Desi Kahani Jaal -जाल
12-19-2017, 10:30 PM,
#22
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--22

गतान्क से आगे.

"ये हमारी दोस्ती के नाम.",उसने हीरो का ब्रेस्लेट निकाल के उसकी बाई,गोरी कलाई पे बाँध दिया.

"वाउ!..कितना खूबसूरत है..!",कामया की आँखो मे 1 पल को लालच की चमक आ गयी थी,"..लेकिन ये बहुत कीमती होगा..मैं कैसे ले सकती हू..प्लीज़ ब्रिज इसे वापस ले लो!",उसने उतारने का नाटक किया तो ब्रिज ने उसका हाथ थाम लिया.

"प्लीज़..कामया इसे मत ठुकराव..मेरे लिए रख लो.",ब्रिज ने उसके हाथो पे पकड़ मज़बूत कर दी तो उसने ऐसी सूरत बनाई कि ना चाहते हुए भी वो उस तोहफे को कबूल रही है.

अगली मुलाकात मे कामया ने उसकी फिल्म साइन कर ली & उस खुशी मे ब्रिज ने उसे 1 हीरो का हार दिया.कामया ने उसे ये हार खुद पहनाने को कहा& उसकी ओर पीठ कर अपने खुले बाल बाए कंधे के उपर से आगे कर लिए.उसकी ड्रेस का बॅक बहुत गहरा था बल्कि उसकी कमर तक उसकी पीठ नंगी ही थी.ब्रिज उसके संगमरमरी बदन को देख जोश से भर उठा.कामया ने भी उसके दिए ब्रेस्लेट से अंदाज़ा लगा लिया था कि ब्रिज के साथ काम करने मे उसे बहुत फ़ायदा था & आज वो पूरी तैइय्यारी के साथ आई थी.

ब्रिज ने उसके गले मे हार पहनाया & उसकी पीठ पे हाथ फिराने लगा.

"इरादे ठीक नही लगते तुम्हारे!",कामया मुस्कुराइ लेकिन उस से दूर नही हुई.

"तुम्हे देख के इरादे अपनेआप बुरे हो जाते हैं.",ब्रिज की गर्म साँसे उसके दाए कंधे पे पड़ी तो वो हंस दी & सर पीछे झटका.ऐसा करने से उसकी लंबी गर्दन जिसमे ब्रिज का दिया हार चमक रहा था ब्रिज की निगाहो के सामने आई & ब्रिज उसे चूमने से खुद को रोक नही पाया.कामया उस से दूर छितकी,उसकी आँखो मे उसे दूर रहने का हुक्म था मगर साथ ही पास बुलाने की सोची भी थी.ब्रिज ऐसे खेलो का पुराना खिलाड़ी था.वो आगे बढ़ा & उसने इस बार सीधा कामया को बाहो मे भर लिया.वो कसमसाई & बस उसे मना करने के नाटक करती रही लेकिन थोड़ी ही देर बाद वो ब्रिज के साथ उसकी बाहो मे बिल्कुल नंगी बिस्तर पे पड़ी थी & खुद उसके मुँह मे अपनी ज़ुबान घुसा के उसकी किस का जवाब दे रही थी.उस शाम के ख़त्म होने तक कामया 1 कीमती हार,1 बड़ी फिल्म & 1 नये आशिक़ को हासिल कर चुकी थी.

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वो दो रिश्ते जो मज़बूत हुए उनमे पहला था सोनिया मेहरा & विजयंत का.सोनिया अब इस सच्चाई को मान चुकी थी कि वो ब्रिज & विजयंत,दोनो के बिना नही रह सकती थी & अगर उसे कभी भी इन दोनो मर्दो मे से किसी 1 को चुनने को कहा जाय तो वो ऐसा करने से मर जाना ज़्यादा पसंद करेगी.डेवाले मे दोनो को बहुत संभाल के मिलना पड़ता था.सोनिया विजयंत के किसी होटेल मे तो जा सकती नही थी इसलिए दोनो फोन पे बात करके पहले किसी पब्लिक प्लेस,जैसे कि माल या रेस्टोरेंट मे मिलना तय करे & वाहा से विजयंत उसे किसी जगह ले जाता जहा सोनिया उसके जिस्म को खुद मे उतारने लगती.

समीर के अपने परिवार से अलग होने के 2 दिन बाद ही ब्रिज मंत्री से मिलने गया था & उसकी गैरमौजूदगी का फ़ायदा उठाने के लिए सोनिया ने अपने आशिक़ को फोन किया & शहर के ट्रेंड्ज़ माल मे मिलना तय किया.सोनिया अपने ड्राइवर के साथ माल पहुँची & उसे कार पार्किंग मे ये कहते हुए इंतेज़ार करने को बोला कि उसे 2-3 घंटे लग सकते हैं शॉपिंग मे.उसके बाद वो माल मे घुसी & उसके दूसरे दरवाज़े से माल के पीछे की तरफ की एग्ज़िट से बाहर निकली जहा 1 मर्सिडीस उसका इंतेज़ार कर रही थी.वो सीधा उस कार की आगे की सीट पे बैठ गयी & अंदर बैठे विजयंत ने उसे बाहो मे भर के चूम लिया.पूरे रास्ते वो उस से चिपकी बैठी रही & उसकी शर्ट के अंदर अपने बेसब्र हाथ फिराती रही.

सोनिया ने घुटनो तक की स्कर्ट & आधे बाज़ू का गहरा नीला टॉप पहना था.जब भी कार रोकनी पड़ती विजयंत उसके कपड़ो मे हाथ डाल उसके नाज़ुक अंगो को छेड़ देता.ऐसा करने से मंज़िल तक पहुचते-2 सोनिया की स्कर्ट उसकी कमर तक उठ गयी थी & उसका टॉप तो पूरा उठा चुका था & उसका ब्रा भी & उसकी दोनो छातियाँ नंगी हो चुकी थी.गौर से देखने पे विजयंत की ज़ुबान का रस उसके कड़े निपल्स पे देखा जा सकता था.विजयंत कार 1 ऐसी इमारत मे ले गया जोकि उसी की कंपनी की थी लेकिन फिलहाल किन्ही कारण से बिल्कुल खाली पड़ी थी.दरबान ने उसकी गाड़ी देख सलाम ठोंका,उस बेचारे को क्या पता था कि काले शीशो के पीछे बैठे उसके मालिक ने उसे देखा भी नही था क्यूकी उसका ध्यान तो कार घुसते हुए अपनी महबूबा के नर्म होंठो पे था.

विजयंत कार को सीधा बिल्डिंग के दरवाज़े तक ले गया & नीचे उतरा.दरबान ने गेट बंद कर दिया था & अपने कॅबिन मे बैठ गया था.विजयंत ने सोनिया का दरवाज़ा खोला तो वो अपने कपड़े ठीक करती उतरी.विजयंत ने उसके कंधो को दाई बाँह मे घेरा & बिल्डिंग के अंदर दाखिल हो गया.उसने लिफ्ट का बटन दबाया & दरवाज़ा खुलते ही सोनिया को अंदर खींचा.सोनिया भी तेज़ी से उसकी बाहो मे आई & उचक के उसे चूमने लगी.विजयंत के हाथ उसकी जाँघो से आ लगे & वो उच्छल के उसकी गोद मे चढ़ गयी.विजयंत उसे लिफ्ट की दीवार से सटा के चूमते हुए उसकी पॅंटी के उपर से अपने लंड को दबाने लगा.सोनिया मस्ती मे आहे भरने लगी.उसे इस तरह से पकड़े जाने का ख़तरा उठा के चुदाई करने मे आने वाला रोमांच उसे बहुत भाने लगा था.

"तुम बहुत परेशान रहे ना इधर डार्लिंग?..उउम्म्म्म..!",उसकी गर्दन थामे उसकी गोद मे चढ़ि वो लिफ्ट से बाहर आई & विजयंत उसे 1 कमरे मे ले गया जहा 1 छ्होटा सा बेड लगा था & कुच्छ नही.वो उसे लिए-दिए उस बेड पे लेट गया & उसकी छातियाँ उसके टॉप के उपर से दबाते हुए छूता रहा.

"हां,परेशान तो था.",उसने उसकी पॅंटी को खींचा.सोनिया की चूत बहुत गीली थी & उसने टाँगे फैला दी थी.

"मेरा दिल कर रहा था कि उड़ के तुम्हारे पास आ जाऊं & तुम्हे बाहो मे भर लू..",सोनिया उठ बैठी थी,उसके चेहरे पे बस मस्ती & अपने आशिक़ के लिए प्यार था,"..& तुम्हारी सारी परेशानी दूर कर दू!",उसने विजयंत की कमीज़ उतार दी & उसके बालो भरे सीने को शिद्दत से चूमने लगी.विजयंत ने उसका टॉप उसके सर के उपर से निकाला तो सोनिया ने खुद हाथ पीछे ले जाके अपने काले ब्रा को उतार अपनी चूचियो को आज़ाद कर दिया.विजयंत ने उसकी चूचियो को हाथ मे भर के उसे फिर से लिटा दिया & फिर उसकी चूचियाँ चूसने लगा.सोनिया उसके बालो से खेलती आहें भरने लगी,"..विजयंत..तुम माने क्यू नही समीर की शादी के लिए?..सोचो,कितना प्यार करता है वो उस लड़की से कि सब कुच्छ छ्चोड़ दिया..उउन्न्ह..!",विजयंत उसकी स्कर्ट उठा के उसकी गीली चूत को चाट रहा था.

सोनिया की बात से उसे रंभा की याद आ गयी & उसे फिर से वही बेबसी महसूस हुई.वो अपनी हर ख्वाहिश पूरी करने का आदि था & इसीलिए रंभा के च्चीं जाने से वो बहुत बौखला गया था.उसकी सारी बौखलाहट इस वक़्त उसकी ज़ुबान के ज़रिए सोनिया की चूत पे निकल रही थी.सोनिया का तो मस्ती से बुरा हाल था.वो खुद ही अपनी चूचियाँ दबाते हुए अपनी कमर उचका रही थी.

"बात बहुत रोमानी लगती है ना..!",उसने अपनी पतलून उतारी तो सोनिया उठी & वो अंडरवेर पैरो से निकाल ही रहा था कि उसने उसका लंड मुँह मे भर लिया,"..मगर क्या केवल इश्क़ से ज़िंदगी चलती है,सोनिया?",उसने उसके बालो मे हाथ फेरा.

"तो और क्या चाहिए जीने को विजयंत?",सोनिया ने लंड को मुँह से निकाला & अपने दोनो गाल उसपे रगडे & उपर देखा.उसकी आँखो मे बस प्यार & मस्ती भरी थी.

"वो बच्चा है सोनिया!..वो लड़की उस से सच मे प्यार करती भी है या नही..पता नही..देखना,1 दिन धोखा देगी उसे..!",विजयंत बे सोनिया के बाल पकड़ अपनी बौखलाहट च्छूपाते हुए अपनी कमर हिला उसके मुँह को चोदा.

"देखो जान..",सोनिया ने उसके हाथ अपने सर से हटाते हुए उसे धकेल के बिस्तर पे गिराया & अपनी स्कर्ट उठाए हुए उसके लंड पे बैठ गयी,"..उउम्म्म्मम..उउफफफफ्फ़..!",उसके होंठो पे खुशी से भरी मुस्कान खेल रही थी & आँखे मस्ती मे बंद थी,"..उसने कमर हिलाके चुदाई शुरू की & कुच्छ देर तक विजयंत के सीने पे हाथ जमाए बस उसके लंड का लुत्फ़ उठाती रही,फिर उसने बात आगे बढ़ाई,"..पहले तो तुम्हे ऐसे नही बोलना चाहिए..ऊउउईईईईईई..!",विजयंत उसकी गंद की फांको को अपने मज़बूत हाथो से मसल रहा था,"..वो तुम्हारा बेटा है आख़िर!..& मान लो तुम उस लड़की के बारे मे सही भी हो..उउन्न्ञणणन्..",विजयंत ने उसकी कमर थाम उसे नीचे अपने उपर गिरा लिया था & अब कमर को जाकड़ नीचे से कमर उचका के उसकी चुदाई कर रहा था,"..ओह..तो भी डार्लिंग..समीर को खुद ग़लती कर उनसे सबक लेने का हक़ है...आननह..हाआंन्‍ननणणन्....क्या तुमने हमेशा सही फ़ैसले ही लिया हैं..कभी कोई ग़लती ही नही की..?..उन्हे वापस बुला लो & और किसी का नही तो कम से कम रीता का सोचो..वो माँ है..ऊव्ववववववववववव.......!",वो झाड़ गयी थी & उसके झाड़ते ही विजयंत ने उसे पलट के अपने नीचे कर लिया था & उसकी टाँगे कंधे पे चढ़ा ली थी.

इस पोज़िशन मे सोनिया की गंद हवा मे उठ गयी थी & लंड बिल्कुल उसकी कोख पे चोट कर रहा था.वो मस्ती मे चीखे जा रही थी.विजयंत ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया था..समीर को माफ़ करने के मतलब था उसकी वापसी & उसकी वापसी का मतलब था..रंभा का समीर के बंगल मे रहना & हर वक़्त उसकी आँखो के सामने रहना.रोज़ उसे सामने देख तड़पना क्या वो बर्दाश्त कर सकता था..नही..!,"..ओईईईईईईईईईईई..विजयंत..डार्लिंग....है...हाआआअ..चोदो मुझे जान...ऊव्वववववववव..!",सोनिया मदहोशी मे चीख रही थी..नही..रंभा की नज़दीकी & उसकी बेबसी 1 ऐसा संगम थे जो उसे बर्बाद कर देते..नही..समीर वही ठीक था पंचमहल मे..उसकी नज़ोर से दूर..अब वो तभी लौटेगा जब उसकी ये ना पूरी होने वाली हसरत अपनेआप उसके दिल मे मर जाए,"..हाईईईईईईई..वीज़ा......यॅंट.....!",सोनिया उसकी बाहो मे नाख़ून धंसाए,सर पीछे फेंक,आँखे बंद किए कमर उचकाती झाड़ रही थी & रंभा का खूबसूरत चेहरा आँखो के सामने नाचते ही विजयंत के लंड से भी वीर्य छूट गया था & सोनिया की चूत मे भरने लगा था.

30 मिनिट्स बाद सोनिया अपने प्रेमी से विदा ले माल के पीछे की तरफ के दरवाज़े से अंदर दाखिल हुई & चंद समान खरीदे & वापस पार्किंग मे आ अपनी कार मे बैठ वापस अपने घर चली गयी.

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"हां..अच्छा..ठीक है..हां..तुम बस मुझे ऐसे ही वीक्ली रिपोर्ट्स देती रहो...अरे..क्या कर रही हो!",समीर बिस्तर पे लेटी रंभा की चूत मे लंड डाले उसकी चुदाई कर रहा था जब उसका मोबाइल बजा था & उसने उसे उठाया था.बात पूरी होते ही रंभा ने उसके हाथ से मोबाइल ले बिस्तर पे दूसरी तरफ फेंका & उसे अपने उपर खींच उसकी कमर पे टाँगे लपेट दी थी.

"1 तो सुबह-2 जगा देते हो..आहह..",समीर ने फिर से चुदाई शुरू कर दी थी.रंभा ने उसके बालो मे हाथ फिराते हुए दीवार घड़ी की ओर इशारा किया जिसमे 6 बज रहे थे,"..फिर आग लगा देते हो & जब बेचैन हो जाती हूँ..आननह..",वो उसकी चूचियाँ चूस रहा था,"..तो पता नही किस कामिनी के फोन के लिए मुझसे बेरूख़् हो जाते हो..हाईईईईईई..!",समीर हंसा & अपनी बीवी की ज़ुबान से ज़ुबान लड़ाने लगा.

"अरे जान,वीक्ली रिपोर्ट दे रही थी & फिर अभी मैं निकल जाउन्गा फिर कैसे ले पाता रिपोर्ट.",उसने उसकी भारी-भरकम चूचिया हाथो मे भर मसल दी,"..पता तो है कि अभी इस बिज़्नेस की नब्ज़ पकड़ी ही है तो हर बात का ख़याल रखना पड़ता है."

"हूँ..",रंभा अब कमर हिलाए जा रही थी & सर बिस्तर से उठा अपने पति को शिद्दत से चूम रही थी,"..समीर डार्लिंग..आज 1 महीना हो गया हमारी शादी को..आज तो रुक जाते..उउन्न्ञन्..!",समीर ने फिर से उसके गुलाबी होंठो का रस पीना चालू कर दिया था.

"मेरा भी दिल करता है जान कि तुमसे कभी दूर ना जाऊं..बस यू ही तुम्हारी नाज़ुक बाहो मे तुम्हारे हुस्न को पीता रहू..",उसने उसके गाल को चूमा,"..पर क्या करू जान ये काम भी तो ज़रूरी है..जब वापस आऊंगा तो जम के सेलेब्रेट करेंगे.अभी तक अपनी बीवी को हनिमून पे भी नही ले गया हू..आऊंगा तो बाहर चलेंगे."

"सच?कहा?..आननह..समीर...हाईईईईई.......नाआअहह.....!",रंभा झाड़ गयी & उसके साथ-2 समीर भी.

"वो तुम सोच के रखो..",समीर हाँफ रहा था,"..जब लौटूँगा तो जहा कहोगी वही चलेंगे."

"ओह!समीर..आइ लव यू,जान!",रंभा ने पति को चूम लिया.

"आइ लव यू टू,डार्लिंग!",समीर उसके उपर से उठा,"..अब जाने की तैय्यरी करू.",वो बाथरूम मे नहाने चला गे & रंभा बिस्तर पे नंगी लेटी उसे देखती रही..समीर जैसा पति किस्मतवलीयो को मिलता है..ये उसे यकीन हो गया था..वो हर वक़्त उसके आराम की फिल्र करता रहता था.इस घर मे भी किसी चीज़ की कमी नही होने दी थी उसने.बिज़्नेस को पूरी तरह से संभालने मे उसे काफ़ी मेहनत करनी पड़ रही थी लेकिन उसने इसके चलते 1 बार भी रंभा की अनदेखी नही की थी.रंभा भी उसकी इस बात की शुक्रगुज़ार थी & यू तो समीर ने हर काम के लिए नौकर रख छ्चोड़े थे लेकिन उसका हर काम वो खुद अपने हाथो से करती थी.वो बिस्तर से उठी & अलमारी से उसके कपड़े निकालने लगी.बहुत खुश थी वो मगर कुच्छ कमी भी थी-वो कमी थी बिस्तर मे.मसरूफ़ियत या थकान के बहाने से समीर ने कभी उसकी चुदाई ना की हो ऐसा कभी नही हुआ था.चुदाई मे वो उसके झड़ने,उसकी खुशी का पूरा ख़याल करता था लेकिन 1 तो वो उतनी चुदाई करता नही था जितनी रंभा चाहती थी.

वो 1 बार चोद के शांत हो जाता था जबकि रंभा चाहती थी कि वो उसे थोड़ी देर और प्यार करे & कम से कम 2 बार तो ज़रूर ही चोदे.उसने अभी तक समीर से इस बात का ज़िक्र नही किया था लेकिन उसने सोच लिया था कि अब जब वो हनिमून पे जाएँगे तो वो उसे बिस्तर से निकलने ही नाहिदे गी!..इस ख़याल से मुस्कुराते हुए उसने समीर का सूट निकाल बिस्तर पे रखा लेकिन क्या यही 1 परेशानी थी..नही..सबसे बड़ी कमी जो थी वो ये की समीर उसे अपना लंड छुने ही नही देता था.उसका दिल तड़प जाता था उसके लंड को हिलाने,उसे चूमने,उसे चूस-2 के उसका रस निकाल के पी लेने को लेकिन समीर तो लंड पे उंगली तक नही रखने देता था..वो उसकी चूत भी उतनी नही चाटता था जितना वो चाहती थी.चूत का ना चाटना उसे समझ मे आता था लेकिन लंड को ना पकड़ने देना..ये उसकी समझ मे नही आया था.जहा तक उसे पता था,मर्द तो मरते थे ऐसी औरत पे जो खुद अपनी मर्ज़ी से लंड से खेले.खैर जो हो..ये सारे मसले अपने हनिमून पे वो सुलझा के ही मानेगी.वो मुस्कुराइ & गाउन पहन समीर के नाश्ते की तैय्यरी करने रसोई मे चली गयी.

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क्रमशः.......
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