RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--15
गतान्क से आगे.
"सर,मैने प्रिंट-आउट्स निकाल के सारे पेपर्स सीरियल मे लगा दिए हैं.",रंभा समीर के कहे मुताबिक ऑफीस अवर्स के बाद उसकी मानपुर वाले प्रॉजेक्ट पे मदद करने लगी थी.
"थॅंक्स,रंभा.",समीर कुच्छ लिख रहा था.
"सर,ये सारी फाइल्स इस कंप्यूटर मे स्टोर्ड है,इनकी कोई बॅक-अप नही रखनी है?"
"वो मैं कर लूँगा.",समीर ने लिखना बंद किया,"9.30 बज गये,अब चलना चाहिए."उसने अपने डेस्क का कंप्यूटर बंद किया.कॅबिन मे लगे सोफे पे बैठी रंभा ने भी लॅपटॉप ऑफ कर उसे बॅग मे डाल दिया.वो लॅपटॉप भी समीर का था.समीर कोट पहन रहा था तो रंभा ने उसकी मदद की & फिर उसका बॅग उसे थमाया & दोनो कॅबिन से निकल गये.
"सर,अभी तक टेंडर निकला भी नही है,ये भी नही मालूम कि कब निकलेगा फिर भी आप इतनी तैयारी कर रहे हैं?"
"रंभा,दुनिया को नही पता मगर डॅड & मुझे पता है कि आज से ठीक 5 महीने बाद टेंडर निकलेगा."
"ओके,सर लेकिन आप मेटीरियल्स का जो कॉस्ट अभी सोच रहे हैं,उस वक़्त वो घट या बढ़ गया तो?"
"वो मैं तुम्हे कल बताउन्गा,मैं दोनो तरफ का मार्जिन लेके चल रहा हू.",दोनो नीचे आ गये थे & समीर का ड्राइवर उसकी कार का दरवाज़ा खोले खड़ा था,"..अब ये सब चिंता छ्चोड़ो & घर जाओ.",उसकी कार के पीछे खड़ी 1 कार का दरवाज़ा उसने खुद खोला & रंभा को बैठने का इशारा किया.जब से उसने देर तक रुकना शुरू किया था,समीर ने उसके घर जाने के लिए ऑफीस की 1 कार का इंतेज़ाम कर दिया था,"..वैसे मुझे तुम्हारे मम्मी-पापा से माफी माँगनी पड़ेगी तुम्हे रोज़ इतनी देर करवा रहा हू."
"वो नाराज़ नही होते हैं,सर.",रंभा फीके ढंग से मुस्कुराते हुए कार की पिच्छली सीट पे बैठ गयी.
"अच्छा!ऐसा कमाल कैसे हो गया?..तुम्हारी मम्मी तो ज़रूर चिंता करती होंगी?"
"जी नही सर.कोई चिंता नही करता क्यूकी वो इस दुनिया मे हैं ही नही."
"क्या?!आइ'म सॉरी,रंभा.मुझे पता नही था नही..-"
"इट'स ओके,सर!मुझे बुरा नही लगा."
"फिर भी मैं माफी चाहता हू,रंभा.",उसने कार की खिड़की मे से बढ़के उसके कंधे पे हाथ रखा तो वो मुस्कुरा दी,"ओके..गुड नाइट!"
"गुड नाइट,सर!",रंभा समीर की शराफ़त की मुरीद हो गयी थी.दोनो बाप-बेटे उसे बड़े भले इंसान लगे थे & ट्रस्ट ग्रूप मे काम करना उसे बहुत भा रहा था.विजयंत के ख़याल से उसे फिर से बीच वाली घटना याद आ गयी & 1 बार फिर उसकी चूत मे कसक उठी.आज उसने पॅंट सूट पहना था.उसने दाई टांग उठा बाई पे चढ़ाई & अपनी जाँघो मे चूत को दबा दिया लेकिन वो जानती थी कि जब तक घर जाके वो अपनी उंगली का सहारा नही लेगी या फिर अगर विनोद को फ़ुर्सत हुई & उसका लंड उसकी चूत मे उतरा, तो ही उसकी कसक शांत होगी.
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"हेलो,मिसेज़.कोठारी!",अपने मुलाज़िमो को कुच्छ हिदायत देती सोनिया चौंकी,उसके सामने विजयंत खड़ा था & उसे सर से पाँव तक देख रहा था.उसने 1 सफेद कमीज़ & क्रीम कलर की पतलून पहनी थी.
"हाई!",अफ..वो आँखें!..क्यू आया था वो यहा?..कितनी मुश्किल से उसने हनिमून पे उसे भूलके खुद को ब्रिज के प्यार मे डूबा दिया था!
विजयंत ने हाथ बढ़ा उसका हाथ थामा & उसकी निगाहो मे झँकते हुए हाथ को चूम लिया.सोनिया के जिस्म मे बिजली दौड़ गयी & उसने हाथ खींच लिया मगर दिल का कोई कोना उसके हाथ को विजयंत की पकड़ मे ही रहने देना चाहता था,"आप आज बहुत खूबसूरत लग रही हैं."
"थॅंक्स!",उसने उसकी तरफ पीठ कर ली & पास की मेज़ पे पढ़ी 1 फाइल उठा पार्टी के शेड्यूल को देखने का नाटक करने लगी.
"सोनिया जी.."
"जी.",उसने बिना घूमे जवाब दिया..ये जाता क्यू नही?..उसका दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था & उसे उसका कारण समझ नही आ रहा था.
"मैं आपको पार्टी जाय्न करने की दावत देने आया था.हम वाहा जश्न मनाएँ & आप यू यहा अकेली बैठी रहें,ये मुझे कुच्छ ठीक नही लगा."
"थॅंक्स पर मैं नही आ सकती.आप एंजाय कीजिए.",वो घूम के हल्के से मुस्कुराइ.
"सोनिया जी..",विजयंत उसके बिल्कुल करीब आ गया & सोनिया की धड़कने और तेज़ हो गयी,"..आपके इनकार की वजह कही आपके पति & मेरे बीच की सो-कॉल्ड दुश्मनी तो नही?"
"आप ग़लत समझ रहे हैं,मिस्टर.मेहरा..",सोनिया ने चेहरे पे दिल की बेकली को आने नही दिया,"..ये मेरे पेशे के उसूलो के खिलाफ है.अपनी ऑर्गनाइज़ की हुई पार्टी मे मैं खुद नही जा सकती."
"मैं कद्र करता हू आपकी बात की.",विजयंत थोड़ा सा झुका & अपने हाथ मे पकड़े 2 वाइन ग्लास मे से 1 सोनिया की ओर बढ़ाया,"..तो ठीक है आप यही 1 जाम कबूल कीजिए.इस तरह आपका उसूल भी बरकरार रहेगा & मुझे कुच्छ देर के लिए आपका साथ भी मिल जाएगा.",अब विजयंत की गुज़ारिश ठुकराना सोनिया को बदतमीज़ी लगा & उसने ग्लास ले लिया.
"मिसेज़.कोठारी,आपको लग रहा होगा कि मैं क्यू आपके करीब आने की कोशिश कर रहा हू?",सोनिया चौंक गयी & ड्रिंक गिरते-2 बची.
"जी,आपको कैसे मालूम?"
"आपकी ये खूबसूरत आँखे आपसे बहुत धोखा करती हैं.आपको खबर भी नही होती & ये आपके दिल का हाल हमे बयान कर देती हैं.",ना चाहते हुए भी सोनिया को हँसी आ गयी.विजयंत भी हंसा,"..सोनिया जी,आप मुझे अच्छी लगी & बस आपसे दोस्ती करने को जी चाहा.अब कोठारी साहब & मैं तो दोस्त बनाने से रहे तो मैने सोचा कि आप ही की दोस्ती से काम चला लू.",उसकी नाटकिया ढंग से कही बात पे उसे फिर से हँसी आ गयी.
"लेकिन मेरे पति को ये बात शायद पसंद ना आए?"
"बिल्कुल,मैं समझ सकता हू.उनकी जगह मैं होता तो मेरी भी भावनाए कुच्छ वैसी ही होती बल्कि उनकी जगह मैं होता तो मुझे तो आपका किसी भी मर्द से बात या दोस्ती नागवार गुज़रती."
"अच्छा!क्यू?",सोनिया की वो अंजानी घबराहट अब दूर हो रही थी & विजयंत से बात करना उसे अच्छा लग रहा था.वो फ्लर्ट करने की कोशिश नही कर रहा था लेकिन उसकी तारीफ का मौका भी नही छ्चोड़ रहा था.
"सोनिया जी,आपके जैसी हसीन बीवी हो तो कोई भी मर्द उसे किसी गैर मर्द से बाते करते देख जलन से मर जाएगा!",दोनो फिर से हँसे.
"अगर आपको ऐतराज़ है तो आइन्दा मैं कभी आपको यू परेशान नही करूँगा."
"प्लीज़,मिस्टर.मेहरा मेरी बात का बुरा मत मानिए लेकिन आप मेरी पोज़िशन समझने की कोशिश कीजिए."
"ज़रूर,सोनिया जी.आप बेफ़िक्र रहें मैं कभी भी आपके पति की मौजूदगी मे आपसे बात नही करूँगा लेकिन उनकी गैर मौजूदगी मे आपसे बात करने का कोई मौका छ्चोड़ूँगा भी नही!"
"ओके,मिस्टर.मेहरा.",सोनिया फिर हँसी.
"ओके तो अबसे मैं विजयंत हू मिस्टर.मेहरा नही.",विजयंत ने हाथ आगे बढ़ाया.सोनिया का दिल फिर से धड़क उठा.उसके गर्म हाथ के एहसास के आभास से फिर वोही घबराहट उसे घेरने लगी.उसका दिल उसे हाथ बढ़ने से रोक रहा था लेकिन दिल के 1 कोने से आती आवाज़ जोकि उसे हाथ थामने को कह रही थी,अब तेज़ हो रही थी.सोनिया ने उसी कोने की आवाज़ सुनी & विजयंत का हाथ थाम लिया.
"ओके,विजयंत.",उसके जिस्म मे फिर से बिजली दौड़ गयी थी & दिल मे घबराहट के साथ बहुत रोमांच होने लगा था.
"ओके.",विजयंत मुस्कुराया & वापस पार्टी मे चला गया.
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ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी सोनिया बालो मे ब्रश फिरा रही थी & विजयंत मेहरा से हुई मुलाकात के बारे मे सोच रही थी.उसकी बातो को याद करते ही उसके होंठो पे मुस्कुराहट खेलने लगी.
"क्या सोच रही हो?"
"हूँ..!",ब्रिज कोठारी कब उसके पीछे आ खड़ा हुआ था उसे पता ही नही चला था,"..क-कुच्छ नही.",वो ब्रश रख खड़ी हुई तो ब्रिज ने उसे बाहो मे भर लिया,"..आज कितनी देर से लौटे तुम..उउम्म्म्म..!",ब्रिज का उसकी गर्दन चूमना उसे बहुत भला लग रहा था.
"हां,आज बहुत देर हो गयी.तुम्हारी पार्टी कैसी रही?",वो धीरे-2 उसकी नाइटी उपर उठाते हुए उसके क्लीवेज को चूम रहा था.
"ठीक से निपट गयी....उफफफफ्फ़..ज़रा सब्र नही तुम्हे तो!",ब्रिज का दाया हाथ उसकी पॅंटी मे घुस उसकी गंद को दबा रहा था.
"क्या ज़रूरत है सोनिया डार्लिंग तुम्हे अब ये काम करने की?",सोनिया उसकी शर्ट के बटन खोल उसके सीने को चूम रही थी & वो उसकी नाइटी के स्ट्रॅप्स उसके कंधो से सरका रहा था,"..बेकार परेशान होती हो."
"जानू,अपने शौक के लिए करती हू ये काम.नही तो बोरियत से मर ही जाऊंगी..ऊव्ववव..!",ब्रिज ने उसके सीने पे हल्के से काटा & उसकी जाँघो को पकड़ उसे उठाया तो सोनिया ने भी अपनी जंघे उसकी कमर पे & बाहे गर्दन पे लपेट दी & उसकी गोद मे बिस्तर की ओर चली गयी.
"मरे तुम्हारे दुश्मन!",ब्रिज उसे लिए-दिए बिस्तर पे लेट गया & दोनो पति-पत्नी 1 दूसरे से गुत्थम-गुथ्हा 1 दूसरे को शिद्दत से चूमने लगे.दोनो कमर हिलाते हुए अपने नाज़ुक अंगो को आपस मे रगड़ रहे थे.ब्रिज ने सोनिया की नाइटी को नीचे कर उसकी गोरी चूचियाँ नंगी कर दी थी & उन्हे चूस रहा था.सोनिया भी आहे भरते हुए उसकी शर्ट उपर कर उसकी पीठ सहलाते हुए अपनी कमर उचका रही थी.
"जान,आज मेरी मौसी का फोन आया था,बता रही थी कि मम्मी की तबीयत कुच्छ ठीक नही चल रही आजकल.",ब्रिज उठ के अपने कपड़े निकाल रहा था तो सोनिया भी उठ बैठी थी.ब्रिज ने नगे हो उसकी नाइटी को थामा तो उसने हाथ उपर कर दिए ताकि उसके पति को उसे नग्न करने मे ज़्यादा परेशानी ना हो,"..मैं सोच रही थी कि बॅंगलुर जाके उन्हे देख आऊँ.",ब्रिज ने उसे बाहो मे भरा तो दोनो 1 बार फिर पहले की तरह लेट गये & चूमने लगे .
"वो तुम्हारे मा-बाप हैं..",ब्रिज अपने दाए हाथ को उसकी पॅंटी मे घुसा उसकी चूत रग़ाद रहा था,"..उनसे मिलने,ना मिलने का फ़ैसला भी तुम्हारा ही होना चाहिए मगर सोनिया,मुझे तुम्हारी तौहीन बर्दाश्त नही फिर चाहे तौहीन करने वाले तुम्हारे मा-बाप ही क्यू ना हों.",सोनिया की पलके मस्ती मे मूंद गयी थी & वो अब जोश मे कमर उचका रही थी.
"ओह्ह..ब्रिज मेरी जान..",पति के लिए उसके दिल मे बेपनाह मोहब्बत उमड़ आई & उसने उसके बाल पकड़ उसे नीचे खींचा & उसे दीवानगी के साथ चूमने लगी.ब्रिज ने उसके झाड़ते ही उसकी पॅंटी उतारी & सोनिया ने टाँगे फैलाते हुए अपने पति को उपर आ अपनी चुदाई करने का न्योता दिया,"..अब वो मेरे साथ जो सलूक करें,ब्रिज हैं तो वो मेरे मम्मी-पापा ना..ऊउउईईईईईईई.....उफफफफफ्फ़..कितना बड़ा है तुम्हारा..अभी तक दर्द होता है.....हाईईईईईईईईई....!",ब्रिज ने लंड पूरा का पूरा अंदर डाल दिया था.
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क्रमशः.......
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