Desi Kahani Jaal -जाल
12-19-2017, 10:40 PM,
#55
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--54

गतान्क से आगे......

उंगली बटन से उपर गयी फिर अंगूठे के साथ मिल कर बॉटन को खोल दिया.रंभा ने दोनो होंठ दन्तो मे दबा लिए.देवेन आगे झुका & उस खुले बटन के पीछे के हिस्से को बहुत हल्के से चूम लिया.रंभा ने आह भरते हुए सर पीछे कर लिया.देवेने ने उसके बाए हाथ मे बँधी घड़ी की चैन मे अपनी उंगली फँसाई & खड़ा होते हुए उसी चैन से रंभा के हाथ को उठाने लगा.अब वो रंभा के सामने खड़ा था & उसका हाथ उसने उपर ले जाके उसके सर के उपर दीवार से लगा दिया था.वो रंभा के चेहरे को निहार रहा था..सुमित्रा उसके करीब थी..उसके सामने थी..वही लरजते होंठ..वही दिलकश सूरत..वही शर्मोहाया & वही मस्ती!

उसकी निगाहो की तपिश को झेलना रंभा के नैनो के बस मे नही था.उसने आँखे बंद कर ली.पल-2 देवेन की गर्म साँसे उसके चेहरे के & करीब आ रही थी.उसके होंठ खुद बा खुद खुल गये थे.अगेल ही पल उसके जिस्म मे सिहरन दौड़ गयी.देवने के तपते होंठ उसके नर्म लबो से आ लगे थे.वो बस अपने लबो से उसके होंठो को सहला रहा था.रंभा की साँसे धौकनी की तरह चल रही थी.उसके काँपते होंठ देवेन के होंठो से मिलने को बेकरार हो रहे थे & जैसे ही देवेन ने होटो का दबाव बढ़ाया,रंभा ने भी उसे चूम लिया & उसकी आँखो से आँसुओ की 2 बूंदे टपक पड़ी.ये खुशी के आँसू थे.देवने के चूमने गर्मजोशी थी,शिद्दत थी लेकिन उस से भी ज़्यादा 1 एहसास था हिफ़ाज़त का,सुकून का.रंभा ने खुद को पूरी तरह से उसके हवाले कर दिया था.वो उसके होटो को बस अपने होंठो से चूम रहा था.अभी तक ज़ुबान फिराई तक नही थी उसने & रंभा की चूत का बुरा हाल हो गया था.

रंभा ने बेसबरा हो अपने दाए हाथ को थोड़ा आयेज कर देवेन के बाए हाथ को थाम दोनो की उंगलियो को आपस मे फँसा लिया था.देवेन उसके बाए हाथ को उपर दीवार पे सटा अपने दाए हाथ को उसकी कलाई से नीचे सरका रहा था.रंभा की बाँह का अन्द्रुनि हिस्सा बहुत मुलायम था & उसकी छुअन ने देवेन के लंड को बिल्कुल सख़्त कर दिया था.

“हाआअन्न्‍न्णनह..!”,रंभा गुदगूदे एहसास से चिहुनक & किस तोड़ दी.देवेन का हाथ उसकी गुदाज़ बाँह पे फिसलता हुआ बिकुल नीचे बाँह की बगल से आ लगा था & उस कोमल जगह पे उसकी उंगली के फिरने से उसे गुदगुदी महसूस हुई थी & उसने बाँह नीचे कर ली थी.देवेन ने फिर से बाँह को उपर दीवार से सटा दिया & उसकी आँखो मे देखने लगा.उन नज़रो मे उसकी चाहत थी & रंभा को उनमे दिखती उसके इश्क़ की ख्वाहिश ने खुशी से भर दिया.उन नज़रो मे उसके जिस्म की हसरत भी थी & उस एहसास को समझते ही रंभा के चेहरे की लाली & बढ़ गयी & उसकी पलके बंद हो गयी.

देवेन के होंठ उसके गालो को चूम रहे थे.रंभा गर्दन घुमा के अपने गुलाबी गाल उसे पेश कर रही थी & जैसे ही वो नीचे हुआ उसने सर उठा अपनी गोरी गर्दन अपने महबूब की खिदमत मे पेश कर दी.वो हौले-2 मुस्कुराती हुई बस उस रोमानी लम्हे का मज़ा ले रही थी.देवेन के होंठ उसके गले से उसके दाए कंधे पे पहुँचे & वो चूमते हुए अपनी नाक से उसकी वेस्ट & ब्रा के स्ट्रॅप्स को नीचे करने की कोशिश करने लगा.रंभा को फिर से गुदगुदी हुई & उसने कंधा सिकोडा लेकिन देवेन को दूर करने की कोई कोशिश नही की.वो उसके स्ट्रॅप्स को कंधे के किनारे पे कर के वाहा पे चूम रहा था.कुच्छ देर बाद उसके होंठ उसकी गर्दन के नीचे के गड्ढे को चूमते हुए दूसरे कंधे पे पहुँचे.

“आन्न्न्नह..!”,रंभा चिहुनक के बाँह नीचे करने लगी क्यूकी देवेन के होंठ उसकी चिकनी बगल से जा लगे थे.देवने उस जगह के उतने मुलायम होने से हैरान था.वाहा के बाल कितने भी साफ कर लो,वो जगह औरत के बाकी जिस्म की तरह उतनी कोमल नही होती लेकिन रंभा को तो उपरवाले ने कुच्छ ज़्यादा ही फ़ुर्सत मे बनाया था.देवेन ने उसकी बाँह को मज़बूती से दीवार से लगे & अपनी ज़ुबान से उसकी बगल को चखने लगा.रंभा की सांस अटक गयी,ऐसे वाहा पे उसे किसी ने प्यार नही किया था.देवने की आतुर ज़ुबान से उसे गुदगुदी के साथ सिहरन भरा एहसास हो रहा था.उस अनूठे एहसास को उसका जिस्म ज़्यादा नही झेल पाया & देवेन के बाए हाथ की उंगलियो को बहुत ज़ोर से कसते,काँपते हुए आहे भरती रंभा झाड़ गयी.

वो गिर ही जाती अगर देवेन उसकी कमर को जाकड़ उसे बाहो मे थाम ना लेता.उसने भी अपने हाथ उसके कंधो पे रख दिए थे.वो उसके लंड की सख्ती महसूस कर रही थी & वो भी उसके मुलायम जिस्म के आकार को अपने जिस्म से मिलते महसूस कर रहा था.दोनो की नज़रे आपस मे उलझी हुई थी & उनके रास्ते 1 दूसरे का हाल दोनो को मिल रहा था.देवेन ने उसे वैसे ही उठा लिया & लिए-दिए बिस्तर पे लेट गया.उसके जिस्म के भार के नीचे दबी रंभा ने अपनी बाहे उसकी गर्दन पे कस प्यार से उसके बालो मे हाथ फेरा & दोनो के होंठ 1 शिद्दत भरी किस मे जुड़ गये.दोनो 1 दूसरे की ज़ुबानो से खेल रहे थे,उन्हे चूस रहे थे.उनके हाथ 1 दूसरे के चेहरे पे घूम रहे थे अपनी हसरत,अपनी बेकरारी बयान कर रहे थे.दोनो को अब कोई होश नही था सिवाय इसके के की उनकी पसंद के शख्स का जिस्म उनकी बाहो मे है & वो उसे जी भर के प्यार कर सकते हैं.

काफ़ी देर के बाद जब सांस लेने की ज़रूरत महसूस हुई तो दोनो के लब जुदा हुए.दोनो तेज़ी से साँसे लेते हुए 1 दूसरे को देख रहे थे.रंभा ने नशीली आँखो से देखते हुए अपने अरमानो को ज़ाहिर करते हुए देवने के सीने पे हाथ फिराए तो उसने उसके हाथ शर्ट की बटन पे रख दिए.रंभा को उसकी गर्म निगाहो से शर्म आ रही थी.उसने मुँह फेर लिया & बटन खोलने लगी.आख़िरी बटन खोल उसने अपनी मा के प्रेमी-जोकि अब उसका प्रेमी बन चुका था,को देखा तो वो उठा & अपनी कमीज़ निकाल दी.उसका चौड़ा सीना ज़्यादातर सफेद & कुच्छ काले घने बालो से पूरा ढँका हुआ था.

रंभा का दिल खुश हो गया & उसके हाथ देवेन के सीने पे चले गये.उसकी आँखो मे उसके जिस्म की तारीफ उतर आई थी & वासना के डोरे भी.सीने के बालो को हसरत से छुते हुए उसने उपर देखा तो देवेन को खुद को देख मुस्कुराते पाया & शर्मा के उसने हाथ खीच लिए.देवेन हंस दिया & उसके चेहरे पे उंगली फिराने लगा.रंभा ने आँखे बंद कर चेहरा दाई तरफ घुमा लिया....आज उसका इंतेज़ार ख़त्म हुआ!..सुमित्रा उसके साथ थी..& वो उसे अपना बनाने वाला था!देवेन की उंगली उसके चेहरे से उतर के उसकी गर्दन से होते हुए उसके क्लीवेज के पास आ के रुकी.रंभा धड़कते दिल से सीने के उभारो को उपर-नीचे करते उसे देखने लगी.

देवेन की उंगली 1 पल को वाहा रुक उसके बाए कंधे पे गयी & उसकी वेस्ट के स्ट्रॅप को नीचे सरका दिया.रंभा ने भी कंधे सिकोड उसे उतरने की इजाज़त दे दी.देवेन ने उसके दूसरे कंधे से भी स्ट्रॅप उतार वेस्ट को उसके सीने के नीचे सरका दिया.काले ब्रा मे क़ैद रंभा की चूचियाँ उसकी सांसो की बेकरारी की कहानी कहती उपर-नीचे हो रही थी.देवेन का हाथ उतरी वेस्ट के नीचे उसके पेट पे रखा था & वाहा धीरे-2 सहला रहा था.दोनो 1 तक 1 दूसरे को देखे जा रहे थे.

वो फिर झुका & उसे चूमने लगा.उसने रंभा के चेहरे को अपनी किस्सस से ढँक दिया.वो उसके बालो को सहलाती उसके होंठो का लुत्फ़ उठा रही थी.देवेन उसके सीने पे आया मगर चूमा नही.रंभा अब तड़प रही थी उसके होंठो और हाथो को वाहा महसूस करने के लिए.उसकी चूत बहुत ज़्यादा कसमसा रही थी.देवेन उसके सीने के उभारो को देखता हुआ नीचे आया & उसकी वेस्ट उठाके उसके पेट को चूमने लगा.गोल पेट पे उसके तपते लब महसूस करते रंभा की आहे निकलनी शुरू हो गयी.

देवेन के होंठो मे गर्मजोशी थी,जोश था लेकिन वो ज़रा भी बेसब्र नही था.उसके पास मानो वक़्त ही वक़्त था रंभा को प्यार करने के लिए & खुद के झड़ने की उसे जैसे कोई चिंता ही नही थी!.रंभा की नाभि मे दाए हाथ की सबसे बड़ी,बीच की उंगली घुसा के उसे कुरेदते हुए जब उसने उसमे हौले से जीभ फिराई तो रंभा ने बदन को कमान की तरह मोड़ लिया.उसकी नाभि की गहराई नाप के देवेन उसके पेट को & चूमने के बाद देवेन ने & नीचे का रुख़ किया.

उसने जीन्स के उपर से ही रंभा की जाँघो को चूमा.कसी जीन्स & पॅंटी के अंदर उसकी चूत अब बिल्कुल बावली हो गयी थी.देवेन उसके पैरो तक पहुँच गया था & अब उसकी उंगलिया चूस रहा था.उसने उसके तलवे चूमे & फिर से उसकी टांगो के रास्ते उसकी जाँघो तक आ गया & उसकी चूत के उपर आया..क्या कर रहा है वो?..ये सुमित्रा की बेटी है..उसके साथ ये सब..उसका दिल उसे अचानक रोकने लगा था..तो क्या हुआ?..वो भी चाहती है तुम्हे..आगे बढ़ो..बुझाओ अपनी & उसकी प्यास..

रंभा शायद उसकी उलझन समझ गयी थी.देवेन का दाया हाथ उसके पेट पे था & वो उसके उपर झुका कशमकश मे पड़ा था.उसने अपना बया हाथ उसके पेट पे रखे हाथ पे रखा & उसे उठाके अपनी जींस के ज़िप पे रख दिया.देवेन ने गर्दन घुमा उसे देखा तो रंभा ने हां मे सर हिलाया.देवेन उसे देखे जा रहा था.उसकी आँखो मे इजाज़त दिख रही थी उसे..हसरत भी..जोश भी..खुमारी भी..वो सारे एहसास जो उसके दिल मे भी घूमड़ रहे थे.रंभा ने उसके ज़िप पे रखे हाथ को दबाया तो उसके हाथ ने खुद बा खुद ज़िप नीचे खींच दी.

देवेन ने चौंक के ज़िप की तरफ देखा & फिर रंभा की तरफ.वो मुस्कुरा रही थी.उस मुस्कान मे बस खुशी थी,केवल खुशी.देवेन के होंठो पे भी वैसी ही मुस्कान खेलने लगी & उसके हाथ रंभा की जीन्स के वेयैस्टबंड मे फँस गये.उसने बहुत प्यार से जीन्स को नीचे खींचा.रंभा ने कमर उपर उचका दी & वो उसकी कसी जीन्स को धीरे-2 नीचे करने लगा.वो उसके पैरो के पास गया & जीन्स को पकड़ के नीचे किया.उसके कपड़े उतरने मे कोई जल्दबाज़ी नही थी.रंभा को पता था की वो बहुत जोश मे है लेकिन उस वक़्त भी उसे उसका ख़याल था & वो हर काम उसके आराम & मज़े को मद्देनज़र रख के कर रहा था.

देवेन ने जीन्स पूरी खींच दी & काली ब्रा & पॅंटी मे बिस्तर पे लेटी लंबी-2 साँसे लेती रंभा को निहारने लगा.रंभा को शर्म आ रही थी..वो पहली बार उसके सामने इस हालत मे थी..नही..ग़लत थी..वो क्लेवर्त मे विजयंत के साथ उसने उसे उसके पूरे नंगे शबाब मे देखा था..हया ने अब तो उसे पूरा आ घेरा & उसने आँखे बंद कर ली.कुच्छ देर तक जब उसने देवेन के हाथो को अपने जिस्म पे महसूस नही किया तो उसने अपनी हया को समझा-बुझा के पॅल्को की चिलमन को ज़रा सा हटाया & उसे वो अपनी पॅंट उतारता दिखा.काले अंडरवेर मे क़ैद उसका लंड बहुत बड़ा था,ये उसे देखते ही वो समझ गयी थी.उसने थूक गटका..उसका हलक सुख गया था आने वाले मज़े के ख़याल से!

देवेन बिस्तर पे आ गया & उसके कंधे पकड़ उसे उठाया.रंभा शर्म से दोहरी हुए जा रही थी..क्या वो उसकी मा को भी ऐसे ही प्यार करता?..इसी तरह बाहो मे भरता?..उसका दिल फिर से गुस्ताख बातें सोचने लगा था.देवेन बिस्तर पे बैठ गया & उसे अपनी टाँगो के बीच अपने पहलू मे ले लिया.रंभा अब अपना दाया कंधा उसके सीने से लगाए उसके बाए कंधे पे सर रखे उसकी बाहो मे थी.

देवेन ने उसे बाई बाँह के सहारे मे घेरा हुआ था & दाए हाथ से उसके हसीन चेहरे को ठुड्डी से उठा रहा था.रंभा को अपनी गंद के बगल मे उसका सख़्त लंड चुभता महसूस हो रहा था.उसकी चूत अब & कसमसने लगी थी.देवेन झुका & रंभा ने खुले होंठो के साथ उसके होंठो का इस्तेक्बाल किया.दोनो पूरी शिद्दत एक साथ 1 दूसरे को चूमने लगे.रंभा के हाथ उसके सर के बालो से लेके कंधो,पीठ & सीने पे घूम रहे थे.देवेन भी उसकी पीठ पे अपने सख़्त हाथ फेरता उसकी कमर को हौले-2 मसलता उसे चूम रहा था.

देवेन मज़बूत शरीर का मालिक था.जैल मे की मशक्कत ने उसके जिस्म को तोड़ा नही था बल्कि फौलाद सा सख़्त बना दिया था.उसका सीना चौड़ा & बाज़ू बड़े मज़बूत थे.जंघे भी पेड़ो के तनो जैसी लग रही थी.रंभा उसकी गिरफ़्त मे महफूज़ महसूस कर रही थी.वो अपनी सारी परेशानियाँ,सारी उलझने भूल गयी थी.विजयंत की बाहो मे भी उसे ये एहसास मिलता था लेकिन देवेन की बाहो मे इस एहसास की तासीर अलग किस्म की थी.

देवेन के बाज़ू जैसे उसे अपनी पनाह मे ले उस से ये वादा कर रहे थे कि वो हमेशा उसकी हिफ़ाज़त करेंगे & यू ही उम्र भर थामे रहेंगे..क्या वजह थी इस बात की?..क्या ये कि वो उसकी मा से सच्चा प्रेम करता था या ये कि उसे पता था की विजयंत कभी उसका पूरी तरह से नही हो सकता था & अब तो खैर वो 1 ख्वाब ही बन गया था!..जो भी हो उसे बहुत सुकून मिल रहा था उसकी बाहो मे & उसका दिल कर रहा था की काश वक़्त यही थम जाए & दोनो क़यामत के दिन तक बस यू ही 1 दूसरे से लिपटे जिस्मो के नशे मे खोए रहें.

दोनो अंजाने मे 1 दूसरे की नकल कर रहे थे.देवेन उसकी मखमली पीठ को सहलाता तो वो भी उसकी सख़्त पीठ को अपने हाथो मे भींचने लगती.रंभा के हाथ उसके सीने के बालो मे घुस जाते तो वो भी उसके क्लीवेज पे बड़े हल्के-2 अपनी दाई हथेली चलाने लगता.उसके हाथ रंभा की मखमली जाँघो पे फिसले तो रंभा ने भी उसकी बालो भरी अन्द्रुनि जाँघो को सहलाया & जब रंभा ने उसके गले मे बाहें डाल उसे ज़ोर से चूमा तो उसने भी जवाब मे बाए हाथ से उसके जिस्म को खुद से पूरा सताते हुए दाए से उसकी ठुड्डी को पकड़ अपनी ज़ुबान उसके मुँह मे घुसा दी.

"उउन्न्ञनननगगगगगगगघह......!",रंभा ने किस तोड़ी & उसके कंधो पे सर रख वाहा पे चूमते हुए च्चटपटाने लगी.वो फिर से झाड़ गयी थी.देवेन के हाथ उसकी पीठ सहलाते हुए उसे संभालने लगा.थोड़ी देर बाद रंभा ने सर कंधे से थोड़ा उपर करते हुए देवेन के बाए गाल को चूमा तो देवेन ने उसकी पीठ पे दोनो हाथ ले जाके उसकी ब्रा के हुक्स को खोल दिया.लाज की 1 नयी लहर ने रंभा को आ घेरा..वो उसकी नंगी चूचियाँ देखने वाला था..क्या उसे वो खूबसूरत लगेंगी?..क्या पसंद करेगा इन्हे वो?..वो हैरत मे पड़ गयी..आज तक उसके दिल मे कभी भी ऐसा ख़याल नही आया था बल्कि वो तो ये मान के ही चलती थी की उसके जिस्म को नापसंद करने की हिमाकत तो कोई मर्द कर ही नही सकता!

देवेन ने उसके ब्रा को उसकी बाहो से बाहर खींचा & गुलाबी निपल्स से सजी रंभा की बड़ी-2,कसी चूचियाँ उसकी आँखो के सामने छल्छला उठी.देवेन का मुँह खुला खुला रह गया.उसने क्लेवर्त मे उस रात उन्हे इतनी गौर से नही देखा था..बला की खूबसूरत थी वो!..बिल्कुल गोल,कसी & निपल्स का रंग कितना दिलकश था!..कैसे सख़्त हो रहे थे उसके निपल्स..दिल की धड़कनो के साथ उपर-नीचे होता हुआ उसका सीना इस वक़्त & जानलेवा लग रहा था.

देवेन का दाया हाथ काँपते हुए आगे बढ़ा.उसे लग रहा था कि उसके हाथ उस शफ्फाक़ गोरी हुस्न परी के बदन को मैला कर देंगे & वो झिझक रहा था.उसने रंभा की निगाहो मे देखा & उसने सर उसके कंधे से थोड़ा सा उठाके उसके लब चूम लिए.देवेन ने अपना कांपता हाथ आगे बढ़ाया & बहुत हल्के से रंभा की बाई छाती पे रखा.

उस पल दोनो ही के जिस्मो मे बिजली दौड़ गयी.रंभा ने सर पीछे झटकते हुए आह भरी.उसका दिल कर रहा था कि उसका आशिक़ अब उसके उन उभारो को अपने सख़्त हाथो तले रौंद डाले..कुचल दे उन फूलो को & उसके बेचैन दिल को करार पहुचाए!..देवेन उसके सीने को देखते हुए बहुत हल्के हाथो से उसकी बाई चूची को सहला रहा था मानो यकीन करना चाह रहा हो की उसके हाथ उस परी के जिस्म को मैला नही कर रहे.

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क्रमशः.......
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