RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--58
गतान्क से आगे......
“मज़ाक करते हैं साहिब आप तो!”,किसान ने ठहाका लगाया,”..अरे बड़े आदमी की ज़मीन है साहब,उसका अपना तरीका.”
“अच्छा किसका फार्म है?”
“कोई बालम सिंग है साहिब.”
“मिले हैं आप उस से?”
“नही साहब.1-2 बार देखा है.ज़्यादा मिलता-जुलता नही हम सब से जबकि रहता यही है फार्म पे ही.”
“अच्छा.”,दोनो वाहा से निकल गये & वापस होटेल पहुचे.
“रंभा,तुम वापस चली जाओ.”,बिस्तर पे नंगी लेटी रंभा के दाए तरफ लेटा देवेन उसकी दाई चूची को चूस्ते हुए दाए हाथ की उंगलो उसकी चूत मे घुसा रहा था.
“क्यू?!”,रंभा ने हैरत से उसे देखा,”..आआअन्न्ननणणनह..!”,देवेन ने उसके जी-स्पॉट को दोबारा ढूंड लिया था.रंभा फिर से बेहोश जैसी हो गयी & बिस्तर पे निढाल पड़ गयी.उसका जिस्म थरथरा रहा था.देवेन ने उसकी चूत से उंगली निकाली & उसे निहारने लगा.कुच्छ पॅलो बाद रंभा जब खुमारी से बाहर आई तो उसने देवेन को बाहो मे जाकड़ लिया & उसके चेहरे & होंठो पे किसिज की झड़ी लगा दी,”..क्यू अलग कर रहे हैं मुझे खुद से?..”,उसने उसे पलट दिया & उसके उपर सवार हो गयी & उसके सीने को चूमने लगी,”.वैसे भी 2 दिनो मे तो जुदा होना ही है.”,रंभा की आँखो मे पानी था.देवेन ने उसे बाहो मे कस के चूम लिया & उसकी गंद दबाई.
“दिल तो करता है की तुम्हे अभी भगा के गोआ ले चलु.”,रंभा उसकी प्यार भरी बात सुन मुस्कुरा दी & उसके निपल्स को नखुनो से खरोंचा,”..लेकिन दयाल को ऐसे कैसे छ्चोड़ दू बिना सज़ा दिए?”,रंभा उसकी बात से संजीदा हो गयी.
“हां तो फिर मैं भी तो इसीलिए आई हू ना आपके साथ यहा तक..तो अब जाने को क्यू कह रहे हैं?”,उसने अपनी चूत को उसके लंड पे दबाया तो देवेन ने उसकी कमर पकड़ी & उसके जिस्म को उपर उठाया.रंभा उसका इशारा समझते हुए हाथ नीचे ले गयी & लंड को अपनी चूत का रास्ता दिखाया,”..ऊऊहह….!”
“क्यूकी यहा बहुत ख़तरा है.”,देवेन उसकी गंद को दबाते हुए नीचे से कमर उचका रहा था & रंभा उसके सीने पे अपनी भारी-भरकम चूचियाँ दबाए उसे चूमते हुए चुद रही थी,”..देखा नही कितनी ऊँची दीवार थी.उसका मतलब था कि वो कुच्छ च्छुपाना चाहता है दुनिया की नज़रो से.कोई ग़लत काम होता है वाहा & ये यहा की पोलीस या बाकी सरकारी लोगो की मिली-भगत के बिना मुमकिन नही..उउम्म्म्ममम..!”,उसने अपना सर उठाके रंभा की चूचियो को बारी-2 से मुँह मे भरना शुरू कर दिया.
“तो आप क्यू जा रहे हैं वाहा अकेले?..ओईईईईईईईई..!”,देवेन उसकी गंद मे उंगली घुसा रहा था & उसकी कमर अब तेज़ी से हिलने लगी थी.
“क्यूकी & कोई रास्ता नही,मेरी जान.”,रंभा ने मस्ती मे सर उपर कर लिया था & देवेन अब उसकी गर्देन चूम रहा था,”..मैं किसी तरह उस से मुलाकात कर ही लूँगा लेकिन अगर कुच्छ गड़बड़ हुई तो वो तुम्हारे पीछे आ सकते हैं.ये उसका इलाक़ा है & कोई ना कोई उसे बता ही देगा की तुम मेरे साथ देखी गयी थी..”,रंभा के होंठ खुले हुए थे मगर वो आह नही भर रही थी.उसने आँखे बिल्कुल कस के मीची हुई थी & उसकी कमर को जकड़े देवेन बहुत ज़ोर के धक्के लगा रहा था,”..इसीलिए हम यहा से अभी चेक आउट करेंगे & कह देंगे की वापस जा रहे हैं.तुम मुझे रास्ते मे उतार देना & खुद वापस क्लेवर्त चली जाना.”
“आन्न्ननणणनह..मुझे पास ही रखिए ना…..ऊऊहह..!”,वो उसकी जाकड़ मे कसमसाने लगी थी.देवेन ने उसके चेहरे के भाव देखे & उसकी चूत की हरकत महसूस की & समझ गया कि वो झाड़ गयी है.उसने फ़ौरन उसे पलट के अपने नीचे किया & चूमने लगा.
“प्लीज़ रंभा.मेरी बात मानो मेरी जान.”,वो उसे चूमते हुए चोद रहा था.रंभा मस्ती की इस लहर से नीचे उतरी नही थी की उसके प्रेमी ने उसे दूसरी लहर पे सवार करा दिया था,”..तुम वापस जाओ,मैं कल शाम 5 बजे तक अगर फोन ना करू तो समझलेना कि..-“,रंभा ने उसे 1 थप्पड़ लगाया & उचक के उसके होंठ अपने होंठो से सील दिए.उसकी आँखो के कोनो से 2 मोती की बूंदे उसके मस्ती मे & सुर्ख हो गये गालो पे ढालाक पड़ी.उसके जिस्म मे फुलझड़ियाँ छूट रही थी लेकिन दिल दिलबर की बात से उदास हो गया था.उसकी चूत सिकुड़ने लगी थी & उसकी तमन्ना की वो अपने महबूब के जिस्म के साथ 1 हो उस से हुमेशा-2 के लिए जुड़ी रहे,ना केवल उसके दिल बल्कि उसकी रूह मे भी पैबस्त हो गयी थी.देवेन का भी कुच्छ ऐसा ही हाल था & उसे यकीन नही हो रहा था की चंद घंटो मे ही वो लड़की उसकी ज़िंदगी बन गयी थी.रंभा झाड़ रही थी & जज़्बातो के तूफान से आहत हो ज़ोर-2 से सिसक रही थी.देवेन ने बाई बाँह उसकी गर्देन के नीचे लगा दाए हाथ मे उसके चेहरे को थाम उसे चूमते हुए अपनी मोहब्बत से उसे समझाने की कोशिश करने लगा & उसका लंड उसकी कोख को अपने वीर्य से भरने लगा.
शाम का ढुंदालका गहरा रहा था & देवेन झाड़ियो मे छुपा ये सोच रहा था कि देवी फार्म के अंदर घुसा कैसे जाए.उसने छुप-2 के फार्म की चारदीवारी के जायज़ा ले लिया था & उसे कही भी ऐसी कोई जगह नही दिखी जहा से अंदर जया जा सके.अब 1 ही रास्ता था की मेन गेट से घुसा जाए लेकिन गेट पे 2 हत्यारबंद गरॅड्स थे.उनके हथियार सामने तो नही थे मगर उनके कपड़ो के उभारो को देख समझ गया था कि उनकी बंदूके वही छिपि हैं.
तभी 1 काली टाटा सफ़ारी आती दिखी.वो कार गेट के सामने रुकी & उसका पीछे का 1 शीशा नीचे हुआ & अंडरबैठे आदमी ने बाहर पान की पीक फेंकी.देवेन की आँखे चमक उठी..यही था बालम सिंग.उसे बताया था उस आदमी ने की वो पान बहुत ख़ाता था फिर यहा का मालिक भी वही था.उसे गेट खोल सलाम ठोनकटे गुरदस से कार मे बैठा शख्स भी मालिक ही लग रहा था.
देवेन अब बेचैन हो उठा था.बालम सिंग को देख उसका दिल किया था कि उसी वक़्त दौड़ के कार से उसे उतार उस से दयाल के बारे मे पुच्छ ले लेकिन ऐसा करना बहुत बड़ी बेवकूफी होती.मगर उसकी तक़दीर शायद उसपे मेहेरबान थी.अंधेरा होते ही उसे 1 ट्रक आता दिखा.ट्रक गेट पे रुका & हॉर्न बजाया फिर ड्राइवर उतरा & गेट से बाहर आए 1 गार्ड से कुच्छ बात की.तब तक देवेन दबे पाँव च्छूपने की जगह से निकल ट्रक के पीछे आ गया था.देवेन ने देखा ड्राइवर & गार्ड ट्रक के बॉनेट के आगे बात कर रहे थे.उसने ट्रक के पीछे लगा कॅन्वस थोड़ा सा उठाके अंदर झाँका तो वो उसे खाली नज़र आया.वो फ़ौरन बिना आहट किए अंदर घुस गया.
"जल्दी चेक कर यार!",ड्राइवर गार्ड से बोल रहा था..देवेन घबरा गया..वो इधर आ रहे थे..उसने ट्रक मे इधर-उधर देखा & उसे 1 बड़ी सी प्लास्टिक शीट दिखी.वो फ़ौरन उसके नीचे घुस के लेट गया & अपनी साँसे रोक ली.
गार्ड आया & कॅन्वस उठाके टॉर्च की तेज़ रोशनी अंदर डाली,"ये क्या है भाई?"
"अरे प्लास्टिक शीट है,यार.",ड्राइवर ने जवाब दिया,"..माल को ढँकने के लिए.",उसने दबी आवाज़ मे कहा.
"हूँ.",गार्ड ने टॉर्च चारो तरफ घुमाई & फिर उतर गया.कुच्छ देर बाद ट्रक स्टार्ट हुआ & गेट खुलने की आवाज़ आई.ट्रक कोई 2 मिनिट तक चलने के बाद रुका.
"चढ़ाओ भाई समान.",ड्राइवर ट्रक से उतरा.
"अभी काफ़ी टाइम है भाई.जा खाना-वाना खा ले.",1 दूसरी आवाज़ आई,"..अभी 2 घंटे हैं."
"अच्छा.चलो तब तो खा के 1 नींद भी मार लेता हू!",ड्राइवर की आवाज़ दूर जा रही थी.देवेन शीट के नीचे से निकला & कॅन्वस हटा के बाहर देखने लगा.
“फ़र्ज़ करो की समीर नही है..”,महादेव शाह प्रणव के साथ अपने बुंगले के लॉन मे बैठा था.दोनो की सारी मुलाक़ातें यही होती थी केवल इसीलिए नही की बाहर उनके 1 साथ देखे जाने का उन्हे डर था पर इसीलिए भी की शाह बहुत ज़्यादा बाहर नही निकलता था.वो अपना सारा काम अपने बंगल से ही देखता था,”..तो उसके शेर्स रंभा को मिल जाएँगे.”
“हां.”
“तो ग्रूप की मालिको मे से सबसे मज़बूत पोज़िशन उसी की होगी है ना?”
“हां.”
“लेकिन ग्रूप को चलाने के लिए,रोज़ के फ़ैसले लेने के लिए 1 Cएओ की दरकार होगी.”
हां,वो ज़रूरत मैं पूरी करूँगा.”
“ऐसा तुम सोचते हो.”,शाह मुस्कुराया.
“मैं आपकी बात नही समझा.”
“तुम्हारा मानना है कि वो लड़की तुम्हारे कहे मे है & तुम्हे Cएओ की कुर्सी पे बिठाने मे वो ज़रा भी देर नही लगाएगी.”
“बिल्कुल.”
“प्रणव साहिब,दौलत के नशे से बड़ा नशा ताक़त का होता है.उस लड़की ने इनकार कर दिया तो?”
“मेरी सास रीता मेहरा & बीवी शिप्रा के पास भी शेर्स हैं.मैं बाकी शेर्होल्डर्स के साथ मिलके बोर्ड मीटिंग मे वोटिंग की बात कर सकता हू.”
“बिल्कुल कर सकते हो लेकिन वो लड़की भी ऐसा कर सकती है.”
“मगर कोई उसकी क्यू सुनेगा?!”,प्रणव झल्ला उठा था.
“क्यू नही सुनेगा!..प्रणव उसे कम मत आंको.समीर लापता हुआ था तब विजयंत मेहरा उसे दूध मे पड़ी मक्खी की तरह बाहर फेंक सकता था पर नही वो तो उसे अपने साथ ले गया अपने लड़के की तलाश मे.अगर विजयंत जैसा दिमाग़ दार शख्स ऐसा कर सकता है,इसका मतलब है वो लड़की मूर्ख तो नही है!”
“हां,ये तो है.”
“इसीलिए बहुत ज़रूरी है की उसे अपने काबू मे रखा जाए.”
“ब्लॅकमेल?”
“नाह..!”.शाह जैसे उसकी बात से झल्ला सा गया,”..ये बचकाने खेल हैं.मैं किसी तरह उस से मेलजोल बढ़ाता हू.मैं उस से तुम्हारी पैरवी नही करूँगा बल्कि उल्टे उसे ये एहसास कारवंगा की तुम मुझे पसंद नही करते & हम दोनो 1 दूसरे को देखना पसंद नही करते मगर जब वक़्त आएगा तो मैं भी उस से यही कहूँगा कि कंपनी की बागडोर संभालने के लिए तुमसे बेहतर शख्स कोई नही हो सकता.”
“& वो आपकी बात क्यू मानेगी?”
“दुश्मन की तारीफ से बड़ी तारीफ क्या हो सकती है!”,शाह मुस्कुरा रहा था,”..प्रणव,ट्रस्ट बहुत बड़ा जहाज़ है,बड़े से बड़ा तूफान झेलने का माद्दा है उसमे लेकिन अक्सर बड़े जहाज़ो को डूबने के लिए 1 छ्होटा सा सुराख ही काफ़ी होता है.हमे इस जहाज़ को समंदर का बादशाह बनके उसपे राज करना है,इसीलिए बहुत ज़रूरी है कि हम हर कदम फूँक-2 के उठाएँ.मुझे पता है कि मेरा प्लान ग़लत भी साबित हो सकता है लेकिन रंभा पे हर वक़्त नज़र रखने का & उसकी सोच को अपने हिसाब से मोड़ने का इस से बेहतर रास्ता मुझे नही दिख रहा.”
“हूँ.. ठीक है.जब वो डेवाले वापस लौटती है तो मैं आपको बताता हू फिर जो करना हो कीजिएगा.”,प्रणव खड़ा हो गया,”अब चलता हू.”,उसने शाह से हाथ मिलाया & वाहा से निकल गया.
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देवेन ट्रक से उतरा & चारो तरफ देखा.उसने देखा सामने 1 गोदाम जैसी इमारत थी.वो दबे पाँव उसके करीब गया & उसकी 1 खिड़की से अंदर झाँका.5 आदमी थे अंदर उस ड्राइवर समेट.1 किनारे 1 टेबल पे कुच्छ बर्तन रखे थे जिनमे से लेके वो पाँचो खाना खा रहे थे,”आराम से खाना.आज काफ़ी वक़्त है ,आराम से समान चढ़ाएँगे.”,बोलते हुए उस शख्स ने 1 कोने मे देखा तो देवेन की नज़र भी उधर गयी.वाहा फलों के गत्ते वाले कारटन रखे थे..यहा तो लेटास..सलाद के पत्ते उगाए जाते थे फिर ये सेब की तस्वीर वाले कारटन..वो सोच मे पड़ गया लेकिन उसे इस सब से क्या लेना-देना था.उसका मक़सद तो बालम सिंग से दयाल के बारे मे पुच्छना था.
वो वाहा से दबे पाँव दूसरी दिशा मे गया.सामने 1 बुंगला दिख रहा था मगर उसके आस-पास उसे बंदूक थामे लोग घूमते दिख रहे थे..उन कारटन्स मे कुच्छ तो ग़ैरक़ानूनी था.वो सोच मे पड़ गया की बालम सिंग तक पहुचे कैसे & उस से भी ज़रूरी बात की उस से मिलने के बाद यहा से निकले कैसे.कुच्छ ऐसा करना था कि फार्म के गेट उसके लिए खुद बा खुद खुलें & वो बाहर निकल जाए.क्या किया जा सकता था ऐसा..वो सोच रहा था कि उसकी निगाह 1 कोने मे पड़ी.
वो 1 गॅरेज था जहा अभी कोई नही था.वो उसके अंदर गया & उसे वाहा 1 फोन भी रखा दिखा..बस उसका काम हो गया.उसने फोन उठाया 101 नंबर घुमाया,”हेलो,फिरे ब्रिगेड..मैं देवी फार्म से बोल रहा हू..यहा आग लग गयी है..जल्दी आएँ वरना पूरा फार्म खाक हो जाएगा!”,घबराई आवाज़ मे बोल उसने फोन काट दिया.सनार था तो 1 गाँव मगर अपने फार्म्स की वजह से यहा की आमदनी से सरकार को भी काफ़ी मुनाफ़ा हो रहा था & अब ज़रूरत की बुनियादी चीज़ें यहा दिखने लगी थी.देवेन ने दिन मे ही बस ताज़ा खुले फिरे स्टेशन को देखा था.बस 1 दमकल की गाड़ी थी मगर थी तो!
उसके बाद उसने डीजल के कॅन खोल कर गॅरेज मे बहाना शुरू किया.सारे डीजल से गॅरेज को अच्छे से भिगोने के बाद उसने सिगरेट सुलगाई & 1 काश ले उसे ज़मीन पे फेंका & भागा वाहा से.चंद पॅलो मे ही गॅरेज धू-2 करके जल रहा था.आग की लपटें उसके साथ लगी उस गोदाम जैसी इमारत को भी च्छुने लगी थी.देवेन जिस ट्रक से आया था उस से थोड़ा हटके 1 दूसरा ट्रक भी लगा था.देवेन उसी मे च्छूपा था.उसने देखा कि फार्म मे कोहराम मच गया.सभी पानी लेके आग बुझाने की कोशिश मे लग गये.
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क्रमशः.......
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