड़की बाए हाथ से दरवाज़े को पकड़े थी & दाए से सीने पे कोई कपड़ा दबाए थी.उसे समझते देर नही लगी कि लड़की नंगी थी & उस कपड़े से अपने सीने को ढाकी थी.
"आइ वॉंट टू मीट दा गाइ यू'रे फक्किंग,सिनॉरीटा!",देवेन ने दरवाज़े को ज़ोर से धकेला & अंदर घुसा गया.वो लड़की चीखती उसपे झपटी मगर उसने उसका हाथ पकड़ उसे घुमाया & उसकी दाई बाँह को उसके जिस्म के पीछे जाकड़ लिया & अपनी बाई बाँह से उसकी गर्दन दबोच ली,"आइ'म नोट हियर तो हर्ट यू,ओके?",लड़की के सीने पे दबा कपड़ा गिर गया था & अब वो पूरी नंगी थी,"..मुझे आपसे काम है बपत साहब.सामने के बिस्तर पे लेटा 1 करीब 36-37 बरस का आदमी अपने नागेपन को च्छूपाते हुए हड़बड़ा के उठ बैठा था.देवेन ने लड़की को उस आदमी पे धकेला & जैसे ही दोनो 1 साथ बिस्तर पे गिरे देवेन ने अपने मोबाइल से दोनो की खटखट 3-4 तस्वीरें खींच ली.
"साले,कुतरेया..@#$%^&*..तू कौन है बे?..अभी तुझे मज़ा चखाता हू!",गलिया बकता वो बौखलाया सा चादर से अपनी कमर को ढँकता देवेन की ओर झपटा.देवेन ने अपने कोट से च्छूपी पॅंट की कमर मे अटकी पिस्टल निकाल के सामने तान दी.बपत जहा का ताहा रुक गया.
उसने 1 कुर्सी खींची & बैठ गया.पास ही 1 आइसबॉक्स मे बियर के कॅन्स पड़े थे.उसने 1 कॅन खोला & पीने लगा,"मिस्टर.अमोल बपत,मुझे आपकी ज़ाति ज़िंदगी से कोई लेना-देना नही है,ना ही मुझे इस बात से कोई मतलब है कि आप कितने करप्ट हैं.आराम से बैठिए.यू टू,सिनॉरीटा.",उसने बंदूक से दोनो को इशारा किया.
"आइ'म नोट हियर टू हर्ट यू,लेडी.प्लीज़ रिलॅक्स.आइ'म हियर टू मीट दिस गाइ & 1 हॅव ए बिज़्नेस प्रपोज़िशन फॉर हिम."
"क्या कारोबार करना चाहता है तू मेरे साथ?..साले है कौन तू?!",बपत चीखा.
"बपत साहब,आप गोआ आने से पहले मुंबई के फ्ररो मे काम करते थे.है ना?"
"हां."
"तो मुझे आपके ज़रिए 1 शख्स के बारे मे पता करवाना है कि वो हमारे मुल्क मे कब घुसा & कहा से आया.जो तस्वीरें इस मोबाइल मे हैं,मैं उनके ज़रिए आपको बलcक्मैल नही करना चाहता.आप मेरा काम कर दीजिए मैं ये मोबाइल ही आपको दे दूँगा फिर उस से आप चाहें अपनी और इसकी..",उसने बियर का कॅन खाली कर उस लड़की की ओर इशारा किया,"..फोटो खीचें या म्मस बनाए!",वो हंसा & दूसरा कॅन खोला.
"साले,तू जानता नही मैं कौन हू और तेरा..-"
"बपत साहब,इस तरह से आपसे मिलने का मुझे कोई शौक़ नही था मगर जो बात आपसे करनी है वो ना आपके दफ़्तर मे हो सकती थी ना घर पे & फिर ये बताइए कि मैं आपके पास आके आपको अपना ऑफर देता तो क्या आप मान लेते?..नही ना.अब ध्यान से सुनिए मेरी बात..ये लीजिए..",उसने बियर के 2 कॅन्स खोल बपत और उस लड़की की ओर उच्छाले,"..पीजिए.इट विल कूल युवर माइंड.",वो लड़की की ओर देख के मुस्कुराया.लड़की बिल्कुल नंगी बैठी थी & उसे इस बात की परवाह भी नही थी कि देवेन उसका ननगपन देख सकता है.देवेन उस जैसी ना जाने कितनी लकड़ियो को इस खूबसूरत जगह मे देख चुका था.सब अपने मुल्क को छ्चोड़ घूमते-घामते यहा पहुँचती थी & फिर कभी ड्रग्स या कभी यहा की खूबसूरती & आसान ज़िंदगी से प्रभावित हो या फिर किसी & चक्कर मे फँस बस यही रह जाना चाहती थी.बपत से भी वो अपने वीसा को बढ़वाने के चक्कर मे मिल रही होगी.अजीब जगह थी ये गोआ!
"मैं जिस शख्स को ढूंड रहा हू वो 1 पेशेवर मुजरिम है.उसकी पूरी कहानी आपको सुनाउन्गा तो आप हैरत से पागल हो जाएँगे.उसने हमारी पोलीस को ही नही बल्कि दूसरे मुल्को को & यहा तक की इंटररपोल को भी चकमा दिया है.अब ज़रा सोचिए की अगर उस इंसान को आप पकड़वा दें तो आपकी साख कितनी बढ़ जाएगी!",देवेन ने बाज़ी का सबसे मज़बूत पत्ता फेंका था.उसे पता था कि बपत 1 भ्रष्ट अफ़सर है & इधर उसकी हर्कतो की खबर थोड़ा उपर र्पहुचि है & बहुत मुमकिन था की उसके खिलाफ कोई करवाई भी हो.बपत को भी इस बात की भनक थी.उसकी जागह कोई और होता तो अपने सारे उल्टे-सीधे काम रोक देता,कम से कम तब तक जब तक मामला ठंडा नही पड़ जाता,मगर देवेन जानता था बपत जैसे लोगो के खून मे ही करप्षन होता है & वो उसके बिना जी नही सकते & इसीलिए आज वो उसके सामने इस शॅक मे इस तरह बैठा था.
"साले मुझे कितना बड़ा चूतिया समझता है तू?!",बपत बियर पीते हुए हंसा,"..दा बस्टर्ड थिंक्स आइ'म अन अशोल!",वो लड़की को देख हंसा & फिर उसकी छाती दबाई.लड़की भी हंस दी & 1 झूठ-मूठ की आह भरते हुए बियर पीने लगी.देवेन ने उसकी आँखो मे 1 पल को आया नफ़रत का भाव देख लिया था & लड़की ने जब उस से नज़रे मिलाई तो उसे भी समझ आ गया कि देवेन ने उसके असली भाव समझ लिए हैं.लड़की ने नज़रे झुका ली.देवेन हंसा & बियर का घूँट भरा.
"बपत साहब,आपको सारी कहानी सुनाउन्गा तब आपको यकीन होगा.ये कहानी उस वक़्त शुरू होती है जब मैं जवान था..",देवेन ने दयाल की कहानी सुनना शुरू किया.इस कहानी मे उसने सुमित्रा का बस उतना ज़िक्र किया जितना की ज़रूरी था & रंभा का तो नाम तक नही लिया.
"हूँ.पर यार 1 बात बता मैं पता भी कर लू कि ये बीसेसर गोबिंद या दयाल जो भी नाम है इसका ये यहा आ भी गया है तो भी उसे ढूंदेंगे कैसे?पोलीस को बताए तो वो साला तो फ़ौरन चौकन्ना हो जाएगा!"
"इसका मतलब है कि आप मेरी बात मान गये हैं?"
"केवल ये कि मैं तुझे गोबिंद के मुल्क मे घुसने की डीटेल्स दूँगा."
"ओके.उसके बाद का काम मैं खुद कर लूँगा & दयाल को आपके हवाले कर दूँगा फिर आप वाहवाही लुटीएगा."
"हूँ..पर यार और क्या फ़ायदा है इसमे?"
"बपत साहब,कभी तो पैसो के अलावा कोई & फयडा भी सोचा करो!"
"सोचता हू ना!",बपत के होंठो पे छिछोरि मुस्कान फैल गयी & उसने साथ बैठी लड़की को अपने पास खींच 1 बार फिर उसकी छाती को मसला.
"क्या साहब आप भी!",देवेन ने हवा मे दोनो हाथ उठाए,"..& वो जो डिपार्टमेंट आपकी हर्कतो के बारे मे सोच रहा है वो?..अरे साहब,1 बार ये आदमी पकड़ा गया फिर कौन अमोल बपत के खिलाफ आंटी-करप्षन के केस चलाने की सोचेगा!",बपत उस गहरी निगाहो से देख रहा था.देवेन समझ गया था कि बपत समझ चुका है कि वो देवेन को कमज़ोर समझने की ग़लती नही कर सकता.
"हूँ.ठीक है.मैं पता करता हू पर तुझे कैसे बताउन्गा?अपना नंबर दे."
"नंबर क्या साहब आप फोन ले लेना.",देवेन ने हंसते हुए अपना मोबाइल उसे दिखाया & उठ खड़ा हुआ,"..1 हफ्ते बाद आपसे मिलूँगा."
"पर कहा?"
"आप उसकी फ़िक्र मत करो साहब.आप बस मेरा काम करो & फिर उसका फ़ायदा उठाओ.",देवेन दरवाज़े तक पहुँच गया था.
"& ये मोबाइल की फोटो?"
"वादे का पक्का हू,बपत साहब.आप बस अपना काम करो.उसके बाद फोन आपका & इस बीच इन तस्वीरो के बारे मे किसी को कुच्छ पता नही चलेगा.",देवेन दरवाज़ा खोल के घुमा,"..लेकिन अगर आपने कुच्छ ग़लत किया तो सारी तस्वीरें गोआ के हर अख़बार & हर न्यूज़ चॅनेल की शोभा बढ़ाती दिखेंगी.अच्छा,खुदा हाफ़िज़!",वो बाहर निकल गया.
"हुंग!",बपत ने मायूसी मे सर हिलाया,"क्लोज़ दा डोर बेबी.लेट'स फिनिश वॉट वी हॅड स्टार्टेड.",उसने फिर से उस गोरी को देखते हुए छिछोरि मुस्कान फेंकी & बिस्तर पे लेट गया.
"मिस्टर.मोहन?"
"जी बोल रहा हू.कहिए."
"मैं रंभा बोल रही हू."
"ओह..हेलो,म्र्स.मेहरा.कैसी हैं आप?"
"मैं अच्छी हू & आप शायद मेरी तलश मे निकलने वाले हैं.",बलबीर चौंक गया..आख़िर इसे पता कैसे चला?..किसने बताया होगा इसे?
"आप सोच रहे होंगे कि मुझे पता कैसे चला..है ना?",रंभा घर के पिच्छले हिस्से मे खड़ी थी.यहा केयी गम्लो मे फूल-पौधे लगे थे & छ्होटा सा लॉन था.देवेन का घर कुच्छ ऊँचाई पे बना था & रंभा सामने समंदर के चमकते नीले पानी को देख रही थी,"..मुझे ये तो पता ही था कि डॅड की तरह समीर भी ऐसे काम के लिए आप ही को याद करेगा.सवाल ये था कि कब करेगा तो उसका जवाब मैने ढूंड ही लिया."
"तो आप कहा हैं मुझे ये भी बता दीजिए,म्र्स.मेहरा ताकि मेरा काम भी आसान हो जाए."
"आप तो मेरी इस कॉल को ट्रेस कर के भी ये काम कर सकते हैं,मिस्टर.मोहन."
"जी हां,सो तो है."
"मिस्टर.मोहन,आप मेरे पति से कह दीजिए की मैं गोआ मे हू & चंद दिनो मे डेवाले वापस आ जाऊंगी लेकिन इस दौरान वो मुझे कॉंटॅक्ट करने की कोई कोशिश ना करें ना ही यहा आके मुझे परेशान करें वरना जो तलाक़ उनकी सुविधा के समय पे होगा,उसकी अर्ज़ी अभी कोर्ट मे दाखिल कर मैं उन्हे परेशान कर दूँगी."
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क्रमशः.......
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