Desi Kahani Jaal -जाल
12-19-2017, 10:47 PM,
#66
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--65

गतान्क से आगे......

"क्या?!..कैसे?!",रंभा चौंकी.देवेन ने उसकी चूत से लंड निकालते हुए उसे बिस्तर पे लिटाया तो वो बाई करवट पे लेट गयी.देवेन उसके पीछे उसी की तरह लेटा और दाई बाँह मे उसके जिस्म को घेर लिया.

"क्या और कैसे क़ी तो 1 अलग ही दास्तान है.तुम बस इतना जानो कि उस जालसाज़ ने मुझे ये बताया की उसने मारिटियस मे 1 हमारे मुल्क के शख्स को वो 3 नक़ली पासपोर्ट्स बना के दिए थे जिनमे से पहला पेरषद के नाम का मारिटियस का था.दूसरा सुलेमान के नाम का बांग्लादेश का & तीसरा था बीसेसर गोबिंद के नाम का जोकि फिर से मारिटियस का ही था..",रंभा उनिंदी हो रही थी मगर देवेन की बातें उसे बड़ी दिलचस्प भी लग रही थी.

"..इस तीसरे पासपोर्ट के नाम वाला शख्स अभी तक दुनिया के किसी भी पोलीस एजेन्सी की नज़र मे नही आया है.इसका 1 ही मतलब है कि दयाल अब ड्रग्स का धंधा नही कर रहा.आम्सटरडॅम मे अपनी मौत की अफवाह उड़वा के वो किसी दूसरी पहचान को अपना के किसी & ग़लत काम मे जुट गया है."

"मगर इतनी बड़ी दुनिया के किस कोने मे वो है ये हमे कैसे पता चलेगा?",रंभा ने उबासी ली.

"मुझे पता चल गया है."

"क्या?!",रंभा 1 बार फिर चौंकी & गर्दन पीछे घुमाई.देवेन मुस्कुरा रहा था.

"मैने अपनी ज़िंदगी मे काई अच्छे-बुरे लोगो की मदद की है,रंभा & अब उस सब को भूना रहा हू.मुझे पक्का पता है कि 1 लंबे समय का वीसा ले बीसेसर गोबिंद मुल्क मे दाखिल हो चुका है.अब वो कहा है,क्या कर रहा है ये पता लगाने के लिए मुझे उसे या तो ललचाना है या फिर डराना है."

"मगर कैसे करेंगे ये?",रंभा ने करवट ली & अपनी चूचियाँ अपने प्रेमी के सीने मे दबाती हुई उस से बिल्कुल सॅट गयी & चादर को दोनो के जिमो पे डाल लिया.देवेन ने उसका माथा चूमा & उसकी कमर के गुदाज़ हिस्से को सहलाने लगा.

"उसे डराउँगा कि मुझे पता चल गया है कि गोबिंद & दयाल 1 ही शख्स के 2 नाम हैं & चारा डालूँगा जिसे खाने के चक्कर मे वो अपने बिल से बाहर आए & फिर मैं उसे वो सज़ा दू जिसे देने के बाद ही मुझे चैन & मेरी सुमित्रा की रूह को सुकून मिलेगा.",उसकी मा के लिए देवेन के प्यार भरे जज़्बे को देख वो भी जज़्बाती हो गयी.उसका दिल भर आया & उसने अपना चेहरा देवेन के सीने मे च्छूपा लिया & उसके जिस्म के गिर्द अपनी बाहें & कस दी.

"मगर वो चारा होगा क्या?",वो वैसे ही मुँह च्छुपाए उस से चिपकी थी.

"क्या नही कौन.वो चारा होगा खुद मैं.",रंभा ने फ़ौरन मुँह उपर किया.उसका दिल ज़ोरो से धड़क उठा था.वो इस शख्स को खोना नही चाहती थी..उसे खोने का मतलब था फिर से वही तलाश..1 बिस्तर से दूसरे बिस्तर तक का अंतहीन लगने वाला सफ़र..क्या ज़रूरत थी इंटेक़ाम लेने की?..सब भूल के इस खूबसूरत जगह दोनो 1 दूसरे मे समाए क्या पूरी उम्र नही बिता सकते?

"मैं तुम्हे अकेला नही छ्चोड़ूँगा..",देवेन ने जैसे उसके दिल मे घूमाड़ते सवालो को सुन लिया था,"..इतने दिनो बाद मेरी ज़िंदगी मे तुम्हारी शक्ल मे खुशी आई है.मगर सुमित्रा की तकलीफो का खामियाज़ा तो उस कामीने को चुकाना ही पड़ेगा ना!..1 भरपूर ज़िंदगी तुम्हारे साथ बिताने का वादा करता हू मैं तुमसे & फ़िक्र मत करो ये वादा तोड़ूँगा नही.",रंभा ने उसे बहुत कस के जाकड़ लिया & उसके सीने मे चेहरा च्छूपा लिया.देवेन ने हाथ पीछे ले जा कमरे की बत्ती बुझाई & अपनी महबूबा को आगोश मे भर उसके साथ ख्वाबो की दुनिया की सारी करने लगा.

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"मोम..",प्रणव रीता के कमरे मे खड़ा उसके गाउन मे नीचे से दाया हाथ घुसा रहा था & बाए हाथ से उसकी कमर को जकड़े उसकी गर्दन चूम रहा था.रीता दामाद की हर्कतो से खुशी मे मुस्कुरा रही थी.विजयंत के जाने के बाद उसे बड़ा हल्का लगने लगा था.दामाद के साथ यू छुप-2 के इश्क़ लड़ाना उसे बहुत मज़ेदार लगने लगा था & अब तो उसे इसका नशा हो गया था.हर रात बिस्तर मे वो खुद से खेलती उसका इंतेज़ार करती.जिस रात वो नही आता,वो रात तो मायूसी मे बीतती मगर इस से अगली मुलाकात मे उसका जोश दुगुना हो जाता था & फिर चुदाई मे वो मज़ा आता था कि पुछो मत!

"हूँ..",रीता ने उसक्के बालो को बाए हाथ मे पकड़ उसके सर को नीचे अपने सीने की ओर धकेला & दाए हाथ से उसकी ट्रॅक पॅंट के उपर से उसकी पुष्ट गंद दबाई.प्रणव ने जैसे उसे फिर से जवान कर दिया था.उसका हाथ अगले ही पल उसकी पॅंट मे घुसा & प्रणव की नंगी गंद को हसरत से खरोंछने लगा.

"समीर & रंभा के बीच कुच्छ अनबन हुई है क्या?",प्रणव का हाथ सास की पॅंटी मे घुस गया था & अब वो भी वही कर रहा था जो रीता उसकी गंद के साथ कर रही थी.

"उउम्म्म्म..मुझे क्या पता!..इस वक़्त उस मनहूस लड़की का नाम लेके मेरा मूड मत खराब करो.",रीता ने उसकी गंद पे चिकोटी काटी & फिर पॅंट को नीचे सरका दिया.प्रणव ने फ़ौरन टाँगे बारी-2 से उपर कर पॅंट को अपने जिस्म से अलग किया & बाए हाथ को उपर कर उसके गाउन के स्ट्रॅप को उसके दाए कंधे से नीचे सरका के उसकी दाई छाती को नुमाया किया & फिर उसे चूस्ते हुए उसकी गंद की दरार मे से उंगली सरकाते हुए पीछे से ही उसकी चूत कुरेदने लगा,"..आहह..ओह..प्रणव....!"

"फिर भी मोम समीर की तो फ़िक्र है आपको.उस से पुछिये..हो सकता है बेचारा परेशान हो मगर अपनी परेशानी आपसे या किसी & से भी कहते हिचकिचा रहा हो.",प्रणव ने गाउन के दूसरे स्ट्रॅप को भी नीचे सरका दिया था & अब बाई चूची भी उसकी ज़ुबान से गीली हो रही थी.रीता ने मस्ती मे उसकी टी-शर्ट मे हाथ घुसा के अपने नाख़ून उसकी पीठ पे चलाए & फिर उसे भी निकाल अपने दामाद को नंगा कर दिया.

"ओह..& चूसो..हाआंन्‍णणन्..उसे भी तो मेरी खबर लेने आना चाहिए,प्रणव..ऊव्ववव..शरीर कहिनके..काटते क्यू हो?..मगर देखा तुमने उसे आजकल..बस ऐसे मिलके चला जाता है मानो कोई काम पूरा कर रहा हो..हाईईईईईईईई..आराम से घुसाओ ना..ओईईईईईईई..दर्द होता है..आन्न्‍नननणणनह..!",रीता ने दामाद के मोटे लंड को जाकड़ के उसके मुँह को अपने सीने पे ज़ोर से दबाया तो उसने भी उसके बाए निपल पे हल्के से काट लिया & फिर उसकी पॅंटी नीचे कर दी & उसकी चूत मे ज़ोर-2 से उंगली करने लगा.

"वाउ!",दरवाज़ा खुला & 1 लड़की की आवाज़ से दोनो चौंक के अलग हो गये,"..क्या नज़ारा है!..दामाद & सास नंगे 1 दूसरे की बाहो मे..वाह!",कमरे की दहलीज़ पे उस से बाया हाथ लगाए & दाया अपनी कमर पे रखे शिप्रा खड़ी थी,"..तो माइ डार्लिंग हज़्बेंड..",वो आगे आई.उसके होंठो पे 1 मुस्कान थी जिसे दोनो समझने की कोशिश कर रहे थे,"..तो ये है तुम्हारा ज़रूरी काम.सास की सेवा!",उसने व्यंग्य से कहा.रीता शर्म से पानी-2 हो गयी थी & सर झुका लिया था.उसकी पॅंटी उसके घुटनो पे फँसी हुई थी.उसने हाथ नीचे घुसा उसे उपर करना चाहा तो शिप्रा ने तेज़ी से आगे बढ़ उसका हाथ पकड़ लिया.रीता चौंक के बेटी को देखने लगी.

शिप्रा ने मुस्कुराते हुए पॅंटी को घुटने से भी नीचे सरकया & फिर सीधी खड़ी हो दाई टांग उठाके पॅंटी को पूरा नीचे कर दिया.रीता का शर्म & हैरत से बुरा हाल था.प्रणव भी अपनी बीवी को समझाने की कोशिश कर रहा था,"प्लीज़ मोम,अपनी खूबसूरती देखने तो दो मुझे.",शिप्रा उसके सामने खड़ी उसे सर से पाँव तक निहार रही थी,"..हूँ..मैं समझ सकती हू कि प्रणव क्यू दीवाना है तुम्हारा,मोम.तुम अपनी असल उम्र से कितनी छ्होटी लगती हो & तुम्हारा जिस्म अभी भी कितना कसा हुआ है!",उसकी बातो मे सच्ची तारीफ थी.

"पर प्रणव..",उसकी आँखे च्चालच्छला आई थी,"..तुम्हे मेरा ज़रा भी ख़याल नही है ना!..मैं वाहा अकेली पड़ी रहती थी & तुम यहा..",वो सिसकी तो प्रणव ने उसे बाहो मे भर लिया.

"आइ'म सॉरी,बेबी!",वो उसकी पीठ सहला रहा था,"..सब कब,कैसे अचानक हुआ कुच्छ पता ही नही चला &..-",शिप्रा ने फ़ौरन सर उपर उठाया.

"-..पर अब तो सबको सब पता चल गया ना!",शिप्रा मुस्कुरा रही थी.प्रणव ने उसे देखा & दोनो हँसने लगे.प्रणव ने उसे बाहो मे भरा & दोनो 1 दूसरे को चूमने लगे.प्रणव ने जल्दी से बीवी के गाउन की बेल्ट खोल उसे उसके कंधो से सरकाया & फिर उसकी नेग्लिजी को उपर करने लगा.रीता दोनो को हैरत से देख रही थी.शिप्रा ने किस तोड़ी & खुद बाहे उपर कर अपनी नेग्लिजी निकल अपनी मा के सामने खड़ी हो गयी.

"मोम,इतनी अकेली थी आप!",उसने उसके चेहरे को हाथो मे भर लिया,"..& आपने मुझे क्यू नही बताया आप दोनो के बारे मे..हूँ?",रीता हैरत से उसे देख रही थी,"..वो तो आज मैने सोने का बहाना किया & फिर इस बदमाश के पीछे-2 आई देखने की आख़िर ये रात को करता क्या है!",उसने घूम के पति को देखा,"..पर आपसे नाराज़ हू.मुझे बताना तो चाहिए था या फिर सारा मज़ा अकेले-2 ही लूटना चाहती थी..हूँ?!",उसने शरारत से पुछा.अब रीता को एहसास हुआ कि उसकी बेटी उस से नाराज़ नही थी.

"सॉरी बेटा!",वो बस इतना कह पाई.बेटी के सामने यू नंगी रहने मे उसे अभी भी शर्म आ रही थी.प्रणव आगे बढ़ा & बाया हाथ शिप्रा की पीठ & दया रीता की पीठ पे रखा.

"इस सब का ज़िम्मेदार मैं हू.",उसने कहा & दोनो की पीठ सहलाई.

"तो अब इसकी सज़ा भी मिलेगी तुम्हे.अब दोनो को खुश करो 1 साथ.",शिप्रा ने अपना बाया हाथ आगे कर उसका लंड पकड़ के दबाया & दाए हाथ को मा के बाए कंधे पे रखा.रीता उसकी बात सुन हैरान हो गयी लेकिन उसका दिल भी ज़ोरो से धड़क उठा.प्रणव बीवी की बात सुन मुस्कुराने लगा & उसकी तरफ झुक उसके होंठ चूमे & फिर दूसरी तरफ गर्दन घुमा सास को चूमा जोकि अभी भी थोड़ी झिझकति दिख रही थी.

प्रणव ने रीता को अपनी तरफ खींच अपने सीने से चिपका लिया.रीता ने थोड़ा शरमाते हुए बेटी को देखा मगर वो तो बिंदास मुस्कुरा रही थी.प्रणव ने अपनी दोनो बाहे सास की कमर मे डाल उसे अपने से बिल्कुल चिपका लिया & उसके गुलाबी होंठो के पार अपनी ज़ुबान घुसा दी.रीता शुरू मे तो थोड़ा झिझक रही थी,बेटी की मौजूदगी उसे अभी भी सहज नही होने दे रही थी मगर प्रणव की आतुर ज़ुबान ने उसे जल्दी ही मस्त कर दिया & उसने भी अपनी बाहे उसके बदन पे लपेट दी & उसकी पीठ & कंधो पे हाथ फिराते हुए उसकी किस का जवाब देने लगी.शिप्रा मुस्कुराते हुए प्रणव के पीछे आई & उसके मज़बूत बाजुओ पे अपने हसरत भरे हाथ फिराते हुए उसके दोनो कंधो को चूमने लगी.

उसके हाथ पति के जिस्म पे फिसलते हुए उसके बगल से नीचे आ आगे गये & उसके लंड & आंडो को पकड़ लिया & उनसे खेलने लगी.प्रणव के हाथ भी नीचे आके सास की चौड़ी गंद से चिपक गये थे.रीता अब मस्त हो गयी थी & बेटी की मौजूदगी अब उसे असहज नही कर रही थी बल्कि अब उसे इस खेल मे मज़ा आ रहा था.उसने भी अपने हाथ नीचे किए & अपने दामाद की पुष्ट गंद को दबाने लगी.उसके होंठ प्रणव के होंठो को छ्चोड़ नीचे आ रहे थे & उसके सीने पे घूम रहे थे.उसके बालो को जीभ से अलग करती वो उसके निपल्स को छेड़ रही थी.

"ओह्ह..प्रणव..आइ लव यू,डार्लिंग!",शिप्रा ने हाथ पति के नाज़ुक अंगो से उपर खींच उसके सीने पे लगाए तो उसकी मा के होंठ और नीचे चले गये & दामाद की नाभि तक पहुँच गये.शिप्रा प्रणव की पीठ मे अपनी छातिया धँसती उसके कंधे को चूमते हुए अपने प्यार का इज़हार कर रही थी.उसने भी सर बाए कंधे के उपर से पीछे घुमाया & अपनी बीवी के गुलाबी होंठ चूम लिए.

"आहह..!",उसने शिप्रा के होंठ छ्चोड़ नीचे देखा.फर्श पे बैठी रीता उसके लंड को चूसने मे जुट गयी थी.शिप्रा उसके बाए कंधे से होंठ नीचे ले जाते हुए उसके बाए,उपरी बाज़ू को काट रही थी.प्रणव ने अपने हाथ नीचे किए और दाया सास के सर पे रख उसे अपने लंड पे दबाया & बाए को पीछे ले गया तो शिप्रा थोड़ा बाई तरफ हुई & उसने उसकी चूत मे उंगली घुसा दी.रीता ने लंड चूस्ते हुए बेटी की छ्होटी सी कसी चूत को देखा & दिल ही दिल मे उसकी खूबसूरती की तारीफ किए बिना नही रह सकी.शिप्रा ने पति के हाथ के अपने नाज़ुक अंग को सहलाते ही दोबारा उसके होंठो से अपने होठ सटा दिए.

उसका बाया हाथ पति के जिस्म पे फिरता नीचे आया तो उसे रीता ने थाम अपनी ओर खींचा.शिप्रा ने चौंक के मा को देखा जो लंड चुस्ती उसे अपनी ओर बुला रही थी.शिप्रा प्रणव के सामने गयी तो रीता ने उसे भी अपने साथ बिठा लिया & दामाद का लंड अपने मुँह से निकाल बेटी के मुँह मे दे दिया.शिप्रा ने मुस्कुराते हुए मा को देखा & लंड चूसने लगी.रीता दामाद के आंडो को अपने हाथो से दबा रही थी.

रीता की निगाह शिप्रा की गोल छातियों पे पड़ी तो वो उन्हे छुने से खुद को रोक नही पाई.शिप्रा मा के हाथो की च्छुअन से सिहर उठी & लंड चूस्ते हुए मा को देखा.रीता ने झिझक भरी मुस्कान के साथ हाथ पीछे खिचना चाहा तो शिप्रा ने हाथ वापस अपनी छातियो पे दबा दिया.अब रीता बाए हाथ से प्रणव के अंडे & दाए से शिप्रा की छातिया दबाने लगी.प्रणव तो इस वक़्त खुशी से पागल हुआ जा रहा था.2-2 खूबसूरत औरतें उसके कदमो मे बैठी उसकी मर्दानगी की इबादत कर रही थी.1 मर्द के लिए इस से मस्तानी बात क्या हो सकती थी!

शिप्रा की छातियो मे दर्द हो रहा था & उसका दिल कर रहा था की कोई उन्हे मसले & जम के चूसे.प्रणव तो खड़ा था तो उसने मा की गर्दन पकड़ उसके मुँह को ही अपनी चूचियो पे दबा दिया.रीता चौंकी तो ज़रूर मगर बेटी की हसरत पूरी करते हुए उसने उसकी चूचियो को मुँह मे भर ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया.दोनो औरतो के लिए ये पहला मौका था जब वो किसी दूसरी औरत के जिस्म से यू खेल रही थी & दोनो को एहसास हुआ की दोनो को इसमे काफ़ी मज़ा आ रहा था.

कुच्छ देर बाद शिप्रा ने मा के सर को अपने सीने से उठाया & उसके होटो पे हल्के से चूमा & फिर उसके मुँह मे अपने पति का लंड दिया & फिर अपना मुँह मा की भारी-भरकम & थोड़ी सी लटकी मगर दिलकश छातियो से लगा

दिया.रीता के जिस्म मे तो जैसे बिजली की लहर दौड़ गयी & उसके होंठ प्रणव के लंड पे & कस गये.प्रणव ने आह भरी & रीता ने भी.बेटी के चूचिया चूसने से ही वो झाड़ गयी थी.

उसने लंड मुँह से निकाला & उसे शिप्रा की तरफ मोदते हुए प्रणव के आंडो को मुँह मे भर लिया & उन्हे चूसने लगी.शिप्रा ने भी मा की छातियो छ्चोड़ अपना मुँह प्रणव के लंड से लगा दिया.प्रणव ने कैसे खुद को झड़ने से रोका था ये वोही जानता था.उसने अपना ध्यान इन दो मस्तानी हुसनपरियो से थोड़ा भटकने के लिए फिर से समीर & रंभा की बात छेड़ दी,"..मगर मोम आपको समीर से पुच्छना चाहिए कि उसकी शादीशुदा ज़िंदगी मे कुच्छ गड़बड़ तो नही."

"रीता ने फिर बुरा सा मुँह बनाया & उसके आंडो के उपर की त्वचा को आगे के दन्तो मे पकड़ के हल्के से खींचा तो प्रणव की आह निकल गयी,"..फिर वही बात.मैने कहा ना समीर आजकल मेरी परवाह नही करता.",मा & बेटी प्रणव की अन्द्रुनि टाँगो & जाँघो पे हाथ फिराते हुए उसकी गंद को भी मसल रही थी.

"वैसे मोम,आजकल समीर प्रणव की भी इज़्ज़त नही करता.",शिप्रा ने शिकायत की.

"क्या?!"

"छ्चोड़ो शिप्रा.",प्रणव ने बीवी के मुँह से लंड निकाला & दोनो औरतो को खड़ा कर अपने आगोश मे भर लिया & बारी-2 से चूमने लगा.उसके दाया हाथ रीता को थामे था & बाया शिप्रा को.रीता का बाया प्रणव की कमर मे था और दाया शिप्रा की और शिप्रा दाए हाथ से पति के बदन को पकड़े थी & बाए मे मा की पीठ.दोनो के होटो का रस पीने के बाद प्रणव ने दोनो को बिस्तर पे जाने का इशारा किया.दोनो औरतें बिस्तर पे चढ़ि.दोनो ही 1 दूसरे के जिस्मो को निहार रही थी.

"नही प्रणव.समीर का रवैयय्या कुच्छ ठीक नही आजकल.ये क्या कि बस कंपनी की परवाह है उसे हम सब की नही!",रीता ने बेटी को बाहो मे भर लिया तो उसने मा की चूचियो मे अपना चेहरा दफ़्न कर दिया,"..आहह..तू तो बड़ी शरारती है!",रीता ने अपने निपल को दन्तो से काटती शिप्रा के बाए गाल पे प्यार भरी चपत लगाई & अपना हाथ उसकी चूत पे रख दिया तो शिप्रा ने शरारत से हंसते हुए मा का हाथ हटाया & उसे पलंग पे चित लिटा दिया & बिजली की तेज़ी से नीचे हो उसकी टाँगो को फैला उसकी चूत से ज़ुबान लगा दी.

"आहह..!",रीता करही & अपनी कोहनियो पे उचकति हुई टाँगे और फैला दी.शिप्रा की लपलपाति जीभ उसकी चूत से बहते रस को चाते जा रही थी.प्रणव ने दाई बाँह सास की गर्दन के नीचे लगाते हुए उसकी छातियों को दोनो हाथो से दबवाते हुए उन्हे चूसना शुरू कर दिया.

"मगर रंभा का उसकी बीवी बने रहना बहुत ज़रूरी है.",उसने सास की चूचियो को अपने होंठो के निशानो से ढँकने के बाद अपने जिस्म को अपने घुटनो पे किया & रीता के मुँह मे अपना लंड दे दिया जिसे वो बड़ी खुशी से चूसने लगी.उसकी आँखो मे दामाद की बात सुन सवालिया भाव उभर आए थे,"..वो इसीलिए की मुझे लगता है कि रंभा को कंपनी की मालकिन बनाना हम सब के फ़ायदे मे होगा.",प्रणव ने बहुत सोच समझ के आज सास को अपनी तरफ पूरी तरह से करने का फ़ैसला कर लिया था.

"ऊहह..!",रीता उसके लंड को छ्चोड़ बिस्तर पे गिर गयी & च्चटपटाने लगी.शिप्रा की जीभ ने उसकी चूत मे उधम मचाके उसे झड़ने पे मजबूर कर दिया था.कुच्छ देर बाद वो संभली तो वो उठी & शिप्रा अपने घुटनो पे खड़ी हो गयी & मा-बेटी 1 दूसरे को शिद्दत से चूमने लगी.प्रणव बिजली की तेज़ी से बीवी के पीछे आया और उसकी नुमाया चूत से मुँह लगा दिया.

"ओवववव..प्रणव..क्या करते हो!..& उस लड़की को हमारे सर पे बिठाने की क्या बकवास कर रहे थे..ऊहह..मोम....आप भी..!",शिप्रा प्रणव की ज़ुबान के चूत मे घुसते ही घुटनो पे खड़ी हो गयी थी & उसी वक़्त रीता ने उसे बाहो मे भर उसकी चूचियो से मुँह लगा दिया था और बहुत ज़ोर-2 से चूसने लगी थी.

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क्रमशः.......
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