Desi Kahani Jaal -जाल
12-19-2017, 10:42 PM,
#64
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--63

गतान्क से आगे......

“रंभा..प्लीज़..समझने की कोशिश करो..वो बहुत परेशान थी & हम दोनो जज़्बातों मे बह गये थे..ग़लती हो गयी मुझसे..आइ’म सॉरी!”,रंभा अपनी अलमारी से कपड़े निकाल के सूटकेस मे भर रही थी.

“समीर,मैने अपनी आँखो से देखा है सब.प्लीज़,इस तरह से झूठ बोल के खुद को खुद की ही नज़रो मे मत गिराव.”,रंभा ने सूटकेस बंद किया.

“ऐसे इस वक़्त कहा जाओगी तुम?..अभी गुस्से मे हो..मैं समझ सकता हू तुम्हारा गुस्सा,रंभा..”,समीर उसके सामने उसके कंधो पे हाथ रख के खड़ा हो गया था,”..मगर बातों से सब हल हो सकता है ना?”

“हां,मैं गुस्से मे हू & बातो से सब हल भी हो सकता है मगर अभी मैं कोई भी बात करने की हालत मे नही हू.”,उसने सूटकेस बेड से उतार के फर्श पे रखा & अपना हॅंडबॅग कंधे पे टांग 1 दूसरा बॅग सूटकेस के उपर रखा,”..इसीलिए मैं जा रही हू,समीर.तुम्हारे साथ इस घर मे..इस कमरे मे 1 पल भी और गुज़ारा तो मैं पागल हो जाऊंगी.”,उसने उसके हाथ अपने कंधो से हटाए & सूटकेस के पुल्लिंग हॅंडल को बाहर निकल उसे पहियो के सहारे खींचा,”..मुझे ढूँढने की कोशिश मत करना..”,वो कमरे के दरवाज़े पे पहुँच के रुकी & मूडी,”..घबराओ मत मैं कुच्छ दिनो मे लौट आऊँगी.तुम्हारा ये राज़ राज़ ही रहेगा & जब तक तुम मानपुर का टेंडर जीत के उसपे काम नही शुरू कर देते,तब तक मैं म्र्स.समीर मेहरा ही रहूंगी.पर प्लीज़,समीर आज से तुम्हारे & मेरे रास्ते अलग हैं इसीलिए मेरी ज़िंदगी मे दखल देने की कोशिश मत करना.”,वो कमरे से बाहर निकल गयी.उसका दिल खुशी से झूम रहा था.इतनी जल्दी उसे फिर से देवेन के पास जाने का मौका मिलेगा ये उसने सपने मे भी नही सोचा था & अब समीर की बेवकूफी ने खुद ही उसकी आगे की मुश्किल भी आसान कर दी थी.अब तलाक़ तो होना ही था & वो भी उसकी शर्तो पर.

“हाई!प्रणव..”,एरपोर्ट पहुँच उसने गोआ की अगली फ्लाइट का टिकेट लिया,”..मैं कुच्छ दिनो के लिए बाहर जा रही हू.”

“क्या?क्यू..& कहा,रंभा?!”

“वो सब मैं बता नही सकती.बस इतना समझो की जाना पड़ रहा है.”

“कोई मुश्किल है रंभा?”

“नही.मैं तुम्हे फोन करती रहूंगी & जब भी तुम्हे अपने काम मे मेरी ज़रूरत पड़ेगी,मैं आ जाऊंगी.ओके,बाइ!”,प्रणव अपने मोबाइल को थामे बैठा सोच रहा था कि अचानक आख़िर ऐसा हुआ क्या?अगला फोन रंभा ने सोनम को किया.उसने उसे ना तो पहले देवेन & विजयंत मेहरा के बारे मे बताया था ना अब बताया.बस इतना कहा क़ि समीर की बेवफ़ाई से दुखी हो वो जा रही है.उसने उस से भी फोन करते रहने की बात कही.

डबोलिं एरपोर्ट पे शाम 8 बजे उतार वो टॅक्सी से सीधा हॉलिडे इन्न गोआ गयी & 2 लोगो के लिए 1 कमरा बुक किया & फिर देवेन को फोन किया.देवेन ने उस से कहा कि वो 1 घंटे मे उसके पास पहुँच रहा था.वो 1 घंटा रंभा ने होटेल के कमरे मे चहलकदमी करते काटा.अब उस से 1 पल भी इंतेज़ार नही हो रहा था.अपने महबूब के शहर पहुँच गयी थी वो & अब बस उसकी बाहो मे समा जाना चाहती थी वो.रंभा ने हल्के नीले रंग की कसी जीन्स & काले रंग की गोल गले की कसी टी-शर्ट पहनी थी.इस लिबास मे उसके जिस्म के कटाव पूरी तरह से उभर रहे थे.उपर से महबूब से जल्द ही मिलने की उमंग का खुशनुमा रंग उसके चेहरे पे झलक रहा था & उसका हुस्न & भी दिलकश लग रहा था.

दरवाज़े की घंटी बजी तो वो भागती हुई गयी & दरवाज़ा खोला.सामने देवेन खड़ा था.उसकी आँखो मे हैरत थी & खुशी भी & दिलरुबा की चाहत भी.दोनो 1 पल 1 दूसरे को देखते रहे फिर देवेन आगे बढ़ा & कमरे मे दाखिल हुआ.उसने दरवाज़े के अंदर के नॉब से लटका ‘डू नोट डिस्टर्ब’ का कार्ड निकाला & बाहर के नॉब पे लटका दिया.इस सबके दौरान दोनो प्रेमियो की आँखे आपस मे उलझी रही-ना देवेन ने पालक झपकाई ना ही रंभा ने.रंभा का दिल अब बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था & उसकी कसी टी-शर्ट मे क़ैद उसके उभर उपर-नीचे हो उसके आशिक़ को उसका हाल बयान कर रहे थे.देवेन ने बिना घूमे हाथ पीछे ले जाके दरवाज़ा बंद किया & उसके बाद जैसे कमरे मे तूफान आ गया.

रंभा भागती हुई आगे बढ़ी & उस से लिपट गयी.देवेन ने भी उसे बाहों मे भर लिया & दोनो 1 दूसरे को चूमने लगे,पागलो की तरह,दीवानो की तरह.कहने मुश्किल था कि किसकी ज़ुबान किसके मुँह मे थी & कौन किसके चेहरे पे अपने बेसबरे लब फिरा रहा था.रंभा देवेन के गले मे बाहें डाले उसके बॉल खिचती उसे चूम रही थी & वो उसकी कमर को बहुत ज़ोर से जकड़े हुए उसकी ज़ुबान का लुत्फ़ उठा रहा था.देवेन ने उसे कमर से उठाया & कमरे मे रखे 1 शेल्फ पे बिठा दिया.खुद को संभालती कनपटी रंभा ने हाथ शेल्फ पे रखे & उसपे रखा गुल्दान उसके हाथो से टकरा के नीचे गिर गया.उस शेल्फ पे फोन & और भी कुच्छ सजावटी समान रखे थे.देवेन ने उन सारे सामानो को अपने हाथो से धकेल के नीचे गिराया & अपनी महबूबा की खुली टाँगो के बीच खड़ा हो उसकी चूत पे लंड दबाते हुए उसे चूमने लगा.रंभा के हाथ देवेन की पीठ पे घूम रहे थे.

देवेन उसकी ज़ुबान चूस्ते हुए उसकी बाई छाती को शर्ट के उपर से ही दबा रहा था & वो अब ज़ोर-2 से आहें भर रही थी.रंभा ने उसके कोट को उसके कंधो से नीचे सरकया & उसकी कमीज़ के उपर से ही उसके चौड़े सीने & कंधो पे हाथ फिराया.देवेन ने उसकी टी-शर्ट उपर की & उसके ब्रा को उपर कर झुक के उसकी नुमाया छातियो को चूसने लगा.

“आन्न्न्नह..देवेन..!”,रंभा की आँखे बिल्कुल फैल गयी थी & वो सर उपर किए अपने प्रेमी के बालो को खींचती झटके खा रही थी.देवेन उसकी छातियो को जैसे मुँह मे पूरा भर के चूसना चाहता था.उन भारी-भरकम मगर पुष्ट गोलैईयों को वो अपने मुँह मे बार-2 भरने की कोशिश करते हुए चूस रहा था.नीचे रंभा की चूत पे उसका सख़्त लंड वैसे ही लगातार रगड़ खा रहा था.शाम से ही रंभा उस से मिलने की हसरत की उमंग से भरी थी & अब उसके मिल जाने पे उसके जिस्म की नज़दीकी & उसकी दीवानगी भरी हर्कतो ने उसके सब्र का बाँध तोड़ दिया था & वो झाड़ रही थी.

देवेन ने उसकी टी-शर्ट को सर के उपर से खींच के निकाला तो उसकी चूचियो ने छल्छलाते हुए ब्रा की क़ैद से छूटने की ख्वाहिश जताई.अपनी दिलरुबा के मस्ताने उभारो की इल्टीजा ना मानने की हिमाकत भला देवेन कैसे कर सकता था.उसने उसके ब्रा स्ट्रॅप्स को कंधो के उपर से पकड़ा & इतनी ज़ोर से खींचा की उसके हुक्स अलग हो गये & खुली ब्रा उसके हाथो मे आ गयी.उसने ब्रा को उच्छाल दिया & झुक के रंभा की दिलकश चूचियो से अपने प्यासे होंठ सटा दिए.वो उन्हे ऐसे चूस रहा था मानो उनसे दूध निकाल के अपनी प्यास बुझाना चाहता हो.रंभा के हुस्न को देख मर्द अपना आपा खो देते थे लेकिन फिर भी ये शिद्दत,ये दीवानापन उसने कभी किसी & के प्यार करने मे नही महसूस किया था.खुद देवेन भी हराड मे उस रात ऐसा दीवाना कहा था.

रंभा का भी हाल देवेन से अलग थोड़े ही था.वो भी बावली हो गयी थी.उसने महबूब के बाल पकड़ उसके सर को अपने सीने से अलग किया & उपर कर 1 लंबी किस दी.उसके हाथ देवेन की शर्ट को उसकी पॅंट से बाहर खींच रहे थे.अब उसे भी सब्र नही था & उसने उसकी कमीज़ को पकड़ के इस तरह खींचा की सारे बटन टूट गये.खुली कमीज़ को उसने देवेन के कंधो से उतार फेंका & आगे झुक उसके सीने के बालो मे मुँह घुसा के रगड़ने लगी.उसके गले से अजीब सी आवाज़ें निकाल रही थी जो उसके मस्ती मे सब भूल जाने का सबूत थी.उसने देवेन के निपल्स को चूसा & फिर काट लिया.देवेन ने सर उपर किया & कराहा मगर रंभा के सर को सीने से अलग करने के बजाय उसे और सटा दिया.रंभा के हाथ उसके बदन के बगल मे घूमते हुए उसके कंधो & मज़बूत बाजुओ पे फिर रहे थे.रंभा गर्देन झुका के उसके सीने से चूमते हुए उसके पेट पे जहा तक जा सकती थी,जाके चूम रही थी.वो & झुकने मे असमर्थ थी & उसके होंठ देवेन के लंड तक नही पहुँच रहे थे तो उसने अपने हाथो मे ही उसके लंड & अंदो को दबोच लिया & ज़ोर-2 से दबाने लगी.

“ओह..रंभा..!”,देवेन मस्ती मे आहत हो गया & उसके बाल पकड़ के उपर खींचा & 1 बार फिर उसके गुलाबी लबो को अपने लबो की क़ैद मे ले लिया.वो रंभा की कमर के गुदाज़ हिस्से को दबाते हुए चूम रहा था & वो उसके लंड को.देवेन के हाथ दिलरुबा की रेशमी पीठ पे सरक रहे थे.हाथ उसकी कमर से उपर गर्दन तक गये & फिर वापस लौटे & इस बार & नीचे गये & उसकी गंद से सॅट गये.रंभा चिहुनकि & उसने देवेन की पॅंट खोल अपना हाथ अंदर डाल दिया.देवेन फिर से कराहा & रंभा शेल्फ से उतर गयी & देवेन की कमर पकड़ उसे शेल्फ की बगल की दीवार से लगा दिया.

उसने देवेन की पॅंट को फ़ौरन नीचे किया & उसके अंडरवेर को भी.सामने प्रेकुं से भीगा उसका 9.5 इंच लंबा लंड अपने पूरे शबाब मे उसकी निगाहो के सामने था.रंभा अपने पंजो पे बैठ गयी & देवेन की गंद के बगल मे हाथ लगते हुए उसे आगे खींचा & खुद आगे झुकाते हुए उसके लंड के सूपदे को मुँह मे भर लिया.देवेन ने दीवार पे हाथ लगाए & सर उठाके आह भरी.रंभा उसकी झांतो मे नाक घुसा के वही हरकत दोहराई जो कुच्छ देर पहले उसने उसके सीने पे की थी.उसने देवेन के लंड को उठा उसके पेट से सटा दिया & अपनी जीभ को लंड की जड़ से लेके उसके सूपदे की नोक तक चलाया.देवेन का जिस्म सिहर उठा.रंभा की जीभ सूपदे से वापस जड़ तक आई & उसके भी नीचे देवेन के आंडो के बीच पहुँच के रुकी.उसने अपनी नाक लंड की जड़ मे घुसा के दबाते हुए उसके आंडो को मुँह मे भर के चूसना शुरू कर दिया.देवेन उसके बालो को पकड़ सर को अपनी गोद मे दबा रहा था.रंभा ने आंडो को मुँह से निकाला & लंड को मुँह मे भर लिया.अंगूठे & पहली उंगली का दायरा बना लंड को उसमे फँसा उसे हिलाते हुए उसने उसे चूसना शुरू कर दिया.देवेन अब कमर हिलाते हुए उसके मुँह को चोद रहा था.रंभा उसके अंग को मुँह मे भरे बस उस से खेलती चली जा रही थी.देवेन को लगा कि अगर वो इसी तरह जुटी रही तो वो फ़ौरन झाड़ जाएगा.उसने झुक के रंभा के कंधे पकड़ उसे उपर उठाया & उसे बाहो मे भर चूमते हुए उसकी कमर को जाकड़ हवा मे उठा लिया & शेल्फ के दूसरी तरफ रखी राइटिंग टेबल पे बिठा दिया.

उसने रंभा को धकेलते हुए टेबल पे लिटाया मगर उसपे रखे राइटिंग पेपर्स,पेन स्टॅंड,टेबल लॅंप वग़ैरह आड़े आ रहे थे.देवेन ने दोनो हाथो से सारे समान को धकेला तो रंभा ने भी लेटते हुए अपने हाथ फैला दिए.ज़ोर की आवाज़ के साथ लॅंप फर्श पे गिर के चूर-2 हो गया.बाकी चीज़ें भी नीचे गिर के च्चितरा गयी मगर दोनो को इन बातों से कोई मतलब नही था.रंभा को टेबल पे लिटा के उसकी गर्देन चूमते हुए वो उसकी चूचियो पे आया & उनके निपल्स को दांतो से पकड़ के खींचा.

“आईईयईईए..!”,रंभा मस्ती भरे दर्द से कराही.देवेन अब उसके पेट को चूमते हुए,उसकी नाभि को चूस्ते हुए नीचे आया & उसकी जीन्स के बटन को खोला & ज़िप खींची.देवेन ने जीन्स को नीचे खींचा तो रंभा ने भी गंद उपर उठा दी.अगले ही पल जीन्स & उसकी काली पॅंटी कमरे के फर्श पे बिखरे बाकी समान का हिस्सा थे.देवेन उसकी बाई टांग को उठा के चूम रहा था & रंभा अपने दाए पैर को उसके सीने पे चला रही थी.

“ओह..!”,देवेन कराहा.रंभा ने दाए पाँव के अंगूठे & उंगली के बीच उसके बाए निपल को फँसा खीच दिया था.देवेन ने उसकी दाई टांग को पकड़ बाए कंधे पे रखा & चूमते हुए बल्कि यू कहा जाए कि चूस्ते हुए उसकी जाँघ की तरफ बढ़ने लगा.

“आननह..उउम्म्म्ममममम..हान्ंननणणन्..ऊहह..!”,रंभा मस्ती मे चीख रही थी.देवेन उसकी मोटी जाँघो को होटो से काट रहा था & चूस रहा था.जब वो होठ हटता तो वाहा पे 1 निशान दिखने लगता.कुच्छ ही देर मे रंभा की दोनो अन्द्रुनि जंघे आशिक़ के होटो के दस्तख़त से भर गयी थी,”..उउन्न्ञनननणणनह..!”,रंभा अपनी कमर उचकाते हुए अपनी चूचिया अपने ही हाथो से दबा रही थी.रंभा ने अपने दोनो पाँव अब घुटने मोड़ टेबल पे जमा दिए थे & देवेन की ज़ुबान उसकी चूत तक पहुँच गयी थी & उस से बह रहे रस को लपलपाते हुए चाट रही थी.देवेन उसकी चूत मे जीभ घुसाते हुए उसके दाने को दाए हाथ की उंगली से रगडे जा रहा था.अगले ही पल रंभा कमर उचकती हुई झाड़ गयी.देवेन ने उसकी टाँगे फैलाई & अपने कंधो पे चढ़ा ली & 1 ज़ोर दार धक्के मे ही अपने लंड को जड तक उसकी चूत मे घुसा दिया.

“ऊउउईईईईईई माआआआआअ..!”,रंभा चीखी & दोनो हाथ सर के पीछे ले जाके टेबल को पकड़ लिया.देवेन उसकी जाँघो को सहलाता,उसकी टाँगो को चूमता उसे चोद रहा था.रंभा टेबल को पकड़े अपनी कमर उचका रही थी.बस 3 दिनो की जुदाई का ये असर था!

देवेन का लंड रंभा की कोख पे लगातार चोट कर रहा था & जब भी वो उसके नरित्व के सबसे अहम हिस्से से टकराता तो 1 अनोखे,मस्ताने दर्द से वो तड़प उठती जिसमे बेइंतहा मज़ा भी च्छूपा होता.दोनो की नासो मे मानो लहू की जगह बेसब्री बह रही थी जोकि जिस्मो के मिलने के बावजूद ख़त्म होने का नाम ही नही ले रही थी.देवेन के चेहरे पे भी अचानक दर्द के भाव आ गये.रंभा की चूत ने सिकुड़ने-फैलने की हरकत शुरू कर दी थी & उसका लंड अब उसकी कसी चूत के & कसने की वजह से जैसे चूत की फांको मे पीस रहा था मगर कितना मज़ा था..कितनी खुशी..उसका दिल किया की अभी इसी पल झाड़ जाए मगर नही.अभी उसे अपनी जान से प्यारी महबूबा के साथ जन्नत की & सैर करनी थी.रंभा टेबल को थामे कमर उचकाती अपने सीने को उपर उठती & सर को पीछे फेंकती चीखती झाड़ रही थी मगर देवेन अपने उपर काबू रखे वैसे ही धक्के लगा रहा था.

रंभा ने हाथ सर के पीछे टेबल से हटाए & आगे लाके अपने दिलबर के सीने & पेट के बालो मे हसरत से फिराए तो उसने भी उसकी टाँगो को कंधो से उतार दिया & उसकी मरमरी बाहें थाम उसे उपर खींचा.रंभा उठाते हुए उसके आगोश मे आ गयी & अपनी बाहें उसके कंधे पे रखते हुए उसकी गर्देन मे डाल दी & उसकी गर्देन चूमने लगी.देवेन भी धक्के लगाता हुआ उसके डाए कान मे जीभ फिरने लगा.रंभा के होंठ उसके कंधो पे पहुँचे & वो उनपे हौले-2 काटने लगी.देवेन उसकी हरकत से & जोश मे आ गया & उसने कुच्छ ज़्यादा ही तेज़ धक्के लगाने शुरू कर दिए.जिस्म मे उठे दर्द & मज़े के मिलेजुले मस्ताने एहसास से आहत हो रंभा ने उसके दाए कंधे के उपर थोडा ज़ोर से दाँत गढ़ा दिए.

“ओह..!”,देवेन कराहा & रंभा की पुष्ट जाँघो के नीचे बाहें घुसके उसकी गंद की फांको को अपने हाथो मे थमते हुए उसने उसे मेज़ से उठाया & घुमा के कमरे की दूसरी तरफ की दीवार से लगा दिया & ज़ोर-2 से धक्के लगाने लगा.रंभा आहें भरती हुई उसके कंधो के उपर से बाहें ले जाते हुए उसकी पीठ को नोच रही थी.देवेन का लंड सीधा उसकी कोख पे क़ातिल चोटें कर रहा था & बस चंद लम्हो मे ही वो उसके लंड से दोबारा झाड़ गयी & अपने हाथ पीछे अपने सर के उपर ले जाते हुए अपने नाख़ून दीवार पे ज़ोर से रगड़ उसपे अपनी बेचैनी के निशान छ्चोड़ दिए.

देवेन उसे उठाए हुए घुमा & बिस्तर पे लिटा दिया & धक्के लगाने लगा.धक्के लगाते हुए वो बिस्तर पे घुटने जमाके उपर चढ़ने लगा तो रंभा भी अपने हाथ बिस्तर पे रख उसके सहारे उपर होने लगी.देवेन उसके उपर लेटा उसके चेहरे,उसकी गर्देन को चूमते हुए उसे चोद रहा था.रंभा बेचैनी से बिस्तर पे अपने हाथ फिरा रही थी & चादर को खींच रही थी.उसका बाया हाथ तकिये से टकराया तो उसने उसे उठाके फर्श पे फेंक दिया.देवेन के धक्के अब बहुत तेज़ हो गये थे & उसका लंड अब चूत की दीवारो को बहुत बुरी तरह रगड़ रहा था.रंभा कनपटी आवाज़ मे चीख रही थी.उसकी टाँगे देवेन की कमर से लेके उसके घुटनो के पिच्छले हिस्सो तक घूम रही थी & वो उन्ही के सहारे कमर उचका भी रही थी.देवेन के हर धक्के पे उसका जिस्म सिहर उठता.वो बहुत तेज़ी से अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रही थी.

देवेन का लंड भी उसकी चूत की कसावट से अब बहाल हो गया था.उसके आंडो मे मीठा दर्द होने लगा था & उनमे उबल रहा उसका लावा अब फूटने को बिल्कुल तैय्यर था.रंभा उसकी पीठ से लेके उसकी गंद तक अपने हाथ चलाते हुए उसे नोच रही थी.2 जिस्म अब 1 दूसरे के सहारे अपनी-2 मंज़िल के बिल्कुल करीब पहुँच चुके थे.देवेन ने अपनी बाई बाँह रंभा की गर्देन के नीचे & दाई उसकी कमर के नीचे सरका उसे अपने आगोश मे क़ैद कर खुद से बिल्कुल चिप्टा लिया था.रंभा भी उसे अपनी बाहो & टाँगो मे बाँध चुकी थी.

“देवेन्न्ननननननननणणन्.......रंभा....................!”,तभी जैसे ज़ोर का धमाका हुआ जिसमे कोई आवाज़ नही थी बस बहुत तेज़,चमकीली रोशनी थी जो केवल दोनो प्रेमियो को ही दिखी.रंभा के थरथरते होंठो से सिसकियाँ निकल रही थी ,उसकी आँखो से आँसू बह रहे थे.उसका जिस्म दिलबर की बाहो मे मस्ती की इंतेहा से कांप रहा था.उसकी चूत मे मज़े की नदी सारे बंधन तोड़ सैलाब की शक्ल इकतियार कर चुकी थी.वो झाड़ रही थी,ऐसे जैसे पहले कभी नही झड़ी थी.देवेन के आंडो का मीठा दर्द अपने चरम पे पहुँचा & उसी वक़्त उसके लंड मे भी ज्वालामुखी फूटा & उसका गर्म लावा उसकी महबूबा की चूत मे भरने लगा.रंभा की चूत तो अपनी मस्तानी हरकत किए चली जा रही थी & देवेन के लंड को निचोड़ रही थी.देवेन उसे बाहों मे भरे,सर उपर उठाए आहें भरता चला जा रहा था.जिस्म मे ऐसा मज़ा उसने भी अपनी ज़िंदगी मे पहले कभी महसूस नही किया था.उसने सर नीचे किया तो रंभा की आँखो से मोती छलक्ते नज़र आए.वो झुका & उन मोतियो को चखने लगा.इश्क़ के शिद्दत भरे इज़हार के अंजाम पे पहुँचने का एलान करती उन बूँदो को अपनी ज़ुबान पे महसूस करते ही देवेन को & उसकी ज़ुबान का उसके गालो से उन बूँदो को उठाना महसूस करते ही रंभा को उस सुकून से भी बड़ा सुकून मिला जो उन्हे अभी-2 चुदाई ख़त्म होने पे मिला था.रंभा के काँपते होठ मुस्कुराने लगे तो उन्हे देख देवेन के लब भी हंस दिए.दिल मे खुशी की लहर उठी तो दोनो सुकून & चैन से भरे जिस्म 1 दूसरे को आगोश मे भर चूमने लगे.

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क्रमशः.......
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