Desi Kahani Jaal -जाल
12-19-2017, 10:39 PM,
#48
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--47

गतान्क से आगे......

"ये पुजारी अपनी इस हुस्न & इश्क़ की देवी की मरते दम तक पूजा करेगा & जिस दिन अपने इस वादे को तोड़े वो उसका इस धरती पे आख़िरी दिन होगा.",पीछे से आ उसके बाए कंधे पे बाया हाथ रख & दाए से उसके चेहरे को अपनी ओर घुमा के प्रणव ने उसकी आँखो मे झाँका तो रंभा तेज़ी से घूमी & उसकी कमर मे बाहे डाल,उसके गले से लग गयी.दोनो के हाथ 1 दूसरे की पीठ पे घूम रहे थे.प्रणव का लंड तो रंभा की नंगी कमर की चिकनाई महसूस करते ही खड़ा हो गया था.दोनो का कद लगभग बराबर था & उसका लंड सीधा रंभा की चूत पे दबा था.

रंभा की चूत भी लंड को महसूस करते ही कसमसाने लगी थी.प्रणव ने अपना सर रंभा के बाए कंधे से उठाया तो उसने भी चेहरा उसके सामने कर दिया & दोनो 1 बार फिर पूरी शिद्दत के साथ 1 दूसरे को चूमने लगे.प्रणव के हाथ उसकी कमर से लेके कंधो तक घूम रहे थे & रंभा अब मस्त हो रही थी.वो भी प्रणव के जिस्म की बगलो पे अपने हाथ हसरत से फिरा रही थी.

दोनो काफ़ी देर तक 1 दूसरे की ज़ुबानो को चूस्ते हुए उनसे खेलते रहे.प्रणव का जोश और बढ़ा तो उसने रंभा की गंद हल्के से दबा दी तो वो चिहुनक उठी & उसे बनावटी गुस्से से देखते हुए किस तोड़ दी.प्रणव की नज़रो मे अब वासना के लाल डोरे तैरने लगे थे.उसने डाए हाथ से रंभा के बाए कंधे से उसका पल्लू सरका दिया.रंभा ने उसे पकड़ने की कोशिश की लेकिन तब तक पल्लू फर्श को चूम रहा था.उसने बनावटी हया से अपना चेहरा बाई तरफ घुमा लिया.

मस्ती से उसकी साँसे तेज़ हो गयी थी & तेज़ साँसे उसके सीने मे जो हुलचूल मचा रही थी,उसे देख प्रणव का हलक सूख गया & उसने थूक गटकते हुए अपने होंठो पे ज़ुबान फिराई.ऐसी हसीन-ओ-दिलकश लड़की आजतक उसने नही देखी थी.उसने दाए हाथ को उसके कंधे से सरकते हुए उसके बाए गाल पे किया & उसका चेहरा फिर से अपनी ओर घुमाया तो रंभा ने आँखे बंद कर ली.मस्ती से तमतमाए गाल & बंद आँखे हया की तस्वीर पेश कर रहे थे & प्रणव के जोश को & बढ़ा रहे थे.

प्रणव ने अपना हाथ उसके बाए गाल से सटा दिया तो रंभा आँखे बंद किए हुए ही,उस तरफ चेहरे को थोड़ा झुका के उसके हाथ पे अपने गाल को हौले-2 रगड़ने लगी.प्रणव की निगाहें उसके चेहरे से लेके उसके सीने & पेट से नीचे उसके पाँवो तक गयी & फिर उपर आई.वो आगे बढ़ा & अपने होंठ रंभा की गर्दन पे दाई तरफ लगा दिए.उसके होंठ उसके ब्लाउस के उपर के नुमाया हिस्से पे घूमने लगे.

रंभा ने उसके अपने गाल पे रखे हाथ कि हथेली से अपने होंठ सटा दिए & चूमने लगी.प्रणव का बाया हाथ उसकी कमर से आ लगा & उसे सहलाने लगा.रंभा अब हल्की-2 आहे भर रही थी.प्रणव ने उसकी कमर को बाई बाँह मे कसते हुए उसके चेहरे को थामा & उसकी गर्दन चूमते हुए उसे घुमा के बिस्तर पे गिरा दिया.

रंभा की टाँगे लटकी थी & उसके उपर चढ़ा प्रणव उसके चेहरे को चूमे जा रहा था.कुच्छ देर बाद वो उठा & उसने उसकी टाँगे पकड़ के बिस्तर के उपर कर दी.ऐसा करने से रंभा की सारी थोड़ा उठ गयी & उसकी गोरी टाँगे दिखने लगी.प्रणव ने उन्हे देखा तो उन्हे पकड़ के उसके पैर चूमने लगा.रंभा बिस्तर पे घूम के पेट के बल लेट गयी & तकिये को पकड़ के प्रणव के होंठो का लुत्फ़ उठाने लगी.

प्रणव के हाथ उसकी सारी को घुटने तक करने के बाद उसकी टाँगो को सहला रहे थे & उसके होंठ उसके हाथो के बताए रास्ते पे घूम रहे थे.रंभा ने खुशी & मस्ती से मुस्कुराते हुए तकिये मे मुँह च्छूपा लिया क्यूकी प्रणव का हाथ उसकी सारी मे & उपर घुस उसकी जाँघो के पिच्छले मांसल हिस्से को दबा रहा था.कुच्छ पल बाद उसकी सारी उसकी कमर तक थी & उसकी आसमानी रंग की पॅंटी नुमाया हो गयी जिसके बीचोबीच 1 गीला धब्बा उसकी चूत की कसक की दास्तान कहता दिख रहा था.

"उउन्न्ह..आन्न्न्नह..!",प्रणव उसकी जाँघो को चूम & चूस रहा था & रंभा की आहें धीरे-2 तेज़ हो रही थी.उसकी जाँघो को चूमते हुए प्रणव उसकी कमर पे आया & उसे भी अपने होंठो से तपाने के बाद उसकी पीठ से होता उसके चेहरे तक पहुँच गया.रंभा के रसीले लबो से उसका जी भर ही नही रहा था.उसने उसके दाए कंधे को पकड़ थोड़ा घुमाया & उसके होंठ चूमने लगा तो रंभा ने भी दाए हाथ को पीछे ले जाके उसके बालो को पकड़ लिया & अपने होंठो से जवाब देने लगी.

प्रणव का दाया हाथ उसके पेट पे चला गया था & उसे सहला रहा था.उसकी उंगलिया उसकी गहरी नाभि की गहराई से बाहर आना ही नही चाह रही थी.उसके होंठ 1 बार फिर से रंभा की गोरी गर्दन पे घूम रहे थे.चूत की कसक & बढ़ी तो रंभा ने गंद पीछे कर अपने प्रेमी के लंड से उसे सटा दिया.प्रणव समझ गया कि उसकी महबूबा अब पूरी तरह से मस्त हो चुकी है.उसने फ़ौरन उसके कंधे पकड़ उसे सीधा किया & उसके हाथो को अपनी कमीज़ पे रख दिया.उसका इशारा समझ रंभा ने उसके बटन्स खोले & उसकी कमीज़ उतार दी.

प्रणव के बालो भरे सीने को देख उसका दिल खुशी से झूम उठा & उसने अपने हसरत भरे बेसब्र हाथ उन बालो मे फिराए & फिर अपनी इस थोड़ी बेबाक हरकत पे शरमाने का नाटक करते हुए हाथ पीछे खींच अपने चेहरे को उनमे च्छूपा लिया.प्रणव उसकी इस अदा पे और खुशी & जीश से भर गया & उसने उसके पेट पे उंगली फिरानी शुरू कर दी.

"ऊन्नह..नही करो..गुदगुदी होती है..!",हाथो के पीछे से ही रंभा बोली तो प्रणव ने हंसते हुए उँघली को उसकी सारी मे घुसा उसे कमर से खींच दिया,"..नही..!",हाथ चेहरे से हटा उसपे फैली मस्ती अपने प्रेमी को दिखाते हुए रंभा ने उसका हाथ पकड़ लिया लेकिन प्रणव ने उसकी अनसुनी करते हुए उसकी सारी खोल दी & फिर पेटिकोट भी.उसने अपनी दाई बाँह रंभा की जाँघो के नीचे लगा के उन्हे उपर उठाया & फिर अपने गर्म होंठ उनसे चिपका दिए.जोश से कसमसाती रंभा कभी उसके बॉल खींच तो कभी उसके हाथो को पकड़ उसे अपने जिस्म से अलग करने की कोशिस कर रही थी लेकिन प्रणव वैसे ही उसकी जाँघो से चिपका हुआ था.

"ओईईईईई..माआाआअन्न्‍नणणन्..!",रंभा का जिस्म झटके खाने लगा & वो मस्ती मे सर दाए-बाए हिलाने लगी.प्रणव ने पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत को चूमना शुरू कर दिया था & वो उसकी इस हरकत को बर्दाश्त नही कर पाई थी & झाड़ गयी थी.प्रणव ने फ़ौरन उसकी पॅंटी नीचे खींची & उसकी चूत से बहते रस को पीने लगा.रंभा उसके बाल नोचती वैसे ही कांपति पड़ी थी.

जब प्रणव ने अपना चेहरा उसकी चूत से उठाया तो वो करवट ले फिर से तकिये मे मुँह च्छूपाते हुए पेट के बल हो गयी.प्रणव की हालत जोश से और बुरी हो गई क्यूकी अब उसकी आँखो के सामने रंभा की पुष्ट,क़ातिल गंद थी.उसने उसकी फांको को बड़े हौल्के से च्छुआ.रंभा के जिस्म मे थरथराहट सी हुई & वो फिर से घूमने की कोशिश करने लगी मगर तब तक उसका प्रेमी उसके पिच्छले उभारो पे झुक,उनके बीच की डरा मे अपनी नाक घुसा के अपना चेहरा वाहा दफ़्न करने की कोशिश कर रहा था.

रंभा ने तकिये को खीच अपने सीने के नीचे किया & अपनी चूचियाँ उसपे दबाते हुए सर उठाके ज़ोर-2 से आहें लेने लगी.प्रणव ने उसकी फांको को भींचा & उन्हे काटने लगा.रंभा दर्द & मस्ती के मिले-जुले एहसास से मुस्कुरा उठी & उसकी आहें & तेज़ हो गयी.

"नाआआअ..हाईईईईईईईईईईईईईईई..!",प्रणव की ज़ुबान उसके गंद के छेद को छेड़ने लगी थी & रंभा की हालत बुरी हो गयी थी.उसने दाया हाथ पीछे ले जाते हुए प्रणव के बॉल पकड़ उसके सर को उपर खींचा & करवट ले सीधी हो गयी.प्रणव ने वासना भरी मुस्कान उसकी तरफ फेंकी & बिस्तर पे खड़े हो पॅंट उतार नंगा हो गया.उसके 8.5 इंच के लंड को देख रंभा का दिल खुशी से नाच उठा लेकिन उसने मस्ती से बोझल पॅल्को को बंद कर उसे अपने शर्म मे डूबे होने का एहसास कराया.

नंगा प्रणव उसके दाई तरफ लेटा & उसे बाई करवट पे अपनी तरफ घुमा उसकी कमर सहलाते हुए चूमने लगा.उसका लंड भी उसकी चूत को चूम रहा था.रांभे ने अब अपने को पूरी तरह से अपने आशिक़ के हाथो मे सौंप दिया था.उसके सीने के बालो मे हाथ फिराते हुए उसने भी उसे बाहो मे भर लिया था.प्रणव ने उसके बाए कंधे के उपर से देखते हुए उसके ब्लाउस को खोला & जैसे ही उसकी चूचियाँ नुमाया हुई वो उनपे टूट पड़ा.उन मस्त गोलाईयों को अपने मुँह मे भर के वो उन्हे चूसने लगा.हाथो मे उन्हे भर वो उन्हे ज़ोर से दबाता & जब रंभा आहे भरते हुए जिस्म को उपर मोडती तो वो उसके निपल्स को चूसने लगता. छातियों को चाटते हुए जब उसने उसके निपल्स को उंगलियो मे मसला तो रंभा ज़ोर से चीखते हुए दोबारा झाड़ गयी.

अब वक़्त आ गया था दोनो जिस्मो के 1 होने का & उनके रिश्ते को जिस्मानी बंधन मे बाँधने का.प्रणव ने उसकी टाँगे फैलाई & उनके बीच घुटने पे बैठके अपना लंड अंदर घुसाया,"ऊव्ववव..दर्द हो रहा है..थोड़ा धीरे करो ना..आन्न्न्नह..!",सच्चाई तो ये थी कि विजयंत के बाद उसे अब कोई भी लंड दर्द पहुचने वाला नही लगता था लेकिन ऐसी हरकत कर वो प्रणव के मर्दाना अहम को सहला उसे और जोश मे भर देना चाहती थी.

"बस हो गया,मेरी जान..आहह..!",चूत की कसावट ने तो प्रणव को हैरत मे डाल दिया.ऐसा लग रहा था मानो वो कोई कुँवारी चूत चोद के उसका कुँवारापन लूट रहा हो.मस्ती मे भर उसने ज़ोर का धक्का लगाया.

"हाईईईईईईईई..रामम्म्मममममममम..कितने ज़ल्म हो..ऊन्न्‍न्णनह..!",प्रणव उसके उपर लेट आ गया था & उसके चेहरे को चूमते हुए उसे चोद रहा था.कुच्छ देर बाद रंभा के हाथ भी उसकी पीठ पे फिरने लगे & जब उसने उसकी गंद को दबाया तो उसके धक्के & तेज़ हो गये. दोनो अब 1 दूसरे को पूरी शिद्दत से चूमते हुए चुदाई कर रहे थे.रंभा कयि दिनो बाद ऐसे मस्त तरीके से चुद रही थी.विजयंत के जाने के बाद ये पहला मौका था जब कोई मर्द उसे इस तरह से मस्ती के आसमान मे उड़ा रहा था.प्रणव के पास विजयंत जैसा लंड नही था ना ही वैसी मर्दाना खूबसूरती लेकिन था वो चुदाई मे माहिर.

पहले तो उसने बहुत गहरे धक्के लगाए जिनमे वो लंड को सूपदे तक खींच फिर जड तक अंदर धकेल्ता & उसके बाद जब रंभा झड़ने लगी तो उसने चुदाई की रफ़्तार अचानक बहुत बढ़ा दी जिसमे लंड बस आधा ही बाहर आता था लेकिन चूत की दीवारो पे उसकी तेज़ रगड़ रंभा के जोश को & बढ़ा देती थी.

रंभा ने प्रणव की पीठ को अपने नखुनो से छल्नी कर दिया था लेकिन वो था कि झड़ने का नाम ही नही ले रहा था.प्रणव के लिए ये बहुत मुश्किल काम था.रंभा की कसी चूत झाड़ते वक़्त जब उसके लंड के गिर्द सिकुड़ने-फैलने लगती तो वो अपना काबू लगभग खो ही देता लेकिन वो इस पहली चुदाई मे ही अपनी इस नयी-नवेली महबूबा पे अपनी मर्दानगी की मज़बूत छाप छ्चोड़ना चाहता था.

"हाईईईईईईईई..राम............प्रणव......ज़ाआआअन्न्‍ननननणणन्..ऐसे कभी नही चुदी मैं........ऊहह..आन्न्‍नणणनह..चोदो मुझे.....हाआाआअन्न्‍ननणणन्..!",1 ज़ोर की चीख मारते हुए,उसके कंधो मे नाख़ून धँसाते हुएँ उसकी कमर पे टाँगे फँसा उचकते हुए वो जिस्म को कमान की तरह मोडते झाड़ गयी.उसके चेहरे को देख लगता था जैसे वो बहुत दर्द मे हो जबकि हक़ीक़त ये थी कि वो झड़ने की खुशी को पूरी शिद्दत से महसूस का रही थी.

फिर उसके चेहरे पे हल्की सी मुस्कान खेलने लगी-उसकी चूत मे उसके नये प्रेमी का लंड गर्म वीर्य छ्चोड़ रहा था & वो आहे भरता उसका उसके उपर लेट रहा था.रंभा ने उसे बाहो मे भरा & अपने बाए कंधे के उपर अपना चेहरा रखे प्रणव के सर को चूम लिया.

“मेरी मोहब्बत कबूल कर के तुमने मुझपे कितना बड़ा एहसान किया है,ये तुम्हे पता नही,रंभा.”,चुदाई के बाद प्रणव रंभा के दाई तरफ लेटा दाए हाथ से उसके बाए गाल को सहला रहा था.रंभा भी उसके सीने पे अपनी उंगलिया धीमे-2 घुमा रही थी.

“एहसान तो तुमने मुझपे किया है,प्रणव.सोचती हू तो सिहर जाती हू कि अगर तुम ना मिलते तो क्या करती..मैं तो पागल ही हो जाती!”,अजीब बात थी.दोनो ही 1 दूसरे को अपनी मोहब्बत के सच्ची होने का यकीन दिलाने के लिए झूठ बोल रहे थे.जहा प्रणव रंभा को अपने कंपनी के मालिक बनाने के मक़सद को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करना चाहता था वही रंभा उसे अपनी जिस्मानी ज़रूरतो को पूरा करने का ज़रिया बना के मेहरा परिवार मे अपने 1 साथी के तौर पे इस्तेमाल करना चाहती थी.

प्रणव झुका & उसके होंठ चूमे तो रंभा ने भी उसके होंठो पे अपनी जीभ फिरा दी.प्रणव ने उसके बाए हाथ को थाम उसे अपने सिकुदे लंड पे दबाया तो रंभा ने फिर से शरमाने का नाटक करते हुए हाथ पीछे खींचा & अपना चेहरा थोड़ा आगे हो उसके सीने मे छुपा लिया.प्रणव मुस्कुराया & उसके जिस्म की बगल मे हाथ फेर दोबारा उसका हाथ थाम उसे अपने लंड पे दबाया.इस बार रंभा ने उसका लंड थाम लिया & उसे मसलने लगी.प्रणव जोश मे भर उसके बालो & गर्दन को चूमते हुए उसके जिस्म पे हाथ फेरने लगा.रंभा के हाथ उसके लंड को हिलाते हुए फिर से जगाने लगे.

“तुमने अपनी ज़िंदगी के बारे मे क्या सोचा है,रंभा?”,प्रणव ने लंड उसके हाथ से खींचा & उसे लिटा के अपने घुटनो पे हो लंड को उसके होंठो से सताया.रंभा ने उसके लंड को पकड़ के हिलाया लेकिन जब प्रणव ने लंड को उसके होंठो पे सताए तो उसने शर्मा के मुँह फेर लिया.प्रणव ने उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाया & 1 बार फिर लंड को उसके होंठो पे रगड़ा.रंभा ने थोड़ी ना-नुकर की लेकिन फिर अपने गुलाबी होंठो मे उसके लंड को क़ैद कर लिया.उसके ज़हन मे विजयंत मेहरा के तगड़े लंड की तस्वीर कौंधा गयी & उसके दिल मे 1 हुक सी उठी.उसका ससुर लौटने वाला नही था & अब शायद ज़िंदगी भर ये कसक उसका पीछा नही छ्चोड़ने वाली थी.उसके जिस्म मे विजयंत के बदन & उसके प्यार करने के अंदाज़ की याद ने आग लगा दी & उसके होंठ प्रणव के लंड पे & कस गये.

“मैं समझी नही.”,उसने लंड मुँह से निकाला & उठ बैठी.प्रणव अपने घुटनो पे खड़ा हो गया तो वो उसकी झांतो मे & निचले पेट पे अपने चेहरे को रगड़ते हुए अपनी मस्ती का इज़हार करने लगी.

“मेरा मतलब है कि क्या तुम यूही बस अपनी उलझन का रोना रोती रहोगी या कुच्छ करोगी भी?..आहह..!”,रंभा ने उसके 1 अंडे को मुँह मे भर ज़ोर से चूसा.

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