RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--66
गतान्क से आगे......
"क्यूकी वो हमारे काबू मे रहेगी.जिस रास्ते समीर चल रहा है,उसपे आगे जाके वो रंभा को किनारे कर किसी & लड़की से शादी करेगा.",रीता ने बेटी की चूचियाँ छ्चोड़ी & उसकी कमर थाम उसे आगे झुका उसके हाथो पे किया & उसकी गंद को सहलाने लगी.
"तुमने कभी मेरी बेटी की गंद मारी है,प्रणव?",उसने बेटी की गंद के छेद को चूमा.
"नही,मोम.",वो सास के बेबाक सवाल से चौंक गया था.
"बहुत ग़लत बात है.मेरी बच्ची की इस खुशी से महरूम रखा है तुमने.",वो अपनी 1 उंगली शिप्रा की गंद मे घुसा तेज़ी से अंदर-बाहर करने लगी.
"ओईईईईईई..मोम..नहियीईई..बहुत..दा..र्द..होगा.....हाईईईईईईईईईईईईईईईई..!",वो सर उपर झटकती च्चटपटाने लगी.प्रणव जल्दी-2 उसकी चूत चाट रहा था.शिप्रा झाड़ रही थी.रीता ने दामाद को मुस्कुरा के आँखो से इशारा किया & वो फ़ौरन घुटनो पे हो अपना लंड शिप्रा की गीली चूत मे घुसाने लगा.
"उउन्न्ह..हाईईईईईईई..!..तो क्या हुआ?..उस मनहूस की जगह कोई दूसरी ढंग की लड़की आए तो अच्छा ही होगा..आईियययययईए..नाहहिईीईईईईई..प्रनाववववववववव..!",प्रणव ने लंड को कुच्छ धक्को मे चूत के रस से गीला कर शिप्रा की गंद मे डाल दिया था & वो दर्द से कराह उठी थी.रीता ने बेटी के होंठ अपने होंठो मे कस लिए & उसकी चूचिया दबा उसे समझाने लगी.
"बस बेटा..हो गया..शुरू मे दर्द होता है फिर बहुत मज़ा आता है..!"
"तो आप लीजिए ना अपनी गंद मे इसे..हाईईईईईईईईईई..मर गयी मैं तो!..प्रणव तुम्हे देख लूँगी मैं!..ओवववव..",प्रणव ने बीवी की चूत के दाने को हाथ नीचे ले जाके रगड़ना शुरू कर दिया था,"..प्रणव..तुम्हे मोम की गंद भी मारनी होगी..आननह..!",मस्ती मे भीगी आवाज़ मे उसने पति से फरमाइश की.
"हां,मेरी जान ज़रूर."
"चुप बदतमीज़ो.शर्म नही आती मोम के बारे मे ऐसी बातें करते हुए..चलो बताओ कि समीर की दूसरी शादी से क्या नुकसान है हमे?",प्रणव के लंड & उंगली के कमाल से शिप्रा मस्ती मे पागल हो गयी थी & अपनी मस्तानी,आहो भरी आवाज़ मे अपने जिस्म के खुशी मे डूबे होने की बात कर रही थी.
"थॅंक्स मोम,आपकी वजह..से....आननह..आज मुझे..उफफफफफफ्फ़....ये खुशी मिली..आन्न्न्नह..!",वो सर उपर उठाते हुए झाड़ गयी तो प्रणव ने लंड गंद से निकाला & उसकी चूत मे डाल दिया.शिप्रा घुटनो पे खड़ी हो गयी & अपनी बाँह पीछे ले जा पति को थाम लिया.प्रणव ने उसके जिस्म को अपनी बाँहो मे कस लिया & उसकी चूचियाँ दबाते उसके चेहरे & गर्दन को चूमते उसे चोदने लगा.रीता सामने से दोनो के जिस्मो को बाहो मे भर घुटनो पे खड़ी हो गयी & शिप्रा & प्रणव-दोनो के होंठो का बारी-2 से लुत्फ़ उठाने लगी.उसके हाथ दामाद की गंद से लेके बेटी की चूचियो तक घूम रहे थे.
"जहा तक मैं जानता हू..",प्रणव ने रीता को चूमा जोकि शिप्रा की चूत को बाए हाथ से रगड़ते हुए दाए से उसकी चूचियाँ दबा रही थी,"..समीर रंभा को छ्चोड़ कामया से शादी करेगा."
"उउन्न्ह..तो इसमे बुराई क्या है कामया उस लड़की से कही ज़्यादा अच्छी है..ऊव्वववव..!",प्रणव के धक्को ने शिप्रा को मस्ती की कगार से नीचे धकेल दिया था & वो निढाल हो आगे गिरी तो रीता भी लड़खड़ा गयी & बिस्तर पे गिर गयी.प्रणव के लिए भी अब खुद को रोकना मुश्किल था & उसने बहुत ज़ोर से आह भरी & बीवी की कसी गंद की फांको को हाथो मे भींचते हुए अपना गर्म वीर्य उसकी चूत मे छ्चोड़ दिया.शिप्रा मा के उपर गिरी थी & रीता ने भी उसे बाहो मे भर लिया था.दोनो की चूचियाँ दोनो के जिस्मो के बीच आपस मे पिस गयी थी & दोनो 1 दूसरे को बड़ी शिद्दत से चूम रही थी.प्रणव घुटनो पे खड़ा उन्हे देख रहा था.
शिप्रा ने चूमते हुए करवट ली & अपनी मा को अपने उपर ले लिया.रीता का जोश से बुरा हाल था & वो अब बेटी के उपर सवार उसकी छातियों को अपनी चूचियो से पीसती उसकी चूत पे अपनी चूत दबाते हुए उसकी ज़ुबान चूस रही थी.शिप्रा ने आँखो से पति को मा की गंद की तरफ इशारा किया & उसका इशारा समझते हुए प्रणव धीरे से रीता के पीछे आ गया.
"कामया अगर इस घर मे आ गयी तो फिर हम सबका पत्ता तो कटा ही समझिए.",प्रणव ने सिकुदे लंड को थोड़ा हिलाया & फिर आगे झुक सास की गंद मे डाल दिया.
"आईईयइईईई..प्रणव....हाईईईईईईईईईईईईईई..!",लंड गंद के सुराख मे घुसते ही सख़्त होने लगा था & उसकी मोटाई ने रीता की गंद को फैला दिया था.वो दर्द से चीख उठी थी.इस से पहले विजयंत मेहरा ने काई बार उसकी गंद मारी थी मगर प्रणव ने अचानक उसकी नाज़ुक गंद पे हमला कर उसे चौंका दिया था.
"और समीर से तो किसी सहारे की उम्मीद बाकी रही नही है.आप और शिप्रा बस नाम के शेर्होल्डर्स रहेंगे & मैं तो हू ही नौकर ही.",प्रणव ने कमर पकड़ रीता को उपर कर लिया था & वो अब अपने घुटनो & हाथो पे झुकी दामाद से गंद मरवा रही थी.शिप्रा उठ के घुटनो पे खड़ी हो गयी थी & रीता उसकी चूत को जीभ से छेड़ रही थी. प्रणव आगे झुका & अपनी बीवी के होंठ चूमने लगा,"..इसीलिए कह रहा हू कि अगर समीर & रंभा की शादी बरकरार रहे तो हमारे लिए अच्छा है & उस से भी अच्छा होगा अगर रंभा हमारा मोहरा बन कंपनी की मालकिन बन जाए."
"उउम्म्म्मम...हुउन्न्ञणणन्..!",बेटी की चूत मे मुँह घुसाए गंद मरवाती रीता झाड़ रही थी मगर दामाद की बात से उसके कान खड़े हो गये थे.
"उउन्न्ह..मोम..!",उसने झाड़ते हुए मस्ती मे शिप्रा के दाने को हल्के से काट लिया था & वो चिहुनक उठी थी & उस से दूर च्चितक गयी थी.प्रणव ने सास की गंद से लंड निकाला & उसे सीधा किया & उसकी चूत मे लंड घुसा दिया.अब वो घुटनो पे खड़ा सास की टाँगे थामे उसे चोद रहा था.शिप्रा मा के सर के पीछे आई & अपनी चूत उसके मुँह पे लगा आगे झुकी & उसकी चूत के दाने को चाटने लगी.चूत पे दोहरी मार से रीता मस्ती मे पागल हो गयी & शिप्रा की गंद को भींचते,आहे भरते हुए उसकी चूत चाट कमर हिलाने लगी.
"तुम..आहह..क्या कहना चाह रहे हो..प्रा..नाव...खुल के कहो..नाआआआआअ....!..समीर मालिक है कंपनी का..ऊहह..वो कैसे हटेगा?..उउन्न्ह..!",प्रणव ने बीवी को उसकी मा के उपर से उठाया & सास के उपर लेट के उसे चूमते हुए उसकी चूचिया दबाते हुए उसे चोदने लगा.
"कुच्छ सोचना पड़ेगा कोई ऐसा उपाय की समीर को कोई तकलीफ़ भी ना पहुचे & रंभा कंपनी की मालकिन बन जाए.",शिप्रा को दोनो को इस तरह लिपटे देख कुच्छ जलन सी महसूस हुई & उसने प्रणव को मा के उपर से उठा दिया & फिर से मा के मुँह पे अपनी चूत रख के बैठ गयी & अपने पति के उपरी बाज़ू पकड़ उसे आगे खींचा & चूमने लगी.रीता बेटी की हरकत पे मुस्कुराते हुए उसकी चूत चाटने लगी.
"मगर हम ही क्यू नही बन जाते मालिक?..उउफफफफफफफ्फ़..!",शिप्रा मस्ती मे कमर उचकाते हुए पति के सीने पे हसरत भरे हाथ फिराने लगी.उसकी मस्ती अब बहुत बढ़ गयी थी.
"क्यूकी समीर की मौत या उसके कंपनी चलाने के नकबिल होने की सूरत मे सारे शेर्स रंभा के नाम हो जाएँगे इसीलिए वो मामूली सी लड़की हमारे लिए बहुत खास हो गयी है.",प्रणव खुशी मे पागल बीवी की चूचियाँ मसलता सास की चूत मे ज़ोरदार धक्के लगाए जा रहा था.रीता भी उसके धक्को के जवाब मे कमर उचकाती नीचे से बेटी की गुलाबी चूत चाट रही थी & शिप्रा मा की ज़ुबान का लुत्फ़ उठाते हुए पति के हाथो से अपनी चूचिया मसळवती,उसे चूम रही थी.
कमरे मे 3 मस्तानी आहें 1 साथ गूँजी & तीनो वासना मे डूबे जिस्म खेल के अंजाम तक 1 साथ पहुँचे.शिप्रा मा की ज़ुबान से झाड़ आगे अपने पति की बाहो मे झूल रही थी जोकि सास की चूत मे वीर्य की बौच्चरें छ्चोड़े जा रहा था & उस वीर्य और उसे चोदने वाले लंड की रगड़ से बहाल हो रीता दोनो के नीचे झाडे जा रही थी.कुच्छ पॅलो बाद प्रणव बिस्तर के बीच लेटा था & उसकी दाई बाँह मे रीता & बाई मे शिप्रा उस से चिपकी लेटी थी.रीता की दाई & शिप्रा की बाई टांग उसके जिस्म के उपर थी & दोनो उसे चूमे जा रही थी,"तुम्हे जो भी करना है करो,प्रणव..",रीता ने दामाद के होंठो को चूमा,"..अब हम तीनो 1 साथ हैं.",उसने बेटी की ओर देखा तो उसने मा के दाए हाथ को मुस्कुराते हुए थामा & पति को चूम लिया.तीनो वसाना के मस्ताने खेल मे 1 बार फिर डूब गये.
रंभा कार से उतरी & सामने के घर को देखने लगी.देवेन कार पार्क कर रहा था.दोनो अभी-2 सवेरे का नाश्ता कर होटेल छ्चोड़ के निकले थे.1 रात के किराए के साथ-2 देवेन ने अपनी दीवानगी भरी चुदाई के दौरान कमरे की हालत बिगाड़ने का मुआवज़ा भी भरा.सामने का घर ना बहुत बड़ा था ना ही बहुत छ्होटा.लकड़ी के छ्होटे से गेट को खोल देवेन & वो घर के अहाते मे दाखिल हुए.सामने 1 सिल्वर कलर की मारुति ज़ेन खड़ी & उसके दोनो तरफ फूलो की क्यारिया थी.देवेन आगे बढ़ा & घर के बरामदे के दरवाज़े के बाहर लगी घंटी का स्विच दबाया.
"हेलो,देवेन.",घर का दरवाज़ा 1 मोटे,बूढ़े करीबन 60-65 बरस के विदेशी ने खोला.दोनो मर्दो ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया.
"हेलो,डॉक्टर.",देवेन ने रंभा की ओर इशारा किया,"..ये रंभा है,डॉक्टर."
"हेलो,रंभा.",डॉक्टर ने अपना हाथ रंभा की ओर बढ़ाया & उसे तारीफ भरी निगाहो से देखा.रंभा ने फूलों के प्रिंट वाली पीली सारी & स्लीव्ले ब्लाउस पहना था.सारी के झीने कपड़े से उसका गोल पेट & ब्लाउस के गले मे से झँकता क्लेवेज़ तो नुमाया हो ही रहे थे साथ ही उसकी नर्म,गुदाज़ बाहे भी सभी के देखने के लिए खुली थी,"..कैसी हैं आप?"
"हाई..ठीक हू.",उसकी बिल्कुल सॉफ लहजे मे बोली हिन्दुस्तानी सुन रंभा चौंक उठी.उस विदेशी के गोरे चेहरे पे गर्मी की वजह से गुलाबी चकत्ते पड़े हुए थे.लगता था जैसे उसे यहा की गर्मी की आदत नही थी.शक्ल से ही वो बहुत खुशमिजाज़ इंसान लग रहा था,"..आप कैसे हैं?"
"बहुत अच्छा.",उसने रंभा से हाथ मिलाया,"..मेरा नाम यूरी पोपव है.आप मुझे यूरी कह सकती हैं."
"यही हमारे मरीज़ के डॉक्टर हैं,रंभा.",देवेन & डॉक्टर उसके हैरत भर्रे चेहरे को देख हंस रहे थे,"..तुम इनकी हिन्दुस्तानी सुन चौंक गयी हो ना!लो डॉक्टर,1 & देसी तुम्हे देख चौंक गया!",दोनो ने फिर ठहाका लगाया,"..रंभा,ड्र.पोपव रशिया से हैं & हमारे मुल्क मे पिच्छले 20 सालो से रह रहे हैं.इनके घर & इस क्लिनिक..",दोनो घर के ड्रॉयिंग रूम से होते हुए 1 गलियारे से हो घर के पिच्छले हिस्से मे आ गये थे जहा यूरी का क्लिनिक था.दरअसल ये घर का पिच्छला हिस्सा नही सामने का हिस्सा था,"..को देख ये मत सोचना कि ये कोई मामूली डॉक्टर हैं.यूरी इंसान के जिस्म की कोई भी बीमारी ठीक कर सकता है."
"ना!",यूरी ने दोनो को बैठने का इशारा किया & खुद अपनी कुर्सी पे बैठ गया,"..ठीक करना केवल ऑल्माइटी के हाथ मे है.मैं बस बीमारी समझ के ट्राइ कर सकता हू."
"ओके,भाई.चलो अब हमारे मरीज़ के बारे मे बताओ."
"उस से पहले ज़रा मैं मोहतार्मा की थोड़ी खातिर तो कर लू!",यूरी उठा & कमरे से बाहर गया जब वापस आया तो उसके हाथो मे 3 ग्लास & 1 जग था.उसने तीनो के लिए नींबू-पानी धारे & दोनो को 1-1 ग्लास दिया & खुद भी 1 ग्लास ले लिया,"..मैने विजयंत के काफ़ी टेस्ट्स किए.इनके जिस्म मे इनका दिल,हाज़मे के अंग,किड्नी,लिवर वग़ैरह सब बिल्कुल ठीक काम कर रहे हैं.इनका जो भी आक्सिडेंट हुआ उसमे इन अंगो को ना ही कोई नुकसान पहुँचा & ना ही जिस्म की कोई भी हड्डी टूटी..",उसने अपना कंप्यूटर ओन कर स्क्रीन रंभा की ओर किया.
"..पर इनको सर पे चोट लगी है जोकि उस वाइड ने अपनी जड़ी बूटियो से ठीक करने की कोशिश की.उसकी दवा से उपर चमड़ी का घाव तो भर गया लेकिन अन्द्रुनि चोट पे कोई असरा नही हुआ.मैने उसके दिमाग़ के हर तरह के स्कॅन्स किए हैं.अब चोट इतनी भी गहरी नही लगती उन रिपोर्ट्स के मुताबिक की उसे कोई बहुत नुकसान पहुचे मगर इंसानी जिस्म के बारे मे आप कुच्छ कह नही सकते..",वो अपना शरबत पीना तो भूल ही गया था & बस विजयंत के केस के बारे मे बोले जा रहा था.
"..वो बोल सकता है,अपने सारे काम कर सकता है मगर जैसे इस कंप्यूटर की हार्ड डिस्क्स कोई डेलीट कर दे,उसी तरह वो भी सब भूल गया है.सब कुच्छ!"
"तो कोई तरीका नही डॉक्टर,जिस से याददाश्त वापस आए?"
"कंप्यूटर मे डाटा तो रिट्रीव हो सकता है मगर मेडिकल साइन्स ने कोई ऐसी दवा तो ईजाद की नही है लेकिन हा हम कोशिश कर सकते हैं."
"कैसी कोशिश?"
"उस से बातें कीजिए.उसे उसकी पिच्छली ज़िंदगी के बारे मे बताइए.फोटोस दिखाइए,उन जगहो पे ले जाइए जहा वो गया था या जिनसे कुच्छ ज़रूरी यादें जुड़ी हैं."
"ऐसे लोग जिनसे उसकी ज़िंदगी की ज़रूरी यादें जुड़ी हो,उनसे भी तो मिलवा सकते हैं?"
"हां ज़रूर.बस इतना ध्यान रहे की इसके दिमाग़ पे बहुत ज़्यादा ज़ोर ना पड़े वरना हो सकता है की उसके दिमाग़ को झटका लगे & उसे डॅमेज हो जाए."
"हूँ."
"विजयंत!",डॉक्टर ने आवाज़ दी तो अंदर के 1 कमरे से विजयंत बाहर आया.रंभा ने उसे देखा.सलीके से रहने की वजह से अब वो अच्छा लग रहा था मगर उसकी आँखे अभी भी वैसे ही बेनूर थी.
"मैने कल रात तुम्हारा फोन आने पे इसे यूरी के पास छ्चोड़ दिया था.",देवेन उठ खड़ा हुआ था,"ओके,यूरी चलते हैं.थॅंक्स फॉर एवेरतिंग.अरे हां..1 मिनिट.",देवेन बाहर गया & कुच्छ देर बाद वापस आया तो उसके हाथ मे 1 पॅकेट था,"..कार मे छूट गया था.ये लो.अभी-2 मँगवाया है खास तुम्हारे लिए.",यूरी ने पॅकेट खोला & अंदर से निकली असली रशियन वोड्का देख उसकी आँखे चमक उठी.
"बैठी,दोस्त.इसे ख़त्म कर के जाना."
"नही यूरी..",देवेन हंसा,"..आज तो तुम इसे अकेले ही ख़त्म करो या फिर वेरा को बुला लो.",उसने शरारत से कहा तो दोनो दोस्त फिर हंस पड़े.कुच्छ देर बाद देवेन,रंभा & विजयंत देवेन की कार मे बैठे उसके घर जा रहे थे
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क्रमशः.......
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