RE: Sex Porn Story पंजाबी मालकिन और नौकर
मैंने सोचा पहले थोड़ी भांग पीली जाए...................मैंने भांग की भरी हुई बोतल उठाई और गटा-गट पीने लगा..
बीजी : ओ धर्मा......इन्नी भांग ना पी....तेनू नशा चढ जाएगा....
मैं पीता रहा....
बीजी : बस कर......बस कर.......
मैंने पूरी बोतल एक घून्ट मे ही ख़तम कर दी........मुझे पता था कि एक दो बोतल ने नशा
नही चढ्ता था.....और वैसे भी जो भांग मैं लाया था वो ज़्यादा स्ट्रोन्ग नही
थी..........मुझे तो बस थोड़े नशे का बहाना चाहिए था..
मैं : आ...मज़ा आ गया...जान आ गयी.... मैं खड़ा हुआ...हाथ मे पक्का वाला रंग लिया
और बीजी की तरफ भाग पड़ा......बीजी भी भाग पडी....
बीजी : हा..हा..(बीजी हंस रही थी)......हुन ना पकड़ पाएगा तू मैंनु...ईई
मैं : रहने दो बीजी.......(मैं बीजी के पीछे भाग रहा था)....इक मिनट दी गल ए...तुस्सी मेरे
पास होवोगी..
बीजी के पीछे भाग के मैंने बीजी को पीछे से पकड़ लिया....मैंने उनके पीछे खड़े होकर उन्हे
पेट से जकड लिया.........
बीजी : छोड़ मैंनु...बदमाश.....
मैं : पकड़ लिया ना बीजी.........हुन छुडा के देखो...
बीजी : मेरे मूँह ते मत लगाइयो ए पक्का रंग......ए रंग उतरेगा नही ते तेरे साहब
समझ जाएँगे कि मैं होली खेली ए......
मैंने बीजी को और जकड लिया..
मैं : मूँह ते नही ते और कित्थे लगावा बीजी............तुस्सी ते पूरे कपड़े पेन रखे ए....
बीजी : की.......तेनू भांग दा नशा चढ गया ए......छोड़ मैंनु...
मैं : बीजी....रंग ते मैं लगावांगा ही....तुस्सी बच नही सक्दे
बीजी : मूह पर ते मैं लगावान्गि नही.......मेरे कपड़ेया ते लगा ले..
मैं : ठीक ए बीजी.....पर ए ग़लत गल ए...खेर...ते मैं त्वाड्डे कपड़ेया ते ही लगावांगा..
मैंने उन्हे पीछे से पेट से पकड़ रखा था......
मैंने हल्के हल्के उनके पेट पर हाथ घुमाने शुरू किए....
फिर मैंने हाथ थोड़े ऊपर कर दिए और कस के दबाने लगा....मेरे हाथ उनके मम्मो से थोड़े से
दूर थे...
मैंने एक हाथ मे गुब्बारा लिया और उनके दोनो मम्मो के बीच मे फोड़ा...
बीजी : आह....
याद रहे की मैंने बीजी को पीछे से पकड़ रखा था......मैंने एक हाथ मे पक्का वाला रंग
मला और उसी हाथ मे गुब्बारा लेके बीजी के लेफ्ट मम्मे पे फोड़ा.......
बीजी : आह....
गुब्बारा फोड्ने के बाद भी मैंने उनके मम्मे से हाथ नही उठाया......
अब...मैं धीरे धीरे उनके मम्मे पे पक्का वाला रंग मलने लगा......उनका मम्मा मेरे हाथ मे
पूरा फिट नही आ रहा था....क्या करूँ..कमीना इतना बड़ा था...
मैं उनके मम्मे पे हाथ घुमा रहा था....
बीजी : स्श्ह....धर्मा...बस कर....
मैं : नही बीजी....तुस्सी ते कहा ए कि कपडो पे लगा ले.....बीजी...........तुस्सी बड़े सोफ्ट सोफ्ट हो..
ये कह कर मैं अब बीजी के सामने आ गया..और
हाथ उनकी पीठ पे ले जाके उनकी पीठ पे रंग मलने लगा...मैं और बीजी चिपके हुए थे.....
मैंने गुब्बारा उठाया और उनके राईट चूतड पे दे फोड़ा........मैं उनके राईट चूतड को
हाथ से दबाने लगा.....मैं अपना दूसरा हाथ उनके लेफ्ट चूतड पे ले आया और उस चूतड
को भी दबाने लगा...
मैंने हाथो मे और रंग मला........अब तक उनके चूतडो के ऊपर उनकी कमीज़ आ रही
थी......मैंने हाथो मे रंग माला और नीचे से हाथ ऊपर लाया...उनकी कमीज़ के अंदर
से...............अब मैं उनके चूतड ज़्यादा अच्छी तरह फील कर सकता था क्योकि अब उनके
चूतडो और मेरे हाथो के बीच उनकी सलवार और अंडरवीयर था.........मैं उनके चूतडो को
कस के दबा रहा था.....
बीजी : आ.....पुत्तर की करदा पया हाई ए...
मैं : बीजी रंग मलदा पया आं........
बीजी : कैसी कैसी जगह ते रंग मलदा पाया ए...
मैंने एक हाथ बीजी के चूतडो के बीच मे लाया......और एक उंगली उनके चूतडो के बीच
मे ऊपर नीचे करने लगा....
मैं : बीजी......तुस्सी किन्हे सोफ्ट हो.........जी चान्दा ए मैं त्वाड्डी पप्पी (किस/चुंबन) ले लेया..
एक उंगली से उनके चूतडो के बीच मे ऊपर नीचे कर रहा था जैसे कि रंग मल रहा हू..
बीजी: आह..आह..........मैंनु लगदा ए तेरा भांग दा नशा बढ़-दा जा रेया ए....
मैं : बीजी..........................इक पप्पी लेने दो
बीजी: ए तू जो भी कर रेया ए भांग दे नशे विच कर रया ए......तेनू नही पता तू की करदा
पाया ए ते की बोल्दा पाया ए...
मैं : बीजी....इक पप्पी देने विच त्वाड्डा की चला जाएगा.........लें दो..
बीजी: हुन मैं की कवान......इक ले ले....बस इक
मेरे होठ (लिप्स) बीजी के गालो (चीक्स) से चिपक गये..........................मैंने अपनी उंगली
उनके चूतडो के बिल्कुल बीच मे घुसा दी....लेकिन उनकी सलवार गीली होने के कारण
चूतडो से इतनी टाइट हो गयी थी कि मेरी उंगली ज़्यादा अंदर ना घुस पाई.......
मैंने फिर बीजी के चूतडो के बीच उंगली
ऊपर नीचे करनी शुरू कर दी...........
मेरे होठ बीजी के गालो पर थे...
बीजी धीरे से बोली..
बीजी: बस कर......
मैंने होठ उनके गालो से हटाए....लेकिन मेरे हाथ उनके चूतडो को दबा रहे थे...सलवार के
ऊपर से ही........मैं बोला...
मैं : बीजी....तुस्सी बड़े मीठे हो.................इक पप्पी और लेन दो..
मेरे हाथ बीजी के चूतडो को दबा रहे थे...
बीजी: आह....नही....ए तू नही...भांग बोल रही है................बस और नही..
बीजी ने खुद को मुझसे अलग किया और बोली..
बीजी: चल नीचे....लेकिन....छत सॉफ कर दे.....कही तेरे साहब ने ऊपर आ के ज़मीन ते
गिरा रंग देख लिया ते ओ समझ जाएँगे कि अस्सी होली खेली ए.........मैं नीचे जा रही आं..
ये कह कर बीजी नीचे चली गयी.....मैंने भी ज़्यादा रोकने की कोशिश नही की......आख़िर
काफ़ी मस्ती तो ले ही चुका था..
फिर दोपहर तक हम दोनो नहा-धो के सॉफ हो चुके थे....
बीजी ने नहा के फ्लोरोसेंट ग्रीन कलर का सूट पहना था और बहुत आकर्षक लग रही
थी......चुन्नी नही पहनी थी....सूट इतना पतला था क़ी उनकी काली ब्रा सॉफ सॉफ दिख
रही थी.......पता नही आज कल औरते इतना पतला सूट क्यो पहनती है...
हमने नाश्ता ही 1:30 बजे किया और इसलिए लंच की भूख नही थी.....
करीबन 7 बजे मैं रसोई मे खाना बना रहा था.....बीजी रसोई मे आई.....
बीजी: धरम....की बना रहा ए ?
मैं : बीजी....आलू-भे बना रेया आं..[भे (कमाल ककडी) इज आई रौड्लाईक वेजीटेबल विच इज
कट इनटू पीसीज बोफोर मेकिंग ....ईट ईज़ क्वाईट सोलिड ऐन्ड केन नोट बी प्रेस्ड बट ओनली कट ...ईट
ईज़ नोरमली 6 सेंटी मीटर 12 ईंच इन लेंग्थ]
बीजी ने एक भे हाथ विच लिया..
बीजी: धर्मा...तेनू भे लेने नही आंदे..
मैं : क्यो बीजी..
बीजी: हमेशा मोटे भे अच्छे होंदे ए......ते तू पतले भे लित्ते ए...
मैं: पर बीजी पतले भे जल्दी बन जांदे एँ..
बीजी: पर स्वाद मोटे भे दा ही अच्छ होन्दा ए......
मुझे लग रहा था कि बीजी भे के बारे मे नही और किसी चीज़ (तुम जानते हो !!) के बारे
मे बात कर रही थी
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