RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--5
गतान्क से आगे.
"अरे छ्चोड़ो उसको,आज यहा खाने दो.",विजयंत ने बेटी के बालो मे हाथ फिराया.
"उन..डॅडी!मैं अब बच्ची नही हू!नही..आज तो वही खाएगा..चलो!",उसने पति को फिर से उसी बनावटी गुस्से से देखा & वाहा से चली गयी.विजयंत & रीता ने मुस्कुराते हुए अपने बच्चो को देखा & फिर खाने की मेज़ की ओर चले गये.
"उम्म..छ्चोड़ो!",शिप्रा ने खुद को अपनी ओर खींचते प्रणव को झिड़का.विजयंत के बंगल से शिप्रा का बुंगला 1 बड़े ही खूबसूरत रास्ते से जुड़ा था जिसके दोनो तरफ खूबसूरत फूलो की क्यारियाँ थी & दोनो उसी पे चले जा रहे थे.
"अरे अब क्यू नाराज़ हो गयी?",प्रणव ने बीवी को मनाने की कोशिश की मगर वो खामोश रही,"अरे बाबा1 तो पार्टीस अरेंज करना तुम्हे पसंद नही..& फिर तुम्हे छेड़ने मे बड़ा मज़ा आता है!",उसने बीवी की ठुड्डी पकड़ के प्यार से हिलाया तो उसने चेहरा झटक दिया.
"ओफ्फो!अब मान भी जाओ.",उसने बीवी को बाहो मे भर के चूम लिया.
"क्या करते हो?कोई देख लेगा!",वो छितकी मगर प्रणव ने उसे फिर से अपनी ओर खींचा & इस बार बाहो मे जाकड़ के फिर से उसके गुलाबी होंठ चूम लिए.
"देखने दो.",शिप्रा को पति का यू प्यार जताना अच्छा तो लग रहा था मगर उसे डर भी था की कही कोई देख ना ले.
"घर के अंदर तो चलो..उउम्म्म्म..!",शिप्रा के ड्रेसिंग गाउन के उपर से ही प्राणव ने अपनी बीवी की गंद दबा दी थी.शिप्रा का रंग मा जैसा ही गोरा था मगर वो उतनी खूबसूरत नही थी ना ही उसका जिस्म उतना दिलकश नही था.इसका ये मतलब नही की वो हसीन नही थी या फिर मस्त नही थी.
"ऊऊहह..प्रणव...डार्लिंग.....!",अपने बंगल की बाहरी दीवार से अपनी बीवी की पीठ लगा प्रणव ने उसके गाउन की बेल्ट खोली & अपने जिस्म को उसके जिस्म पे दबा दिया.उसके हाथ अभी भी शिप्रा की 34 साइज़ की गंद दबा रहे थे & होंठ उसकी गोरी गर्दन चूम रहे थे.वो भी जानता था कि उनकी आवाज़ें सुनके कोई नौकर वाहा आ सकता था लेकिन यही तो मज़ा था इस खेल का!
"नो....प्रणव नही.....आहह....नाआआ.....!",प्रणव के दाए हाथ ने गाउन के नीचे उसकी नाइटी को उठा उसकी टाँगो के बीच उसकी गोरी,गुलाबी चूत को ढूंड लिया था & उसे कुरेद रहा था.
"मुझे पता था कि तुमने पॅंटी नही पहनी होगी,जानेमन!",उसने जोश से लड़खड़ाती आवाज़ मे कहा & अपने मुँह को नाइटी के गले मे से दिख रहे बीवी के क्लीवेज से लगा दिया & चूसने लगा.उसकी ज़ुबान ऐसे चल रही थी मानो वो अपनी ज़ुबान से ही खींच के उसकी 34सी साइज़ की चूचियो को बाहर खींच लेना चाहता हो.शिप्रा पति के हाथ की कारस्तानी से मजबूर हो कमर हिला रही थी.उसकी चूत मे मस्ती भरी कसक अपने शबाब पे पहुँच गयी थी.उसने पति की पीठ को भींचते हुए सर झुका के उसके दाए कान मे पागलो की तरह अपनी जीभ फिराई.
"आन्न्न्णनह..नही..प्रणव यहा नही..पागल....अंदर चलो....ओह..!",प्रणव ने बीवी का दाया हाथ अपनी पीठ से अलग किया & ज़िप खोल उसे अपनी पॅल्ट मे घुसा के तब तक दबाए रखा जब तक कि वो उसके लंड को हिलाने नही लगी,"..उउन्न्ह..डार्लिंग..कितना गर्म है ये..अंदर चलो प्लीज़..!",प्रणव का लंड 8.5 इंच लंबा था & बहुत ही मोटा.शिप्रा को अपने हाथ मे उसका एहसास पागल करने वाला लग रहा था.वो अपने को दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की मानती थी.उसे इतना प्यार करने वाला पति मिला था & उसका लंड तो उफफफ्फ़..!
तभी प्रणव ने उसका हाथ उपर खींचा & 1 बार फिर उसके गुलाबी होंठ चूमने लगा.कुच्छ देर तक उसके हाथ बीवी की 26 इंच की पतली कमर से लिपटे उसे सहलाते रहे फिर अचानक उसने उसकी दोनो जाँघो को थाम लिया.शिप्रा समझ गयी की वो क्या करने वाला था.
"नही..प्रणव..कोई सुन लेगा..आ जाएगा!..ओईईईई..!",बीवी की बात अनसुनी करते हुए प्रणव ने उसकी जंघे हवा मे उठाते हुए अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.लंड ने जैसे ही जान-पहचानी गीली चूत की दरार च्छुआ जैसे वो अपनेआप ही अंदर घुस गया.शिप्रा पूरी तरह मदहोश थी मगर इतना होश था उसे कि चीखे ना.उसने अपने होंठ पति के बाए कंधे के उपर कोट पे दबा दिए & आहे उसमे दफ़्न करने लगी.प्रणव के धक्के उसे मस्ती की ऊँचाहियो पे ले जा रहे थे.उसके होंठ उसकी गर्दन के बाई तरफ & उसके बाए गाल & कान को चूम रहे थे.तभी शिप्रा ने अपने नाख़ून अपने पति के दोनो कंधो पे गढ़ा दिए & चिहुनकि.वो झाड़ रही थी.उसके झाड़ते ही प्रणव ने अपनी कमर और ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया & कुच्छ पॅलो बाद उसकी चूत मे अपना वीर्य छ्चोड़ने लगा.
"तुम पागल हो!",प्रणव ने उसे गोद मे उठा लिया तो उसने अपनी बाहे उसके गले मे डाल प्यार से चूमा.अभी भी उसके चेहरे पे खुमारी सॉफ दिख रही थी,"..इतना बड़ा घर है हमारा लेकिन जनाब को उसके बाहर प्यार करना है!",उसने हल्के से उसके बाए गाल पे काटा.
"तो ठीक है,अब घर के अंदर प्यार करते हैं!",बंगल के अंदर दाखिल होते हुए उसने शिप्रा को चूमा.बंगल का दरवाज़ा बंद हो गया मगर कुच्छ देर तक दोनो के हँसने की आवाज़ें बाहर तक आती रही फिर खामोशी च्छा गयी & अगर कोई गौर से सुनता तो थोड़ी देर बाद फिर से दोनो की मस्तानी आहो की बड़ी धीमी आवाज़ बाहर तक आने लगी थी & ये आवाज़ें देर तक आती रही.
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"ऑफीस से कोई 1 पैंटिंग लेके आया था..",रीता बाथरूम मे दाखिल हुई तो देखा की विजयंत अपना नगा बदन तौलिए से पोछ रहा था.विजयंत ने दीवार पे लगे आदमकद शीशे मे उसे देखा & सर हिलाया.शीशे मे पति के अक्स से आँखे मिलाते हुए हल्के से मुस्कराते हुए रीता ने अपने कंधो से अपनी नाइटी की डोरिया सरका दी.उसका गोरा जिस्म शीशे मे जगमगा उठा.उम्र के साथ शरीर थोड़ा भारी हो गया था लेकिन शायद और दिलकश भी.उसने बाए हाथ से अपनी 36डी साइज़ की छातियों को दबाया & दाए को 1 बार अपनी चूत पे फेरा.उसकी कमर 32 इंच की हो गयी थी & गंद 38 की लेकिन ना वो मोटी लगती थी ना ही उसका जिस्म भद्दा.वो पति के करीब आई & उसके हाथो से तौलिया ले उसका जिस्म सुखाने लगी.
"कहा से खरीदी?",तौलिए को छ्चोड़ते हुए 5'6" कद की रीता पति के सामने आई & अपने पंजो पे उचक के उसके होंठो को चूमने लगी.
"नीलामी मे.",विजयंत बीवी की किस का जवाब देते हुए उसकी मांसल कमर को दबाने लगा.
"यानी की फिर उस कोठारी से टक्कर हुई तुम्हारी?",रीता झुक के उसके बालो भरे सीने पे अपने होंठो के निशान छ्चोड़ते हुए नीचे जाने लगी.उसकी मंज़िल थी विजयंत का तगड़ा लंड.रीता ने उसे हिलाया & फिर अपना मुँह लंड के उपर विजयंत के पेट मे घुसा दिया & उसे चूमते हुए लंड हिलाने लगी.
"हां,उसी से जीती है.",वो रीता के बालो मे हाथ फिराने लगा.रीता जीभ से लंड के सूपदे को चाट रही थी फिर उसने उसे मुँह मे भरा & चूसने लगी.विजयंत ने सर नीचे झुकाया तो बीवी के चेहरे पे उसे मस्ती दिखाई दी.लंड को मज़बूती से हिलाते हुए वो बड़ी गर्मजोशी से उसे चूस रही थी.
"आख़िर क्यू नफ़रत करते हो तुम उस से इतनी?..ओह....आननह..!",कयि पॅलो तक लंड से खलेने के बाद वो उठी & उसके उठते ही विजयंत ने उसके हाथ अपने कंधो पे रखे & उसकी जंघे उठा के अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी चूत मे उतार दिया.2 बच्चो की मा होने के बावजूद रीता की चूत उतनी ढीली नही हुई थी & विजयंत को अभी भी उसे चोदने मे मज़ा आता था.उसकी गंद थामे बाहो मे झूलते हुए उसने 4-5 धक्के लगाए.
"क्यूकी हर बार वो मेरे रास्ते मे खड़ा हो जाता है..",विजयंत ने अपने होंठ रीता के लाबो से सटा दिए तो वो मस्ती मे बहाल हो अपनी ज़ुबान उसके मुँह मे घुसा उसकी जीभ से खेलने लगी,"..जो मुझे चाहिए वही उसी पे उसकी नज़र भी रहती है.",विजयंत ने किस तोड़ी & बात पूरी कर उसे फिर से चूमते हुए बिस्तर पे ले आया & लिटा के उसके उपर लेटते हुए उसे चोदने लगा.
"आहह....एससस्स....जाआंणन्न्...चोदो & ज़ोर से....ऊऊओह....थोडा संतोष करना सीखो जान...उउन्न्ञणन्.....",विजयंत ने अपने होंठ उसकी बाई चूची के हल्के भूरे निपल से लगाए तो उसने बाए हाथ मे छाती को पकड़ उसे उसके मुँह मे भर दिया,"..क्या हुआ अगर वो जीत ही गया तो?..इतना सब कुच्छ तो है हमारे पास......आन्न्नणणनह..!",विजयंत के धक्को से मदमस्त हो उसने अपनी टाँगे उसकी कमर पे चढ़ाते हुए उसकी पीठ पे बेसब्री से हाथ फिराना शुरू कर दिया था & अपनी कमर भी हिला रही थी.
"नही....",उसने रीता के निपल को हल्के से काटा,"..1 बार जीता तो हर बार जीतेगा & फिर सब ख़त्म हो जाएगा..मैं उसे कभी भी किसी कीमत पे जीतने नही दे सकता.",विजयंत ने बहस ख़त्म की & अपनी पत्नी की दूसरी चूची का रुख़ किया.रीता भी समझ गई थी कि हर बार की तरह भी इस बार भी उसकी बात का कोई असर नही होने वाला है.वो उस बात को छ्चोड़ अब इस रोमानी लम्हे पे ध्यान देने लगी.उसकी चूत मे उधम मचाता पति का मोटा लंड उसे मदहोश किए जा रहा था.उसने बहाल हो विजयंत के दाए कान को काटा & उसकी गंद मे नाख़ून धँसाते हुए उसकी चुदाई का लुत्फ़ उठाने लगी.
रंभा लंच मे दफ़्तर से निकल आई.डेवाले आए उसे 6 महीने हो चुके थे.जिस सहेली के भरोसे वो यहा आई थी उसने उसकी काफ़ी मदद की थी.उसने उसे पहले प्लेसमेंट एजेन्सी के बारे मे बताया जहा से उसे 1 कंपनी मे स्क्रेटरी की नौकरी मिल गयी & साथ ही 1 वर्किंग विमन'स हॉस्टिल मे रहने की जगह भी दिलवा दी.जब वो अपने शहर मे थी तभी उसने करेस्पॉंडेन्स से एमबीए करना शुरू किया था,वो भी अब पूरा होने वाला था.कोई और लड़की होती तो खुशी-2 काम करती रही है मगर रंभा के ख्वाब तो आसमान च्छुने के थे & वो ये सब बहुत जल्दी कर लेना चाहती थी.
यही उसकी परेशानी का सबब था.1 महीने पहले हॉस्टिल की लड़कियो से उसे पता चला कि ट्रस्ट ग्रूप के मालिक विजयंत मेहरा की सेक्रेटरी की पोस्ट के लिए एजेन्सी लड़कियो को चुन रही है.एजेन्सी ने ये बात खोली नही थी & चुप-चाप कर रही थी लेकिन किसी को पता चल गया & उसने ये बात लीक कर दी.रंभा अगले ही दिन एजेन्सी पहुँची & अपना CV भी वाहा भेजने को कहा लेकिन उसे साफ मना कर दिया गया.उसने हार नही मानी & वाहा के चक्कर लगाती रही लेकिन नतीजा कुच्छ भी नही निकला.
"मैं कुच्छ नही कर सकती..आप सीनियर मॅनेजर साहब से बात कीजिए.",ये टका सा जवाब दिया था उसकी कन्सल्टेंट ने उस से & सीनियर मॅनेजर कभी मिलता ही नही था.इन्ही ख़यालो मे गुम वो सड़क पे चली जा रही थी.ज़िंदगी मे पहली बार उसे ऐसा लगा था कि वो हार जाएगी.तभी 1 रिक्षेवला उसके बहुत करीब से गुज़रा.थोड़ा और करीब होता तो वो गिर ही जाती.
"आए!अँधा है क्या!",वो झल्लाई मगर वो रिक्षेवाला तेज़ी से आगे चला गया.चिढ़ते हुए वो आगे बढ़ी,फूटपाथ पे 1 आदमी रेहदी लगाके आईने बेच रहा था & रंभा ने अपना अक्स 1 शीशे मे देखा-सामने उसे 1 चिड़चिड़ी लड़की नज़र आई.वो खड़ी होके खुद को देखने लगी..ऐसी क्यू हो गयी थी वो?
उसकी चिड़चिड़ाहट का 1 कारण और भी था.डेवाले आने के बाद से उसने 1 बार भी चुदाई नही की थी.कहा अपने शहर मे वो अपने बाय्फ्रेंड को चुदाई के लिए तड़पाती रहती थी & कहा यहा डेवाले मे वो खुद 1 अदद लंड के लिए तरस रही थी.ऐसा नही था की यहा लड़के उसके करीब नही आना चाहते थे.दरअसल जिनको वो चाहती थी वो अपनी हैसियत की लड़कियो के साथ घूमते रहते थे & वो कोई उसके शहर की लड़कियाँ तो थी नही डेवाले की तेज़-तर्रार लड़किया थी,अपने बाय्फ्रेंड को अपने चंगुल से ऐसे कैसे निकलने देती.फिर भी कुच्छ लड़को ने उसके करीब आने की कोशिश की थी मगर या तो वो उसे पसंद नही थे या फिर उनके साथ सोने मे उसे कोई फ़ायदा नही नज़र आया.
उसने शीशे मे देखा & चेहरे पे हल्की सी मुस्कान लाई..हां ये बेहतर था..उसने अपने कंधे पे बॅग ठीक किया & आगे बढ़ी..चाहे कुच्छ भी हो जाए वो एजेन्सी के उस सीनियर.मॅनेजर से मिलके रहेगी & 1 बार तो ट्रस्ट मे इंटरव्यू ज़रूर देगी.ये मलाल वो मन मे नही रखना चाहती थी कि उसने कोशिश नही की..हां,कल सवेरे उस मॅनेजर को उस से मिलना ही होगा!
वो आगे बढ़ी,जहा इलाक़े के सब-डिविषनल मॅजिस्ट्रेट का कोर्ट था.वाहा कुच्छ गहमा-गहमी थी.उसने देखा कोई जोड़ा शादी कर के कोर्ट से बाहर आ रहा था & उनके साथ के लोग उनके पीछे थे.भीड़ की वजह से उनकी शक्ल नही दिखी.उसने देखा कुच्छ फोटोग्राफर्स भी उनकी तस्वीरे खींचना चाह रहे थे.जोड़ा जल्दी से कार मे बैठ के निकल गया.रंभा उनकी शक्ल नही देख पाई.उसने घड़ी देखी,लंच टाइम ख़त्म हो रहा था.वो वापस दफ़्तर जाने को घूम गयी.
वो शादीशुदा जोड़ा & कोई नही ब्रिज मेहरा & उसकी नयी-नवेली दुल्हन सोनिया थे.रंभा को खबर नही थी कि आने वालो दिनो मे उसकी ज़िंदगी के तार कयि और लोगो की ज़िंदगियो के तारो से जुड़ने वाले थे & उनमे ब्रिज & सोनिया भी शामिल थे.
सोनिया फूलो से सजे अपने कमरे मे आई & शीशे के सामने खड़ी हो गयी.अभी-2 उसकी शादी की रिसेप्षन पार्टी ख़त्म हुई थी.कोर्ट मे शादी करने के बाद वो शाम की पार्टी के लिए तैय्यार होने मे लग गयी थी & अब पार्टी ख़त्म होने के बाद वो काफ़ी थक गयी थी.पार्टी बड़ी शानदार रही थी & उसे बहुत अच्छा लगा था.
सोनिया ने सुर्ख लाल रंग का लहंगा-चोली पहना था जोकि उसके गोरे रंग पे खूब फॅब रहा था.उसने गौर से अपने रूप को आईने मे देखा.वो 30 बरस की हो चुकी थी & ये उसकी दूसरी शादी थी लेकिन शायद ही कोई उसे देख ये बता सकता था.उसके पिता फौज के बड़े अफ़सर रहे थे & उन्होने ही उसकी शादी 1 फ़ौजी से ही करवाई थी लेकिन सोनिया को उस ज़िंदहगी से ऊब हो चुकी थी.पति तो हर वक़्त मुल्क की हिफ़ाज़त मे जुटा रहता & वो घर बैठी उकताने लगी.इसी बात को लेके मिया-बीवी मे तकरार शुरू हुई जोकि तलाक़ पे ही जाके ख़त्म हुई.
उसके बाद वो डेवाले आ गयी & अपनी 1 सहेली के साथ मिलके इवेंट मॅनेज्मेंट का काम करने लगी.अपने काम के सिलसिले मे ही 1 पार्टी मे उसकी मुलाकात ब्रिज कोठारी से हुई जिसकी ज़िंदादिली ने उसके उपर बड़ी गहरी छाप छ्चोड़ी.वो उसके पिता की उम्र का था लेकिन ये उम्र का फासला भी उनके प्यार के बीच आने ना पाया & जब ब्रिज ने उस से शादी के लिए कहा तो उसने फ़ौरन हां कर दी.उसके मा-बाप को तो उसका तलाक़ देना ही नागवार गुज़रा था,इतनी उम्र वाले आदमी से शादी की बात सुनी तो उन्होने उस से रिश्ता ही ख़त्म कर लिया मगर उसपे इस बात का कोई असर नही पड़ा & उसने ब्रिज से शादी का फ़ैसला नही बदला.
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क्रमशः.......
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