RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--23
गतान्क से आगे.
समीर के दादा का शुरू किया अग्री-बिज़्नेस ट्रस्ट ग्रूप के मुक़ाबले था तो बहुत छ्होटा लेकिन उसमे मुनाफ़ा बहुत होता था.पंचमहल से लेके आवंतिपुर & फिर आवंतिपुर जिन पहड़ियो के नीचे बसा था उन पहड़ियो के उपर बसे क्लेवर्त तक 5 बहुत बड़े फार्म्स थे.जब समीर के दादा ने ये बिज़्नेस शुरू किया था उस वक़्त तो वो बस किसानो से उनकी उपज खरीद आगे मंडी मे बेच देते थे लेकिन धीरे-2 पहले उन्होने ज़मीने खरीदी फिर उन ज़मीनो पे फार्म्स बनाए & फिर उनकी पैदावार को मंडी मे बेचने लगे.
विजयंत मेहरा को इस धंधे मे बहुत दिलचस्पी नही थी लेकिन उसने कभी इस धंधे से बेरूख़ी भी नही दिखाई.उसने 1 आदमी को इस बिज़्नेस का सीओ बनाके छ्चोड़ा हुआ था जो उसे हर महीने रिपोर्ट & हर 4 महीने पे हुए मुनाफ़े की रकम की जानकारी देता था.विजयंत के कहे मुताबिक Cएओ ने अपनी उपज अब मंडी से ज़्यादा सीधा बड़े-2 होटेल्स को बेचना शुरू कर दिया था.साथ-2 अब 3 फार्म्स पे सब्ज़ियो & फलो के अलावा मुर्गिया भी पाली जाने लगी थी & इसके साथ अण्दो & चिकन का धंधा भी शुरू हो गया था.
समीर ने पंचमहल आते ही सभी फार्म्स का दौरा किया था & अपने सभी बड़े क्लाइंट्स से मिल लिया था.उसे 1 फार्म का मॅनेजर ठीक नही लगा तो उसने उसे बदल दिया था,नही तो बिज़्नेस ठीक चल रहा था.समीर ने फ़ैसला किया था कि वो हर महीने 1 बार सारे फार्म्स का दौरा ज़रूर करेगा.दरअसल,उसका इरादा फार्म्स की तादाद बढ़ा बिज़्नेस को फैलाने का था & इस लिए वो पहले ये समझना चाहता था कि कौन सी सब्ज़ी या फल ज़्यादा मुनाफ़ा देगा & नये फार्म्स के लिए कौन सी जगह ठीक रहेगी.
आज सुबह भी समीर इसी काम के लिए निकला था.वो सवेरे 9 बजे घर से निकला & उसका इरादा था कि देर शाम 8 बजे तक वो क्लेवर्त वाले फार्म पे पहुँच जाए.रात वाहा बिता के सवेरे उसे वाहा से वापस लौट आना था.
रंभा भी साथ जाना चाहती थी मगर समीर ने उसे ये कह के मना कर दिया कि वो तो हर फार्म पे काम करेगा,वो बोर होती रहेगी.रंभा पंचमहल से 50 किमी दूरी पे बने सबसे नज़दीकी फार्म पे 1 बार पति के साथ गयी थी & वो जगह उसे बहुत अच्छी लगी थी.ताज़ी हवा & हरियाली ने उसका मन मोह लिया था.हर फार्म पे 1 गेस्ट कॉटेज हुआ करती थी.समीर के साथ उसने 1 दोपहर वाहा गुज़ारी थी & ठंडी हवा के झोंको के साथ चिड़ियो की चाहचाहट के बीच पति के साथ चुदाई करने मे उसे 1 अलग ही मज़ा आया था.
उस दोपहर को याद करते ही उसकी चूत गीली हो गयी.वैसे भी आज की रात उसे सूना बिस्तर कुच्छ ज़्यादा ही खल रहा था.उसने करवट ले 1 तकिये पे अपना नंगा जिस्म दबाया & पति को याद कर अपनी चूचियाँ उसपे दबाने लगी.सवेरे सोची बात उसने दिल मे पक्की कर ली की इस बार छुट्टी पे वो समीर से बिस्तर मे जिन बातो से वो झिझकता था,उनका कारण निकलवा के रहेगी अगर वो उसके बाद उसकी हसरातो को पूरा करने को तैय्यार था तो ठीक था वरना वो कोई आशिक़ ढूंड लेगी जो उसे अपने लंड से खेलने दे & उसकी चूत को जी भर के चाते.
ऐसा नही था कि वो समीर के साथ अपनी शादी की उसे परवाह नही थी बल्कि उसे तो इस बात की फ़िक्र थी कि उसकी शादी पे किसी भी तरह की कोई आँच ना पड़े लेकिन हसरातो को कुचल खास कर के जिस्मानी हसरातो को,जीना उसे मंज़ूर नही था.चुदाई उसकी ज़रूरत ही नही उसका शौक भी थी & उसमे उसे पूरी बेबाकी पसंद थी,किसी भी तरह की झिझक उसे बर्दाश्त नही थी.अपनी शादी को वो 1 ही सूरत मे ख़त्म कर सकती थी & वो ये थी कि उसे समीर से भी ज़्यादा अमीर,चाहनेवाला & जोशीला मर्द मिल जाए.
उसकी उंगलिया उसकी चूत को समझा रही थी की आज रात उसे उनसे ही काम चलाना पड़ेगा क्यूकी आज कोई लंड उसकी प्यास बुझाने को मौजूद नही था.अपने ख़यालो मे गुम जिस्म से खेलते कब उसे नींद आ गयी उसे पता ही ना चला.
रात 1 बजे उसकी नींद टूटी तो वो उठ बैठी.समीर ने सोने से पहले ज़रूर उसे फोन किया होगा,उसने अपना मोबाइल उठाके देखा मगर कोई मिस्ड कॉल नही थी.उसे ताज्जुब हुआ कि ऐसा कैसे हो गया.समीर तो उसे पल-2 की खबर देता था.वो दफ़्तर जाता तो पहुँचते ही फोन करता.उसे लौटने मे बहुत देर होती थी लेकिन फिर भी लंच मे & शाम को अपना निकलने का वक़्त बताने के लिए फोन करना वो नही भूलता था.
आज भी वो हर फार्म पे पहुँच के उसे फोन करता रहा था & जहा नेटवर्क नही मिलता था तो नेटवर्क मिलते ही फोन किया था.क्लेवर्त पहुँचने के पहले उसका फोन आया था लेकिन रात को सोने के पहले उसने फोन नही किये था..बिना ड्राइवर के चला गया है..थक गया होगा..कहा था कि ड्राइवर के साथ जाओ..लेकिन नही..ड्राइव करने मे मज़ा जो आता है!..उसने साइड-टेबल पे रखी बॉटल उठाके पानी पिया.उसका दिल किया कि 1 बार समीर को फोन लगाए लेकिन फिर उसकी नींद खराब होने के डर से उसने ऐसा किया नही & सवेरे फोन करने का फ़ैसला कर सो गयी.
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रंभा अब केवल परेशान नही थी बल्कि बहुत घबरा भी रही थी.सवेरे 7 बजे से वो समीर का फोन ट्राइ कर रही थी लेकिन फोन मिल नही रहा था.समीर ने भी कोई फोन नही किया था.उसने उसके ऑफीस मे फोन कर बात बताई तो वो लोग भी हर फार्म पे फोन से पुच्छ रहे थे लेकिन समीर कही नही था.क्लेवर्त फार्म के मॅनेजर ने कहा कि समीर ने उसके साथ ही रात का खाना खाया था लेकिन सवेरे वो उस से मिले बिना चला गया था.उसे फार्म के मेन गेट के गार्ड ने बताया था की उसने सवेरे 5 बजे ही समीर की गाड़ी को बाहर जाने देने के लिए गेट खोला था.अब दोपहर के 2 बज रहे थे लेकिन समीर का कोई पता नही था.
उसके दफ़्तर के लोगो की राई थी की पोलीस को खबर कर देनी चाहिए.रंभा के बंगल के ड्रॉयिंग हॉल मे सभी बैठे रंभा कि ओर देख रहे थे कि वो क्या फ़ैसला लेती है.रंभा बहुत हिम्मती थी लेकिन इस वक़्त उसकी समझ मे भी नही आ रहा था कि क्या करे.उसने सबसे बैठने को कहा & अपने कमरे मे आ गयी.वाहा उसने 1 आख़िरी बार समीर का फोन ट्राइ किया.फोन अभी भी नही लगा.वो कुच्छ पल खड़ी रही & फिर उसने 1 नंबर मिलाया.
"हेलो."
"हेलो,सोनम.कैसी है?मैं रंभा बोल रही हू."
"रंभा!कैसी है तुम यार?..& कितने दिनो बाद फोन किया तूने?..क्या बात है जानेमन..तेरे बॉस तुझे बहुत बिज़ी रखते हैं क्या?",उसने सहेली को छेड़ा.उसकी बात से रंभा का गला 1 पल को भर आया & वो खामोश हो गयी,"क्या बात है रंभा?सब ठीक है ना?"
"सोनम..सोनम..समीर लापता है."
"क्या?!"
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रंभा ने पोलीस मे रिपोर्ट लिखवा दी थी.1 घंटे तक पोलीस वाले उस से समीर के बारे मे हर बात पुछ्ते रहे & वो जवाब देती रही.पोलीस ने क्लेवर्त तक के सारे इलाक़े मे वाइर्ले से खबर भिजवा के समीर की खोज शुरू कर दी थी.पोलीस को शक़ था कि ये किडनॅपिंग का केस भी हो सकता है तो उन्होने ये बात मीडीया से छिपा ली थी & मेहरा आग्रिकल्चरल फार्म्स के सभी आदमियो को भी ये बात बाहर ना बताने की सख़्त ताकीद की थी लेकिन पोलीस वाले जानते थे कि ये बात छुपना मुमकिन नही है.इसके लिए खुद पंचमहल के पोलीस कमिशनर ने शहर के सभी अख़बारो & टीवी चॅनेल्स के एडिटर्स को खुद फोन कर उनसे इस खबर को दबाए रखने की गुज़ारिश की जिसे की सभी ने मान लिया.आख़िर 1 इंसान की जान का सवाल था.
समीर की खोज उस दिन 3 बजे रिपोर्ट लिखवाने के बाद से शुरू हो गयी थी लेकिन देर रात तक कोई नतीजा नही आया था.पोलिसेवालो को पक्का यकीन था कि उसे अगवा किया गया है क्यूकी उस रोज़ उस इलाक़े मे जितने भी आक्सिडेंट्स हुए थे उनमे से कोई भी कार समीर की सिल्वर ग्रे स्कोडा लॉरा नही थी ना ही उसके हुलिए का कोई शख्स उन आक्सिडेंट्स मे था.
रंभा ने कंपनी के लोगो को उनके घर जाने को कहा.वो सवेरे से अपनी मालकिन के साथ बैठे थे.2-3 लड़कियो ने रुकने की बात की लेकिन रंभा ने उन्हे वापस भेज दिया.वो जानती थी कि उसका पति बहुत बड़ी मुसीबत मे है & अब उसे अकेले ही उसे किसी तरह इस समस्या से निबटना है.किसी भी काम के लिए सहारा लेना उसे कमज़ोर बना सकता था & ये उसे गवारा नही था.
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जब रंभा का फोन आया था उस वक़्त विजयंत किसी लनचन मीटिंग पे गया था.सोनम ने सोचा कि पहले ये खबर ब्रिज को दे लेकिन उसे ये ठीक नही लगा कि बाप से भी पहले ये खबर ब्रिज को दी जाए.वो सोच ही रही थी कि उसे विजयंत ने बाहो मे भर लिया.वो ख़यालो मे ऐसी डूबी थी की दरवाज़ा खुलने & उसके दाखिल होने की उसे आहट ही नही हुई.
"किस ख़याल मे खोई हो?",विजयंत उसके पेट को उसकी शर्ट के उपर से सहलाते हुए उसके दाए कान मे ज़ुबान फिरा रहा था.
"सर..",वो उसके आगोश से नीली & उसकी ओर घूमी,"..1 प्राब्लम खड़ी हो गयी है."
"क्या?",विजयंत 1 पल मे संजीदा हो गया था.
"समीर सर लापता हैं."
"क्या?",जवाब मे सोनम ने उसे रंभा से फोन पे हुई सारी बात बता दी.विजयंत खामोश हो गया & अपनी कुर्सी पे बैठ गया & फोन उठा लिया.अगले 1 घंटे तक वो पंचमहल पोलीस & मेहरा फार्म्स के लोगो से बात करता रहा.इसी दौरान सोनिया के मोबाइल से 1 मसेज हुआ जोकि ब्रिज को मिला.ब्रिज उस वक़्त 1 बहुत ज़रूरी मीटिंग मे बड़े ही संगीन मसले पे अपने 2 आदमियो की दलीलें सुन रहा था.सोनम के मेसेज पढ़ उसके होंठो पे मुस्कान फैल गयी जिसका मतलब उसके आदमी समझ नही पाए.
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अगली सुबह जब रंभा उठी तो उसे कोई घबराहट नही थी.1 मसला था & अब उसे सुलझाना था-बस यही ख़याल था उसके दिल मे.समीर के लापता होने का उसे अफ़सोस था मगर ऐसा दुख नही कि वो बहाल हो जाए.उसे फ़िक्र इस बात की थी कि उसकी आरामदेह ज़िंदगी कही शुरू होने से पहले ही ख़त्म ना हो जाए.समीर के अपने परिवार से संबंध टूट गये थे & उसके लापता होने की सूरत मे उसे तो वो दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंक सकते थे & उसे इस से बचना था.इसके लिए बहुत ज़रूरी था कि समीर सही-सलामत मिल जाए लेकिन अगर रंभा की किस्मत ही फूटी है & वो नही मिलता है तो उस सूरत मे उसके परिवार वालो से वो अपनी शर्तो पे अलग होगी ना कि उनकी.
सवेरे तैय्यार होने के बाद उसने अपना पर्स चेक किया तो उसके पास ज़्यादा कॅश नही था.1 सफेद,कसी पतलून & आधे बाज़ू की गुलाबी कमीज़ पहनी,आँखो पे ओवरसाइज़ धूप का चश्मा लगाया & अपना बॅग उठा एटीएम के लिए निकल पड़ी.एटीम पहुँच उसने 1 डेबिट कार्ड उसमे डाला.
इन्वलिड कार्ड
मेसेज देख उसे लगा कि कार्ड ठीक सेस्लोट मे डाला नही.उसने दोबारा कोशिश की मगर फिर से वही बात हुई.उसने पर्स से दूसरा कार्ड निकाल के डाला मगर फिर वही बात.उसका माथा ठनका.उसने अपने दोनो क्रेडिट कार्ड्स डाल के देखा मगर हर बार वो नाकाम रही.वो अपनी कार मे बैठी & अपने बॅंक फोन मिलाया & सारी बात बताई.
"मॅ'म,आप अपना कार्ड नंबर बताइए ताकि मैं स्टेटस चेक कर सकु?",रंभा ने नंबर बताया.
"मॅ'म,आपका अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया है.आपका अकाउंट मेहता आग्रिकल्चरल फार्म्स के ज़रिए खुलवाया गया था & हमे वही से ये रिक्वेस्ट आई है कि इस अकाउंट को अभी ब्लॉक कर दिया जाए."
"क्या?!",रंभा बौखला उठी & उस कॉल सेंटर एग्ज़िक्युटिव लड़की से बहस करने लगी.उसने चारो कार्ड्स के बाँक्स मे फोन किया & हर जगह यही जवाब मिला.1 और मुसीबत सामने आ गयी थी.उसका इरादा पैसे निकाल के पोलीस स्टेशन जा उनसे उनकी करवाई के बारे मे पुच्छने का था लेकिन अब उस से पहले उसे अपने कार्ड्स ब्लॉक करवाने वाले शख्स से मिलना था.उसने ड्राइवर को दफ़्तर चलने का हुक्म दिया & उसने गाड़ी उधर ही मोड़ दी.
"मेरे बॅंक अकाउंट्स किसने ब्लॉक किए मिनी?",रंभा दनदनाते हुए समीर के दफ़्तर पहुँची & उसकी सेक्रेटरी से सवाल पुचछा.
"म-मा'म..वो..सर..",उसने समीर के कॅबिन की ओर इशारा किया.
"सर!",रंभा के माथे पे शिकन पड़ गयी & फिर जैसे बड़ी राहत मिली,"समीर आ गया!",वो भागते हुए आगे बढ़ी & कॅबिन का दरवाज़ा खोल अंदर घुस गयी.
"सा..-",सामने बैठे शख्स को देख उसकी खुशी हवा हो गयी & वो जहा की ताहा ठिठक गयी.
"गुड मॉर्निंग,रंभा.",समीर की कुर्सी पे विजयंत मेहरा बैठा था.रंभा को थोड़ा वक़्त लगा मगर उसने खुद को संभाल लिया.
"आप मेरे पति के दफ़्तर मे क्या कर रहे हैं?"
"तुम भूल रही हो कि मैं तुम्हारे पति का बाप & यहा का मालिक हू."
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क्रमशः.......
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