Desi Kahani Jaal -जाल
12-19-2017, 10:42 PM,
#65
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--64

गतान्क से आगे......

"इस तरह अचानक कैसे आ गयी तुम?",जो बात उसे आते ही पुच्छनी चाहिए थी,वो देवेन अब पुच्छ रहा था.इसमे उसकी भी ग़लती नही थी.दिले मे उठते तूफान को शांत करते वक़्त & किसी बात का होश कहा था उसे & रंभा को.वो उसके उपर अभी भी सवार था & लंड सिकुड़ने के बावजूद चूत के अंदर ही था.

"आपकी याद ने इतना तडपया कि मुझसे रहा नही गया.",रंभा उसके गाल के निशान को सहला रही थी.

"अच्छा?",देवेन को जैसे यकीन नही हुआ.वो मुस्कुराते हुए उसकी ठुड्डी के नीचे के हिस्से पे अपने दाए हाथ का पिच्छला हिस्सा फेर रहा था.

"तो क्या झूठ बोल रही हू मैं?",रंभा ने प्यार भरी नाराज़गी से पुछा तो देवेन हंस दिया.

"नही,झूठ नही बोल रही मगर कुच्छ छुपा भी रही हो.क्या बोलके आई हो वाहा?"

"कुच्छ बोल के नही आई.सब छ्चोड़ आई हूँ.",रंभा ने नज़रे झुका ली थी.उसकी आवाज़ की संजीदगी से देवेन के माथे पे शिकन पड़ गयी.उसने लंड बाहर खींचा & तकिये के सहारे लेटते हुए अपनी महबूबा को अपने आगोश मे खींच दोनो के जिस्मो के उपर चादर डाल ली.

"चलो,अब पूरी बात बताओ.",देवेन के सीने पे सर रखे उसके बालो मे उंगलिया फिराती रंभा ने उसे सारी बात बता दी.

"& तुम उसे छ्चोड़ आई?"

"हां तो क्या करती?",रंभा बाई कोहनी को बिस्तर पे जमा बाए हाथ पे सर को उसी हाथ पे टिकाते हुए देवेन को देखने लगी.उसका दाया हाथ अभी भी देवेन के सीने पे घूम रहा था.

"बुरा मत मानना मगर बेवफ़ाई तो तुम भी उस से करती आ रही थी.",देवेन उसके बालो को संवार रहा था.

"हां,मगर हालात क्या थे मेरे आपको पता है?..",रंभा की आवाज़ मे गुस्सा था,"..जब वो लापता था तब मैं उसके बाप के साथ सो रही थी क्यूकी उसके बाप ने शर्त रखी थी मेरे सामने की अगर मैं उसके साथ हुम्बिस्तर हुई तभी वो मुझे मेहरा खानदान का हिस्सा बना रहने देगा वरना बाहर कर देगा!"

"..मेरी कमज़ोरी थी कि मैने उसे ना नही किया.कुच्छ दौलत का लालच..कुच्छ..",रंभा की नज़रे झुक गयी,"..कुच्छ जिस्म की माँग & मैने उसकी बात मान ली.फिर डॅड अपनी ज़बान के पक्के थे.मेरे साथ पहली बार सोने के बाद ही उन्होने मुझसे कह दिया था कि आऐइन्दा वो मेरी मर्ज़ी के बिना मुझे नही चोदेन्गे.उसके बाद की सारी चुदाई मे मैं उनके साथ मर्ज़ी से शरीक थी.",रंभा चाह के भी देवेन से निगाहें नही मिला पा रही थी.

"पर समीर..वो तो जैसे मेरा इस्तेमाल कर रहा था.चाहे कुच्छ भी हो,मैं डॅड के साथ उसे ढूँढने तो निकली थी & वो..उसे तो मेरी परवाह ही नही..जब आपके साथ ये रिश्ता शुरू हुआ तो मैं उसकी बेवफ़ाई के बारे मे जानती थी & फिर..",रंभा खामोश हो गयी.

"& फिर क्या?",देवेन ने दाई करवट पे होते हुए उसे फिर से आगोश मे भर लिया & उसके दूसरी तरफ घूमे चेहरे को अपनी नाक से धकेल अपने चेहरे के सामने किया.

"मुझे चुदाई बहुत पसंद है..इसके बिना जी नही सकती मैं मगर इसका मतलब ये नही है की मैं कोई बाज़ारु औरत..कोई वेश्या हू!"

"रंभा!",देवेन को उसकी बात बहुत बुरी लगी थी.

"शादी से पहले भी मेरे मर्दो के साथ संबंध थे.शादी के बाद पति के अलावा मैने अपना जिस्म डॅड & प्रणव को भी सौंपा मगर आपसे मिलने के बाद मैने जाना कि मेरे किसी भी मर्द के साथ सोने की असल वजह मेरा चुदाई का शौक या मेरी मतलबपरस्ती नही थी..",रंभा की आँखो मे पानी आ गया था/

"..मुझे तलाश थी किसी की जोकि उस गाँव मे उस रात यहा आके..",उसने देवेन के सीने पे अपना हाथ रख वाहा इशारा किया,"..पूरी हो गयी.आपकी बाहो मे आने के बाद अब किसी & की चाहत नही रह गयी है मुझे.ये सच है कि मैने वापस जाने के बाद प्रणव के साथ चुदाई की है मगर मैं उसे अपने जाल मे उलझाए रखना चाहती हू ताकि जान सकु की डॅड की हालत के पीछे उसका हाथ है या नही.आप..-",देवेन ने बाया हाथ उसकी कमर से हटा उसके होंठो पे रख दिया.

"चुप!बिल्कुल चुप!..सफाई देके मुझे शर्मिंदा कर रही हो?..तुमसे प्यार करने का मतलब ये थोड़े ही है कि मैं तुम्हारी ज़िंदगी का मालिक बन गया..नही!तुम 1 समझदार,काबिल लड़की हो जो अपने फ़ैसले खुद लेने का माद्दा रखती है.हां,मुझे रश्क होता है तुम्हारी ज़िंदगी के बाकी मर्दो से लेकिन उसका मतलब ये नही कि मैं तुम्हे सबसे रिश्ता तोड़ने को कहु.मेरी मोहब्बत की बुनियाद इतनी कमज़ोर नही है."

"ओह!देवेन..",रंभा ने उसे बाहो मे भर लिया.उसकी आँखो का पानी उसके गालो को भिगोने लगा था.देवेन उसके दाए कंधे के उपर सर रखे उसके गले से लगा उसकी पीठ थपथपा रहा था,"..बस..1 बार मेहरा खानदान की गुत्थी सुलझ जाए,उसके बाद मैं सब छ्चोड़ बस आपकी बाहो मे यू ही सारी ज़िंदगी पड़ी रहूंगी.",उसकी बात सुन देवेन की पकड़ और कस गयी & उस्ने दाई बाँह उसकी गर्दन के नीचे सरकाते हुए उसे फिर से पीठ पे लिटा दिया & उसके माथे को चूमने लगा.

"फ़िक्र मत करो.बहुत जल्द ये सारी उलझने ख़त्म हो जाएँगी.मुझे तफ़सील से सारी बात बताओ कि आख़िर वो प्रणव क्या हरकतें कर रहा है?",रंभा ने देवेन को सब कुच्छ बताया.उसने महादेव शाह के बारे मे भी बताया.

"हूँ..",देवेन का लंड रंभा के जिस्म की च्छुअन से फिर से खड़ा हो रहा था & उसके साथ-2 रंभा ने भी इस बात को महसूस किया,"..तुम्हे शाह से मिलके क्या लगा?..वो किस तरह का आदमी है?..क्या उसे वैसे बेवकूफ़ बनाया जा सकता है जैसे प्रणव सोच रहा है?",देवेन अब दाई करवट पे था & रंभा अपनी बाई करवट पे.वो बाए हाथ से उसके लंड को दबा रही थी & दाए को उसके जिस्म पे फिराते हुए उसके सीने के बालो मे मुँह घुमा रही थी.

"उउंम..नही मुझे तो वो बुड्ढ़ा बड़ा चालाक लगा..आहह..!",देवेन ने उसके सर को अपने सीने से उठाया & उसके बाल पकड़ पीछे कर उसकी गर्दन अपने सामने की ओर चूमने लगा.

"1 तरकीब सूझी है!",अचानक देवेन ने उसके होंठो से लब अलग किए & उसके चेहरे को देखा.रंभा को उसकी ये हरकत बिल्कुल भी अच्छी नही लगी & उसने उसके सर को पकड़ वापस अपनी गर्दन पे दबाया,"..क्यू ना हम दोनो के साथ ये खेल खेलें & कंपनी की मालकिन तुम बन जाओ."

"क्या?!",इस बार रंभा ने खुद देवेन के बाल पकड़ उसके सर को उपर कर दिया.

"हां,हम ये पता करते हैं कि विजयंत मेहरा के इस हाल का ज़िम्मेदार कौन है मगर साथ-2 शाह & प्रणव के साथ ये खेल भी खेलते रहते हैं.जैसे ही मामला सुलझेगा तो अगर प्रणव मुजरिम होगा तो वो सलाखो के पीछे होगा & अगर नही तो भी हम उसे & शाह को किनारे कर देंगे,फिर तुम कंपनी की मालकिन बनी रहोगी.",रंभा उसके चेहरे को गौर से देखते हुए उसे समझने की कोशिश कर रही थी.

"मगर 1 बात और है."

"क्या?"

"प्रणव का सारा प्लान इस बात पे टिका है कि समीर के शेर्स तुम्हे मिलें."

"हां."

"अब अगर तुम समीर को तलाक़ देती हो तो उसकी सारी मेहनत बर्बाद हो जाएगी."

"हां."

इसका मतलब तुम्हे अभी समीर की पत्नी बनाकर रहना होगा हां एक बात और भी है."

"वो क्या?"

"समीर के शेर्स तुम्हारे पास तो केवल 1 ही सूरत मे आ सकते हैं..",रंभा जानती थी वो सूरत क्या थी,"..जब उसकी मौत हो जाए.तो कभी ना कभी शाह या प्रणव तुम्हे टटोलेंगे कि तुम इस बात के लिए तैय्यार हो या नही और तुम्हे उन्हे यकीन दिलाना है कि तुम्हे समीर की मौत से कोई परेशानी नही बल्कि तुम खुद समीर को रास्ते से हटाओगि उनके लिए.",रंभा कुछ पल देवेन को देखती रही.उसे उसकी बात समझ आ गयी थी & उसके होंठो पे मुस्कान खेलने लगी.उसे मुस्कुराता देख देवेन भी मुस्कुराने लगा & अगले ही पल दोनो हंसते हुए 1 दूसरे को बाँहो मे बाहर बिस्तर पे लोटने लगे.रंभा जानती थी कि देवेन का प्लान कमाल का था & आगे की उनकी सारी ज़िंदगी बड़े सुकून से कटने वाली थी.

बिस्तर पे यू लोटने से उनके जिस्मो पे पड़ी चादर उनके गिर्द लिपट गयी थी मगर उन्हे किसी बात का होश नही था.1 बार फिर रंभा नीचे थी & देवेन उसके उपर.वो उसकी छातिया चूस्ते हुए लंड को चूत पे दबा रहा था.रंभा तो बस अपने बेचैन हाथो से उसके पूरे जिस्म को च्छू रही थी,"..उउम्म्म्म..भूख लग रही है मुझे..शाम से कुच्छ नही खाया है."

"अच्छा..",देवेन उस से अलग होने लगा.

"उउन्ण..जा कहा रहे हैं!"

"अरे!तो फोन तक कैसे जाऊं?",देवेन उसके बच्पने पे मुस्कुरा दिया.

"मुझे नही पता पर मुझसे अलग होना मना है!",देवेन को उसकी बात पे हँसी आ गयी.

"अच्छा बाबा!जैसा तुम कहो.",उसने रंभा को चादर समेत बाहो मे भरा & लिए दिए बिस्तर से उतर गया & चलते हुए शेल्फ के पास पहुँचा जिसके नीचे फोने & मेनू कार्ड गिरा था.उसने दोनो चीज़ें उठा के उपर रखी & फिर रूम सर्विस को ऑर्डर किया.वो रंभा को वैसे ही बाहो मे भरे हुए चूमते हुए दरवाज़े तक गया & उसे खोला & फिर उसे गोद मे उठा लिया & बिस्तर पे आ गया.दोनो हंसते हुए फिर से प्यार करने लगे.

चादर के नीचे देवेन रंभा के उपर चढ़ा उसे चूम रहा था & उसकी चूचिया दबा रहा था.रंभा भी उचक के बीच-2 मे उसके सीने को चूम रही थी & उसके निपल्स को अपनी उंगलियो से नोच रही थी की दरवाज़े की घंटी बजी.देवेन उसके उपर से उतर बिस्तर पे लेट गया & रंभा उसकी दाई बाँह के घेरे मे आ गयी & चादर को अपने गले तक खींच लिया.

"कम इन.",देवेन के कहने पे वेटर दरवाज़ा खोल 1 ट्रॉली धकेल्ता अंदर आया & कमरे की हालत & बिस्तर पे दोनो को देख चौंक गया मगर वो 1 नामी होटेल का वेटर था & उसने फ़ौरन खुद को संभाला.

"गुड ईव्निंग,मॅ'म!..गुड ईव्निंग,सर!",वो बिस्तर के दूसरी तरफ रखी 2 कुर्सियो & मेज़ की तरफ फर्श पे गिरे समान से बचाते हुए ट्रॉली को ले जा रहा था.

"अरे भाई!इस ट्रॉली को यही इधर लगा दो.",देवेन ने अपने दाई तरफ बिस्तर के किनारे इशारा किया.रंभा का दाया हाथ चादर के नीचे से सरक के देवेन के लंड पे आ गया था & वो उस से खेलने लगी थी.वेटर से चादर के नीचे होती हुलचूल छुपि तो नही ना ही च्छूपा था चादर के नीचे रंभा के नंगी होने का एहसास.

रंभा 1 बेबाक लड़की थी मगर इस हद्द तक जाने की उसने भी कभी नही सोची थी लेकिन आज जैसे सारी हदें टूट गयी थी.वेटर की मौजूदगी से उसे थोड़ी शर्म तो आई थी मगर जब उसने देखा कि वो उसे सीधा देखने से बच रहा है तो उसे हँसी आने लगी थी.देवेन की बाहो मे खुद को बहुत महफूज़ महसूस कर रही थी वो.

वेटर ट्रॉली लगाके जाने लगा तो रंभा ने देवेन को उसे टिप देने को कहा.देवेन ने वेटर को बुलाया तो वो उसके करीब आया & टिप लेते हुए उसकी नज़र नीचे हुई & चादर मे बना तंबू और उसमे होती हुलचूल उसे और करीब से दिखी.वेटर को पसीना आ गया.ऐसा नही था कि उसने कभी जोड़ो को इस तरह से 1 दूसरे से प्यार करते नही देखा था.विदेशी जोड़े अक्सर 1 दूसरे को चूमते लिपटाते रहते थे मगर ये पहला मौका था जब उसने किसी जोड़े को इस तरह बिस्तर मे देखा था.वो टिप लेके दरवाज़े की ओर गया & वाहा पहुचते ही आदत के मुताबिक घुमके 'हॅव ए नाइस स्टे!' बोलने ही वाला था कि सामने का नज़र देख उसका हलक सुख गया.

रंभा उसके घूमते ही देवेन के उपर आ गयी थी और उसे चूम रही थी.चादर उसकी कमर तक सरक गयी थी & उसकी गोरी पीठ कमरे की रोशनी मे चमक रही थी.उसकी दाई छाती का थोड़ा सा हिस्सा उसकी बगल से दिख रहा था.देवेन के हाथ उसकी कमर के मांसल हिस्से को दबा रहे थे.वेटर की आवाज़ उसके हलक मे ही अटक गयी थी.उसने दरवाज़ा बंद किया & माथे का पसीना पोन्छ्ता वाहा से चला गया.

"पहले खाना तो खा लो.",देवेन ने चादर के नीचे हाथ सरका के उसकी गंद को दबाया & फिर कमर पकड़ उसे अपने उपर से हटाया,"..फिर तुम्हे बताना है कि मुझे क्या नया पता चला है दयाल के बारे मे."

"दयाल के बारे मे?",रंभा ट्रॉली से प्लेट उठाके उसमे खाना परोसने लगी.

"ह्म..अब दयाल के बारे मे तो नही मगर समझो कि 1 नया सुराग मिला है.",देवेन ने रंभा को अपनी ओर खींचा.वो पलंग के हेडबोर्ड से टिक के बैठ गया था & उसने अपनी दाई बाँह रंभा के दाए कंधे के गिर्द डाल दी.रंभा उसे चम्चे से खाना खिलाने लगी & खुद भी खाने लगी,"..रंभा गोआ का 1 चेहरा जो तुम जानती हो या जिसके बारे मे तुमने सुना होगा,वो है इसके खूबसूरत,चमकीली रेत वाले बीचस,समंदर का नीला पानी..",उसने महबोबा के हाथ से 1 नीवाला लिया,"..यहा के लोगो की धीमी चाल से चलती आरामदेह ज़िंदगी,फेणी & यहा का म्यूज़िक."

"..मगर इस जगह का 1 दूसरा चेहरा भी है जो की इसके पहले चेहरे से बिल्कुल उलट है..",रंभा गौर से उसे सुन रही थी.देवेन के सीने के दाए हिस्से पे उसका बाया निपल चुभ रहा था & देवेन को मस्त कर रहा था.उसने अपना बाया हाथ अपनी महबूबा के सीने के दिलकश उभारो से लगा दिया,"..वो चेहरा है जुर्म का,ड्रग्स का,जिस्म्फरोशी का,करप्षन का.",वो रंभा की छातियो को हौले-2 दबा रहा था.रंभा को बहुत भला लग रह था उसके हाथो का दबाव मगर फिर भी उसे छेड़ने की गरज से वो चिहुनकि & बुरा सा मुँह बनाया तो देवेन ने उसके बाए गाल को चूम लिया & मुँह खोल अगले नीवाले को मुँह मे डालने की ख्वाहिश ज़ाहिर की.

"मैं यहा से पहले तमिल नाडु मे था & मैने हर तरह के काम किए वाहा-क़ानूनी भी & गैर क़ानूनी भी.",इस बार रंभा ने सच मे बुरा मुँह बनाया,"..रंभा,जैल से निकले शख्स को सभी ग़लत ही समझते हैं.तुम्हे पता नही कितनी मुश्किल होती है सज़ायाफ़्ता इंसान को वापस 1 आम ज़िंदगी जीने मे.तुम्हे इतना यकीन दिलाता हू कि अब मैं कोई ग़लत काम नही करता.",रंभा को उसकी आँखो मे ईमानदारी की झलक दिखी & उसने अगला नीवाला उसके मुँह मे डाला & उसके दाए गाल को चूम लिया.

"..तो मेन समाज मे उस लकीर के,जो अच्छे & बुरे को अलग करती है,दोनो तरफ के लोगो को अच्छे से जानता हू,समझता हू.यहा गोआ मे जुर्म का जो संसार है उसमे हुमारे मुल्क के लोग तो हैं ही मगर साथ-2 रशियन & इज़्रेली भी हैं.ये लोग यहा के ड्रग्स & जिस्म्फरोशी के धंधे को कंट्रोल करते हैं.मैं इन दोनो मुल्को के लोगो को जानता हू..",खाना ख़त्म हो चुका था.दोनो ने पानी पिया & देवेन ने अपनी महबूबा को बैठे हुए ही अपनी गोद मे खींचा & उसकी छातियो को चूसने लगा.उसके लंड पे बैठी उसके सर को प्यार से अपनी हाथो मे पकड़ चूमते हुए रंभा आँहे भरने लगी.

"..बालम सिंग अपने फार्म पे चरस उगाता था & उसी का धंधा करता था.उसके मरने पे ड्रग्स की गंदी दुनिया मे उथल-पुथल मच गयी & ये खबर यहा गोआ भी पहुँची..",देवेन की ज़ुबान रंभा को मस्त किए जा रही थी.वो अपने जिस्म का बाया हिस्सा उसके सीने से सटा अपनी दोनो टाँगे उसके जिस्म के बाई तरफ फैलाए उसकी गोद मे छॅट्पाटा रही थी.देवेन का लंड उसकी मुलायम गंद के दबाव से फ़ौरन खड़ा हो गया था.

"..तब मुझे पता चला कि बलम सिंग अपने जैल मे काम करने के दिनो से ही ड्रग्स के धंधे से जुड़ा था.पहले तो वो बस दयाल जैसे लोगो से लेके क़ैदियो को ड्रग्स सप्लाइ करता था मगर बाद मे वो उन लोगो के साथ मिलके इस धंधे मे पूरा उतर गया..",रंभा मस्त हो अपनी बाई बाँह देवेन के दाए कंधे पे टिकाते हुए उसकी गर्दन को जकड़ते हुए उसके दाए कान मे अपनी जीभ फिरा रही थी.

"आईिययययई..!",उसके चेहरे पे शिकन पड़ गयी & साथ ही 1 मस्त मुस्कान भी खेलने लगी.देवेन ने उसकी मोटी जाँघो के नीचे बाई बाँह लगाते हुए उन्हे उठाया था & जब नीचे किया तो उसकी चूत मे देवेन का लंबा,मोटा लंड घुस चुका था.उसने उसके सीने से सर उठाया तो रंभा ने अपना सर झुका उसके होंठ चूम लिए.दोनो की आँखो मे वासना के लाल डोरे तेर रहे थे.देवेन उसकी जाँघो को थाम के उपर-नीचे करते हुए उसकी चुदाई कर रहा था.रंभा की दोनो जंघे सटी होने की वजह से उसकी कसी चूत और कस गयी थी & उसकी दीवारो पे देवेन का लंड बहुत बुरी तरह रगड़ रहा था.

"..मगर बालम कोई बहुत बड़ी मछली नही था.उसका असली बॉस यहा से दूर मारिटियस मे बैठा है.अब मज़े की बात सुनो.बलम के बॉस से हमे कोई मतलब नही है.हमे मतलब है उस बॉस के धंधे के तरीके से.वो आदमी भी ड्रग्स & जवाहरतो का ग़ैरक़ानूनी धंधा 1 साथ करता है & सभी मुल्को की पोलीस से लेके इंटररपोल उसके दोनो धंधो मे उलझी रहती है मगर कोई 1 भी उसे रंगे हाथ नही पकड़ पाती..",रंभा लंड की ज़ोरदार रगड़ से बहुत मस्त हो गयी थी & उसने अपने दिलबर की गर्दन को जकड़ते हुए उसके सर को अपने सीने से चिपका लिया & कमर हिलाती च्चटपटाने लगी.उसने देवेन के बाल पकड़ पीछे खींचे & अपने लरजते लब उसके लबो से चिपका दिए & उसके लंड पे अपनी चूत की गिरफ़्त को & कस दिया.वो झाड़ रही थी & देवेन उसे वैसे ही गोद मे उच्छलते हुए चोद रहा था.

रंभा ने सिसकते हुए उसके हाथ को पानी जाँघो के नीचे से हटाया & दोनो टाँगे उसकी टाँगो के उपर करते हुए उसके सीने से टेक लगाके बैठ गयी & फिर कमर उच्छालने लगी.देवेन ने भी उसकी कमर थाम ली & उसकी पीठ & कंधे चूमने लगा.

"..जिस वक़्त दयाल मुझे फँसा के यहा से भागा उसके कुच्छ अरसे बाद ही बालम के बॉस ने जवाहरतो का भी धंधा शुरू किया था.खेल बहुत सीधा है.जैसे मुझे फँसाया गया था उसी तरह किसी मासूम शख्स से जवाहरतो की स्मुगलिंग कराई जाती.पोलीस का ध्यान उसपे रहता & इस बीच ड्रग्स किसी दूसरे रास्ते स्मगल हो जाते.ये तरीका सीधा दयाल की ओर इशारा करता है..",रंभा ज़ोर-2 से उछल रही थी & बीच-2 मे गर्दन घूमके अपने प्रेमी को चूम भी रही थी.

"..लेकिन इंटररपोल की रिपोर्ट के मुताबिक वो शख्स मारिटियस का ही कोई बंदा था-रोशन पेरषद.पर मेरा दिल कहता है कि वो दयाल ही था & आदत से मजबूर नाम बदल के काम कर रह था.खैर,वो रोशन पेरषद काफ़ी दिनो तक इस धंधे से जुड़े रहने के बाद अचानक 1 दिन गायब हो गया..",रंभा ने अपने होंठ भींच लिए थे.उसके दिल मे मस्ती का 1 गुबार उठ रहा था,प्री जिस्म मे दौड़ती मस्ती बस 1 धमाके के साथ फूटने ही वाली थी.

"..कुछ दिनो बाद इसी तरीके से युरोप मे ड्रग्स स्मुग़ले किए गये & वाहा जो नाम सामने आया वो था दानिश सुलेमान.मेरे हिसाब से ये भी दयाल ही था.इंटररपोल वाले भी समझ गये थे कि हो ना हो ये सब 1 ही इंसान हैं जो नाम बदल के उन्हे हर बार गुमराह कर रहा है मगर 1 रोज़ आम्सटरडॅम के बदनाम डे वॉलेन इलाक़े मे सुलेमान की लाश मिली & उस तरीके से स्मुगलिंग भी बंद हो गयी.कुच्छ दिनो बाद इंटररपोल ने भी फाइल बंद कर दी."

"आहह..!",1 लंबी आह के साथ रांभ अपनी कमर बेचिनी से हिलाती & जिस्म को कमान की तरह मोदती झाड़ गयी & निढाल हो लंबी-2 साँसे भरती देवेन के सीने पे गिर गयी.देवेन ने दाई बाँह उसके पेट पे कसी & बाई उसकी चूचियो के नीचे & नीचे से ज़ोर-2 से कमर उचक के धक्के लगाने लगा.रंभा आहें भरती उसके सर को थामे उसके बाए गाल को चूमती उसका भरपूर साथ दे रही थी & चंद पॅलो बाद दोनो प्रेमियो ने 1 साथ आह भरी & रंभा के चेहरे पे मस्ती भरी मुस्कान खेलने लगी-वो अपनी चूत मे अपने प्रेमी के वीर्य को भरता सॉफ महसूस कर रही थी.

"..मगर मुझे अंदर की बात पता है कि सुलेमान ने अपनी जगह किसी & शख्स की लाश फिंकवा दी थी & अपने मरने की अफवाह उड़वा दी थी.किसी भी एजेन्सी के पास दयाल/पेरषद/सुलेमान का कोई डीयेने या बाइयोलॉजिकल रेकॉर्ड था नही & जब स्मगलिंग का वो तरीका बंद हो गया तो उन्होने भी उसकी मौत को सही मान लिया.."

"..जहा सारी एजेन्सीस धोखा खा गयी वाहा आपको कैसे पता ये सब,जानेमन?",रंभा अभी भी वैसे ही देवेन के बाए कंधे पे सर रखे उसके दाए गाल को सहलाती बाए को चूम रही थी.

"क्यूकी जिस शख्स ने पेरषद & सुलेमान के नामो के झूठे पासपोर्ट्स बनाए थे उसे मैं जानता हू

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क्रमशः.......
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Desi Kahani Jaal -जाल - by sexstories - 12-19-2017, 10:25 PM
RE: Desi Kahani Jaal -जाल - by sexstories - 12-19-2017, 10:26 PM
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RE: Desi Kahani Jaal -जाल - by sexstories - 12-19-2017, 10:35 PM
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