Desi Kahani Jaal -जाल
12-19-2017, 10:27 PM,
#7
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--7

गतान्क से आगे.

"आहह..!",उसे हल्का दर्द हुआ & फिर जब ब्रिज ने उसकी कसी चूत मे पूरा लंड अंदर घुसाना शुरू किया तो वो चीख उठी.उसे ऐसा लग रहा था कि फिर से उसका कुँवारापन लुट रहा है.इतना दर्द तो उसे पहली बार भी नही हुआ था,"ब्रिज...नही...ऊऊव्व्वव..बहुत दर्द हो रहा है...आआइइईईईई..बहुत बड़ा है तुम्हारा..ओफफफफफ्फ़.....!",मगर ब्रिज ने लंड को उसकी चिकनी चूत मे आख़िर तक उतार के ही दम लिया.

"बस हो गया मेरी जान!",उसने उसे खूब चूमा & लंड को ज़रा भी नही हिलाया.जब उसका दर्द ख़त्म हो गया तब उसने उसके चेहरे को हाथो मे भरा & अपनी कमर को हिलाना शुरू किया,अब तो दर्द नही हो रहा,जानेमन?"

"उउम्म्म्मम..नही..!",सोनिया अब मस्ती मे थी.कुच्छ ही पलो मे वो कमर हिला के अपने पति का पूरा साथ दे रही थी.उसकी चूत के आनच्छुए हिस्सो को अपनी रगड़ से आहत कर ब्रिज का लंड उसे जन्नत की सैर पे ले चला था.ब्रिज उसकी मोटी चूचियो को चूस्ता धक्को की रफ़्तार बढ़ा रहा था.सोनिया मदहोश हो अपने नखुनो से उसकी पीठ को छल्नी कर रही थी.थोड़ी देर पहले जिस लंड के घुसने से वो दर्द से बहाल हो चुकी थी अब उस लंड को वो चूत से निकलने नही देना चाहती थी.ब्रिज की गंद दबोच उसे दबाते हुए वो उसे जैसे अपने और अंदर ले लेना चाहती थी!

ब्रिज पूरे लंड को बाहर निकाल उसकी ठुड्डी चूमता उसे फिर से अंदर पेल रहा था.सोनिया की आहें कमरे मे गूँज रही थी.ब्रिज के क़ातिल धक्को के आगे उसने जल्द ही घुटने टेक दिए & उचक के उसे चूमते हुए झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही ब्रिज ने उसे बाहो मे भर करवट बदली & उसे अपने उपर करता हुआ बिस्तर पे लेट गया.कुच्छ पल तो सोनिया अपने आप को संभालती रही फिर जब सायंत हो गयी तो ब्रिज ने नीचे से कमर उचका के दोबारा चुदाई शुरू कर दी.उसके बालो भरे सीने पे छातिया दबाए वो उसके होंठ चूमने लगी.उसके दिल मे अपने महबूब के लिए बहुत प्यार उमड़ आया था.उसकी मर्दानगी की वो मुरीद हो गयी थी & अब उसके साथ यू ही ज़िंदगी के अंत तक रहने की तमन्ना उसके दिल मे उठ रही थी.

ब्रिज ने उसकी बाहे पकड़ उसे उपर कर दिया तो उसे शर्म आ गयी.उसके लंड से पागल हो वो कमर उचका-2 के चुदाई कर रही थी & ऐसा करने से उसकी भारी छातिया बड़े मस्ताने अंदाज़ मे छल्छला रही थी.उसने शर्म से मुस्कुराते हुए अपनी आँखे बंद कर अपने सीने को अपनी बाहो से ढँक लिया.

"क्यू छिपा रही हो इन्हे?",उसकी गंद को दबोचते हुए अपने हाथो को हटा ब्रिज ने उसके हाथो को उसके सीने से हटाया,"..मुझे देखने दो इन खूबसूरत फूलो को..खेलने दो मुझे इनसे..!",उसके हाथ बीवी की चूचियो से चिपक गये & उन्हे दबाने लगे.शर्मा के सोनिया ने अपना चेहरा अपने हाथो मे च्छूपा लिया तो ब्रिज उठ बैठा & उसके हाथो को हटा उसके चेहरे को चूमने लगा.दोनो फिर से मस्ती के सागर की गहराई मे डूब रहे थे.बैठे-2 कुच्छ देर चुदाई करने के बाद ब्रिज ने सोनिया को बाँहो मे भरते हुए फिर से बिस्तर पे लिटा दिया & उसके उपर लेट उसकी चुदाई करने लगा.अब सोनिया की हया काफूर हो चुकी थी.अब बस उसे पति के साथ फिर से उस समंदर की गहराई मे पूरा डूब जाना था.वो मस्ती मे अपने हाथ अपने पति के सीने,पीठ,बाँह,चेहरे..पूरे जिस्म पे फिराते हुए उस से अपने इश्क़ का इक़रार कर रही थी,"आइ लव यू माइ डार्लिंग..ऊऊहह....मेरी जान ब्रिज...आइ लव यू...आहह..!",ब्रिज का जोश और बढ़ गया.दोनो गुत्थमगुत्था हो गये.सोनिया की टाँगे ब्रिज की कमर पे थी & बाहे पीठ पे,हाथ गंद को खरोंछते तो कभी सर के बालो को नोचते.ब्रिज उसकी चूचियो को पीता तो कभी होंठो को चूमता.उसके हाथ भी कभी उसके चेहरे को सहलाते तो कभी चूचियो को मसल्ते.कमरे मे आहो का शोर अपने चरम पे था & जिस्मो का रोमांच भी अब आख़िरी पड़ाव पे पहुँच गया था.ब्रिज के धक्को से आहत हो सोनिया ने चीख मार. & उसका नाम पुकारते झाड़ गयी & ब्रिज ने भी अपनी महबूबा के प्यार का एलान करते हुए उसकी चूत मे अपना गाढ़ा वीर्य छ्चोड़ दिया.दोनो 1 दूसरे की बाहो मे क़ैद 1 दूसरे को चूम रहे थे.दोनो के दिलो मे उमंग थी,ये उनके नये जीवन का आगाज़ था & दोनो को यकीन था कि इस रात की तरह पूरी ज़िंदगी भी ऐसे ही रंगिनियो से भरी रहेगी.

दोनो को पता नही था कि दोनो कितने ग़लत थे.

"उम्म्म्म..ब्रिज डार्लिंग..तुमने मुझसे शादी क्यू की?",सोनिया अपने पति से 2 बार चुदवाने के बाद उसकी बाई तरफ लेटी थी,उसके बाए हाथ मे उसका लंड था & उसकी चूत मे पति के दाए हाथ की उंगलिया.ये सवाल उसके दिल मे अपने कमरे मे घुसने के कुच्छ पॅलो के बाद ही आया था लेकिन पुछ्ने का मौका अभी मिला था.

"मेरी जान,मुझे आज तक शादी की कोई ज़रूरत महसूस नही हुई थी.मेरी ज़िंदगी मे ना जाने कितनी लड़कियाँ आई मगर आज तक कोई ऐसी लड़की नही मिली जिसे देख के मुझे ये लगता कि इसके साथ सारी उम्र बिताई जा सकती है..",ब्रिज ने सोनिया की चूत मे उंगली करना जारी रखा,"..तुमसे चंद मुलाक़ातों मे ही मुझे ये एहसास हो गया कि तुम ही वो लड़की हो जिसे मैं अपना जीवन-साथी बना सकता हू.सोनिया,मैं अपनी ज़िंदगी का आने वाला हर पल तुम्हारी बाहो मे गुज़रना चाहता हू.",ब्रिज ने अपने होंठ सोनिया के होंठो से लगा दिए.

ऐसा कुच्छ मुझे क्यू नही महसूस हुआ?..सोनिया ने मस्ती मे आँखे बंद कर ली मगर उसके दिल मे फिर से वही उलझन आ गयी थी..मैने क्यू की है ब्रिज से शादी?..ब्रिज के जैसा प्यार का एहसास मुझे क्यू नही महसूस होता..ब्रिज ने उसे उसकी दाई करवट पे किया तो उसने मस्त होके अपनी बाई जाँघ उसके उपर चढ़ा दी.ब्रिज ने भी अपनी उंगली की जगह अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया.सोनिया ब्रिज से लिपट गयी..क्यूकी तुम ब्रिज से प्यार ही नही करती..दीवार पे लगे कपबोर्ड के आदमकद शीशे मे उसे फिर से अपना अक्स खुद की ही हँसी उड़ाता दिखा..करती हू मैं प्यार ब्रिज से!

"आइ लव यू ब्रिज..माइ डार्लिंग..मेरी जान..आइ लव यू..आइ लव यू....आइ लव यू.....आइ लव यू..!",वो अपने अक्स को जवाब देते हुए अपने प्रेमी से चिपकी उसके सर को बेसब्री से चूमती हुई उसकी चुदाई का मज़ा ले रही थी.ब्रिज उसके प्यार का यू दीवानेपन से भरा इज़हार सुन खुशी से पागल हो गया & उसके धक्को मे & जोश भर गया.सोनिया ने आँखे बंद कर अपना चेहरा उसकी गर्दन मे च्छूपा लिया.उसे बहुत मज़ा आ रहा था & ब्रिज पे बहुत प्यार भी लेकिन दिल के किसी कोने मे वो उलझन अभी भी शायद छिपि बैठी थी.

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"वेलकम होम,माइ सन.",विजयंत मेहरा ने समीर के घर मे कदम रखते ही उसे गले से लगा लिया,"एरपोर्ट से यहा आने मे इतनी देर कैसे कर दी?",विजयंत ने बेटे को सर से पाँव तक देखा.समीर 25 बरस का 6 फ्ट का बड़ा हॅंडसम जवान था.

"डॅड,मैं वो मानपुर वाली ज़मीन देखने चला गया था.",मानपुर वही जगह थी जिसका टेंडर 6 महीने बाद निकलने वाला था & जिसपे मेहरा के अलावा कोठारी की भी नज़र जमी थी.

"वेरी बॅड,बेटा!",रीता भी वहाँ आ गयी थी & बेटे का माथा चूम लिया,"..इतने दिन बाद लौटे हो & उसपे भी पहले तुम्हे काम ही याद रहा है."

"सॉरी,मोम!",समीर हंसा,"..पर अब तो यही रहूँगा फिर सोचा कि वो ज़मीन देखने का मौका मिले ना मिले.डॅड,मैने कुच्छ सोचा है उस ज़मीन के बारे मे.."

"हां-2,मुझे पता है..",विजयंत ने उसके कंधे पे हाथ रखा,"..हम चलेंगे अगले कुच्छ दिनो मे वाहा & तब अपना प्लान बताना."

"हां..",शिप्रा & प्रणव भी वाहा आ गये थे,"..आज सिर्फ़ शाम की पार्टी की प्लॅनिंग करोगे तुम.",समीर बेहन-बहनोई से भी गले मिला & फिर पूरा परिवार हॉल मे बैठ के बातें करने लगा.

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"मगर मैं क्यू नही मिल सकती उनसे?",रंभा ने प्लेसमेंट एजेन्सी की अपनी काउनसेलर से गुस्से से पुछा.

"क्यूकी कोई फायडा नही रंभा..",वो कुच्छ लिख रही थी & उसने बिना सर उठाए जवाब दिया,"..मैने कहा ना तुम्हारा तजुर्बा कम है,हम तुम्हे ट्रस्ट ग्रूप के मालिक की सेक्रेटरी की पोस्ट के लिए कैसे भेज सकते हैं?"

"लेकिन जब मुझे मौका मिलेगा ही नही तो तजुर्बा होगा कहा से?",रंभा का गुस्से & बढ़ गया.

"प्लीज़,रंभा.तुम अपना & मेरा,सोनो का वक़्त बर्बाद कर रही हो.मैने कहा ना,तुम्हे अगले 3 महीनो मे किसी और बड़ी कंपनी मे प्लेस करवा दूँगी पर ट्रस्ट ग्रूप को तो भूल जाओ तुम फिलहाल.",वो अपना काम करती रही.रंभा को गुस्सा आ रहा था & मायूसी भी हो रही थी.वो कुर्सी से उठी & तभी उसकी नज़र सामने 1 कॅबिन पे पड़ी जिसके बाहर 1 तख़्ती पे लिखा था,"विनोद सिंग,सीनियर मॅनेजर",उसके दिल मे 1 ख़याल आया .ये आख़िरी मौका था,अगर अब भी कुच्छ नही हुआ तो वो हार ,मान लेगी लेकिन उस मॅनेजर से मिले बिना तो वो आज जाएगी नही!

उसने नीचे सर झुका के काम कर रही काउनसेलर को देखा & तेज़ी से वाहा से कॅबिन की ओर बढ़ी,"रंभा!",काउनसेलर कुर्सी से उठा के जब तक उस तक पहुँचती वो कॅबिन मे दाखिल हो चुकी थी.

"मुझे आपसे बात करनी है.",उसने डेस्क पे हाथ जमा के सामने कुर्सी पे बैठे 1 35-36 बरस की उम्र वाले शख्स से कहा जोकि उसे हैरान निगाहो से देख रहा था.

"आइ'म सॉरी,सर.",काउनसेलर अंदर आई,"रंभा,चलो यहा से,प्लीज़..मैं तुम्हे समझाती हू.",उसने रंभा की बाँह थामी तो रंभा ने उसे झटक दिया.

"मुझे आपसे कुच्छ नही समझना..मुझे अब इनसे ही समझना है सब कुच्छ.",उसने वैसे ही डेस्क पे हाथ जमाए विनोद सिंग की ओर इशारा किया.सिंग ने काउनसेलर को वाहा से जाने का इशारा किया तो वो घबराई सी बाहर चली गयी.

"क्या समझना है आपको?",उसने रांभ की ओर देखा.

"मेरा CV ट्रस्ट ग्रूप के मालिक की सेक्रेटरी की पोस्ट के लिए क्यू नही भेजा जा रहा?",रंभा ने गौर किया कि विनोद की नज़रे 1 पल के लिए उसके चेहरे से नीचे हुई & फिर उपर हो गयी.उसे ख़याल आया कि जिस तरह से वो झुकी खड़ी है,उसकी शर्ट के गले मे से उसकी छातियो का कुच्छ हिस्सा तो ज़रूर दिख रहा होगा.ये समझ मे आते ही वो थोड़ा और झुक गयी लेकिन ऐसे कि विनोद को ये एहसास नही हुआ कि वो उसे अपनी चूचियाँ दिखा रही है.

"देखिए,आपका तजुर्बा..-"

"-..वो मैं सुन चुकी हू लेकिन मुझे वाहा अप्लाइ करना ही है!",विनोद ने 1 बार फिर सफेद कमीज़ के गले से दिख रही उसकी चूचियों के थोड़े से गोरे हिस्से को देखा.

"आप वही अप्लाइ करने को इतनी उतावली क्यू हैं?",वो मुस्कुराया,उसके ज़हन मे 1 ख़याल आ रहा था.रंभा भी भाँप गयी थी कि जिस तरह वो चोर निगाहो से उसके क्लीवेज को ताक रहा था,शायद उसका काम हो सकता था.

"क्यूकी वो इस शहर की सबसे बड़ी कंपनी है & हमारे मुल्क की नामी-गिरामी कंपनीज़ मे से 1.वाहा नौकरी मिलते ही मेरा करियर बिल्कुल संवर जाएगा."

"हमारी एजेन्सी शहर की एकलौती ऐसी एजेन्सी है जोकि ट्रस्ट & उसके जैसी बड़ी-2 कंपनीज़ को उनके बड़े अफसरो के लिए सेक्रेटरीस मुहैय्या करती है..",रंभा ने डेस्क से हाथ हटा लिए थे & अब अपने सीने पे इस तरह से बाँध लिए थे कि बाहो के उपर से उसकी बड़ी छातियाँ ऐसे उभर गयी थी मानो उसकी सफेद शर्ट को फाड़ देना चाहती हो.उसने सफेद शर्ट & काली पॅंट पहनी थी & कमीज़ पॅंट मे अटकी हुई थी.इस वजह से उसके जिस्म का क़ातिलाना आकार सॉफ झलक रहा था.

"..हमारी कंपनी की साख ऐसी है कि इस धंधे का 95% हिस्सा हमारे पास है लेकिन इसी शहर मे 2-3 और एजेन्सीस हैं जोकि यही काम करती हैं & बाकी 5% हिस्सा उन्ही का है.ये हिस्सा पिच्छले बरस तक बस 3% था.अब बताओ,तुम्हे भेजूँगा तो हमारी एजेन्सी की साख का क्या होगा?",रंभा ने गौर किया कि वो आप से तुम पे आ गया था यानी कि वो उसमे दिलचस्पी ले रहा था.

"देखिए सर,जहा 4 लड़कियो को भेज रहे हैं वाहा 5 भेज दीजिए ना!",उसने थोड़ी परेशान सूरत बनाके कहा.

"सारे इंटरव्यूस विजयंत मेहरा खुद लेता है,रंभा.",वो खड़ा हुआ & उसके करीब आया & फिर उसके पीछे चला गया.रंभा की गंद देख के उसकी आँखो मे वासना के लाल डोरे तार उठे,"..ज़रा भी चूक हुई तो वो हमारी एजेन्सी को बलकक्लिस्ट कर सकता है.",उसने उसके कंधो पे पीछे से हाथ रखा,"बैठो."

रंभा मन ही मन मुस्कुराइ वो उसके पीछे से खड़ा हो उसकी कमीज़ के अंदर झाँक के उसकी चूचियो को देखने की कोशिश कर रहा था,"पर आप कुच्छ तो कर सकते हैं?",उसने अपना दाया हाथ अपने दाए कंधे पे रखे विनोद के दाए हाथ पे रखा & थोड़ा रुआंसी हो उसे देखा.

"हां,कर तो सकता हू.",उसने उसके हाथ को दबाया & उपरी बाहो को हल्के से दबाता हुआ उसके बगल मे रखी कुर्सी पे बैठ गया,"..लेकिन रंभा,अगर मैं तुम्हे वाहा भेजता हू तो मैं 1 बहुत बड़ा रिस्क उठाता हू.अब इस रिस्क के बदले मे मुझे क्या मिलेगा?",उसने उसकी स्विवेल चेर & अपनी कुर्सी को ऐसे घुमाया कि दोनो अब आमने-सामने बैठे थे & दोनो के घुटने आपस मे सॅट रहे थे.

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क्रमशः.......
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