RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--55
गतान्क से आगे......
कुच्छ पलो बाद जब उसे ये भरोसा हो गया तो वो अपनी उंगली को उसकी चूची पे दायरे की शक्ल मे घुमाने लगा.उंगली चूची की पूरी गोलाई पे घूमते हुए उसके निपल की ओर बढ़ रही थी & निपल पे पहुँचते ही उसने उसे ऐसे दबाया जैसे कोई बटन दबा रही हो.रंभा चिहुनकि और अपना सीना और आगे कर दिया.देवेन अब उसकी चूचियो को सख़्त हाथ से दबाने लगा.रंभा उसकी गोद मे कसमसाते हुए आहे भरने लगी.
देवेन ने उसके सीने के उभारो को जम के मसला.रंभा के चेहरे पे शिकन पड़ गयी थी.उसे बहुत मज़ा आ रहा था.उसके जिस्म मे दर्द उठने लगा था,मीठा दर्द & उसकी चूत तो रस की धार बहा ही रही थी.वो अपने होंठो को अपने ही दन्तो से काट रही थी.देवेन तो जैसे उसे भूल ही गया था और उसे बस उसकी चूचियाँ ही दिख रही थी.वो उन्हे देखते हुए उन्हे दबा रहा था.रंभा ने उसका चेहरा पकड़ के उपर किया तो उसने उसे चूम लिया.बहुत देर तक वो उसकी चूचियाँ दबाते हुए,उसके निपल्स को रगड़ते हुए उसे चूमता रहा.
उसके बाद वो नीचे हुआ & उन मस्ती भरे उभारो को अपने मुँह मे भर लिया.उसकी बाई बाँह पे टिकी रंभा पीछे झुक ज़ोर-2 से आहें भरने लगी.देवेन की आतुर ज़ुबान उसकी चूचियो को मुँह मे भर चाट रही थी & वो अपनी भारी जंघे आपस मे रगड़ते हुए अपनी चूत को समझा रही थी.रंभा के दिल मे भी अपने प्रेमी के जिस्म को चूमने की ख्वाहिश हुई & वो आगे हुई & अपने सीने से देवेन का सर उपर उठाया & झुक के वैसे ही उसके सीने को चूमने लगी जैसे वो उसके सीने को चूम रहा था.
वो मस्त आवाज़ें निकालते हुए उसके सीने के घने बालो मे अपनी नाक घुसा के रगड़ रही थी & उसके निपल्स को चूस रही थी.देवेन जैल से निकलने के बाद कयि औरतो के साथ हुम्बिस्तर हुआ था.कुच्छ पेशेवर थी & कुच्छ वो थी जिन्हे उस से रिश्ता जोड़ने की उम्मीद थी.उन सभी औरतो मे से किसी ने आज तक उसके निपल्स के साथ ऐसे खिलवाड़ नही किया था.वो आहे भरते हुए उसकी पीठ पे हाथ फिराने लगा .रंभा उसके सीने को चूमते हुए थोड़ा नीचे गयी & फिर उपर आ उसे बाहो मे भर उसके सीने मे मुँह च्छूपा लिया.
उसने उसकी ठुड्डी पकड़ चेहरा उपर किया & उसे चूमने लगा और चूमते हुए उसकी मखमली जाँघो के अन्द्रुनि हिस्सो को सहलाने लगा.रंभा ने जंघे भींच उसके हाथ को क़ैद कर लिया लेकिन फिर भी वो उसकी जाँघो को सहलाता रहा.रंभा अब जोश मे पागल हो गयी थी.उसने बेचैनी से अपनी कमर हिलाई तो देवेन ने उसकी हालत समझते हुए उसे बिस्तर पे लिटा दिया & उसकी पॅंटी खिचने लगा.पॅंटी उसकी चूत से चिपकी हुई थी & जब वो उसके जिस्म से अलग ही तो देवेन उसे सूंघने से खुद को रोक नही पाया.
अब वो उसके सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी & उसका हुस्न अपने पूरे शबाब मे उसके सामने था.रंभा को बहुत शर्म आ रही थी.वो चाह रही थी कि अपने जिस्म को ढँक ले मगर उसकी ये भी ख्वाहिश थी कि देवेन उसके जिस्म को भरपूर प्यार करे.अब ये उलझन तो 1 ही सूरत मे सुलझ सकती थी,अगर वो देवेन के जिस्म को खुद पे ओढ़ ले तो.
"आन्न्नणणनह..!",वो ख्यालो मे खोई थी कि देवेन उसकी जाँघो को चूमने लगा था.उसने तड़प के करवट ले ली & देवेन उसकी चौड़ी गंद को चूमने लगा.उसके सख़्त हाथ उसकी गंद को दबाने लगे & वो उसकी कमर के मांसल हिस्से को चूमने लगा.रंभा अब मस्ती मे बिल्कुल पागल हो चुकी थी.बिस्तर की चादर को ज़ोर से भींचते हुए वो आहे भरे जा रही थी.देवेन ने उसे सीधा किया & उसकी जंघे फैला दी.उसने उन्हे फिर से बंद कर लिया लेकिन उसने उसकी अनसुनी करते हुए उन्हे फैलाया & उसकी चूत पे झुक गया.
"हे भगवांनननननणणन्..हाईईईईईईईईई.......!",रंभा चीखी & बिस्तर पे छटपटाने लगी. उसका प्रेमी उसकी चूत चाट रहा था और उसकी ज़ुबान अपने दाने पे महसूस करते ही वो झाड़ गयी थी.उसने देवेन के सर को अपनी मोटी जाँघो मे दबा दिया तो देवेन ने जीभ उसकी चूत मे काफ़ी अंदर तक उतार दी.उसके हाथ उपर आए और अपनी महबूबा की चूचियो पे कस गये.रंभा कभी बेचैनी मे उसके सर के बाल नोचती तो कभी चूचियाँ मसल्ते उसके हाथो पे अपने हाथ दबाती.ना जाने कितनी देर तक वो उसकी चूत से बहते रस को चाटता रहा और वो झड़ती रही.देवेन ने उस जैसी हसीन लड़की नही देखी थी.वो उसे खास लगने लगी थी-शायद सुमित्रा की वजह से.
वो उसके जिस्म को प्यार कर उसे दुनिया की सारी खुशियो से वाकिफ़ कराना चाहता था.उसकी नाज़ुक,गुलाबी,कसी चूत देख उसका दिल खुशी और जोश से भर गया था & उसने उसे जी भर के चटा,चूमा & चूसा था.अपनी उंगली उसमे घुसा उसने उसकी कसावट महसूस की थी और उसका लंड उस एहसास से और सख़्त हो गया था.
रंभा ने नशे मे बोझल पॅल्को को थोड़ा सा खोला तो देखा कि देवेन अपना अंडरवेर उतरने ही वाला है.ठीक उसी वक़्त उसके दिल ने कहा कि उसका लंड विजयंत के लंड जैसा ही होगा & जब अंडरवेर नीचे सरका तो सच मे सामने 9.5 इंच का लंड तना खड़ा था.रंभा ने उसे देखा & अपने नीचे के होंठ को धीरे से काटा.देवेन का दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था..ये क्या हो रहा था उसे?..ये तो वोही एहसास था जो उसे सुमित्रा के करीब आने पे होता था..मगर सुमित्रा को कभी उसने चोदा नही था..फिर आज क्यू वही एहसास उसके दिल मे उमड़ रहा था?
"आन्न्न्णनह..!",उसने रंभा की जंघे फैलाई & अपने लंड को हाथ मे थाम उसकी चूत के दाने पे हल्के से मारा.रंभा जैसे दर्द से च्चटपताई.लंड की मार उसे जोश से पागल कर रही थी.अभी तक आहो के सिवा दोनो कुच्छ नही बोले थे & इस वक़्त भी रंभा ने बस कतर निगाहो से अपने आशिक़ को देखा मानो मिन्नत कर रही हो कि और ना तडपाए और दोनो जिस्मो की दूरी को अब हमेशा-2 के लिए मिटा दे.देवेन ने उसकी आँखो को पढ़ लिया & इस बार लंड को उसकी गीली चूत की दरार पे रख आगे झुका.
"आआहह..!"
"ओईईईईईईईईईईईईईईईईई....माआआआआआआआअ..!",दोनो प्रेमी कराह,देवेन उसकी चूत के बेहद कसे होने की वजह से & रंभा उसके लंड की लूंबाई & मोटाई से.देवेन का लंड विजयंत से मोटा था & इस वक़्त अंदर जाते हुए वो रंभा की चूत को बुरी तरह फैला रहा था.रंभा को वही मस्ताना एहसास हुआ जो विजयंत के साथ होता था बल्कि उस से भी कुच्छ ज़्यादा!
देवेन ने झांतो तक लंड को उसकी चूत मे धंसा के ही दम लिया.जैसे ही लंड का सूपड़ा उसकी कोख से सटा रंभा के जिस्म ने झटका खाया & वो झाड़ गयी.रंभा हैरत & खुमारी मे आहें भरने लगी..उसकी मर्दानगी की कायल हो गयी वो उसी पल!..अभी बस लकंड अंदर घुसा था और वो झाड़ गयी थी.
देवेन भी उसकी चूत के सिकुड़ने-फैलने की जानलेवा हरकत से चौक गया था और बड़ी मुश्किल से उसने खुद को झड़ने से रोका था.उसने अब बहुत धीमे और लंबे धक्को से उसकी चुदाई शुरू की.वो लंड पूरा बाहर खींचता और फिर जड तक अंदर घुसा देता.लंड कोख से टकराता तो रंभा के जिस्म मे मानो सितार बजने लगते.वो खुशी मे पागल हो गयी & उसने अपने आशिक़ को अपनी नाज़ुक,गुदाज़ बाहो मे कस लिया & उसके चेहरे पे अपने आभारी होंठो से चूमने लगी.देवेन का लंड उसकी चूत की दीवारो को भी रगड़ रहा था.उसके हाथ उसकी छातियो को मसला रहे थे और होंठ उसके चेहरे से लेके सीने तक घूम रहे थे.रंभा 1 बार फिर मस्ती के आसमान मे ऊँचा उड़ने लगी थी.उसकी चूत से बहते रस की हर तेज़ हो गयी थी.
उसी वक़्त देवेन ने अपनी बाई बाँह उसकी गर्दन के नीचे लगाई और उसे चूमते हुए उसकी बाई जाँघ पे अपना दाया हाथ बेसब्री से फिराने लगा.रंभा ने अपनी टाँगे उसकी कमर पे कैंची की तरह कस दी & कमर उचकाने लगी.देवेन की चुदाई उसे जोश से भर रही थी & उसने टाँगो को नीचे कर उसकी जाँघो पे फँसाया & उनके सहारे & ज़ोर-2 से कमर उचकाने लगी.
देवेन का दाया हाथ मस्ती मे पागल हो उसकी कमर को सहलाते हुए नीचे गया & उसकी गंद की बाई फाँक को दबोच लिया.रंभा ने सर झटकते हुए आह भरी तो देवेन ने उसकी गंद को दबोचे हुए बाई तरफ करवट ले ली.अब दोनो करवट से लेटे हुए थे & रंभा की बाई टाँग देवेन के उपर चढ़ि हुई थी & वो उसे बाँहो मे भरे मदहोश हो चूमे जा रही थी.देवेन उसकी गंद को सहलाता,उसकी दरार मे उंगली फिराता धक्के तेज़ कर रहा था.रंभा उस से बिल्कुल चिपकी हुई थी & उसके नाख़ून देवेन के कंधो & पीठ पे घूम रहे थे.
"उउफफफफफफफफफ्फ़..ओईईईईईईईईईई..माआआआआअ..हाआआआआअन्न्नननननननणणन्..!",रंभा ने देवेन के दाए गाल से बाया गाल सटाया हुआ था & उसकी बाई टांग उसकी कमर पे चढ़ि बेचैनी से उपर-नीचे हो रही थी.उसकी कमर आगे-पीछे हो रही थी & जिस्म झटके खा रहा था-वो झाड़ रही थी.देवेन को लंड पे फिर से उसकी चूत की क़ातिल कसावट महसूस हुई & उसके होंठ महबूबा की गर्दन से चिपक गये.
देवेन ने फ़ौरन करवट ली & इस बार पीठ के बल लेट गया.अब रंभा उसके उपर लेटी उसकी गर्दन मे मुँह च्छुपाए साँसे संभाल रही थी.देवेन उसकी पीठ सहला रहा था.कुच्छ पलो बाद देवेन ने उसके रेशमी बालो को उसके चेहरे से हटाया & उसके चेहरे को उपर कर चूमा & फिर उसके कंधे थाम उसे उपर किया.रंभा उसके दोनो तरफ घुटने जमाए उपर हुई.
देवेन की निगाहे अपने होंठो के ताज़ा निशानो से ढँकी उसकी चूचियो से टकराई तो वो खुशी से चमकने लगी.उस चमक को देख रंभा शर्मा गयी & उसने अपने हाथो से अपने दिलकश उभारो को च्छूपा लिया.देवेन ने उसके हाथ पकड़ के उसके सीने से हटाए और अपनी उंगलिया उसकी उंगलियो मे फँसा उन्हे अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.उसकी आँखे रंभा के हया और मदहोशी से भरी सूरत से लेके उसकी गीली उसके लंड को अपने अंदर ली चूत तक घूमने लगी.
रंभा ने उसकी निगाहो की तपिश से आहत हो हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो देवेन ने हाथो को और मज़बूती से थाम नीचे से कमर उचकाई.
"ऊव्ववव..!",रंभा चिहुनकि मगर उसकी कमर खुद ब खुद हिलने लगी और 1 बार फिर दोनो की चुदाई शुरू हो गयी.कुच्छ ही पल मे रंभा अपने बाल झटकती,जिस्म को कमान की तरह मोडती तेज़ी से कमर हिला रही थी.मस्ती मे पागल हो वो नीचे झुकी & देवेन के हाथ उसके सर के दोनो तरफ जमाते हुए उसे चूमने लगी.देवेन उसकी मदहोशी का पूरा लुत्फ़ उठा रहा था.रंभा उसके सीने को चाट रही थी,उसके निपल्स को काट रही थी.उसकी चूत मे फिर से कसक बहुत क़ातिल हो गयी थी & उसकी कमर बहुत तेज़ी से हिल रही थी.
"उउन्न्ञणणनह...आआहहाआआन्न्नननणणन्......!",उसने सर उठा लिया था और उसकी पकड़ देवेन के हाथो पे ढीली हो गयी थी.देवेन ने फ़ौरन उसे बाहो मे भर लिया & करवट ली.दोनो की जद्ड़ोजेहाद से बिस्तर की चादर मूड के 1 कोने मे पहुँच गयी थी & पलंग से नीचे लटक रही थी.देवेन अब अपनी प्रेमिका की चूत मे झाड़ अपने अरमानो को पूरा करना चाहता था.उसकी बाई बाँह अभी भी उसकी गर्दन के नीचे थे.उसने उसे अपने से चिपका के अपने नीचे दबा धक्का मारा तो रंभा कस कर बिस्तर से नीचे लटक गया.
देवेन उसके उपर झुका उसकी गर्दन चूमता उसे चोदने लगा.रंभा अब चीख रही थी.शायद दोनो की आवाज़ें बाहर गाँव की सड़क पे भी सुनाई दे रही थी.जो भी हो,उन दोनो को अब किसी बात की परवाह नही थी.देवेन का दाया हाथ उसके जिस्म के नीचे से उसके बाए कंधे को थामे था & अब उसके धक्के बहुत तेज़ हो गये थे.रंभा समझ गयी थी कि वो भी अपनी मंज़िल तक पहुचना चाहता है.उसके हाथ भी उसके बालो को खींच रहे थे.उसकी चूत की कसक अब चरम पे पहुँच रही थी.
देवेन का लंड उसकी चूत को ऐसे भरे हुए था की उसे पूरा जिस्म भरा-2 लग रहा था.उसके दिल मे कुच्छ बहुत मीठा,कुच्छ बहुत नशीला भरने लगा था.उसे ऐसा शिद्दत भरा एहसास पहले कभी नही हुआ था और वो मस्ती मे आहत हो च्चटपटते हुए देवेन की पीठ नोचने लगी थी.उसकी टाँगे उसकी जाँघो पे चढ़ि उपर -नीचे हो उसकी टाँगो के बालो मे खुद को रगड़ रही थी.देवेन के दिल मे भी खुशी भरी हुई थी-वो खुशी जिसे वो भूल गया था.रंभा को खुद से चिपकाए वो उसे चूमते हुए अब क़ातिल धक्के लगा रहा था.
"ऊऊऊऊहह..!",रंभा आह भरते हुए उचकी और देवेन की गर्दन के ठीक नीचे पागलो की तरह चूमने लगी.उसकी चूत ने अपनी मस्तानी हरकत शुरू कर दी थी & देवेन भी अब आख़िरी धक्के लगा रहा था.रंभा के होंठो ने अपनी छाप छ्चोड़ने के बाद देवेन के सीने को छ्चोड़ा & वो मदहोशी मे 'ओ' के आकर मे गोल हो गये.रंभा का सर बिस्तर से नीचे लटक गया था & उसके हाथ भी.उसके होंठ थारथरा रहे थे & जिस्म कांप रहा था.झड़ने की ऐसी शिद्दत उसने कभी महसूस नही की थी कि तभी वो बहुत ज़ोर से करही,",ऊऊवन्न्नणणनह..!"
"तड़क्कककक..!",उसने अपने चेहरे को पागलो की तरह चूमते देवेन को चांटा मार दिया था.रंभा की आँखो से आँसू छलक गये.देवेन के लंड ने उसकी कोख से टकराते हुए अपने वीर्य की गर्म बारिश सीधा उसके अंदर की थी & उस बौच्हर ने उसके जिस्म को फिर से झाड़वा दिया था.वो उस गहरे एहसास को बर्दाश्त नही कर पाई थी & उस वक़्त देवेन के होंठो की च्छुअन भी वो झेल नही पाई & उसका हाथ उठ गया.वो ज़ोर-2 से सूबक रही थी.देखने वाले को ये लगता कि लड़की तकलीफ़ मे है जबकि सच्चाई ये थी कि उस लड़की ने वो बेइंतहा खुशी पाई थी जिसके आबरे मे उसके सपने मे भी नही सोचा था.
देवेन ऐसे कभी नही झाड़ा था.इतनी कसी चूत मे उसने कभी अपना लंड नही घुसाया था & झाड़ते वक़्त जो खुशी उसे मिली वो बिल्कुल अनूठी थी लेकिन रंभा के थप्पड़ ने उसे हैरत मे डाल दिया & उसे लगा कि उसने कुच्छ ग़लत किया है.आजतक जब भी उसने चुदाई की थी उसके साथ की लड़की झड़ी ज़रूर थी मगर इस तरह से उसने किसी को झाड़ते नही देखा था.उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या करे & वो वैसे ही उसे बाहो मे थामे पड़ा रहा.
काफ़ी देर बाद रंभा होश मे आई & उसकी रुलाई रुकी तो उसने खुद को चिंता से देखते देवेन को देखा.कहते हैं दिल से दिल को राह होती है & उस पल जैसे इसी बात को सच साबित करते हुए रंभा का दिल देवेन की उलझन समझ गया.वो फ़ौरन उपर उचकी & उसे बाहो मे भर उसके गाल को चूमने लगी.देवेन ने वैसे ही सिकुदे लंड को चूत मे डाले हुए उसे बाहो मे भर उसके सर को उपर बिस्तर पे किया.
"सॉरी,आपको मारा मैने.",रंभा की आँखो मे अभी भी नशे के डोरे दिख रहे थे,"..मगर आपने मुझे ऐसे प्यार किया,जैसे कभी किसी ने नही किया है..& मैं वो खुशी झेल नही पाई थी.",बात समझते ही देवेन के होंठो पे मुस्कान आ गयी & उसने उसे गले से लगा लिया,"आइ लव यू."
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क्रमशः.......
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