RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--8
गतान्क से आगे.
"क्या चाहिए आपको?..आप मेरी सॅलरी से जितने चाहें पैसे ले लीजिएगा!",रंभा वैसे ही परेशान शक्ल बनाके बोली जबकि वो समझ चुकी थी क़ी उसके हुस्न का तीर निशाने पे लगा है & विनोद सिंग उसके जिस्म की माँग करने वाला है.
"पैसो का मैं क्या करूँगा,रंभा!",वो हंसा & हंसते हुए अपना बाया हाथ उसकी दाई जाँघ पे मारा,"..देखो,रंभा.सारा दिन बस काम करता रहता हू यहा तक कि सनडे को भी मुश्किल से छुट्टी ले पता हू.मेरा कोई दोस्त नही है तो तुमको देखा तो लगा शायद तुम मेरी दोस्त बनो & मेरे साथ थोड़ा वक़्त गुज़ारो.",रंभा वक़्त गुज़ारने का मतलब समझ चुकी थी.उसका दिमाग़ तेज़ी से काम कर रहा था.विनोद की बात मानने से ट्रस्ट मे इंटरव्यू तो लग ही सकता था,उसमे नाकामयाब होने पे आगे भी कोई अच्छी नौकरी उसे विनोद के ज़रिए मिल सकती थी बशर्ते वो चालाकी से काम ले.
"पर आपकी बीवी तो होगी..वो क्या सोचेंगी हमारी दोती के बारे मे?",रंभा ने भोली-भाली लड़की का नाटक किया.उसकी दोनो जाँघो पे अब विनोद के हाथ जमे थे.
"अरे उसके पास मेरे लिए वक़्त कहा है?",वो झल्ला गया,"..उसे तो बस मेरे पैसो से शॉपिंग & अपनी सहेलियो के साथ किटी पार्टी से मतलब है.सनडे को मैं उसके साथ वक़्त गुज़ारना चाहता हू तो वो अपनी सहेलियो के साथ किटी मे मस्त हो जाती है!दरअसल मैं बहुत तन्हा इंसान हू,रंभा.",उसने लंबी सांस भरी & कुर्सी से उठ खड़ा हो अपनी पीठ रंभा की तरफ की.
"तुम सोचोगी की मैं तुम्हारे CV को भेजने के बदले मे तुमसे दोस्ती की माँग कर रहा हू लेकिन ऐसा नही है..",वो घुमा तो रंभा ने देखा कि उसने बिल्कुल सच्चे,ईमानदार इंसान जैसी शक्ल बनाई हुई है,"..तुम ना भी कर दो तो भी मैं तुम्हारा cव ट्रस्ट ग्रूप को भेज दूँगा.",रंभा का काम हो गया था.
"नही,सर ऐसे मत बोलिए!",वो खड़ी हो गयी & अपना हाथ विनोद के होंठो पे रख दिया मानो उसकी बात से वो परेशान हो उठी है,फिर शर्मा के हाथ नीचे कर लिए,"मुझे आपकी दोस्ती कबूल है.",उसने भोलेपन से शरमाते हुए नज़रे नीची की & मुस्कुराइ.
"थॅंक्स,रंभा,थॅंक्स!",विनोद खुशी से उच्छल पड़ा & उसकी बाहे थाम ली मानो उसे गले लगा लेगा.रंभा ने और शरमाने का नाटक किया तो उसने उसकी बाहे चौड़ी दी,"..आज रात बाहर चलते हैं,पहले डिस्को जाएँगे,फिर बाहर खाना खाएँगे.बताओ तुम्हे कहा से पिक करू?"
"सर.."
"सर नही विनोद कहो.अब तो हम दोस्त हैं.",उसने उसकी पीठ थपथपाई..क्या मस्त लड़की है..उसे चोदने के ख़याल से ही उसका लंड पॅंट मे च्चटपटाने लगा!
"जी वो मेरा cव.."
"अभी डलवता हू उसे ट्रस्ट की फाइल मे.",उसने इंटरकम उठाया & ज़रूरी ऑर्डर्स देने लगा.रंभा मुस्कुराती हुई उसे देख रही थी.ये कामयाबी की ओर उसका पहला कदम था.
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होटेल वाय्लेट के बॅंक्वेट हॉल मे पार्टी शुरू हो चुकी थी.शहर की नामी-गिरामी हस्तियाँ मेहरा परिवार के बेटे के लौटने की खुशी मे उनके साथ शरीक हो रही थी.फिल्मी दुनिया के सितारे & जाने-माने चेहरे भी वाहा हाज़िरी दे रहे थे,आख़िर पिच्छले 4 बरसो मे ट्रस्ट आर्ट्स हिन्दी फ़िल्मो का 1 बड़ा प्रोडक्षन हाउस बन चुका था & लगभग हर साल कमसे कम 2 बड़े बजेट की फ़िल्मे बना रहा था.कितनी ही फ़िल्मो के डिस्ट्रिब्यूशन राइट्स उनके पास थे & अब तो वो सिनिमा हॉल्स के धंधे मे भी उतर चुके थे.
"वो देखो,कामया आ गयी..& कबीर के साथ.यानी ख़बरे सही हैं..दोनो मे सच मे कुच्छ चल रहा है..",कामया रॉय इस वक़्त शायद हिन्दी फ़िल्मो की नंबर.1 अदाकारा थी.26 बरस (वैसे उसकी माने तो पिच्छले 3 बरसो से उसकी उम्र 23 बरस ही है!) की 5'8" कद की गोरे & बला के खुसबुरत बदन & हसीन शक्ल की मालकिन इस वक़्त ट्रस्ट आर्ट्स की 2 फ़िल्मे कर रही थी & आजकल चारो तरफ ये खबर थी कि हीरो कबीर के साथ उसका गरमागरम अफेर चल रहा था.उसने गुलाबी रंग की घुटनो तक कि ड्रेस पहनी थी जोकि सीने के नीचे तक कसी थी & फिर ढीली.पार्टी मे आए मर्दो की निगाहें तो उसकी गोरी,लंबी टाँगो से चिपकी हुई थी & जब नज़रे उपर होती तो ड्रेस को फाड़ के निकलने को बेताब उसकी 36 साइज़ की चूचियो से सॅट जाती.कबीर की बाँह अभी भी उसकी 26 इंच की कमर मे फँसी थी & लोगो की नज़रे बचा के उसने कामया की 36 इंच की गंद को 1-2 बार दबा भी दिया था.
शिप्रा ने रीता के साथ कामया का स्वागत किया & फिर तस्वीरे खिंचवाने का 1 दौर चला,"वेलकम बॅक,समीर!",कामया ने उसके गाल को चूमा.
"थॅंक्स,कामया.",उसने भी उसका गाल चूमा,"हे..कबीर..कैसे हो यार?..तुम्हारी लास्ट फिल्म देखी..उसमे वो लड़कियो का गेट-अप करने की क्या ज़रूरत थी,भाई!",सभी हँसने लगे.
"क्या करता यार,डाइरेक्टर पीछे ही पड़ गया था!",ऐसे ही हसी-मज़ाक चल रहा था.विजयंत भी दोनो मेहमआनो से मिला & फिर सब अपने मे मस्त हो पार्टी का लुत्फ़ उठाने लगे.शिप्रा की पार्टीस तो वैसे भी अपनी ज़िंदादिली के लिए जानी जाती थी.कुच्छ देर बाद ही कबीर अपने कुच्छ दोस्तो के साथ मशगूल हो गया & कामया भी 1 दूसरे ग्रूप के साथ बाते करने लगी,"एक्सक्यूस मी.",उनसे कुच्छ देर बाते करने के बाद वो वाहा से रेस्टरूम चली गयी.
"हा....!",रेस्टरूम से निकलते ही कामया को किसी ने खींचा & 1 कमरे मे ले गया,"ओह..विजयंत!",कमरे का दरवाज़ा बंद होते ही कामया उसकी बाहो मे झूल गयी & उसे चूमने लगी.
"आजकल कबीर के साथ काफ़ी नाम सुन रहा हू तुम्हारा?",विजयंत ने कयि पलो तक उसे चूमने के बाद उसे परे धकेला तो वो बिस्तर पे बैठ गयी.
"ओह..डार्लिंग..सब तुम्हारे लिए ही तो कर रही हू..",उसने कोट उतारते विजयंत की पॅंट का ज़िप खोला & उसके 9.5 इंचे लंबे लंड को बाहर निकाला,"..2 फाइल कर रही हू तुम्हारी कंपनी के लिए..",उसने लंड को हिलाते हुए चूमा,"..उउंम..मेरे & कबीर के बीच कुच्छ है,ये सुनते ही मीडीया पागल हो गयी है..ज़रा सोचो कितनी मुफ़्त की पब्लिसिटी मिल रही है तुम्हारी फ़िल्मो को & मज़े की बात है कि वो उल्लू कबीर भी सोचता है कि मैं सच मे उस से प्यार करती हू!",दोनो हंस पड़े & फिर वो विजयंत का लंड चूसने लगी.विजयंत ने अपने हाथ आगे बढ़ा के उसकी ड्रेस के पीठ पे लगे हुक्स खोले & उसकी मोटी चूचिया मसलने लगा.कामया के निपल्स बहुत ही हल्के भूरे रंग के थे & इस वक़्त बिल्कुल कड़े थे.
कामया के टॉप की हेरोयिन बनाने मे विजयंत का सबसे बड़ा या यू कहें कि केवल विजयंत का ही हाथ था.कोलकाता मे पली-बढ़ी कामया ने दसवी पास करते ही सोच लिया था कि उसे फ़िल्मो मे ही जाना है.12वी पास करते-2 वो मॉडेलिंग करने लगी & कॉलेज मे उसने खूब मॉडेलिंग की & ब्यूटी कॉंटेस्ट मे हिस्सा लिया.1 बड़ी अंडरगार्मेंट बनाने वाली कंपनी की ब्रा-पॅंटी का आड़ उसने किया & विजयंत ने 1 मॅगज़ीन मे उस आड़ को देखा & देखते ही कामया के जिस्म को पाने की ख्वाहिश उसके दिल मे जाग उठी.जब तक वो उसके बारे मे पता करता तब तक उसे 1 ब्यूटी कॉंटेस्ट जड्ज करने का बुलावा आ गया & वाहा 25 लड़कियो मे से कामया भी 1 थी.विजयंत ने उसे दिल खोल के मार्क्स दिए & कामया मे कोई विश्वास की कमी तो थी नही.उसने वो कॉंटेस्ट जीत लिया.ठीक उसी वक़्त विजयंत के ग्रूप ने भी फिल्म प्रोडक्षन के धंधे मे कदम रखे.विजयंत ने कामिया को शुरू मे 1-2 छ्होटे रोल दिलवाए & जिस दिन उसने उसके बिस्तर मे आने का न्योता कबूला उसी दिन उसने उसे 1 बहुत बड़ी बजेट की फ़ीम दिलवाई.कामया जितनी हसीन थी उतनी ही बढ़िया अदाकारा भी थी.फिल्म कामयाब रही & कामया का करियर आगे बढ़ने लगा.पिच्छले 4 बरसो मे विजयंत की लगभग हर बड़ी फिल्म मे कामया होती थी.जहा दूसरे प्रोड्सर्स से वो मुहमांगी कीमत लेती थी वही विजयंत के लिए वो कम पैसो मे काम करती थी,यही नही विजयंत के ग्रूप की वो ब्रांड अंबासडर भी थी.ऐसा नही था कि केवल विजयंत को ही फयडा हो रहा था,कामया को भी विजयंत से बहुत फयडा था.उसकी हर बड़ी फिल्म उसे मिल रही थी & इस इंडस्ट्री मे जहा लड़कियो की कद्र कम ही होती थी,विजयंत उसका गॉडफादर था.
"ऊहह....एसस्सस्स.....!",लंड चूसने के बाद विजयंत ने कामया को बिस्तर पे लिटा दिया था & वही ज़मीन पे बैठ उसकी टाँगे उठा उसकी चूत चाटने लगा था.कामया का विजयंत के करीब रहने का 1 और कारण था-वो था विजयंत की चुदाई.उसने अभी तक विजयंत जैसा मर्द नही देखा था.उसकी हर्कतो & उसके लंड से जो मज़ा मिलता था,वो उसने अभी तक किसी और मर्द से नही पाया था,"..आन्न्न्नह..!",उसका बदन झटके खाने लगा & उसने चूत चाटते विजयंत के बाल बेचैनी से नोच लिए,वो झाड़ चुकी थी.उसके झाड़ते ही विजयंत खड़ा हुआ & उसकी टाँगे उठा खड़े-2 ही अपना लंड उसकी चूत मे उतार दिया.
"कामया,ब्रिज कोठारी ने शादी कर ली है.",वो ज़ोरदार धक्के लगा रहा था.आमतौर पे वो कामया के साथ इतमीनान से चुदाई करता था मगर आज अगर वो ज़्यादा देर पार्टी से गायब रहते तो किसी को शक़ हो सकता था & इसलिए वो जल्दी से ये काम निपटना चाहता था.
"आननह..हां,सुना मैने.."
"तुम जानती हो उसकी बीवी को?",विजयंत ने उसकी टाँगे को और फैलाक़े और गहरे धक्के लगाए.
"हाईईईईई...हां,थोड़ा बहुत....इवेंट मॅनेज्मेंट कंपनी चलती है..उउन्न्ञणणन्.....पार्टीस मे मिलती थी अक्सर..क्यू पुच्छ रहे हो?..याआह्ह्ह्ह..हाआंणन्न्..ऐसे ही चोदो...ऊव्वववव....और अंदर...आहह.....!"
"बस ऐसे ही.",विजयंत ने उसकी टाँगे पकड़ के तब तक धक्के लगाए जब तक वो झाड़ नही गयी फिर अपना वीर्य उसकी चूत मे छ्चोड़ा & फिर लंड को बाहर खींच लिया.कुच्छ पलो बाद दोनो फिर से पार्टी मे शामिल हो गये.किसी को पता भी नही चला था कि वो कुच्छ देर तक उनके बीच नही थे.
भीड़ भरे क्लब के डॅन्स फ्लोर पे झिलमिलाती रंगीन रोशनी मे छ्होटी सी,चमकती,स्लीवेलेस्स,काली ड्रेस मे नाचती हुई रंभा सबसे अलग ही दिख रही थी.विनोद के हाथ तो उसकी लचकति कमर से मानो चिपक ही गये थे.क्लब के बाकी मर्दो को विनोद की किस्मत से जलन हो रही थी & लड़कियो को रंभा के रूप से.
विनोद रंभा की कमर पीछे से थामे उसके साथ नाच रहा था & रंभा महसूस कर रही थी कि ऐसा करते हुए वो अपना लंड उसकी गंद से दबाने का कोई मौका नही छ्चोड़ रहा था.उसकी इस हरकत से उसके दिल मे भी मस्ती पैदा होने लगी थी.डेवाले मे आने के बाद पहली बार कोई मर्द उसके इतना करीब आया था.
"चलो,कुच्छ खाते हैं.",विनोद ने रंभा की कमर थामे हुए उसके दाए कान के पास अपना मुँह लाकर कहा.उसकी गर्म साँसे जब कनपटी से टकराई तो रंभा की मस्ती और बढ़ गयी.दोनो क्लब के दूसरे हिस्से मे बने लाउंज मे पहुँचे & 1 कोने मे बैठ गये.दीवार से लगे सोफे पे दोनो साथ-2 बैठे.रंभा विनोद के बाई तरफ बैठी थी & विनोद की बाई बाँह अभी भी उसकी कमर मे थी.विनोद ने खाने का ऑर्डर दिया & फिर दोनो बातें करने लगे.सामने की मेज़ की आड़ का फयडा उठा बातें करते हुए विनोद ने अपना दाया हाथ रंभा की गोरी जाँघो से लगा दिया & उन्हे बेसब्री से सहलाने लगा.
रंभा कोई कुँवारी लड़की तो थी नही फिर इन मामलो मे वो कभी पीछे भी नही हटती थी मगर ये पहला मौका था की वो किसी क्लब मे आई थी & ऐसी भीड़ भरी जगह मे ऐसी हरकत से उसे शर्म आ गयी & उसने विनोद का हाथ अपने जिस्म से हटा दिया.उसने नज़रे घुमाई तो देखा की क्लब मे कयि जोड़े आपस मे रोमानी गुफ्तगू मे मशगूल थे इस बात से बेपरवाह की कोई उन्हे देख रहा है.
विनोद का बाया हाथ कमर से उपरी पीठ पे आया & उसकी उपरी,बाई बाँह के गुदाज़ हिस्से को सहलाने लगा.वेटर खाना रख गया तो विनोद उसे अपने हाथो से खिलाने लगा.रंभा के लिए ये सब नया एहसास था मगर थोड़ी ही देर मे उसकी हया भी काफूर हो गयी थी & उसे मज़ा आने लगा था.
खाना खाने के बाद दोनो क्लब से निकले & बेसमेंट पार्किंग मे आए.विनोद अब बिल्कुल बेकाबू हो गया था.उसने बेसमेंट मे ही रंभा को जाकड़ लिया & चूमने लगा.रंभा भी थोड़ी ना-नुकर के बाद उसका साथ देने लगी मगर तभी किसी की आहट हुई तो वो उस से अलग हो गयी & दोनो विनोद की कार मे बैठ गये.विनोद ने कार वाहा से निकली & रास्ते पे ले आया.ड्रेस के नीचे से रंभा की आधी जंघे & लंबी टाँगे दिख रही थी.ड्राइव करते विनोद का बाया हाथ बीच-2 मे उसकी जाँघो से आ लगता था.
विनोद ने कार 1 सुनसान रास्ते के किनारे रोकी & रंभा को बाहो मे भर उसके चेहरे पे किस्सस की बौच्चार कर दी.रंभा के जिस्म को बाए हाथ मे लपेटे विनोदा का दाया हाथ उसकी जाँघो के बीच घुसाने की कोशिश कर रहा था.रंभा ने मस्ती मे जंघे आपस मे भींच विनोद का हाथ फँसा लिया था.विनोद उसके बाए कान की लाउ को जीब से छेड़ता हाथ को ड्रेस के अंदर घुसाने की कॉसिश कर रहा था मगर ड्रेस इतनी कसी थी की ऐसा करना नामुमकिन था.ड्रेस के गले मे से झाँकते बहुत हल्के से क्लीवेज को चूमते हुए उसने अपना हाथ ज़बरदस्ती अंदर घुसाने की कोशिश की तो रंभा मदहोश हो गयी & उसने अपना बदन अपने इस नये आशिक़ की गिरफ़्त मे ढीला छ्चोड़ दिया लेकिन तभी पीछे से आती हुई किसी कार की रोशनी ने उसकी खुमारी तोड़ी & उसने विनोद को परे धकेल दिया.
"प्लीज़..यहा नही.",उसने अपनी ड्रेस को ठीक किया तो विनोद ने कार स्टार्ट की & आगे बढ़ाई & फिर उसे अपनी बाई बाँह के घेरे मे खींच उसे चूमते हुए बाकी का सफ़र तय किया.
विनोद की बीवी मायके गयी हुई थी & विनोद मन ही मन उपरवाले का शुक्रिया अदा कर रहा था वरना होटेल का खर्चा होता उपर से देर से लौटने पे बीवी को जवाब भी देना पड़ता.अपने घर मे घुसते ही विनोद ने बत्ती जलाने से भी पहले रंभा को बाहो मे भर लिया & चूमते हुए उसे अपने बेडरूम मे ले गया.
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क्रमशः.......
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