RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--4
गतान्क से आगे.
रवि ने ही उसे अपने पिता के दोस्त के दफ़्तर मे नौकरी दिलवाई & ये नया किराए का घर भी.बदले मे उसे अपना कुँवारापन उसे सौंपना पड़ा.रवि तो उसका दीवाना हो गया & उसपे तॉहफो की बरसात करने लगा.रवि पहला मर्द था जिसने रंभा को चोदा था & उसके साथ कुच्छ दिनो की चुदाई के बाद ही उसे अपने बारे मे 1 अहम बात पता चली-उसे चुदाई बहुत पसंद थी.रवि के आने से उसकी ज़िंदगी आसान हो गयी थी मगर ये उसकी मंज़िल नही थी.वो 1 छ्होटे शहर के दुकानदार की बीवी बनके उसके भरोसे नही रहना चाहती थी.उसकी ख्वाहिश आसमान च्छुने की थी & वो यहा मुमकिन नही था.
"रवि..उठो.ट्रेन का टाइम हो गया.",उसने उसे जगाया & अपना सूटकेस & बॅग उठाके दरवाज़े के पास रखा.
"क्या यार..इतनी जल्दी..अरे बहुत वक़्त हो गया..",वो उठके जल्दी-2 कपड़े पहनने लगा,"..क्यू जा रही है,रंभा..मैं कैसे रहूँगा यहा..तू भी ना!",रंभा ने कमरा बंद किया & चाभी रवि को दी.
"मैं क्या करू इसका?"
"तू ही रख.अब जल्दी चल.",रवि ने अपनी गाड़ी मे उसका समान डाला & कुच्छ देर बाद वो उसी समान को ट्रेन मे चढ़ा रहा था.
"पहुँच के फोन कर दीजियो.",गाड़ी स्टेशन छ्चोड़ रही थी.जवाब मे रंभा मुस्कुराती रही.
"रवि..",गाड़ी अब थोड़ा रफ़्तार पकड़ रही थी.रवि उसकी खिड़की के पास आया & धीरे-2 दौड़ने लगा.
"क्या हुआ?कुच्छ भूल गयी क्या?"
"नही.कुच्छ भूली नही.",गाड़ी और तेज़ हो गयी,"..मेरा इंतेज़ार मत करना.मैं अब यहा लौट के नही आ रही."
"क्या?",रवि अब दौड़ रहा था,"..क्या मज़ाक कर रही है?"
"मज़ाक नही,रवि.मैं हमेशा के लिए जा रही हू.अब यहा नही लौटूँगी.गुडबाइ!"
"रंभा!..रंभा..!",गाड़ी अब स्टेशन से बाहर निकल चुकी थी.रवि हांफता खड़ा उसे जाते देख रहा था.
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"सब समझ गयी,सोनम?",ब्रिज कोठारी पिच्छले 3 दिनो से रोज़ सोनम को उसके इंटरव्यू के लिए तैय्यार कर रहा था.
"हाँ,लेकिन.."
"लेकिन क्या?"
"मान लीजिए,वो मुझे नही चुनता है तो?"
"तो यहा जाय्न कर लेना."
"तो यही कर लेती हू वाहा जाने की क्या ज़रूरत है?"
"तुम बहुत डरती हो!",ब्रिज उसके करीब आया & उसे बाहो मे भर लिया,"..देखो सोनम,तुम मुझे नही जानती...आज से तुम मुझे नही जानती मुझसे कभी मिली भी नही..हूँ..ऐसा सोचते हुए वाहा जाना.एजेन्सी वाले 4 लड़कियो को वाहा भेज रहे हैं.तुम्हारा बाइयडेटा उन सब से अच्छा है & तुम उन सब से कही ज़्यादा होशियार हो.अगर तुम्हे इस बात से भी तसल्ली नही हो रही तो ये सुनो मैने उन सभी लड़कियो की तस्वीरे भी निकलवा ली हैं & कोई भी तुम जितनी हसीन नही.",उसने उसके होंठो को चूम लिया.सोनम ने भी उसकी किस का जवाब दिया & उसके सीने से लग गयी.कुच्छ ही पलो मे दोनो नंगे खड़े थे & 1 दूसरे को बड़ी गर्मजोशी से चूम रहे थे.सोनम उम्र & कद,दोनो मे उसके सामने बच्ची जैसी थी मगर उसका भरा-2 जिस्म किसी भी मर्द के पसीने च्छुड़वाने के काबिल था.
साँवली सोनम की 36 साइज़ की छातियो को मुँह मे भरते हुए ब्रिज ने उसे गोद मे उठा के अपने बिस्तर पे लिटा दिया & फिर इतमीनान से उसकी चूचिया चूसने लगा.सोनम बेचैनी से उसके सर के बालो को नोचती हुई मस्ती की राह पे आगे बढ़ती रही.ब्रिज का बाया हाथ उसकी टाँगो के बीच उसकी चिकनी चूत के अंदर घुस खलबली मचा रहा था.अपने दाने पे उसकी गुस्ताख उंगलियो की रगड़ से सोनम बहाल हो गयी & अपनी 26 इंच की कमर उचकाने लगी.ब्रिज ने उंगलियो की रफ़्तार बढ़ा उसकी बेचैनी को और बढ़ा दिया & तब तक उसके दाने को रगड़ता रहा जब तक वो झाड़ ना गयी.
"1 बात बताइए..",साँसे संभालती सोनम को ब्रिज ने उसके पेट के बल लिटा दिया & उसकी मखमली पीठ को चूमते हुए उसकी 36 साइज़ की मोटी गंद पे आ गया,"..ऊहह..हाआनन्न....आपको मेहरा का ऐसा क्या राज़ जानना है?....उउन्न्नःनह..!",ब्रिज की ज़ुबान गंद की दरार की सैर करने लगी थी.
"आज से कोई 6 महीने बाद सरकार डेवाले से 20 किमी की दूरी पे बने 1 बहुत बड़े ज़मीन के हिस्से को स्पेशल एकनामिक ज़ोन यानी कि सेज़ के लिए किसी प्राइवेट पार्टी को देने का टेंडर निकालने वाली है.इस बात की जानकारी मुझे है..",सोनम अब बहुत मचल गयी थी.उसने करवट बदली & अपनी चूत चाटते ब्रिज के बालो को पकड़ उसे उपर खींचा.भारी-भरकम ब्रिज ने उसे अपने लंबे चौड़े शरीर के नीचे दबाते हुए उसके होंठो को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.सोनम ने उसे बाहो मे भर लिया & अपने जिस्म पे उसके जिस्म को और दबाने की कोशिश करने लगी.
"..& विजयंत मेहरा को भी ये ज़रूर पता होगा.कोठारी ग्रूप अभी से उस टेंडर की रकम तैय्यार करने मे जुटा हुआ है जबकि अभी तक सरकार ने कोई फरमान भी जारी नही किया है & यही सब ट्रस्ट ग्रूप भी कर रहा होगा.",अपनी प्रेमिका की हर्कतो का इशारा समझते हुए ब्रिज ने अपने दाए घुटने से उसकी टाँगो को फैलाया & अपना 9 इंच का तगड़ा लंड उसकी छ्होटी सी चूत की दरार पे टीका के धक्का दिया.
"ऊव्ववव..दर्द होता है ना!..हां..ऐसे ही आराम से करिए....हाईईईईई.....",लंड अंदर घुस चुका था & सोनम की चुदाई शुरू हो चुकी थी.
"आप चाहते हैं की मैं उनके टेंडर की रकम आपको पहले ही बता दू & ये भी कि वो क्या तैय्यारिया कर रहे हैं?....ययत्त्त....!",ब्रिज के तगड़े लंड की ज़ोरदार चुदाई ने आख़िरकार उसे झाड़वा ही दिया था.ब्रिज कोठारी ने फ़ौरन अपनी प्रेमिका को बाहो मे भर लिया & उसे लिए दिए अपने घुटनो पे बैठ गया.उसकी गर्दन मे बाहे डाली सोनम ने अपनी टाँगे उसकी गंद के पीछे आपस मे फँसा रखी थी & उन्ही के सहारे 1 बार फिर वो अपने मालिक के लंड पे कूदने लगी थी.
"बस मेरी जान तुम मेरा ये काम कर दो फिर कोठारी ग्रूप मे सीनियर पोज़िशन & पैसे तो मिलने ही हैं तुम्हे.",उसकी कसी गंद को दबोचता जिस्म अपने घुटनो पे बैठ अपनी कमर हिलाने लगा था.मेहरा को हराने के ख़याल से ही उसका दिल 1 अजब सी खुशी से भर गया था & वो अब दुगुने जोश के साथ चुदाई कर रहा था.सोनम अब उस से बिल्कुल चिपात गयी थी & उसके बाए कंधे पे सर टीका के उसके सर को ज़ोर से आहें भरते हुए चूम रही थी.उसके हाथ ब्रिज की पीठ पे बेसब्री से चल रहे थे & वो उसके हर धक्के पे मज़े से पागल हो रही थी.1 ज़ोरदार चीख के साथ दोनो प्रेमी 1 साथ झाड़ गये.सोनम के चेहरे पे बहुत सुकून का भाव था.कुच्छ देर बाद ब्रिज ने उसे गोद से उतार बिस्तर पे लिटाते हुए अपना सिकुदा लंड उसकी चूत से निकाला & अपने कपड़े पहनने लगा.
"जा रहे हैं?",सोनम ने बाया हाथ बढ़ा के बिस्तर के बगल मे खड़े पॅंट का हुक लगा रहे ब्रिज के बालो भरे पेट को प्यार से सहलाया.
"हां."
"कंग्रॅजुलेशन्स & बेस्ट ऑफ लक.",सोनम ने पॅंट के उपर से उसके लंड को 1 बार दबाया तो ब्रिज ने मुस्कुराते हुए सवालिया निगाहो से उसे देखा,"..इस रविवार को आपकी शादी है ना तो उसी की बधाई दे रही हू.",ब्रिज तो सचमुच भूल ही गया था इस बारे मे!सोनम के जिस्म & उसे मेहरा के यहा सेंडमरी के लिए तैय्यार करने मे वो इतना मशगूल हो गया था कि वो शीतल के बारे मे तो वो भूल ही गया था.
"तुम्हारी वजह से मैं अपनी मंगेतर को भी भूल गया!",ब्रिज ने बनावटी गुस्सा किया तो सोनम हंस पड़ी & उठ के उसके करीब आ गयी फिर टेबल से वाइन की बॉटल उठा ग्लास मे डाली & ब्रिज को पिलाई,"ये आपकी शादी के नाम..",फिर अगला घूँट खुद भरा,"..& ये मेरी ट्रस्ट ग्रूप मे नौकरी लगने के नाम.",दोनो हंस पड़े & 1 बार फिर गले लग गये.
विजयंत मेहरा चाहे जितनी भी अययाशिया करे,अगर वो डेवाले मे होता था तो सोता अपने घर मे ही था.अभी 3-4 साल पहले ही वो अपने नये बंगल मे रहने लगा था.अब उसे बुंगला कहना शायद ठीक नही होगा.1 बहुत बड़े मैदान को पहले ऊँची दीवार से घेरा गया फिर उस मैदान की लॅंडस्केपिंग की गयी & 1 छ्होटा 9 होल गोल्फ कोर्स,स्विम्मिंग पूल & काफ़ी बड़ा लॉन बनाया गया.इस मैदान के बीचोबीच 1 बड़ा बुंगला बना & उसके दोनो तरफ उस से थोड़े से ही छ्होटे 2 छ्होटे बुंगले बनाए गये.बीच वाला बुंगला विजयंत & उसकी बीवी रीता का था.दाई तरफ का बुंगला समीर के लिए बनवाया गया था & विजयंत चाहता था की शादी के बाद समीर अपने परिवार के साथ उसी बंगल मे रहे.बाई तरफ के बंगल मे विजयंत की पहली औलाद,उसकी बेटी शिप्रा अपने पति प्रणव के साथ रहती थी.
"हाई,डॅडी!",विजयंत ने जैसे ही बंगल के हॉल मे कदम रखा,उसकी बेटी उसके गले से लग गयी.
"हाई,बेटा.अभी तक सोई नही?",1 नौकर ने विजयंत का कोट & उसके ड्राइवर से उसका ब्रीफकेस ले लिया.
"नही,मेरे साथ बैठी तुम्हारा इंतेज़ार कर रही थी.",पिंक कलर के ड्रेसिंग गाउन मे रीता वाहा आई.रीता की उम्र 48 बरस थी लेकिन पति की तरह ही वो भी उम्र से छ्होटी दिखती थी & अभी भी किसी को यकीन नही होता था कि वो 1 शादीशुदा बेटी & जवान बेटे की मा है.वो अपनी जवानी मे 1 ब्युटी क्वीन रह चुकी थी & आज भी उसका हुस्न ग़ज़ब का था.
"समीर के लौटने की पार्टी प्लान कर रही है ये..",उसने कंधे तक लंबे बाल झटके & सोफे पे बैठ गयी.विजयंत को अपने लंड मे हरकत होती महसूस हुई.रीता की भारी आवाज़ ऐसी लगती थी जैसे फँसे गले से आ रही हो.विजयंत को उसकी आवाज़ बड़ी मस्तानी लगती थी.
"तो ये तो हमेशा से तुम्हारा ही डिपार्टमेंट रहा है,बेटा.",विजयंत सोफे पे बैठा तो शिप्रा 1 नोटपेड़ ले उसके साथ बैठ गयी,"..मैं क्या करू इसमे?"
"ये मेहमानो की फेहरिस्त तो आप ही फाइनल करते हैं.",उसने नोटपेड़ उसकी गोद मे पटका.
"ओह्ह..",विजयंत ने थके होने का इशारा करते हुए सर पीछे सोफे की बॅक पे रखा,"..अभी नही बेटा."
"प्लीज़,पापा!..फिर सबको इन्विटेशन देर से मिलेंगे & हमारी पार्टी बिल्कुल फ्लॉप हो जाएगी.",वो बच्चों की तरह मछली.विजयंत हंसा,उसकी बेटी अभी तक 1 बच्ची जैसी ही थी.
"ओके,मेडम.जैसा आपका हुक्म!",उसने नाटकिया अंदाज़ मे कहा & पॅड उठा लिस्ट देखने लगा.रीता मुस्कुराइ & अपनी कॉफी का कप उठाके 1 घूँट भरा.विजयंत मेहरा अपने बच्चों की कोई बात नही टालता था,वो उसकी ज़िंदगी थे.वो अपनी बीवी से शायद हर रोज़ बेवफ़ाई करता था लेकिन आज तक उसने किसी लड़की को रीता का दर्जा नही दिया था.उसका मानना था कि परिवार की जगह कोई नही ले सकता & शायद यही वजह थी कि उसका परिवार इतना खुशाल था.
"हेलो!",5'9" कद का 1 चश्मा लगाए गोरा,भले सी शक्ल वाला जवान मर्द हॉल मे दाखिल हुआ.
"हाई!प्रणव.",रीता ने जवाब दिया तो विजयंत ने पॅड से नज़र उठाई & दामाद को देख के मुस्कुराया.2 साल पहले प्रणव कपूर उसकी बेटी का पति बना था.वो अमेरिका मे किसी कंपनी मे काम करता था & वही छुट्टी मना रही शिप्रा से उसकी मुलाकात हुई थी.दोनो 1 दूसरे को चाहने लगे थे & जब शिप्रा ने उस से शादी करने की ख्वाहिश जताई तो विजयंत नही माना था.उसे भरोसा नही था शायद की उसकी बेटी सही फ़ैसला ले सकती है.
कितना ग़लत था वो!पहली मुलाकात मे ही उसने भाँप लिया था कि प्रणव 1 अच्छा लड़का है & जब उसने उसे शादी के बाद ट्रस्ट ग्रूप जाय्न करने को कहा तो उसने सॉफ मना कर दिया था.इस बात ने विजयंत के सारे शुबहे दूर कर दिए.शिप्रा शादी कर अमेरिका चली गयी लेकिन विजयंत ने अपने दामाद से वापस आ उसे जाय्न करने की गुज़ारिश नही छ्चोड़ी.1 बरस पहले प्रणव उसकी बात मान गया & तब से सब साथ रहे थे.
"क्या हो रहा है?",उसने नौकर से पानी का ग्लास लिया & सोफे पे बैठ गया,"..डॉन'ट टेल मी!..शिप्रा पार्टी प्लान कर रही है..& कभी ये इतनी खुश हो ही नही सकती!",सभी हँसने लगे & शिप्रा ने पति को बनावटी गुस्से से देखा.
"ये लो भाई तुम्हारी गेस्ट लिस्ट.कम ऑन,प्रणव.खाना खाते हैं."
"& जो हमारे डाइनिंग टेबल पड़ा है,उसका क्या होगा?",शिप्रा ने पति के दाई बाँह मे अपनी बाई बाँह फँसा दी.
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क्रमशः.......
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